हिंद-युग्म' ने हिंदी की पहली फ़िल्मी गीत "दे दे ख़ुदा के नाम पे प्यारे" को हाल ही में रिवाइव किया है, जिसे आप सब ने पसंद भी किया। अब तक हम यही सोचते थे कि इस गीत की मूल धुन विलुप्त हो चुकी है। लेकिन हमारे एक साथी श्री दुष्यन्त कुमार चतुर्वेदी ने हमारा ध्यान १९८२ में दूरदर्शन द्वारा प्रसारित हरिहरण के गाये इस गीत के एक संस्करण की ओर आकृष्ट करवाया, और यही धुन इस गीत का मूल धुन है। मुखड़े की दूसरी पंक्ति के बोल, जो हमने 'लिस्नर्स बुलेटिन' से प्राप्त की थी, असल में कुछ और है। पूरा मुखड़ा कुछ इस तरह का है - "दे दे ख़ुदा के नाम से प्यारे ताक़त है कुछ देने की, कुछ चाहिए अगर तो माँग ले उससे हिम्मत है गर लेने की"।
हरिहरण के गाये इस गीत को आईये आज आप भी सुनें-
इसी तरह जुबैदा जी जिन्होंने आलम आरा में गीत गाये थे, उन्होंने भी अपने गाये एक गीत की धुन इसी कार्यक्रम के लिए गाकर सुनाई थी, मगर अफ़सोस कि उन्हें भी सिर्फ मुखड़े की धुन ही याद है, लीजिए इसे भी सुनिए, उन्हीं की आवाज़ में
आलम आरा के गीतों का नष्ट हो जाना एक बड़ा नुक्सान है, दूरदर्शन की इसकी सुध १९८१ में आई जब बोलती फिल्मों ने भारत में अपने ५० वर्ष पूरे किये. चूँकि इसी फिल्म से फिल्म संगीत हमारे जीवन में आया था इस कारण इस फिल्म के गीत संगीत की अहमियत और भी बढ़ जाती है. १९८१ से २०१० तक देश कई बड़े परिवर्तनों से गुजर चुका है, ऐसे में आज की पीढ़ी अगर इस एतिहासिक फिल्म के गीत संगीत को भुला चुकी हो तो कोई आश्चर्य नहीं. हिंद युग्म ने एक बड़ी कोशिश की आज के संगीत्कार्मियों के माध्यम से उस पहले गीत को पुनर्जीवित करने की. याद रहे तब हम मूल धुन से अनजान थे. पर हमें गर्व है २२ वर्षीया कृष्ण राज ने जिस प्रकार इस गीत को नया जामा पहनाया है, उससे एक बार फिर उम्मीदें जगी हैं. बहुत से श्रोताओं ने हमारे इस प्रयास को सराहा है, चलिए एक बार फिर सुनते हैं २०१० का ये संस्करण- दे दे खुदा के नाम पर....
"पहला सुर", "काव्यनाद" और "सुनो कहानी" की सफलता से प्रेरित होकर हिंद युग्म का ये आवाज़ मंच आज एक बार फिर एक ख्वाब देखने की गुस्ताखी कर रहा है. आलम आरे फिल्म के सभी ६ गीत इसी तरह पुनर्जीवित करें, और साथ में इन मूल धुनों को भी (जो ऊपर सुनवाई गयी हैं) विस्तरित कर कुल ८ गीतों की एक एल्बम रची जाए. १४ मार्च २०११ को ये एतिहासिक फिल्म अपने प्रदर्शन के ८० वर्ष पूरे कर लेगी, इस अवसर पर हम इसे रीलिस करें, तो संगीत जगत के लिए एक अनमोल तोहफा होगा, ऐसा हमारा मानना है. पर इस महान कार्य को अंजाम तक पहुँचाने में हमें आप सब सुधि श्रोताओं के रचनात्मक और आर्थिक सहयोग की अवश्यकता रहेगी...
आप में से जो भी इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट से जुड़ने में रूचि रखें हमसे oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं. आपके निवेश से आपको पर्याप्त आर्थिक और सामाजिक लाभ मिले इसकी भी पूरी कोशिश रहेगी. पूरे प्रकरण में हर तरह की पारदर्शिता रखी जायेगी इस बात का भी हम विश्वास देते हैं. आपके सुझाओं, मार्गदर्शन और सहयोग की हमें प्रतीक्षा रहेगी.
हरिहरण के गाये इस गीत को आईये आज आप भी सुनें-
इसी तरह जुबैदा जी जिन्होंने आलम आरा में गीत गाये थे, उन्होंने भी अपने गाये एक गीत की धुन इसी कार्यक्रम के लिए गाकर सुनाई थी, मगर अफ़सोस कि उन्हें भी सिर्फ मुखड़े की धुन ही याद है, लीजिए इसे भी सुनिए, उन्हीं की आवाज़ में
आलम आरा के गीतों का नष्ट हो जाना एक बड़ा नुक्सान है, दूरदर्शन की इसकी सुध १९८१ में आई जब बोलती फिल्मों ने भारत में अपने ५० वर्ष पूरे किये. चूँकि इसी फिल्म से फिल्म संगीत हमारे जीवन में आया था इस कारण इस फिल्म के गीत संगीत की अहमियत और भी बढ़ जाती है. १९८१ से २०१० तक देश कई बड़े परिवर्तनों से गुजर चुका है, ऐसे में आज की पीढ़ी अगर इस एतिहासिक फिल्म के गीत संगीत को भुला चुकी हो तो कोई आश्चर्य नहीं. हिंद युग्म ने एक बड़ी कोशिश की आज के संगीत्कार्मियों के माध्यम से उस पहले गीत को पुनर्जीवित करने की. याद रहे तब हम मूल धुन से अनजान थे. पर हमें गर्व है २२ वर्षीया कृष्ण राज ने जिस प्रकार इस गीत को नया जामा पहनाया है, उससे एक बार फिर उम्मीदें जगी हैं. बहुत से श्रोताओं ने हमारे इस प्रयास को सराहा है, चलिए एक बार फिर सुनते हैं २०१० का ये संस्करण- दे दे खुदा के नाम पर....
"पहला सुर", "काव्यनाद" और "सुनो कहानी" की सफलता से प्रेरित होकर हिंद युग्म का ये आवाज़ मंच आज एक बार फिर एक ख्वाब देखने की गुस्ताखी कर रहा है. आलम आरे फिल्म के सभी ६ गीत इसी तरह पुनर्जीवित करें, और साथ में इन मूल धुनों को भी (जो ऊपर सुनवाई गयी हैं) विस्तरित कर कुल ८ गीतों की एक एल्बम रची जाए. १४ मार्च २०११ को ये एतिहासिक फिल्म अपने प्रदर्शन के ८० वर्ष पूरे कर लेगी, इस अवसर पर हम इसे रीलिस करें, तो संगीत जगत के लिए एक अनमोल तोहफा होगा, ऐसा हमारा मानना है. पर इस महान कार्य को अंजाम तक पहुँचाने में हमें आप सब सुधि श्रोताओं के रचनात्मक और आर्थिक सहयोग की अवश्यकता रहेगी...
आप में से जो भी इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट से जुड़ने में रूचि रखें हमसे oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं. आपके निवेश से आपको पर्याप्त आर्थिक और सामाजिक लाभ मिले इसकी भी पूरी कोशिश रहेगी. पूरे प्रकरण में हर तरह की पारदर्शिता रखी जायेगी इस बात का भी हम विश्वास देते हैं. आपके सुझाओं, मार्गदर्शन और सहयोग की हमें प्रतीक्षा रहेगी.
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