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सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'स्‍वामिनी'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'स्‍वामिनी'

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने शन्नो अग्रवाल की आवाज़ में मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी 'मंदिर और मस्जिद' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की अमर कहानी 'स्‍वामिनी', जिसको स्वर दिया है शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 37 मिनट और 0 सेकंड।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी

जरा देर के लिए पति-वियोग का दु:ख उसे भूल गया। उसकी छोटी बहन और देवर दोनों काम करने गये हुए थे। शिवदास बाहर था। घर बिलकुल खाली था।
(प्रेमचंद की 'स्‍वामिनी' से एक अंश)


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अगले शनिवार (२५ अप्रैल २००९) का आकर्षण - मुंशी प्रेमचंद की "आत्म-संगीत"
अगले रविवार (२६ अप्रैल २००९) का आकर्षण - पॉडकास्ट कवि सम्मलेन

#Sevententh Story, Swamini: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2009/12. Voice: Shanno Aggarwal

Comments

शानो जी कहानी को इतना डूब कर पड़ती हैं कि शायद खुद प्रेमचंद भी न पढ़ पाते. सशक्त रचना स्पष्ट उच्चारण...शन्नो जी को बधाई.
शन्नो जी,
मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में आपकी आवाज़ से तो मानो जान ही आ जाती है. यह प्रयास जारी रहना चाहिए. धन्यवाद!
shanno said…
सजीव जी, अनुराग जी,
मुझे बहुत अच्छा लगा पढ़कर कि आप दोनों को प्रेमचंद की कहानियों का मेरा कथा-वाचन पसंद आता है. और अगर ऐसा है तो शायद कुछ और भी लोग भी होंगे जो इन कालजयी कहानियो को सुनने में रूचि बनाये रखेंगें. मुझे भी इन कहानियों को पढने में बड़ा आनंद आता है. आप दोनों के encouraging words से मन को हिम्मत और दिलासा मिली है. और मैं इन कहानियो को आगे भी कभी-कभी पढने की कोशिश करूँगीं. और शैलेश जी ने मेरी कमियों को बताकर जो अहसान किया मुझपर वह कभी नहीं भूल सकती. ना ही वह कमियों की तरफ point out करते ना ही मैं अपने लहजे को सुधार पाती. आप सभी का अति धन्यबाद.
pooja said…
शन्नो जी,

प्रेमचंद की कालजयी रचनाएं हम तक पहुँचने के लिए आपका आभार, यह कहानी बहुत लम्बी है,किन्तु जिस धैर्य और स्पष्ट उच्चारण के साथ आपने इसे प्रस्तुत किया है , वो काबिले तारीफ है, साधुवाद.

पूजा अनिल
Ahana bajpai said…
sadhu sadhu

haardik aabhar aapke is prayas ke liye

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