दूसरे सत्र के तेरहवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज.
नए गीतों को प्रस्तुत करने के इस चलन में अब तक ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई कलाकार अपने पहले गीत के ओपन होने से पहले ही एक जाना माना नाम बन जाए कुछ इस कदर कि आवाज़ के स्थायी श्रोताओं को लगातार ये जानने की इच्छा रही कि अपने संगीत और आवाज़ से उन पर जादू करने वाले रफ़ीक शेख का गीत कब आ रहा है. तो दोस्तों आज इंतज़ार खत्म हुआ. आ गए हैं रफ़ीक शेख अपनी पहली प्रवष्टि के साथ आवाज़ के इस महा आयोजन में. साथ में लाये हैं एक नए ग़ज़लकार अजीम नवाज़ राही को, रिकॉर्डिंग आदि में मदद रहा अविनाश जी का जो रफ़ीक जी के मित्र हैं. दोस्तों हमें यकीन है रफ़ीक शेख की जादू भरी आवाज़ में इस खूबसूरत ग़ज़ल का जादू आप पर ऐसा चलेगा कि आप कई हफ्तों, महीनों तक इसे गुनगुनाने पर मजबूर हो जायेंगे. तो मुलाहजा फरमायें युग्म की नयी पेशकश,ये ताज़ा तरीन ग़ज़ल - " सच बोलता है ....."
ग़ज़ल को सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें -
After creating a lot of buzz by his rendition of Ahmed Faraz sahab's ghazals (as a musical tribute to the legend) singer/composer Rafique Sheikh, of Pune, Maharashtra is here with his first entry for this season. This ghazal "sach bolta hai" is penned by another new comer of this awaaz team Azeem Nawaaz Rahi, recording help has been done by another online friend of Rafique, Avinaash. So guys, just enjoy this beautiful ghazal today and please don't forget to spare a moment to give your valuable comments.
To listen to the ghazal, please click on the player below-
ग़ज़ल के बोल -
सच बोलता है मुंह पर, चाहे लगे बुरा सा,
किरदार उसका हमको लगता है आईना सा.
कहने को चंद लम्हें था साथ वो सफर में,
यूँ लग रहा था जैसे बरसों का है शनासा.
कलियाँ अगर न होती लफ्जों की मुट्ठियों में,
होता न जिंदगी का चेहरा कभी नया सा.
"राही" मुझे तसल्ली देते हैं मेरे आंसू,
जी हो गया है हल्का रोया जो मैं जरा सा.
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
SONG # 13, SEASON # 02, "SACH BOLTA HAI..." OPENED ON AWAAZ HIND YUGM 26/09/2008.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion
ब्लॉग/वेबसाइट/ऑरकुट स्क्रैपबुक/माईस्पैस/फेसबुक में 'खुशमिज़ाज मिट्टी' का पोस्टर लगाकर नये कलाकारों को प्रोत्साहित कीजिए
नए गीतों को प्रस्तुत करने के इस चलन में अब तक ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई कलाकार अपने पहले गीत के ओपन होने से पहले ही एक जाना माना नाम बन जाए कुछ इस कदर कि आवाज़ के स्थायी श्रोताओं को लगातार ये जानने की इच्छा रही कि अपने संगीत और आवाज़ से उन पर जादू करने वाले रफ़ीक शेख का गीत कब आ रहा है. तो दोस्तों आज इंतज़ार खत्म हुआ. आ गए हैं रफ़ीक शेख अपनी पहली प्रवष्टि के साथ आवाज़ के इस महा आयोजन में. साथ में लाये हैं एक नए ग़ज़लकार अजीम नवाज़ राही को, रिकॉर्डिंग आदि में मदद रहा अविनाश जी का जो रफ़ीक जी के मित्र हैं. दोस्तों हमें यकीन है रफ़ीक शेख की जादू भरी आवाज़ में इस खूबसूरत ग़ज़ल का जादू आप पर ऐसा चलेगा कि आप कई हफ्तों, महीनों तक इसे गुनगुनाने पर मजबूर हो जायेंगे. तो मुलाहजा फरमायें युग्म की नयी पेशकश,ये ताज़ा तरीन ग़ज़ल - " सच बोलता है ....."
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After creating a lot of buzz by his rendition of Ahmed Faraz sahab's ghazals (as a musical tribute to the legend) singer/composer Rafique Sheikh, of Pune, Maharashtra is here with his first entry for this season. This ghazal "sach bolta hai" is penned by another new comer of this awaaz team Azeem Nawaaz Rahi, recording help has been done by another online friend of Rafique, Avinaash. So guys, just enjoy this beautiful ghazal today and please don't forget to spare a moment to give your valuable comments.
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ग़ज़ल के बोल -
सच बोलता है मुंह पर, चाहे लगे बुरा सा,
किरदार उसका हमको लगता है आईना सा.
कहने को चंद लम्हें था साथ वो सफर में,
यूँ लग रहा था जैसे बरसों का है शनासा.
कलियाँ अगर न होती लफ्जों की मुट्ठियों में,
होता न जिंदगी का चेहरा कभी नया सा.
"राही" मुझे तसल्ली देते हैं मेरे आंसू,
जी हो गया है हल्का रोया जो मैं जरा सा.
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VBR MP3 | 64Kbps MP3 | Ogg Vorbis |
SONG # 13, SEASON # 02, "SACH BOLTA HAI..." OPENED ON AWAAZ HIND YUGM 26/09/2008.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion
ब्लॉग/वेबसाइट/ऑरकुट स्क्रैपबुक/माईस्पैस/फेसबुक में 'खुशमिज़ाज मिट्टी' का पोस्टर लगाकर नये कलाकारों को प्रोत्साहित कीजिए
Comments
badhai is meethi gazal ke liye,yoon to isme dard-e-bayaa.n hi hai,magar dard bhi meetha-meetha.
""राही" मुझे तसल्ली देते हैं मेरे आंसू,
जी हो गया है हल्का रोया जो मैं जरा सा."
Rahi sahab ke sheron me waqai sheron jaisa dum hai!inka andaz-e-baya.n bara achha laga.
rafeeq sahab ki bhala kya tareef karoon,jee khush ho jata hai inhen sun kar!khuda in par meharbaan rahe taki ye yun hi gate rahen,aur hum sunte rahen!
gazal ki dhun bhi,ek gazal hone ke nate santoshprad hi mani jani chahiye.sangeet sanyojan bhi bara achha hai,lekin nayapan nahi hai isme.sambhavtah vadyon ka chayan behtar kar sakte the,yadyapi table ka prayog bara sukhad lagta hai.darasal,shekh sahab ki gayki itne dumdar tareeke se gazal ka mood itna upar le jati hai,ki sangeet sanyojan iske muqable jara peechhe rah jata hai;vocal aur instrumental part me thora aur samanjasya bithana tha.
gayki me "aashna" shabd ke uchcharan ki jagah par thori aur mehnat karte,sur ke sath bina chher-chhar kiye bhi iska uchcharan behtar aur spasht kar sakte the.
kul mila kar is saptah ki peshkash kabil-e-tareef hai.aur,awaz ki team ko dhanyawaad itni achhi gazal le kar aane ke liye.
nirantar unnat'ta ki or badhta yugm ka yah abhiyan satat chalta rahe avam ishwar humara marg prashast karte rahen!
hardik shubh kamnayen!
dhanyawaad!
-Janmejay
डा.शीला सिंह, वाराणसी
kafi baad jagjit singh, bhupender singh, mehdi hasan ke baad aapki awaz pasand aayi. bahut hi khoob andaz hai aapka.
shukriya aapka.
- शिशिर
- gita pandit
अजीम साहब क्या ख्यालात है......
आपके इन ख़यालात को शक्ल देने में रफीक शेख की मुलायम आवाज और सकूं भरी मीठी तान
क्या बात है...
खुदा आप दोनों को यूँ ही अपनी नवाजिशे बक्शे........
ग़ज़ल बहुत ही सुंदर है.एक मीठी सी धुन दिल भी गुनगुनाने लगता है.साथ ही ग़ज़ल के बोल भी बहुत सुंदर और हृदयस्पर्शी है इसलिए अजीम जी आपको भी हार्दिक धन्यवाद.हमें आपके द्वारा लिखी और भी गज़ले सुननी है.
विलंब से सुन पाने का खेद है.
rooh tak sakun deti gayi
meri dili mubarak baad kabool kare
shabd, sangeet , saaz-o-awaaz sab shubhaan-allah.
सच कहते ही मुझको बहुत बुरा लग रहा है कि इस ग़ज़ल को मैं सुन नहीं पायी थी !इस ग़ज़ल को आज सुना !रफीक शेख जी ,अजीम नवाज़ रही जी और अविनाश जी क्या कमाल की ग़ज़ल से नवाजा है आवाज़ को !अब तक न जाने कितनी बार सुन चुकी हूँ और दिल है कि अभी भी भरता नहीं !किसी पुरानी फिल्म की ग़ज़ल का अहसास होता है सुन कर !आपकी जोड़ी से भविष्य में और भी गज़लें सुनने की आशा करती हूँ !क्या बोल हैं क्या गायकी का अंदाज़ है और क्या संगीत है ,सुन कर सुकून मिला !सुभान अल्लाह ......इतनी अच्छी ग़ज़ल सुनाने का बहुत बहुत धन्यवाद ....