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गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली ऑंखें हैं ....कवितामय शब्द और सुंदर संगीत संयोजन का उत्कृष्ट मेल

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 505/2010/205

'एक प्यार का नग़मा है', दोस्तों, सुप्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के स्वरबद्ध गीतों से सजी यह लघु शृंखला इन दिनों आप सुन और पढ़ रहे हैं 'आवाज़' के सांध्य-स्तंभ 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में। एल.पी एक ऐसे संगीतकार जोड़ी हुए जिन्होंने इतने ज़्यादा फ़िल्मों में संगीत दिया है कि शायद ही कोई ऐसा समकालीन गायक होगा या होंगी जिन्होंने एल.पी के लिए गीत ना गाये होंगे। लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे और आशा भोसले को सुनने के बाद आज बारी है गायक मुकेश की। उधर गीतकारों की बात करें तो आनंद बक्शी साहब ने लक्ष्मी-प्यारे के लिए सब से ज़्यादा गीत लिखे हैं, इसलिए ज़ाहिर है कि इस शृंखला में बक्शी साहब के लिखे कई गीत शामिल होंगे, लेकिन हमने इस बात को भी ध्यान रखा है कि कुछ दूसरे गीतकारों को भी शामिल करें जिन्होंने कम ही सही लेकिन बहुत उम्दा काम किया है एल.पी के साथ। हमनें दो ऐसे गीतकारों की रचनाएँ आपको सुनवाई हैं - राजेन्द्र कृष्ण और भरत व्यास। आज हम लेकर आये हैं राजा मेहन्दी अली ख़ान का लिखा एक गीत फ़िल्म 'अनीता' से। आपको याद होगा कि इस फ़िल्म का एक गीत हम पहले ही इस स्तंभ में सुनवा चुके हैं "तुम बिन जीवन कैसे बीता पूछो मेरे दिल से"। आज प्रस्तुत है मुकेश की ही आवाज़ में इस फ़िल्म का एक और ख़ूबसूरत गीत "गोरे गोरे चाँद से मुख पर काली काली आँखें हैं, देख के जिनको नींद उड़ जाये वो मतवाली आँखें हैं"। जितने सुंदर बोल, उतना ही मीठा कम्पोज़िशन। दोस्तों, कुछ गानें ऐसे होते हैं जो अपने फ़िल्मांकन की वजह से भी याद रह जाते हैं। अब इस गीत को ही लीजिए, यह ना केवल फ़िल्म का पहला गीत है, बल्कि फ़िल्म का पहला सीन भी है। इसी गीत से फ़िल्म शुरु होती है। साधना अपने कमरे में बैठी होती हैं सज सँवरकर, और बाहर से कोई यह गीत गा उठता है। लेकिन उसे कोई नज़र नहीं आता। फिर धीरे धीरे मनोज कुमार को बगीचे में पेड़ के पीछे से दिखता है कैमरा। इस तरह से गीत के ख़त्म होते होते नायिका का पिता घर से बाहर निकल जाता है तो मनोज कुमार साधना के कमरे में दाख़िल हो जाते हैं।

राज खोसला की इस फ़िल्म की कहानी सस्पेन्स से भरी है जिसमें नायिका अनीता के कई चरित्र नज़र आते रहते हैं और पूरी फ़िल्म एक राज़ बना रहता है आख़िर तक। अब जब राज़ की बात छेड़ ही दी है तो चलिए जिन लोगों ने यह फ़िल्म नहीं देखी है, उनके लिए फ़िल्म की थोड़ी सी भूमिका हम दे दें। अमीर बाप की बेटी अनीता (साधना) और ग़रीब नीरज (मनोज कुमार) एक दूसरे से प्यार करते हैं। जब अनीता अपने पिता से नीरज को मिलवाती है तो उसके पिता नीरज को क़बूल नहीं करते, और अनीता को सख़्त निर्देश देते हैं कि वो अनिल शर्मा नामक एक धनवान युवक से शादी कर ले। उसके बाद जब नीरज ने अनीता से सम्पर्क करने की कोशिश की, अनीता ने ही मना कर दिया और आख़िरकार अनिल से शादी कर ली। टूटा हुआ दिल लेकर नीरज वह शहर ही छोड़ देता है, लेकिन फिर भी वो उसे भुला नहीं पाता और दिल के किसी कोने में अपने प्यार की लौ को जलाये रखता है। एक दिन एक सड़क दुर्घटना में अनीता की मौत हो जाती है। जब नीरज को इस बात का पता चलता है तो उसे ज़रबरदस्त धक्का पहुँचता है। फिर एक दिन उसे पता चलता है कि एक औरत जिसकी शक्ल हू-ब-हू अनीता जैसी है एक बड़े होटल में डान्सर है। जब नीरज उसे ढूंढ़ते हुए होटल में जाता है तो अनीता उसे पहचानने से इन्कार कर देती है। (इसी सिचुएशन पर वह गाना है "क़रीब आ कि नज़र फिर मिले मिले ना मिले")। उधर नीरज एक गेरुआ वस्त्र में लिपटी औरत से भी मिलता है जिसकी शक्ल भी हू-ब-हू अनीता से मिलता है। यह औरत किसी आश्रम में सन्यासिन है और वो भी नीरज को पहचानने से इन्कार कर देती है। नीरज को कुछ समझ नहीं आता कि आख़िर माजरा क्या है! नीरज इस रहस्य के तह तक जाने की कोशिश करता है और इसी कोशिश के दौरन उसे पता चलता है कि उसके साथ धोखा हुआ है, प्यार में धोखा, जो उसे मौत की तरफ़ लिए जा रहा है। फ़िल्म के क्लाइमैक्स में क्या होता है, यह तो आप ख़ुद ही देखिएगा कभी, यह फ़िल्म अक्सर 'सब टीवी' पर आती रहती है। फिलहाल आपको सुनवा रहे हैं राजा मेहन्दी अली ख़ान और एल.पी का अन-युज़ुअल कम्बिनेशन का यह गीत फ़िल्म 'अनीता' से, सुनिए।



क्या आप जानते हैं...
कि १९६७ ही वह पहला साल था कि जब लक्ष्मी-प्यारे ने लोकप्रिय गीतों की दौड़ में शंकर जयकिशन को पीछे छोड़ दिया था। एस.जे के 'दीवाना', 'छोटी सी मुलाक़ात', 'गुनाहों का देवता', 'अराउण्ड दि वर्ल्ड', 'हरे कांच की चूड़ियाँ' और 'रात और दिन' जैसी फ़िल्मों के मुक़ाबले एल.पी के 'अनीता', 'फ़र्ज़', 'मिलन', 'शागिर्द', 'नाइट इन लंदन', 'पत्थर के सनम' और 'तक़दीर' के गानें सर चढ़ कर बोले।

दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)

पहेली ०४ /शृंखला ०१
ये धुन उस गीत के प्रिल्यूड की है, सुनिए -


अतिरिक्त सूत्र - हिंदुस्तान की सबसे मशहूर पौराणिक गाथा का सुन्दर चित्रण है गीत में

सवाल १ - गीतकार बताएं - १ अंक
सवाल २ - इस फ़िल्म का एक लता-रफ़ी डुएट उस साल बिनाका गीतमाला का चोटी का गीत बना था। फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
सवाल ३ - इसी फ़िल्म के संगीत के लिए एल.पी को उस साल का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला था। फिल्म की प्रमुख अभिनेत्री का नाम बताएं - २ अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
वाह श्याम कान्त जी लगता है इस पहली शृंखला में आप शरद जी को अच्छी टक्कर देने वाले हैं, ४ अंक हुए आपके, प्रतिभा जी बहुत दिनों बाद लौटी हैं सही जवाब के साथ, स्वागत. अमित जी के भी १ अंक से खाता खुला है, बिट्टू जी चूक गए. सुकांत आपकी भावनाओं की हम कद्र करते हैं, धन्येवाद जो आपने इतना मान दिया, मगर अगर आप सारे सवालों के जवाब दे देंगें तो बाकी श्रोता फिर कुछ कह नहीं पायेंगें...बस यही दिक्कत है :)

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को

Comments

ShyamKant said…
3-- Jayaprada
chintoo said…
1- Anand Bakshi
इस फ़िल्म का एक लता-रफ़ी डुएट उस साल बिनाका गीतमाला का चोटी का गीत बना था। फिल्म का नाम बताएं - SARGAM

Pratibha
Ottawa, CANADA
AVADH said…
सुजॉय जी,
कृपया ज़रा एक बार और check करा लें.पहले मैं भी यही समझता था कि इसको राजा मेहदी अली खान ने लिखा था पर बाद में मुझे पता चला था कि इसे लिखनेवाले आरजू लखनवी थे.
पिछले तीन दिन से 'travelling' के कारण आवाज़ की महफ़िल में हाजिरी नहीं लगा पाया था. अभी घर लौट कर सबसे पहला काम यही किया.
तीनों प्रश्नों के उत्तर तो आ ही चुके हैं.फिल्म अनीता में अधिकतर गाने तो राजा मेहदी अली खान साहेब के थे इसलिए सुकांत जी को शायद भ्रम हुआ हो पर जहाँ तक मेरी जानकारी है इस गाने के रचयिता आरजू लखनवी साहेब ही थे.[मेरे ही शहर के :-)]
अवध लाल
अवध लाल जी जहाँ कहीं भी हमने देखा वहीं रजा साहब का नाम ही पाया इस गीत के क्रेडिट में, क्या आप बता सकते हैं वो स्रोत जहाँ से आपको आरज़ू साहब के बारे में पता चला....थोडा समय दीजिए, हम भी जांच लेंगें
अवध लाल जी जहाँ कहीं भी हमने देखा वहीं रजा साहब का नाम ही पाया इस गीत के क्रेडिट में, क्या आप बता सकते हैं वो स्रोत जहाँ से आपको आरज़ू साहब के बारे में पता चला....थोडा समय दीजिए, हम भी जांच लेंगें
सुजोय जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।
सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद।
awadh ji aapka andaaza sahi hai, geet lakhnavi sahab ka hi likha hua hai...shukriya
सुजाय भाई को जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ।
purvi said…
i could not miss this ocassion to wish sujoy a very happy birthday :), so i m here after a longgggggggggggg looooooooooooong time... sorry for stay missing!!!

how are you sujoy ji? and how are you sajeev ji?
lots and lots of congratulations for 500 episodes. wish that OIG go for many more episodes.
my best wishes .

i promise that i will try to come and comment here more frequently. although the PAHELI format has changed a lot :), i like it.

once again very happy birthday sujoy ji :)
अभी अभी घर लौटा हूँ । आज कोटा को राष्ट्रीय दशहरे मेले का उदघाटन था मुख्य अतिथि जीनत अमान थीं उनके सामने हमारे ग्रुप का कार्यक्रम था । उनकी फ़िल्मों के ५ - ६ तथा कुछ अन्य गीतों की प्रस्तुति के साथ ही उनको देखने आई भीड, को संभालना मुश्किल हो गया फलस्वरूप उनको ले जाना पडा तथा कार्यक्रम समाप्त हो गया । सुजॊय जी जन्म दिन मुबारक हो ।
निर्मला जी, जाकिर भई, पूर्वी जी और शरद जी, सुजॉय इन दिनों दुर्गा पूजा के अवसर पर घर गए हुए हैं, मैंने आप सब का सन्देश उन तक पहुंचा दिया है, उन्होंने आप सब को नवरात्री और दशहरे की बधाई दी है और शुक्रिया कहा है..

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