भारी फरमाईश पर एक बार फ़िर रफ़ीक शेख़ लेकर आए हैं अहमद फ़राज़ साहब का कलाम
पिछले सप्ताह हमने सदी के महान शायर अहमद फ़राज़ साहब को एक संगीतमय श्रद्धाजंली दी,जब हमारे संगीतकार मित्र रफ़ीक शेख उनकी एक ग़ज़ल को स्वरबद्ध कर अपनी आवाज़ में पेश किया. इस ग़ज़ल को मिली आपार सफलता और हमें प्राप्त हुए ढ़ेरों मेल और स्क्रैप में की गयी फरमाईशों से प्रेरित होकर रफीक़ शेख ने फ़राज़ साहब की एक और शानदार ग़ज़ल को अपनी आवाज़ में गाकर हमें भेजा है. हमें यकीन है है उनका ये प्रयास उनके पिछले प्रयास से भी अधिक हमारे श्रोताओं को पसंद आएगा. अपनी बेशकीमती टिप्पणियों से इस नवोदित ग़ज़ल गायक को अपना प्रोत्साहन दें.
ग़ज़ल - जिंदगी से यही...
ग़ज़लकार - अहमद फ़राज़.
संगीत और गायन - रफ़ीक शेख
ghazal - zindagi se yahi gila hai mujhe...
shayar / poet - ahmed faraz
singer and composer - rafique sheikh
जिदगी से यही गिला है मुझे,
तू बहुत देर से मिला है मुझे.
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौंसला है मुझे.
दिल धड़कता नही, टपकता है,
कल जो ख्वाहिश थी आबला है मुझे.
हमसफ़र चाहिए हुजूम नही,
एक मुसाफिर भी काफिला है मुझे.
ये भी देखें -
फ़राज़ साहब की शायरी का आनंद लें उनकी अपनी आवाज़ में
पिछले सप्ताह हमने सदी के महान शायर अहमद फ़राज़ साहब को एक संगीतमय श्रद्धाजंली दी,जब हमारे संगीतकार मित्र रफ़ीक शेख उनकी एक ग़ज़ल को स्वरबद्ध कर अपनी आवाज़ में पेश किया. इस ग़ज़ल को मिली आपार सफलता और हमें प्राप्त हुए ढ़ेरों मेल और स्क्रैप में की गयी फरमाईशों से प्रेरित होकर रफीक़ शेख ने फ़राज़ साहब की एक और शानदार ग़ज़ल को अपनी आवाज़ में गाकर हमें भेजा है. हमें यकीन है है उनका ये प्रयास उनके पिछले प्रयास से भी अधिक हमारे श्रोताओं को पसंद आएगा. अपनी बेशकीमती टिप्पणियों से इस नवोदित ग़ज़ल गायक को अपना प्रोत्साहन दें.
ग़ज़ल - जिंदगी से यही...
ग़ज़लकार - अहमद फ़राज़.
संगीत और गायन - रफ़ीक शेख
ghazal - zindagi se yahi gila hai mujhe...
shayar / poet - ahmed faraz
singer and composer - rafique sheikh
जिदगी से यही गिला है मुझे,
तू बहुत देर से मिला है मुझे.
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौंसला है मुझे.
दिल धड़कता नही, टपकता है,
कल जो ख्वाहिश थी आबला है मुझे.
हमसफ़र चाहिए हुजूम नही,
एक मुसाफिर भी काफिला है मुझे.
ये भी देखें -
फ़राज़ साहब की शायरी का आनंद लें उनकी अपनी आवाज़ में
Comments
तू बहुत देर से मिला है मुझे.
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौंसला है मुझे.
सुब्हान अल्लाह...बेहतरीन ग़ज़ल है...
आपका संगीत संयोजन, वादन , गायन सबकुछ उम्दा है। अब तक आपकी दो ग़ज़लें आईं, दोनों एक से बढ़कर एक हैं। मैं तो यही फ़रमाइश करूँगा कि फ़राज़ साहब की एक और ग़ज़ल कम्पोज करें।
दुबारा बहुत-बहुत बधाई।
Adab
bahut hi umda gayaki aur gazal ke liye jo aapki awaz hai, aapne yugm par char chand laga diye.
shukriya
ये ग़ज़ल भी बहुत पसंद आई.
इस ग़ज़ल में जो ठहराव था उसके कारन आनंद और भी बढ़ गया.
धन्यवाद