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गाँव से लायी एक सुरीला सपना रश्मि प्रभा और जिसे मिलकर संवार रहे हैं ऋषि, कुहू, श्रीराम और सुमन सिन्हा

दोस्तों, आपने गौर किया होगा कि एक दो शुक्रवारों से हम कोई नया गीत अपलोड नहीं कर रहे हैं. दरअसल बहुत से गीत हैं जिन पर काम चल रहा है, पर ऑनलाइन गठबंधन की कुछ अपनी मजबूरियां भी होती है, जिनके चलते बहुत से गीत अधर में फंस जाते हैं. पर हम आपको बता दें कि आवाज़ महोत्सव का तीसरा सत्र जारी है और अगला नया गीत आप जल्द ही सुनेंगें. इन सब नए गीतों के निर्माण के अलावा भी कुछ प्रोजेक्ट्स हैं जिन पर आवाज़ की टीम पूरी तन्मयता से काम कर रही है. ऐसे ही एक प्रोजेक्ट् से आईये आपका परिचय कराएँ आज.

युग्म से जुड़े सबसे पहले संगीतकार ऋषि एस एक बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार हैं, इस बात का अंदाजा, हर सत्र में प्रकाशित उनके गीतों को सुनकर अब तक हमारे सभी श्रोताओं को भी हो गया होगा. आमतौर पर आजकल संगीतकार धुन पहले रचते हैं, ऐसे में दिए हुए शब्दों को धुन पर बिठाना और उसमें जरूरी भाव भरना एक दुर्लभ गुण ही है, और उससे भी दुर्लभ है गुण, शुद्ध कविताओं को स्वरबद्ध करने का. अमूमन गीत एक खास खांचे में लिखे जाते हैं ताकि धुन आसानी से बिठाई जा सके, पर जब कवि कविता लिखता है तो वह इन सब बंधनों से दूर रहकर अपने मन को शब्दों में उंडेलता है. ऐसे में उन लिखे शब्दों उनके भाव अनुसार स्वरबद्ध करना एक चुनौती भरा काम ही है. यही कारण है कि जब हमने किसी कवि की कविताओं को इस प्रोजेक्ट के लिए संगीत में ढालने का मन बनाया तो बतौर संगीतकार ऋषि एस को ही चुना.

दरअसल ये सुझाव कवियित्री रश्मि प्रभा का था. आईये सुनें उनकी ही जुबानी कि ये ख़याल उन्हें कैसे आया.

रश्मि प्रभा - शब्दों के साथ चलते चलते एक दिन देखा कि कुछ शब्द सरगम की धुन में थिरक रहे हैं और हवा कह गई- ज़िन्दगी भावनाओं को गुनगुनाना चाहती है ' .... ऐसा महसूस होते मैंने धुन और स्वर को आवाज़ दी और पलक झपकते ऋषि, कुहू, श्रीराम इमानी का साथ मेरी यात्रा को संगीतमय बना गया,.... ज़िन्दगी के इंतज़ार को देखते हुए गाँव से सपना ले आने की बात सुनकर सुमन सिन्हा भी सहयात्री बने और हमने सोचा ज़िन्दगी की तलाश में हम सब जौहरी बनेंगे ...हर गीत में हमारे ख्वाब, हमारी कोशिशें, हमारे हकीकत हैं --- आइये हम साथ हो लें....

तो यूँ हुई शुरूआत इस प्रोजेक्ट की. जैसा कि उन्होंने बताया कि गायन के लिए कुहू और श्रीराम को चुना गया. दरअसल रश्मि जी कुहू की गायिकी की तभी से मुरीद हो चुकी थी जब से उन्होंने उनकी आवाज़ में "प्रभु जी" गीत सुना था. चूँकि ये गीत जिनके डेमो आप अभी सुनने जा रहे हैं, ये स्टूडियो में भी रिकॉर्ड होंगें बेहद अच्छे तरीके से, तो उस मामले में भी कुहू, श्रीराम और रश्मि जी का एक शहर में होना भी फायदेमंद होगा ऐसे हमें उम्मीद है. रश्मिजी की बातों में आपने एक नाम नया भी है, जिनसे आवाज़ के श्रोता वाकिफ नहीं होंगें शायद. ये हैं सुमन सिन्हा, सुमन जी इस प्रोजेक्ट के आधार बनेगें. ये आवाज़ के नए "महारथी" हैं जो हमारे साथ अब लंबे समय तक निभाने आये हैं. आने वाली बहुत सी ऐसी घोषणाओं में आप इनका जिक्र पढेंगें. सुमन जी मूल रूप से पटना बिहार के रहने वाले हैं और साहित्य संगीत और सिनेमा से इनका जुड़ाव पुराना है. इनके बारे में अधिक जानकारी हम आने वाले समय में आप तक पहुंचाएंगें. फिलहाल बढते हैं इस प्रोजेक्ट् की तरफ जिसके लिए अब तक ३ गीत तैयार हो चुके है. इन तीनों गीतों एक झलक आईये अब आपको सुनवाते हैं एक के बाद एक....



ये तीन गीत हैं -
१. इंतज़ार
२. गाँव से रे
३. फितरत

याद रहे अभी ये संस्करण एक डेमो है, और होम स्टूडियो रेकॉर्डेड है...आपकी राय से हम इसे और बेहतर बना पायेंगें-


मेकिंग ऑफ़ "प्रोजेक्ट कविता ०१" - गीत की टीम द्वारा

श्रीराम ईमानी : I love working with this team. For starters Rishi’s compositions are a pleasure to sing. I like the level of detail that he goes to, particularly the additional vocals, and the emphasis he puts on how each word and line should sound. Rashmi ji’s lyrics are straight from the heart, and the imagery they bring to one’s mind are delightful! And finally, Kuhoo – with whom it has always been a pleasure to sing,both on stage and in the studio. We’ve worked together on several songs from our time together in IIT, and it has been an enjoyable and enriching experience as we grew with each song, and I hope this continues for several years to come. I admire every member of this wonderful team and hope. you all like these songs

कुहू गुप्ता : रश्मि जी की कविताओं में कुछ अलग बात है जो दिल को छू जाती है, शायद ज़िन्दगी की सच्चाई है ! और उस पर ऋषि जी संगीत रचना हो तो सोने पे सुहागा. मुझे ये गाने गाने में बहुत आनंद आया. श्रीराम के साथ मैंने ४-५ साल पहले कॉलेज के स्टेज पर गाया था, सोचा न था आज उसी के साथ मूल रचनाएँ भी गाऊँगी. आशा करती हूँ इस टीम का काम आप सब को पसंद आएगा !

ऋषि एस: The poetry for this set of songs have been hand picked by me from the writings of Rashmi ji. This is the first time I have worked with a female lyricist and the difference in the creative thought process is subtle at some places and apparent at the others. The melodies have been inspired from the thought provoking message and rhythmic structure of the poetry. The lyrical value and musical content have been taken to the next level of listening pleasure by vocalists Kuhoo Gupta and Sriram Emani, who have presented the songs with an apt mix of emotions and musicality. Thanks to the whole team for making these songs happen. Special thanks to hindyugm for showcasing independent musicians.


Creative Commons License
Zindagi by Rishi S is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License.

हमें उम्मीद है कि आप सब की शुभकामनाओं से हम इस और ऐसे सभी अन्य प्रोजेक्ट्स को बहुत कामियाबी से निभा पायेंगें, हमें आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा.

Comments

वाह1 दिल जीत लिया रश्मिजी कुहू जी श्रीराम जी और इस प्रोजेक्ट के सभी सदस्यों ने। सब को बधाई। आपका प्रयास बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद।
shikha varshney said…
Spendid...सच ही बेहतरीन प्रयास. अब कविताओं को सही मायेने मिल पाएंगे.
zindgi intazaar intzaar krti hai ,jane kiska ' bahut khoob.haan ise studio me recording ke baad aur behtareen roop dijiye kyonki ye swayam apne aapme ek khoobsurat pryaas hai. bdhai dun? nhi doongi.aapka best aana abhi baki hai ye shuruaat bhr hai.iska nikhaar duniya dekhegi.
कुहू की आवाज़ में आपके शब्द ....
सचमुच थिरक ही रहे हैं ...!

नए प्रोजेक्ट की बहुत बधाई और सफल होने की अनंत शुभकामनायें ...!
padma said…
Excellent! Your combined talents took a beautiful form. We are very eager to hear the full version.Wish you all the best.
Anonymous said…
aap sabka bahut bahut shukriya :)
- Kuhoo
RAJ SINH said…
रश्मि जी सहित हिन्दयुग्म और उसके सभी टीम सदस्यों को बहुत बहुत बधाई .

विश्वास ही नहीं होता की बिना प्रोफेसनल स्टूडियो वगैरह के ऐसे सुन्दर गीत का सृजन किया जा सकता .गीत संगीत पक्ष और रेकार्डिंग वगैरह की विधा से जुदा होने के कारण समझ सकता हूँ कि कितनी मेहनत की गयी है और प्रयास कितना सार्थक और सफल रहा है .
Sriram Emani said…
Thanks a lot for your feedback! Bahut achha laga padhke :)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....आभार
सदा said…
वाह ...बहुत ही सुन्‍दर रश्मि दी, के साथ हिन्‍द युग्‍म का यह प्रोजेक्‍ट ....रचनाओं को लाजवाब बना गया अनुपम संयोजन के लिये बधाई ।
Devi Nangrani said…
Rashim jI, Shriram ji aur sari team ko bahut bahut badhayi. Rahim ji aapke har prayas ko mera naman hai.
Devi Nangrani
NJ, dnangrani@gmail.com

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