Skip to main content

जैसे ही देखा मोहिंदर कुमार जी का गीत, लगा कि धुन मिल गयी...

हिंद युग्म की नयी खोज हैं, संगीतकार और गायक कृष्ण राज कुमार, जो हैं आवाज़ पर इस हफ्ते के उभरते सितारे. २२ वर्षीय कृष्ण राज दक्षिण भारत के कोच्ची केरल से हैं, अभी अभी अपनी पढ़ाई पूरी की है इन्होने. संगीत का शौक बचपन से है और पिछले १४ सालों से कर्णाटक संगीत में दीक्षा ले रहे हैं. आवाज़ पर इनका पहला स्वरबद्ध किया और गाया हुआ गीत "राहतें सारी" इस शुक्रवार को ओपन हुआ था और बेहद सराहा भी गया, जिससे कृष्ण कुमार के हौसले यकीनन बढ़े हैं और हमारे श्रोता आने वाले दिनों में उनसे और बेहतर गीतों की उम्मीद रख सकते हैं. दरअसल हर गीत की तरह इस गीत की भी एक कहानी है. आईये जानते हैं ख़ुद कृष्ण कुमार से की कैसे बना ये सुमधुर गीत. (कृष्ण हिंद युग्म से हिन्दी टंकण अभी सीख रहे हैं, पर यहाँ प्रस्तुत उनका यह अनुभव अभी मूल रूप में ही आपके सामने है)

First of all I thank God for blessing me, second I thank sajeev ji for giving me an opportunity to showcase my talent and last but not the least I thank Mohinder kumar ji for providing such a wonderful lyrics without which I wouldn’t be able to compose the song.


My name is Krishna Raj Kumar. I am from cochin, kerala. I just completed my Btech. Basically I am a singer and I have been learning classical music for 14 years. My interest in composing music started when I was in my 10th. From there onwards I was more interested in composing music.

My introduction to hindyugm was made by Niran kumar of "pehla sur" fame. It was through him that I got to meet Sajeev sarathie ji. First when I visited hindyugm site I saw an ad calling for singers. I thought why not compose a song and also sing the song in my voice. So the next thing that came in my mind was what to compose??? While browsing the site suddenly I saw the poetry section and I browsed through all the poems in that section. To be frank all were poems!!!!! I mean I knew I was in the poetry section but to me it was like oh!! I don’t think I can compose tune for poems….But then I saw mohinder kumar ji’s "Raahate saari aagayi…" Hmmmm…..ok I think I got a tune…then there was no looking back actually….i composed the first stanza and then I send it to sajeev ji…..He liked the tune and my voice. He said to compose the whole song and also suggested me to sing the whole song in one flow as it’s a poem it would be better to sing it in one flow. He also suggested that let the last stanza “dhosto ne nibha di dushmani pyaar se” be repeated.. I did the composing according to what he suggested. It took me sometime to compose the song and also the orchestration as all the work was done by me.And the song was born…

I thank all of you for taking time in listening to this song and also thank all of you for posting your valuable comments. I have your valuable comments and I will improve on it the next time.

Also thank mohinder kumar ji for his beautiful lyrics and once again Sajeev ji and the whole hindyugm team for putting up a blog where people like me are able to showcase their talents. It’s a wonderful thing because we are able to find hidden talents.

All the best hindyugm team.

God bless you!!!!

-Krishna Raj Kumar

दोस्तों, तो ये थे संगीत की दुनिया के नए सुरबाज़, कृष्ण राज कुमार. आईये एक फ़िर आनंद लें उनके इस पहले पहले गीत का और इस प्रतिभावान गायक/संगीतकार को अपना प्रोत्साहन देकर हौंसलाअफजाई करें.
(गीत को सुनने के लिए नीचे के पोस्टर पर क्लिक करें)



आप भी इसका इस्तेमाल करें

Comments

all the very best krishn, ur voice will surely create an impact in the coming days
Thanks Sajeev ji and Krishan Raj Kumar for giving lively shape and sound to my words.....
wish both of you all the best in the field to excell.

सजीव जी और क्र्ष्ण राज कुमार जी मेरे शब्दों को आवाज का जामा पहनाने के लिये आप दोनों का धन्यवाद. मेरी शुभकामनायें हैं कि आप इस क्षेत्र में और ऊंचाईयों को छुयें.
कृष्ण जी,

आपमें निश्चित तौर से वो टैलेन्ट है कि आप एक दिन ऊँचाइयों को छुयेंगे। आपकी गायकी और कम्पोजिशन दोनों में बहुत दम है।
कृष्ण जी.. आपका गीत बहुत अच्छा बन पड़ा है। आप से आगे भी सुनते रहने की इच्छा है। अभी महज २२ वर्ष के हैं। आप दूर तक जाने का माद्दा रखते हैं। शुभकामनायें।

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...