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बोलती कहानियाँ - क्या वे उन्हें भूल सकती हैं? - निर्मल वर्मा

 'बोलती कहानियाँ' स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने प्राख्यात ब्लॉगर अर्चना चावजी की आवाज़ में महादेवी वर्मा की मार्मिक कहानी "घीसा का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मूर्धन्य कथाकार और पत्रकार निर्मल वर्मा की प्रसिद्ध डायरी ' धुंध से उठती धुंध ' का अंश "क्या वे उन्हें भूल सकती हैं?, जिसको स्वर दिया है रीतेश खरे "सब्र जबलपुरी" ने।

 कहानी का कुल प्रसारण समय 3 मिनट 41 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।

जो पराजित हो जाते हैं , पीछे हट जाते हैं , इसलिए नहीं कि वे कम पोटेंट हैं, कम मर्द हैं, कम प्रेम करना जानते हैं ...
 ~  निर्मल वर्मा (3 अप्रैल 1929 - 25 अक्तूबर 2005)

हर शुक्रवार को यहीं पर सुनें एक नयी कहानी

वे सो जाती हैं। खिड़की बंद करके लौट आती हैं। क्या वे उन्हें भूल सकती हैं ?
(बाबा निर्मल वर्मा की "क्या वे उन्हें भूल सकती हैं?" से एक अंश)

नीचे के प्लेयर से सुनें.
 

यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाउनलोड कर लें:
VBR MP3

 #Eleventh Story, Kya Ve Unhen: Baba Nirmal Verma/Hindi Audio Book/2012/11. Voice: Reetesh Khare "Sabr Jabalpuri"

Comments

Sajeev said…
बढ़िया आवाज़ बढ़िया वाचन और बढ़िया कहानी, सब्र भाई स्वागत
Archana Chaoji said…
बहुत ही बढ़िया और दमदार आवाज़....और वाचन के इस हिस्से का तो जबाब नहीं..
बधाई !! प्लेबेक टीम को
और स्वागत रीतेश जी का...
Smart Indian said…
बोलती कहानियाँ में रीतेश खरे जी का स्वागत है।
Reetesh said…
सर्वप्रथम, तो हाथ जोड़ के क्षमा...लगभग २.५ वर्ष बाद कमेन्ट सेक्शन में आके...आप सुधीजनों के स्नेह और हौसला अफजाई से भरे कमेंट्स पढ़ के...देर रात या अल सुबह के घोर प्रहर में...द्रवीभूत हो रहा हूँ..इस ओस ने गंगाजल की तरह निर्मल कर दिया...

सजीव जी, बहुत बहुत धन्यवाद...आप सबसे पहले सूत्र हैं, कि त्रण मात्र भी हिस्सा बन सका RPI का.

अर्चना जी, सराह से आवाज़ को उत्साह मिला..जल्द ही नई कोई कहानी पढ़ता हूँ पुनः

अनुराग जी, क्योंकि यह सेक्शन आपके संचालन में है, और अथक सहयोग, मार्गदर्शन मिला..नतमस्तक हूँ आपका भी...सचमुच बहुत हौसला मिला..ख़ास तौर से आज पुनः पढ़ के...

साथ ही पूरी RPI टीम का अभिवादन करता हूँ और पाठकों, श्रोताओं का अभिनन्दन कि कला क्षेत्र की एक से बढ़ कर एक प्रस्तुतियों को पढ़ते, सुनते और गुनते रहें...कलाकारों को ऑक्सीजन बस यूं ही मिलती रहे!
udai vikram singh said…
good narration of a good story.

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