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दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से....कुछ बातें लता-मुकेश के स्वरों में

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 296

रद तैलंग जी के पसंद पर आज एक बड़ा ही ख़ूबसूरत सा रोमांटिक नग़मा। ५० के दशक में राज कपूर की फ़िल्मों में शंकर जयकिशन के संगीत में लता मंगेशकर और मुकेश ने एक से एक बेहतरीन युगल गीत गाए हैं जो शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी के कलम से निकले थे। यहाँ 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर अब तक हमने इस तरह के तीन गानें बजा चुके हैं। ये हैं फ़िल्म 'आह' से "आजा रे अब मेरा दिल पुकारा", फ़िल्म 'बरसात' का "छोड़ गए बालम" और फ़िल्म 'आशिक़' का "महताब तेरा चेहरा"। इसी फ़ेहरिस्त में एक और गीत का इज़ाफ़ा करते हुए आइए आज शरद की पसंद पर हो जाए फ़िल्म 'अनाड़ी' से "दिल की नज़र से, नज़रों की दिल से, ये बात क्या है, ये राज़ क्या है, कोई हमें बता दे"। दोस्तों, दिल और नज़र का रिश्ता बड़ा पुराना है और इस रिश्ते पर हर दौर में गानें लिखे गए हैं। लेकिन फ़िल्म 'अनाड़ी' का यह गीत इस तरह का पहला मशहूर गीत है जिसने कामयाबी की सारी बुलंदियों को पार कर गया। यही नहीं, आज एक नामचीन टीवी चैनल पर रोमांटिक फ़िल्मी गीतों का एक कार्यक्रम आता है जिसका शीर्षक रखा गया है "दिल की नज़र से"। युं तो हसरत जयपुरी साहब को रोमांटिक गीतों का बादशाह कहा जाता है, लेकिन इस गीत को लिखा था शैलेन्द्र जी ने। क्या रूमानीयत है इस गीत में साहब, जब शैलेन्द्र लिखते हैं कि "हम खो चले चाँद है या कोई जादुगर है, या मदभरी ये तुम्हारी नज़र का असर है" या फिर "आकाश में हो रहे हैं ये कैसे इशारे, क्या देख कर आज हैं इतने ख़ुश चाँद तारे"। जितने सुंदर अल्फ़ाज़ लिखे हैं गीतकार ने, उतनी ही दिलकश धुन बनाई है एस.जे ने और रात के नशीले वातावरण के लिए गीत में जो ऐम्बायन्स चाहिए था, बिल्कुल वैसा कर दिखाया है इस संगीतकार जोड़ी ने। और लता-मुकेश की गायकी तो जैसे सोने पे सुहागा। कुल मिलाकर फ़िल्म संगीत का एक सदाबहार नग़मा है यह रोमांटिक डुएट।

'अनाड़ी' १९५९ की फ़िल्म थी जिसका निर्माण किया था एल. बी. लछमन ने। ऋषीकेश मुखर्जी के निर्देशन में फ़िल्म में अभिनय किया राज कपूर, नूतन, ललिता पवार, मोतीलाल, शुभा खोटे और मुकरी ने। इस फ़िल्म को उस साल फ़िल्मफ़ेयर में कई पुरस्कार मिले, जैसे कि सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (राज कपूर), सर्वश्रेष्ठ गीतकार (शैलेन्द्र - सब कुछ सीखा हमने), सर्वश्रेष्ठ संगीतकार (शकर जयकिशन), सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक (मुकेश - सब कुछ सीखा हमने), सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री (ललिता पवार)। आज भले ही यह फ़िल्म कहीं पर देखने को नहीं मिलती, लेकिन इसके गानें ऐसे चले, ऐसे चले कि साहब आज भी अक्सर किसी ना किसी रेडियो स्टेशन से सुनाई दे ही जाते हैं। इस फ़िल्म का हर एक गीत हिट है, चाहे आज का प्रस्तुत गीत हो या फिर "सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी", "वो चाँद खिला वो तारे हँसे", "जीना इसी का नाम है", "बन के पंछी गाएँ प्यार का तराना", या फिर "तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना"। अमीन सायानी द्वारा प्रस्तुत लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'बिनाका गीत माला' के १९५९ के वार्षिक कार्यक्रम में प्रसारित साल के १४ सब से लोकप्रिय गीतों में फ़िल्म 'अनाड़ी' के एक नहीं बल्कि दो दो गीतों को स्थान मिला था। इसी से आप इस फ़िल्म के गीतों की कामयाबी का अंदाज़ा लगा सकते हैं। ये दो गानें थे चौथे पायदान पर "वो चाँद खिला वो तारे हँसे" और तीसरे पायदान पर "सब कुछ सीखा हमने"। भले ही आज के प्रस्तुत गीत को कोई पुरस्कार नहीं मिला हो, लेकिन प्यार करनेवाले दिल आज भी इस गीत को सलाम करते हैं, और इससे बड़ा इनाम कोई हो नहीं सकता। आइए सुनते हैं और आप भी याद कीजिए अपने रोमांस के दिनों को!



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा अगला (अब तक के चार गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी (दो बार), स्वप्न मंजूषा जी, पूर्वी एस जी और पराग सांकला जी)"गेस्ट होस्ट".अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

१. इस गीत के लिए भी गायिका ने फिल्म फेयर जीता था.
२. एस एच. बिहारी हैं गीतकार.
३. बीते दिनों की दुहाई देती गायिका मुखड़े में शब्द गाती है -"जगह".

पिछली पहेली का परिणाम -
इंदु जी, मात्र दो कदम दूर हैं आप इतहास रचने से....हमें ऐसा लगा रहा है जैसे कोई भारतीय बल्लेबाज़ क्रीज़ पर है और हम सब उसके लिए चीयर कर रहे हैं....:)

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

indu puri said…
yahi wo jagah hai ,yahi wo fiza yahin pe kbhi aap hum se mile the
singer- asha ji
baaki baaten to PABLA BHAIYA hi bta denge jaise..... waise iska answer mujhe malum hai kyonki ye gana mujhe bahut psnd hai.
theek PABLA BHAIYA DEKHO IS BAAR TO MAINE sujoy AUR sAJIV KO KUCHH BATAYA HI NHI
HA HA HA
AVADH said…
इंदु जी,
बहुत बहुत बधाई.
अब हमें शीघ्र ही आपके पसंदीदा गीतों का रसास्वादन करने का अवसर मिलेगा.
अवध लाल
यही वो जगह है ...पता तो मुझे भी था ...मगर देर से पढ़ा ....
indu puri said…
sujoy bhai sahib
aapke charan kamal kahan hai ?
jane aap ko ghumane me kya mja aata hai ?yahan to chkkar aane lage.
waise aapko btadu aasha ji ko filmfare jarur mila tha magar is khoobsurat gane ko kisi bhi prakaar ka inaam nhi mila tha
indu puri said…
ये आप लोगों का प्यार है कि आप मेरी पसंद के गाने सुनना चाहते हैं .
ईश्वर ने चाहा और सुजोय सजीव भाई साहिब की कृपा दृष्टि ,दया दृष्टि यूँ ही (टेढ़ी )रही तो कोई चांस भी नही है .
वैसे मैं उजाड़ू ,मेरी पसंद उजाड़ू
ईश्वर वो दिन कभी ना लाये जब इस नालायक की पसंद के गीत आपको झेलने पड़े
और उसकी सजा आप लोग इन प्यारे प्यारे (???????) भोले भोले (?????) मासूम(????) बच्चों को दें
सो अपन तो सरके.
खूब हँसते हँसाते दिन बीते आप लोगो का
अपना क्या है ? रिजल्ट की प्रतीक्षा के सिवा दुनिया में रखा क्या है.........
हा हा हा हा
YES INDU JI U R RIGHT, ASHA JI HAS WON PRIZE FOR ANOTHER SONG AND NOT FOR THIS, BUT OFCOUSE I GUESS THE RIGHT SONG :)
indu puri said…
chan se hmko kbhi' gana s.h. bihari ka hai jise filmfare award mila hai as best female singer categary me but jagah shbd khi nhi hai aur aapke'poorane''ganon ki tyme limit kya hai ?bhgwan jane ?

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