लता संगीत उत्सव की नई प्रस्तुति
प्रस्तावना: लता दीदी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ। लता दीदी की प्रसंशा में बहुत कुछ कहा गया है। फिर भी तारीफें अधूरी लगती हैं। मैंने दीदी के लिए सही शब्द ढूँढ़ने की कोशिश की तो शब्दकोष भी सोच में पड़ गया। कहते है, "लोग तमाम ऊँचाइयों तक पहुँचे हैं...पर जिस मुकाम तक लताजी पहुँची हैं...वहाँ तक कोई नहीं पहुँच सकता..." दीदी से रु-ब-रु होने का सौभाग्य तो अब तक प्राप्त नहीं हुआ, पर दीदी के गीत हमेशा साथ रहते है। लता दीदी वो कल्पवृक्ष हैं जो रंग-बिरंगी मीठे मधुर मनमोहक गीत-रूपी फूल बिखीरती रहती है. दीदी के देशभक्ति गीत सुनकर हौसले बुलंद होते हैं, अमर गाथा सुनकर आखों में पानी भर आता है, लोरी सुन कर ममता का एहसास होता है, खुशी के गीत सुनकर दिल को सुकून मिलता है, दर्द-भरे नगमे दिल की गहराई को छू जाते हैं, भजन सुनकर भक्ति भावना अपने शिखर तक पहुँचती है, और प्रेम गीत सुनकर लगता है जैसे प्रेमिका गा रही हो. जब भी लताजी के गीत सुनता हूँ तो मेरा दिल तो कहने लगता है ... "आज फिर जीने की तम्मना है, आज फिर मरने का इरादा है..."
"कोई ना रोको दिल की उड़ान को..."
दीदी के हज़ारों गीतों में "...काँटों से खींच के ये आँचल, तोड़ के बंधन बाँधी पायल" मेरी रूह को छू जाता है। गीत के बोल शैलेंद्र ने लिखे हैं और संगीत में पिरोया है एस॰ डी॰ बर्मन ने। मन की मुक्ति को और लताजी की महकती हुई आवाज़ को परदे पर बेहतरीन तौर से निभाया है रोजी यानी वहीदा रहमान ने। 1965 में नवकेतन इंटरनेशनल्स के बैनर तले बननी फिल्म गाइड, आर के लक्ष्मण के उपन्यास 'द गाइड' पर आधारित है। राजू यानी देव आनंद की एक साधारण गाइड से जैल तक, फिर एक सन्यासी से जीवन-मुक्ति तक की अजीब कहानी और रोजी का नृत्या-कला का दीवानापन हमें ज़िंदगी के तमाम पहलुओं से मुखातिर करता है.
इस फिल्म में नृत्या-कला की महानता को बड़ी ही सुंदर सरल और सहज तरीके से प्रस्तुत किया है। जब रोजी दुनियादारी के सारे बंधन तोड़कर अपने-आप को आज़ाद महसूस करती है तो झूमते हुए कहती है .. कोई ना रोको दिल की उड़ान को...दिल हो चला.. हा॰॰हा॰॰॰हा॰॰॰॰आज फिर जीने की तम्मना है, आज फिर मरने का इरादा है. रोजी का मन आज़ाद होने का भाव शायद इससे अकचे शब्दों में बयान नहीं हो सकता था। वहीदा रहमान के चेहरे के हाव-भाव इस गीत में रंग भर देते हैं। बर्मन-दा ने इस गीत में ढोलकी का विशेष प्रयोग किया है...जिससे कि गीत की लय और भी सुरीली हो जाती है।
गीत की मिठास, गीत का एहसास, गीत का संदेश, और शब्दों की महत्ता को मुककमल करती है लता दीदी की मखमली आवाज़। दीदी अलाप से शुरू करती है ... "आऽ आ...काँटों से खींच के ये आँचल, तोड़ के बंधन बाँधी पायल
कोई ना रोको दिल की उड़ान को, दिल हो चला
आज फिर जीने की तमन्ना हैं
आज फिर मरने का इरादा है..."
दीदी के आवाज़ की स्पष्टता और उच्चारण शफ़क-पानी की तरह साफ है. यही वजह हो सकती है की लोग दीदी को माँ सरस्वती भी कहते हैं. गीत उसी गति से आगे बढ़ता है..और दीदी गाती है:
अपने ही बस में नहीं मैं, दिल हैं कहीं तो हूँ कहीं मैं
जाने क्या पा के मेरी जिंदगी ने, हँस कर कहा
आज फिर ...
मैं हूँ गुबार या तूफान हूँ, कोई बताए मैं कहा हूँ
डर हैं सफ़र में कहीं खो ना जाऊँ मैं, रस्ता नया
आज फिर ...
कल के अंधेरों से निकल के, देखा हैं आँखे मलते-मलते
फूल ही फूल जिंदगी बहार हैं, तय कर लिया
आज फिर ...
गाने के अंतिम स्वर को अलाप का रूप दिया है, जो लताजी की आवाज़ में और भी मीठा लगता है; जैसे:
...दिल वो चला आ आ आ आआ
...हँस कर कहा आ आ आ आआ
...रस्ता नया आ आ आ आआ
...तय कर लिया आ आ आ आआ
ये उन अनकहे शब्दों को दर्शता जो रोजी का मन और शैलेंद्र की कलम दोनों नहीं बता पाते..और फिर तुरंत "आज फिर जीने की तम्मना है, आज फिर मरने का इरादा है..." लता दीदी का मानो जादू है.
बर्मन-दा संगीत तैयार करने से पहले हमेशा उस संगीत को तब तक सुनते थे जब तक कि उब ना जाए. किसी ने पूछा ऐसा क्यूँ, तो दादा ने अपनी बांग्ला-हिन्दी में कहा "...हम तुबतक सुनता है, जब तक हम बोर नहीं होता..अगर बोर हुआ तो हम गाना नही बोनाता" ... यकीन मानिए, हज़ारों बार सुन कर भी बोर होने का ख़याल तक नहीं आता. बल्कि ये गीत और लता दीदी की सुरीली तान, मन को सातवें आसमान तक पहुँचा देती है; मानो इससे अच्छा कुछ नहीं. या अरबी में "सुभान अल्लाह!"
गीत सुनें और वीडियो देखें
फिल्म से जुड़ी कुछ और बातें:
गाइड फिल्म हिन्दुस्तान की 25 महान फ़िल्मो में शामिल है. फिल्म इतनी मशहूर हुई कि इससे हॉलीवुड में फिर बनाया गया; जो कुछ ख़ास नहीं कर पाई. क्यूँकि बर्मन-दा का संगीत, देव आनंद और वहीदा रहमान का अभिनय, और लता दीदी की आवाज़ इस फिल्म से अलग होती है तो ये फिल्म महज़ एक उपन्यास ही बनी रहती है। फ़िल्मफेयर अवॉर्ड्स में इस फिल्म को 7 अवॉर्ड्स मिले. गाइड फिल्म का सदाबहार संगीत, संगीत—जगत में एक मिसाल बन चुका है.
दीदी के लिए दो शब्द:
बड़ा गर्व महसूस होता है ये जानकार की हम उसी धरती पर पैदा हुए जहाँ लताजी है। दीदी की आवाज़ सुनकर लगता है जैसे ज़िंदगी में सबकुछ हासिल हो गया। और मेरा दिल भी गाने लगता है... कोई ना रोको दिल की उड़ान को, दिल हो चला ....हा हा हाऽऽ आ; आज फिर जीने की तम्मना है..ऽ आज फिर मरने का इरादा है..."
लेखक के बारे में-
22 वर्षीय अनूप मनचलवार नागपुर, महाराष्ट्र के रहवासी है. साहित्य, समाज-सेवा, राजनीति, और कला में विशेष रूचि रखते हैं। इनके बारे में इतना कहना काफ़ी है कि ये लता दीदी के फैन है.
ईमेल-: manchalwar@gmail.com
पता- जानकी निवास, कोरदी रोड, मांकपुर, नागपुर – 440 030
अनूप द्वारा अभिकल्पित लता दीदी की स्लाइड
प्रस्तावना: लता दीदी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ। लता दीदी की प्रसंशा में बहुत कुछ कहा गया है। फिर भी तारीफें अधूरी लगती हैं। मैंने दीदी के लिए सही शब्द ढूँढ़ने की कोशिश की तो शब्दकोष भी सोच में पड़ गया। कहते है, "लोग तमाम ऊँचाइयों तक पहुँचे हैं...पर जिस मुकाम तक लताजी पहुँची हैं...वहाँ तक कोई नहीं पहुँच सकता..." दीदी से रु-ब-रु होने का सौभाग्य तो अब तक प्राप्त नहीं हुआ, पर दीदी के गीत हमेशा साथ रहते है। लता दीदी वो कल्पवृक्ष हैं जो रंग-बिरंगी मीठे मधुर मनमोहक गीत-रूपी फूल बिखीरती रहती है. दीदी के देशभक्ति गीत सुनकर हौसले बुलंद होते हैं, अमर गाथा सुनकर आखों में पानी भर आता है, लोरी सुन कर ममता का एहसास होता है, खुशी के गीत सुनकर दिल को सुकून मिलता है, दर्द-भरे नगमे दिल की गहराई को छू जाते हैं, भजन सुनकर भक्ति भावना अपने शिखर तक पहुँचती है, और प्रेम गीत सुनकर लगता है जैसे प्रेमिका गा रही हो. जब भी लताजी के गीत सुनता हूँ तो मेरा दिल तो कहने लगता है ... "आज फिर जीने की तम्मना है, आज फिर मरने का इरादा है..."
लता दीदी के साथ वहीदा रहमान |
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इस फिल्म में नृत्या-कला की महानता को बड़ी ही सुंदर सरल और सहज तरीके से प्रस्तुत किया है। जब रोजी दुनियादारी के सारे बंधन तोड़कर अपने-आप को आज़ाद महसूस करती है तो झूमते हुए कहती है .. कोई ना रोको दिल की उड़ान को...दिल हो चला.. हा॰॰हा॰॰॰हा॰॰॰॰आज फिर जीने की तम्मना है, आज फिर मरने का इरादा है. रोजी का मन आज़ाद होने का भाव शायद इससे अकचे शब्दों में बयान नहीं हो सकता था। वहीदा रहमान के चेहरे के हाव-भाव इस गीत में रंग भर देते हैं। बर्मन-दा ने इस गीत में ढोलकी का विशेष प्रयोग किया है...जिससे कि गीत की लय और भी सुरीली हो जाती है।
गीत की मिठास, गीत का एहसास, गीत का संदेश, और शब्दों की महत्ता को मुककमल करती है लता दीदी की मखमली आवाज़। दीदी अलाप से शुरू करती है ... "आऽ आ...काँटों से खींच के ये आँचल, तोड़ के बंधन बाँधी पायल
कोई ना रोको दिल की उड़ान को, दिल हो चला
आज फिर जीने की तमन्ना हैं
आज फिर मरने का इरादा है..."
दीदी के आवाज़ की स्पष्टता और उच्चारण शफ़क-पानी की तरह साफ है. यही वजह हो सकती है की लोग दीदी को माँ सरस्वती भी कहते हैं. गीत उसी गति से आगे बढ़ता है..और दीदी गाती है:
गाइड फिल्म का पोस्टर |
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जाने क्या पा के मेरी जिंदगी ने, हँस कर कहा
आज फिर ...
मैं हूँ गुबार या तूफान हूँ, कोई बताए मैं कहा हूँ
डर हैं सफ़र में कहीं खो ना जाऊँ मैं, रस्ता नया
आज फिर ...
कल के अंधेरों से निकल के, देखा हैं आँखे मलते-मलते
फूल ही फूल जिंदगी बहार हैं, तय कर लिया
आज फिर ...
गाने के अंतिम स्वर को अलाप का रूप दिया है, जो लताजी की आवाज़ में और भी मीठा लगता है; जैसे:
...दिल वो चला आ आ आ आआ
...हँस कर कहा आ आ आ आआ
...रस्ता नया आ आ आ आआ
...तय कर लिया आ आ आ आआ
ये उन अनकहे शब्दों को दर्शता जो रोजी का मन और शैलेंद्र की कलम दोनों नहीं बता पाते..और फिर तुरंत "आज फिर जीने की तम्मना है, आज फिर मरने का इरादा है..." लता दीदी का मानो जादू है.
बर्मन-दा संगीत तैयार करने से पहले हमेशा उस संगीत को तब तक सुनते थे जब तक कि उब ना जाए. किसी ने पूछा ऐसा क्यूँ, तो दादा ने अपनी बांग्ला-हिन्दी में कहा "...हम तुबतक सुनता है, जब तक हम बोर नहीं होता..अगर बोर हुआ तो हम गाना नही बोनाता" ... यकीन मानिए, हज़ारों बार सुन कर भी बोर होने का ख़याल तक नहीं आता. बल्कि ये गीत और लता दीदी की सुरीली तान, मन को सातवें आसमान तक पहुँचा देती है; मानो इससे अच्छा कुछ नहीं. या अरबी में "सुभान अल्लाह!"
गीत सुनें और वीडियो देखें
फिल्म से जुड़ी कुछ और बातें:
गाइड फिल्म हिन्दुस्तान की 25 महान फ़िल्मो में शामिल है. फिल्म इतनी मशहूर हुई कि इससे हॉलीवुड में फिर बनाया गया; जो कुछ ख़ास नहीं कर पाई. क्यूँकि बर्मन-दा का संगीत, देव आनंद और वहीदा रहमान का अभिनय, और लता दीदी की आवाज़ इस फिल्म से अलग होती है तो ये फिल्म महज़ एक उपन्यास ही बनी रहती है। फ़िल्मफेयर अवॉर्ड्स में इस फिल्म को 7 अवॉर्ड्स मिले. गाइड फिल्म का सदाबहार संगीत, संगीत—जगत में एक मिसाल बन चुका है.
दीदी के लिए दो शब्द:
बड़ा गर्व महसूस होता है ये जानकार की हम उसी धरती पर पैदा हुए जहाँ लताजी है। दीदी की आवाज़ सुनकर लगता है जैसे ज़िंदगी में सबकुछ हासिल हो गया। और मेरा दिल भी गाने लगता है... कोई ना रोको दिल की उड़ान को, दिल हो चला ....हा हा हाऽऽ आ; आज फिर जीने की तम्मना है..ऽ आज फिर मरने का इरादा है..."
लेखक के बारे में-
22 वर्षीय अनूप मनचलवार नागपुर, महाराष्ट्र के रहवासी है. साहित्य, समाज-सेवा, राजनीति, और कला में विशेष रूचि रखते हैं। इनके बारे में इतना कहना काफ़ी है कि ये लता दीदी के फैन है.
ईमेल-: manchalwar@gmail.com
पता- जानकी निवास, कोरदी रोड, मांकपुर, नागपुर – 440 030
अनूप द्वारा अभिकल्पित लता दीदी की स्लाइड
Comments
kal ke andheron se nikhalke dekha hain aankhe malke malke...such a great sentence to decribe the happiness of women who thought she almost lost her life but got it back...in voice of Lataji and picturised on waheedaji..is outstanding...
and Burmanda and Lataji produced nothing but melody in its pure form...i die thousand times and take birth 1001 time for alaap of Lataji in this song...
thanks a lot Anup for bringing memories of such agreat song.
आपने बहुत ही सुंदर विश्लेषण किया है इस गीत का। यह गीत भारत के शीर्ष १० फिल्मी गीतों में गिना जाता है। बर्मन दा ने ठीक कहा कि इसे चाहे जितनी बार सुना जाय, कोई बोर नहीं हो सकता।
इतना सुंदर आलेख के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई।
Snehasis Chatterjee
और जबरदस्त फैन की हैसियत से जानती हूँ
और उनकी दीदी के प्रति गहरी श्रध्धा को
हरेक शब्द मेँ
मुखरित हुआ साफ अनुभव कर पाती हूँ ..
दीदी की साल गिरह के इस पावन जश्न मेँ
अनुप के साथ दीदी के गाये इस सुमधुर गीत को सुनकर हम भी प्रसन्नता के हीँडोले मेँ झूम लेँ ..
" आज फिर जीने की तमन्ना है,
आज फिर मरने का इरादा है "
ये बेबाकी, ये मस्ती,
ये जवाँ दीलोँ की धडकन से शोख स्वर
सदा हमारे साथ रहेँ !
लता दीदी को जन्म दीवस के उपलक्ष्य मेँ
अनेकोँ बधाईयाँ और शुभकामनाएँ ..
ये आयोजन मनभावन है
- सभीको,
स स्नेह्,
- लावण्या के नमस्कार
on her.she got direct blessings from ma saraswati.how can we comment on her.just want
to hear her and enjoy.
thanks
But we have one more version which has Lataji humming before the actual song starts from "Kaaton Se"...I did not have the daring to ask Manna da ;) :P
Anyways small nitpick - English Guide was made "before" Hindi.
** कौस्तुभ भाई याने (प्यारे KCP जी) ने सही कहा है. इस सन्दर्भ में अवध लाल जी का ईमेल भी आया है की गाइड फ़िल्म का अंग्रेज़ी 120 मिनट की documentary Tad Daneilwinski ने निर्देशित और नोबेल अवार्ड विजेता मैडम पर्ल बक्क की निर्मित थी. इस विषय में ये आलेख लिखने से पूर्व मैंने छान-बीन की, पर कुछ ख़ास पता नही कर पाया. "नवकेतन" की वेबसाइट से भी ज्यादा जानकारी नही मिली. मैडम पर्ल बुक्क की शंषिप्त चरित्र भी पढ़ा, पर कोई ठोस जानकारी प्राप्त नही कर पाया. इस विषय पर रौशनी डालने के लिए शुक्रिया.
चूँकि मैंने गाइड फ़िल्म अब तक देखि नही है, तो फ़िल्म विषय में ज्यादा लिखना मैंने ठीक नही समझा. लता दीदी को समर्पित यह आलेख है, जो मैंने अपनी भक्ति-भावना से आपके सामने रखने की कोशिश की. बहुत खुश हूँ की आप सभी ने इससे पढ़ा और सराहा.
सा-स्नेह;
नागपुर से ... अनूप मंचलवार
I really enjoy this messege, I felt that each and every word is same as i think about Lataji. She is really a one an only that no one can. No dout a song is very fantastic even this song is also my favourate song
Keep writing about Lataji this is my personal request
bye n take care
vora_imran84
first i would like to thanks for taking so much interest in devsabs GUIDE,looking at your age you are quite young i think, latas voice is gods voice no doubt about it, but i would like to thank dev anand as producer and vijay anand as director as it was there thought and efforts to go for great super hit songs like this one---ashok