राम जी की निकली सवारी....आईये आज दशहरे के दिन श्रीराम महिमा गायें बख्शी साहब और एल पी के सुरों में डूबकर
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 506/2010/206
'आवाज़' के सभी दोस्तों को विजयदशमी और दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए हम शुरु कर रह रहे हैं इस सप्ताह के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का सफ़र। यह त्योहार अच्छाई का बुराई पर जीत का प्रतीक है। आज ही के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर सीता को मुक्त करवाया था। नवरात्री का समापन और दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन से आज दुर्गा पूजा का भी समापन होता है। नवरात्रों में गली गली राम लीला का आयोजन किया जाता है और ख़ास आज के दिन तो रावण-मेघनाद-कुंभकर्ण के बड़े बड़े पुतले बनाकर उन्हें जलाया जाता है। वही बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक! दोस्तों, आज जब इस वक़्त चारों तरफ़ इस बेहद महत्वपूर्ण त्योहार की धूम मची हुई है, तो ऐसे में 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का भी कर्तव्य हो जाता है कि इसी त्योहार और हर्षोल्लास के वातावरण को ध्यान में रखते हुए कोई सटीक गीत चुनें। जैसा कि इन दिनों आप सुन रहे हैं कि हम सुप्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के स्वरबद्ध गीतों की लघु शृंखला प्रस्तुत कर रहे हैं, तो ऐसे में आज के दिन फ़िल्म 'सरगम' के उस गीत के अलावा और कौन सा उपयुक्त गीत होगा! मोहम्मद रफ़ी साहब और साथियों की आवाज़ों में "राम जी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी न्यारी, एक तरफ़ लछमन एक तरफ़ सीता, बीच में जगत के पालनहारी"। एक बार फिर आनंद बक्शी के साथ जमी थी एल.पी की जोड़ी इस फ़िल्म में और क्या जमी थी साहब, फ़िल्म का एक एक गीत सुपर-डुपर हिट। अगर यह कहा जाए कि इस फ़िल्म के गीत संगीत की वजह से ही यह फ़िल्म इतनी कामयाब रही तो शायद ग़लत ना होगा। जैसा फ़िल्म का शीर्षक है, इस शीर्षक का पूरा पूरा मान रखा है लक्ष्मी-प्यारे की सुरीली जोड़ी ने।
'सरगम' सन् १९७९ की फ़िल्म थी जिसका निर्माण एन.एन. सिप्पी ने किया था। फ़िल्म के लेखक और निर्देशक थे दक्षिण के जाने माने के. विश्वनाथ। यह फ़िल्म दरअसल तेलुगु फ़िल्म 'सिरि सिरि मुव्वा' (१९७६) का रीमेक था, जिसने अभिनेत्री जया प्रदा को दक्षिण में स्टार बना दिया था। और 'सरगम' से ही जया प्रदा का हिंदी फ़िल्मों में भी पदार्पण हुआ और फिर हिंदी फ़िल्म जगत पर भी वो छा गईं। इस फ़िल्म में उनका किरदार एक गूंगी नृत्यांगना का था और उनके नायक थे ऋषी कपूर। अन्य चरित्रों में थे शशिकला (सौतेली माँ), श्रीराम लागू (पिता), असरानी (नृत्य शिक्षक), केष्टो मुखर्जी, शक्ति कपूर, अरुणा ईरानी और विजय अरोड़ा। इस फ़िल्म के संगीत के लिए लक्ष्मी-प्यारे को उस साल के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फ़िल्म के सभी गानें रफ़ी साहब के गाये हुए थे, जिनमें से तीन गीतों में लता जी की आवाज़ थी ("डफ़ली वाले", "कोयल बोली", "पर्बत के इस पार")। फ़िल्म ने कुछ ऐसी लोकप्रियता हासिल की कि बॊक्स ऒफ़िस पर १९७९ की तीसरी कामयाब फ़िल्म सिद्ध हुई थी 'सरगम'। ऋषी कपूर तो एक स्थापित नायक थे ही, इस फ़िल्म ने जया प्रदा को भी बम्बई में स्टार का स्टेटस दिलवा दिया। इस फ़िल्म को भले ही फ़िल्मफ़ेयर में एक ही पुरस्कार मिला हो, लेकिन नामांकन कई सारे मिले थे जैसे कि सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता (असरानी) और सर्वश्रेष्ठ गीतकार (आनंद बक्शी - "डफ़ली वाले" गीत के लिए)। तो आइए दोस्तों, निकल पड़ते हैं राम जी की सवारी के साथ हम भी, आप सभी को एक बार फिर से दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ। हम यही कामना करते हैं कि हम सब के अंदर की बुराई का नाश हो, सब में अच्छाई पले, और यह संसार एक स्वर्गलोक में बदल जाए।
क्या आप जानते हैं...
कि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को बतौर स्वतंत्र संगीतकार सन् १९६१ में फ़िल्म 'तुमसे प्यार हो गया' के लिये अनुबंधित किया गया था, लेकिन यह फ़िल्म आज तक डिब्बे में बंद पड़ी है।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली ०५ /शृंखला ०१
ये धुन उस गीत के पहले इंटरल्यूड की है, सुनिए -
अतिरिक्त सूत्र - गायक हैं किशोर कुमार
सवाल १ - गीतकार बताएं - १ अंक
सवाल २ - फिल्म के नाम में एक अंक का नाम आता है, फिल्म बताएं - १ अंक
सवाल ३ - किस सुपर स्टार अभिनेता पर फिल्माया गया है ये गमजदा गीत - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
पहले तो एक भूल सुधार. गीत "गोरे गोरे चंद से मुख पर" राजा महदी अली खान साहब ने नहीं लिखा, जैसा कि आलेख में लिखा गया है और जैसा अमूमन समझा गया है. इसे आरज़ू लखनवी साहब ने लिखा है, हालाँकि बिट्टू जी ने सही जवाब दिया था, पर हमने प्रतिभा जी को अंक दे दिए थे. अवध जी ने भूल सुधार करवाई, जिसके लिए उनका आभार, पहली श्रृखला में कौन बाज़ी मारेगा, ये देखना दिलचस्प होगा. ५ एपिसोड्स के बाद स्कोर कुछ इस तरह है - शरद जी - ६, श्याम कान्त जी ६, बिट्टू और अमित जी २-२ पर, और पी सिंह, अवध, जी, प्रतिभा जी, और पवन कुमार जी १-१ अंक लिए हैं. सभी को बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
'आवाज़' के सभी दोस्तों को विजयदशमी और दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए हम शुरु कर रह रहे हैं इस सप्ताह के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का सफ़र। यह त्योहार अच्छाई का बुराई पर जीत का प्रतीक है। आज ही के दिन भगवान राम ने रावण का वध कर सीता को मुक्त करवाया था। नवरात्री का समापन और दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन से आज दुर्गा पूजा का भी समापन होता है। नवरात्रों में गली गली राम लीला का आयोजन किया जाता है और ख़ास आज के दिन तो रावण-मेघनाद-कुंभकर्ण के बड़े बड़े पुतले बनाकर उन्हें जलाया जाता है। वही बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक! दोस्तों, आज जब इस वक़्त चारों तरफ़ इस बेहद महत्वपूर्ण त्योहार की धूम मची हुई है, तो ऐसे में 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का भी कर्तव्य हो जाता है कि इसी त्योहार और हर्षोल्लास के वातावरण को ध्यान में रखते हुए कोई सटीक गीत चुनें। जैसा कि इन दिनों आप सुन रहे हैं कि हम सुप्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के स्वरबद्ध गीतों की लघु शृंखला प्रस्तुत कर रहे हैं, तो ऐसे में आज के दिन फ़िल्म 'सरगम' के उस गीत के अलावा और कौन सा उपयुक्त गीत होगा! मोहम्मद रफ़ी साहब और साथियों की आवाज़ों में "राम जी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी न्यारी, एक तरफ़ लछमन एक तरफ़ सीता, बीच में जगत के पालनहारी"। एक बार फिर आनंद बक्शी के साथ जमी थी एल.पी की जोड़ी इस फ़िल्म में और क्या जमी थी साहब, फ़िल्म का एक एक गीत सुपर-डुपर हिट। अगर यह कहा जाए कि इस फ़िल्म के गीत संगीत की वजह से ही यह फ़िल्म इतनी कामयाब रही तो शायद ग़लत ना होगा। जैसा फ़िल्म का शीर्षक है, इस शीर्षक का पूरा पूरा मान रखा है लक्ष्मी-प्यारे की सुरीली जोड़ी ने।
'सरगम' सन् १९७९ की फ़िल्म थी जिसका निर्माण एन.एन. सिप्पी ने किया था। फ़िल्म के लेखक और निर्देशक थे दक्षिण के जाने माने के. विश्वनाथ। यह फ़िल्म दरअसल तेलुगु फ़िल्म 'सिरि सिरि मुव्वा' (१९७६) का रीमेक था, जिसने अभिनेत्री जया प्रदा को दक्षिण में स्टार बना दिया था। और 'सरगम' से ही जया प्रदा का हिंदी फ़िल्मों में भी पदार्पण हुआ और फिर हिंदी फ़िल्म जगत पर भी वो छा गईं। इस फ़िल्म में उनका किरदार एक गूंगी नृत्यांगना का था और उनके नायक थे ऋषी कपूर। अन्य चरित्रों में थे शशिकला (सौतेली माँ), श्रीराम लागू (पिता), असरानी (नृत्य शिक्षक), केष्टो मुखर्जी, शक्ति कपूर, अरुणा ईरानी और विजय अरोड़ा। इस फ़िल्म के संगीत के लिए लक्ष्मी-प्यारे को उस साल के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फ़िल्म के सभी गानें रफ़ी साहब के गाये हुए थे, जिनमें से तीन गीतों में लता जी की आवाज़ थी ("डफ़ली वाले", "कोयल बोली", "पर्बत के इस पार")। फ़िल्म ने कुछ ऐसी लोकप्रियता हासिल की कि बॊक्स ऒफ़िस पर १९७९ की तीसरी कामयाब फ़िल्म सिद्ध हुई थी 'सरगम'। ऋषी कपूर तो एक स्थापित नायक थे ही, इस फ़िल्म ने जया प्रदा को भी बम्बई में स्टार का स्टेटस दिलवा दिया। इस फ़िल्म को भले ही फ़िल्मफ़ेयर में एक ही पुरस्कार मिला हो, लेकिन नामांकन कई सारे मिले थे जैसे कि सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता (असरानी) और सर्वश्रेष्ठ गीतकार (आनंद बक्शी - "डफ़ली वाले" गीत के लिए)। तो आइए दोस्तों, निकल पड़ते हैं राम जी की सवारी के साथ हम भी, आप सभी को एक बार फिर से दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ। हम यही कामना करते हैं कि हम सब के अंदर की बुराई का नाश हो, सब में अच्छाई पले, और यह संसार एक स्वर्गलोक में बदल जाए।
क्या आप जानते हैं...
कि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को बतौर स्वतंत्र संगीतकार सन् १९६१ में फ़िल्म 'तुमसे प्यार हो गया' के लिये अनुबंधित किया गया था, लेकिन यह फ़िल्म आज तक डिब्बे में बंद पड़ी है।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली ०५ /शृंखला ०१
ये धुन उस गीत के पहले इंटरल्यूड की है, सुनिए -
अतिरिक्त सूत्र - गायक हैं किशोर कुमार
सवाल १ - गीतकार बताएं - १ अंक
सवाल २ - फिल्म के नाम में एक अंक का नाम आता है, फिल्म बताएं - १ अंक
सवाल ३ - किस सुपर स्टार अभिनेता पर फिल्माया गया है ये गमजदा गीत - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
पहले तो एक भूल सुधार. गीत "गोरे गोरे चंद से मुख पर" राजा महदी अली खान साहब ने नहीं लिखा, जैसा कि आलेख में लिखा गया है और जैसा अमूमन समझा गया है. इसे आरज़ू लखनवी साहब ने लिखा है, हालाँकि बिट्टू जी ने सही जवाब दिया था, पर हमने प्रतिभा जी को अंक दे दिए थे. अवध जी ने भूल सुधार करवाई, जिसके लिए उनका आभार, पहली श्रृखला में कौन बाज़ी मारेगा, ये देखना दिलचस्प होगा. ५ एपिसोड्स के बाद स्कोर कुछ इस तरह है - शरद जी - ६, श्याम कान्त जी ६, बिट्टू और अमित जी २-२ पर, और पी सिंह, अवध, जी, प्रतिभा जी, और पवन कुमार जी १-१ अंक लिए हैं. सभी को बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
वाकई मुझे बहुत खुशी है कि जो मैं सोच रहा था वोह ठीक निकला और हमारे शहर के आरज़ू लखनवी साहेब ही उस गीत के रचयिता थे.
अवध लाल
PAWAN KUMAR
Ab maine Mohd. rafi ke dard bhare nagme , lata-kishore ke sadabahaar geeto se judi pustake mangwa lee hain.
Aane wala kal mera hoga.
कृपया मेरे ब्लॉग पर आकर जवाब दें . मेरा भी हौसला बढेगा ?