Skip to main content

हाँ मैं जितनी मर्तबा तुझे हूँ देखता....के के की गायिकी ने भरा इस गीत में नया जोशो-खरोश

ताजा सुर ताल (23)

ताजा सुर ताल में आज में आज सुनिए प्रीतम का जोरदार संगीत और कुमार के बोल के के की जोशीली आवाज़ में

सुजॉय - सजीव, ऑल दि बेस्ट!

सजीव- क्या मतलब? किस बात के लिए?

सुजॉय- नहीं, मैन तो आज के फ़िल्म की बात कर रहा था।

सजीव- हाँ ज़रूर हम आज की नई फ़िल्म को ऑल दि बेस्ट कहेंगे, लेकिन सुजॉय, उससे पहले फ़िल्म का नाम तो बताओ कि किस फ़िल्म के लिए तुम ऑल दि बेस्ट कह रहे हो?

सुजॉय- वही तो, हमारी आज की फ़िल्म का नाम ही है 'ऑल दि बेस्ट'। रोहित शेट्टी की नई फ़िल्म 'ऑल दि बेस्ट'।

सजीव- मैने भी सुन रख है इस फ़िल्म के बारे में। 'गोलमाल', 'गोलमाल रिटर्ण्स' और 'संडे' जैसी यूथफ़ुल फ़िल्मों के बाद अब बारी है 'ऑल दि बेस्ट' की। जिस तरह से बाक़ी के तीन फ़िल्मों में मस्ती, मसाला और धमाल मुख्य भूमिका में रहे हैं, मुझे लगता है कि यह फ़िल्म भी उसी जॉनर की ही होगी, तुम्हारा क्या ख़्याल है?

सुजॉय- बिल्कुल, प्रोडक्शन हाउस की हिस्ट्री और यह बात कि प्रीतम है इसके संगीतकार, तो ज़ाहिर बात है कि इस फ़िल्म के संगीत से भी लोगों को उसी मस्ती, मसाले और धमाल की उम्मीदें रखनी चाहिए।

सजीव- फ़िल्म के कलाकार हैं संजय दत्त, अजय देवगन, फ़रदीन ख़ान, बिपाशा बासू, मुग्धा गोडसे प्रमुख। गानें लिखे हैं कुमार ने।

सुजॉय- सजीव, इस फ़िल्म का कौन सा गीत चुना जाए ताजा सुर ताल के लिए?

सजीव- अजय देवगन और बिप्स पर फ़िल्माया "मर्तबा" गीत इन दिनों काफ़ी चल रहा है, तो क्यों ना इसे ही आज सुनें!

सुजॉय- ठीक है, के.के और याशिता की आवाज़ों में यह गीत रॉक जॉनर का गीत है, गीत को सुनते हुए 'रॉक ओं' के शीर्षक गीत की थोड़ी सी याद भी आ जाती है। प्रील्युड म्युज़िक में एक ज़बरदस्त रॉक म्युज़िक की झलक है,

सजीव- बिल्कुल, 'हेवी बेस' के इस्तेमाल से यह रॊक एटिट्युड आया है गीत में। के. के. हमेशा से ही इस तरह के गीतों को सही अंजाम देते आए हैं। के. के. की सब से बड़ी बात यह है कि इस तरह के 'पावरफ़ुल' गानें भी बख़ूबी निभाते हैं, और दूसरी तरफ़ नर्मोनाज़ुक रोमांटिक गीतों में भी उनका एक अलग ही अंदाज़ नज़र आता है। बहुत ही उर्जा से भरी गायिकी है उनकी इस गीत में भी.

सुजॉय- सही कहा, 'ओम् शांती ओम्' में "आँखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएँ है" इसी तरह का नर्मोनाज़ुक गीत है। और आज के इस प्रस्तुत गीत में उनकी आवाज़ का दूसरा सिरा सुनाई देता है।

सजीव- नई गायिका याशिता ने भी उनका अच्छा साथ दिया है और रॉक गायकी के लिए पूरा पूरा न्याय किया है उनकी आवाज़ ने भी।

सुजॉय- और गीतकार कुमार के लिए यही कहूँगा कि पिछले कुछ सालों में कई हिट गीत दिए है, लेकिन उन्होने अपना थोड़ा सा 'लो प्रोफ़ाइल' ही मेंटेन किया है। सिचुयशन और गीत की रॉक शैली को ध्यान में रखते हुए बहुत ही अच्छे बोल इस गीत के लिए लिखे हैं, और प्रीतम ने भी अच्छा ट्रीटमेंट दिया है गाने को।

सजीव- कुल मिलाकर, गीत, संगीत और गायकी अच्छी है, और शायद इसी वजह से इसका एक रीमिक्स वर्ज़न भी है ऐल्बम में। यकीनन, यह गीत इस साल के टॉप २० गीतों की फ़ेहरिस्त में शामिल होना चाहिए, कुमार के लिए श्याद ये उनकी सबसे बड़ी फिल्म है अब तक, और मौके को समझ कर भी शायद उन्होंने अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ काम दिखाया है इस गीत में देखते हैं इस गीत के बाद इंडस्ट्री में उनके लिए क्या नए प्रोसोएक्ट बनते हैं! तो तुम कितने अंक दे रहे हो इस गीत को?

सुजॉय- गीत के सभी पक्षों को देखते हुए मैं इसे ४.५ अंक दे रहा हूँ। एक जो 'ओवर-ऒल' वाली बात है ना, वह इस गीत में है। सारी चीज़ों को एक साथ लेकर अगर हम देखें तो यह गीत पर्फ़ेक्ट है। आगे जनता की राय सर आँखों पर!!

सजीव - ठीक है दोस्तों तो अपने स्पीकर्स की आवाज़ ज़रा तेज़ कर दीजिये और झूमने को तैयार हो जाईये



आवाज़ की टीम ने दिए इस गीत को 4.5 की रेटिंग 5 में से. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसा लगा? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीत को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

क्या आप जानते हैं ?
आप नए संगीत को कितना समझते हैं चलिए इसे ज़रा यूं परखते हैं.एक मशहूर आस्ट्रेलियन पॉप गायिका ने किस हिंदी फिल्म के लिए गीत गाया है, और कौन है इस ताजा गीत के गीतकार-संगीतकार...बताईये और हाँ जवाब के साथ साथ प्रस्तुत गीत को अपनी रेटिंग भी अवश्य दीजियेगा.

पिछले सवाल का सही जवाब नहीं मिला सीमा जी और मंजू जी ने जाने क्या जवाब दिया कुछ समझ नहीं आया :), मनीष जी गीत पसंद आये या न आये....आप आये तो सही इस बहाने


अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

Comments

गायिका: काईली मेनोग
फिल्म: ब्लू
गीतकार: अब्बास टायरवाला
संगीतकार: ए आर रहमान
गीत: चिगी विगी

यह गीत के०के० की आवाज़ और "मर्तबा" शब्द के इस्तेमाल के कारण भायी। मेरी रेटिंग: ३/५
Manju Gupta said…
दीपक जी के जवाब ही मेरा जवाब है .मैं रेटिंग ३ /५ दूंगी
seema gupta said…
काईली मेनोग

regards
Shamikh Faraz said…
मैं रेटिंग दूंगा ३/५

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...