Skip to main content

कहने को हासिल सारा जहाँ था...

दूसरे सत्र के १० वें गीत और उसके विडियो का विश्वव्यापी उदघाटन आज.

चलते चलते हम संगीत के इस नए सत्र की दसवीं कड़ी तक पहुँच गए, अब तक के हमारे इस आयोजन को श्रोताओं ने जिस तरह प्यार दिया है, उससे हमारे हौसले निश्चित रूप से बुलंद हुए है. तभी शायद हम इस दसवें गीत के साथ एक नया इतिहास रचने जा रहे हैं, आज ये नया गीत न सिर्फ़ आप सुन पाएंगे, बल्कि देख भी पाएंगे, यानि "खुशमिजाज़ मिट्टी" युग्म का पहला गीत है जो ऑडियो और विडियो दोनों रूपों में आज ओपन हो रहा है.


सुबोध साठे की आवाज़ से हमारे, युग्म के श्रोता बखूबी परिचित हैं, लेकिन अब तक उन्होंने दूसरे संगीतकारों, जैसे ऋषि एस और सुभोजित आदि के लिए अपनी आवाज़ दी है, पर हम आपको बता दें, सुबोध ख़ुद भी एक संगीतकार हैं और अपनी वेब साईट पर दो हिन्दी और एक मराठी एल्बम ( बतौर संगीतकार/ गायक ) लॉन्च कर चुके हैं, युग्म के लिए ये उनका पहला स्वरबद्ध गीत है, जाहिर है आवाज़ भी उनकी अपनी है, संगीत संयोजन में उनका साथ निभाया है, पुणे के चैतन्य अड़कर ने. गीतकार हैं युग्म के एक और प्रतिष्टित कवि, गौरव सोलंकी, जिनका अंदाज़ अपने आप में सबसे जुदा है, तो आनंद लें इस ताजातरीन प्रस्तुति का, और अपने विचार टिप्पणियों के माध्यम से हम तक अवश्य पहुंचायें.


गीत को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें -





To listen to this brand new song, please click on the player below -




With this 10th song of the season, we are creating a new history, as this is the first song, which we are opening in audio and video format together. Subodh who sung many song for us before, this time handle the tough job of composing also, along with singing in his mesmerizing voice.


Song penned by another reputed poet from yugm family, Gaurav Solonki, while Chaitanya Adhker from Pune, helped with music arrangement. So now after hearing the audio watch here the video of "khushmizaz mitti".We hope you like this effort, feel free to post your comments about the song and its video so that we can better ourselves in accordance with your suggestions.

Other credits - (Regarding Video)

Video Direction - Subodh Sathe.
Camera - Navendu thosar, Pankaj Makhe.
Editing - Manoj Pidadi

Video of "khushmizaz mitti"



Lyrics - गीत के बोल


खुशमिजाज मिट्टी
पहले उदास थी
चाँदनी की चिट्ठी
अँधेरे के पास थी
सुस्त सुस्त शामें थीं,
सुबहें उनींदी
सूरज के होठों को उजाले की प्यास थी
कहने को हासिल सारा जहाँ था
तुम जो नहीं थे तो कुछ भी कहाँ था...

इधर था मोहल्ला नींदों का लेकिन
रातों में पागल सोता नहीं था
अजब सी थी हालत दिल की भी मेरे
हँसता नहीं था, रोता नहीं था
कहने को हासिल सारा जहाँ था
तुम जो नहीं थे तो कुछ भी कहाँ था...

बहुत डोर थी, बहुत थी पतंगें
मगर उड़ती कैसे, नहीं थी उमंगें
ऐसा हुआ था, दिल में कुँआ था
पानी का साया भी डूबा हुआ था
कहने को हासिल सारा जहाँ था
तुम जो नहीं थे तो कुछ भी कहाँ था...

यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)




VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis



SONG # 10, SEASON # 02, "KHUSHMIZAZ MITTI" (Khushmizas Mitti), OPENED ON 05/09/2008, AWAAZ, HIND YUGM.Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.

ब्लॉग/वेबसाइट/ऑरकुट स्क्रैपबुक/माईस्पैस/फेसबुक में 'खुशमिज़ाज मिट्टी' का पोस्टर लगाकर नये कलाकारों को प्रोत्साहित कीजिए

Comments

Rishi said…
Hats off to Subodh for the amazing tune on the mukuda. Great chord progressions, not sure if its by Subodh or the arranger...songs like this set the standards for yugm. Congrats to the team.
neelam said…
yesterday,i went to waste my husband's hard earned money ,means i was seeing rock on the recommendation of aawaj on hindyugm ,whole time i was forced to think about u only u ,i mean aawaj ki duniya ke dostoon .what frahaan akhtar has done ,is not worth of appriciation
of single word rather i would like to congratulate u the whole unit of aawaj .i regret for my all criticism .rishi s ji are u listening to me u are doing tremendous job my all good wishes for u .script was gud but music has spoiled the spirit of that movie
Alok Shankar said…
Outstanding lyrics, gaurav.
good song.
Subhojit said…
the hook is impressive,
d song creates d mood perfectly
godd song
only sound samples used r not tht gud
Biswajeet said…
Congratulations Subodh. It has come out very nice.
The lyrics is superbbbb...

Also the music and all.

Congrates to alll


Avaneesh tiwari
excillent,superb,mind blowing and outstanding ....
a very sweet and soul touching song
congrates to hindyugm and to the creative team..
shivani said…
खुशमिजाज़ मिटटी की सुगंध बहुत दूर तक जायेगी !सुबोध साठे जी आपकी आवाज़ और चैतन्य अड़कर जी के साथ आपका संगीत मधुर है !गौरव आपका गीत भी बहुत अच्छा है !आपकी कवितायेँ भी सुनी हैं ,आज आपका लिखा गीत संगीत केसाथ सुन कर अच्छा लगा !हिंद युग्म के पहले विडियो बनने की आप सब को बहुत बहुत बधाइयाँ !हिंद युग्म इसी प्रकार दिन दुनी रात चोगुनी प्रगति करे यही दुआ है !एक बार फिर गौरव जी सुबोध जी और चैतन्य जी आप सबको पहले विडियो और इतने मधुर गीत के लिए बहुत बहुत बधाई !धन्यवाद !
गौरव जी,
आपने अपना क्लास गीत में भी नहीं खोया है और सुबोध ने गायकी और संगीत से उसमें और जान डाल दी है। बारम्बार सुनने योग्य गीत। संगीत-संयोजक चैतन्य को भी बधाई और धन्यवाद।

सुबोध की सबसे अधिक तारीफ वीडियो के लिए करनी होगी क्योंकि वीडियो में लोकेशन्स बहुत बढ़िया-बढ़िया इस्तेमाल किये गये हैं। गीत के थीम को प्रपोगेट भी करते है। हाँ लेकिन अंतरों के वीडियो का बेहतर विज्यूलाइजेशन किया जा सकता था। पूरी वीडियो टीम का शुक्रिया।

खैर मैं तो फिर भी १० में १० दूँगा।
यह संयोग ही है की सुबोध युग्म के पहले स्वरबद्ध गीत का हिस्सा था और आज युग्म के पहले विडियो के भी स्टार हैं, लगभग एक साल में सुबोध ने लंबा सफर तय किया है, जब सुबोध ने मुझे इस विडियो का पहला वर्जन दिखाया था, तब मैंने कोई टिपण्णी नही की थी, पर सुबोध ने जैसे मेरे मन की बात समझ ली थी, क्या कोई मानेगा की इसी बुधवार को सुबोध ने कुछ नए शोट शूट किए हैं और एडिट किए हैं, यही एक्स्ट्रा शॉट्स विडियो की जान बन गए हैं this shows that how much u dedicated and committed towards ur work, hats of to u subodh, this is surely one of ur best song till date, need i say anything about gaurav. वो तो युग्म का गौरव हैं, मुझे लगता है की सुबोध और गौरव को टीम बना कर और भी गीत बनाने चाहिए, एक बार फ़िर टीम को बधाई, खुशमिजाज़ मिटटी एक मील का पत्थर है युग्म के संगीत इतिहास में.
Janmejay said…
wah!bahut bahut badhai!
yah prayas apekshakrit adhik santoshprad raha,sambhavtah yugm ke sabhi geeton se kum-se-kum itne ki apeksha rahti hi hai.yah geet apekshaon par khara utrta hai!

gaurav solanki ji ko mera namaskaar!behtareen geet likha hai apne.darasal likhne ki yah shaili meri bhi pasandeeda shaili hai,isliye bhi is geet ke bol behad pasand aye.

subodh bhai ka kaam din-b-din aur nikhar kar samne aa raha hai...bahut achhi dhun di hai unhone is geet ko aur gaya bhi lajawab hai.waise is geet ke bhav aur bhi nikhar kar aate agar iski gayki ko thora aur stylish banaya jata,gayak dwaya gate samay kuchh vyaktigat puton ka samavesh aur sundar lagta.

sangeet sanyojan achha hai aur dhun ka sath nibhata hai,lekin kuchh ullekhneey nahi karta,ise aur behtar karne ki awashyakta thi,aisa bhi kuchh jaghon par laga ki jaldi se geet khtm karna hai so vadyon me thori kanjoosi bhi ki gayi.

lekin kul mila kar geet bahut khubsurat ban para hai,jiske liye main awaz team ko daad deta hoon!

ek cheez jo mujhe geet ek-adh bar sun'ne ke baad dhyan me ayi ,uska ullekh karna chahunga:
geet ke bol hain..."खुशमिजाज मिट्टी
पहले उदास थी....तुम जो नहीं थे तो कुछ भी कहाँ था..." tatpary yah ki pehle premika sath nahi thi to aisa tha,lekin ab shayad premika sath me hai.pehle jindgi ajeeb thi,lekin ab to yah khushmijaj hai,fir yah khushmijaji geet se gum kyun hai...geet sun'ne par isme virah ke bhav hi jyada nazar ate hain ,abhi ki khushmijaji ki chahak nazar nahi ati.sambhavtah is hetu video me bhi female lead ka introduce kiya jana awashyak tha,to shayad geet me kahi gayi sahi baat shrotaon tak pahuch pati.waise video achha hai,sarahneey hai,yadyapi rachnatmakta ka abhav hai,lekin pahla prayas hone ke nate nishchay hi puri prashansa ka huqdaar hai.

bas geet me virah ke bhav ko thora kum karke khushmijaji ka put dalne ki awashaykta hai,anyatha geet behtareen hai.bahut sarahneey karya!

anyanek badhai!!

dhanyawaad!

-Janmejay
wah bhaut bhaut achha laga
isi tarah aap chalte chalte ek din aasmaan par apna naam likh de
yahi dua hai
Manish Kumar said…
पहले तो गौरव जी को एक भावपूर्ण गीत लिखने की बधाई। मुझे बोल पसंद आए।
हाँ जन्मजेय की बात गौर करने की है अगर साथी का ना होना अतीत की बात थी तो फिर अब जब वो साथ है तो गीत में गम का रंग क्यूँ? दरअसल जहाँ जहाँ गीतकार ने 'था' का प्रयोग किया है अगर वहाँ 'है' रहता तो गीत के मूड और भावों से मैच कर जाता।

संगीत संयोजन और गायिकी ठीक ठाक है। कुल मिलाकर अच्छा लगा ये प्रयास !
nesh said…
nice songs with nice viedo.best of luck dost
सुन्दर प्यारे बोलों के साथ एक अच्छी प्रस्तुति के लिए आप सभी को मुबारकबाद। जमे रहे, लगे रहे, मिलेगी मंजिल एक दिन।

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...