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ऑस्कर जीत के बाद लौटे हैं रहमान मगर इस बार रंग है "ब्लू"

ताजा सुर ताल (24)

ताजा सुर ताल में आज में आज सुनिए हिंदुस्तान की अब तक की सबसे महंगी फिल्म "ब्लू" का एक गुस्ताख गीत

सुजॉय - सजीव, लगता है कि अब वह वक़्त आ गया है कि हमारे यहाँ भी पारंपरिक फ़िल्मी कहानियों से आगे निकलकर हॉलीवुड की तरह नए नए विषयों पर फ़िल्में बनने लगी हैं।

सजीव- किस फ़िल्म की तरफ़ तुम्हारा इशारा है सुजॉय?

सुजॉय- अक्षय कुमार की नई फ़िल्म 'ब्लू'। इस ऐक्शन फ़िल्म की कहानी केन्द्रित है समुंदर के नीचे छुपे हुए ख़ज़ाने की जिसकी रखवाली कर रहे हैं शार्क मछलियाँ। अमेरिकी लेखक जोशुआ लुरी और ब्रायान सुलिवन ने इस कहानी को लिखा है और गायिका कायली मिनोग ने भी अतिथी कलाकार के रूप में इस फ़िल्म में एक गीत गाया है जो उन्ही पर फ़िल्माया गया है।

सजीव- हाँ, मैने भी सुना है इस फ़िल्म के बारे में। क्यों ना थोड़ी सी जानकारी और दी जाए इस फ़िल्म से संबंधित! कहानी ऐसी है कि सागर और सैम दो भाई हैं, जिन्हे गुप्तधन ढ़ूंढने का ज़बरदस्त शौक है। सागर की पत्नी मोना के साथ वे बहामा के लिए निकल पड़ते हैं समुंदर के २०० फ़ीट नीचे छुपे किसी ख़ज़ाने को ढ़ूंढने के लिए। लेकिन उनकी मुलाक़त होती है आरव से जो उसी गुप्तधन को ढ़ूंढने के लिए वहाँ पे आया हुआ है। फ़िल्म का ज़्यादातर हिस्सा समुंदर के नीचे फ़िल्माया गया है, और इसीलिए फ़िल्म का शीर्षक भी रखा गया है 'ब्लू'।

सुजॉय- भई, मुझे तो बहुत इंटरेस्टिंग लग रही है, मैं तो ज़रूर देखूँगा यह फ़िल्म। वैसे फ़िल्म में कलाकार भी अच्छे हैं - संजय दत्त, अक्षय कुमार, ज़ायद ख़ान और लारा दत्ता। इन्ही चार लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है कहानी। सुना है कि बैंकॉक में इन सभी कलाकारों को फ़िल्म की शूटिंग शुरु होने से पहले स्कूबा डायविंग की ट्रेनिंग लेनी पड़ी है। अच्छा सजीव, पता है फ़िल्म में संगीत किसका है?

सजीव- हाँ, ए. आर. रहमान का। कुल ७ ट्रैक्स हैं इस ऐल्बम में। गानें लिखे हैं अब्बास टायरवाला, मयूर पुरी और रक़ीब आलम ने, और गीतों में आवाज़ें हैं सोनू निगम, उदित नारायण, श्रेया घोषाल, सुखविंदर सिंह, राशिद अली, नीरज श्रीधर, मधुश्री, सोनू कक्कर, विजय प्रकाश, जसप्रीत सिंह, दिल्शाद और रक़ीब की, साथ ही एक गीत में कायली मिनोग और सुज़ैन डी'मेलो की भी आवाज़ें हैं।

सुजॉय- यानी की ये ऑस्कर में जीत के बाद रहमान साहब की पहली प्रर्दशित फिल्म होगी, तो आज हम कौन सा गीत सुनवाएँगे?

सजीव- वही गीत जो इन दिनों काफ़ी सुना और देखा जा रहा है। श्रेया और सुखविंदर का गाया "आज दिल गुस्ताख़ है, पानियों में आग है"। ये एक पेशानेट गीत है और श्रेया ने खूब जम कर गाया है इसे, ३ बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित इस गायिका ने खुद को कभी किसी इमेज में कैद नहीं होने दिया....हाँ सुखविंदर की आवाज़ कुछ ख़ास नहीं जमी इस गीत में....हो सकता है उनका चुनाव नायक संजय दत्त को जेहन में रख कर किया गया है....

सुजॉय- मैने यह गीत सुना है, और बहुत दिनों के बाद ऐसा लगा कि ए. आर. रहमान कुछ अलग हट के बनाया है, वर्ना पिछले कई फ़िल्मों से पीरियड फ़िल्मों में संगीत देते देते वो थोड़े से टाइप-कास्ट होते जा रहे थे।

सजीव- हाँ, दरअसल रहमान साहब फिल्म के मूड के हिसाब से संगीत देने में माहिर हैं, अब यदि तेज़ बीट्स संगीत की बात की जाए तो "हम से मुकाबलa" से लेकर "गजनी" तक एक लम्बी सूची है, वहीँ आत्मीय और मेलोडी वाले संगीत पर गौर करें तो "रोजा" से लेकर 'जोधा अकबर" और "जाने तू..." जैसी फिल्मों में उनका संगीत कितना मधुर था ये बात हम सब जानते हैं. "ब्लू" की अगर बात की जाए तो ये एक तेज़ तर्रार एक्शन फिल्म है तो जाहिर है इसमें हर रंग का कुछ न कुछ होना चाहिए था, इस बड़े बजट फिल्म संगीत भी बड़े कैनवास का दिया है रहमान ने. कहते हैं कायली पर जो गीत फिल्माया गया है उस पर पूरे ६ करोड़ का खर्चा आया है, सुजोय अगर ६ करोड़ मिल जाए तो आप कितनी फिल्में बना सकते हैं ?

सुजॉय - कम से कम २ अच्छी फिल्में तो बन ही सकती है....

सजीव - तो सोचिये हमारी दो फिल्मों का खर्चा लेकर इन लोगों ने एक गीत फिल्मा दिया .....हा हा हा...खैर बड़े निर्माताओं की बड़ी बातें हैं ये...हम जिस गीत की आज बात कर रहे हैं इस गीत में भी जहाँ एक तरफ़ रोमांस है, वहीं दूसरी ओर इसका म्युज़िक ऐरेंजमेंट भी कमाल का है।

सुजॉय - ऐकोस्टिक गीटार का बहुत ही सुंदर इस्तेमाल सुनने को मिलता है इस गीत में, और जो ध्वनियाँ, जो संगीत इस गीत में सुनाई देता है वह बहुत ही मॊडर्ण है, कॊंटेम्पोररी है, लेकिन एक मेलडी भी है, मिठास भी है। अनर्थक शोर शराबा नहीं है, बल्कि एक सूथिंग नंबर है। कई बार सुनते सुनते गीत ज़हन में बसने लगता है। एक और बात कि इस गीत का जो अंत है, उसमें गीत का वॊल्युम धीरे धीरे कम हो कर गीत समाप्त हो जाता है। इस तरह का समापन पुराने दौर में काफ़ी सुनने को मिला है, लेकिन पिछले दो दशकों के गीतों को अगर आप सुनें तो पाएँगे कि गानें झट से समाप्त होते हैं ना कि ग्रैजुअली। तो बहुत दिनों के बाद इस तरह का ग्रैजुअल एंडिंग सुनने को मिला है।

सजीव- बिल्कुल! ऑस्कर मिलने के बाद अब रहमान से काफ़ी उम्मीदें हैं सभी को। तो ज़ाहिर बात है कि वो जल्द बाज़ी में आकर अपने संगीत के स्तर को गिरने नहीं देंगे, और आगे भी नए नए उनके प्रयोग हमें सुनने को मिलेंगे। तुम कितने अंक दोगे इस गीत को?

सुजॉय - मैं दूँगा ४ अंक। आपका क्या ख़याल है?

सजीव - बिलकुल सही मैं भी ४ अंक दूंगा.

सुजॉय- तो चलिए सुनते हैं गीत, इस फ़िल्म से तो मुझे बहुत सारी उम्मीदें हैं, देखते हैं कि फ़िल्म कैसी बनी है। एक बात तो ज़ाहिर है कि अगर हमारी जनता ने फ़िल्म को सर आँखों पर बिठा लिया तो आगे भी इस तरह की ग़ैर पारंपरिक फ़िल्में हमारे यहाँ और भी बनेंगी। क्या पता यह एक ट्रेंडसेटर फ़िल्म साबित हो जाए!

सजीव- ज़रूर! हमारी शुभकामनाएँ फ़िल्म के निर्माता धिलिन मेहता के साथ है....



आवाज़ की टीम ने दिए इस गीत को 4 की रेटिंग 5 में से. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसा लगा? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीत को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.



अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

Comments

Manju Gupta said…
आप दोनों के संवाद से संगीत की बारीकियां पता लगी .
मैं तो ४ /५ की रेटिंग दूंगी .
Shamikh Faraz said…
मैं ३/५ दूंगा.

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