Skip to main content

सिने-पहेली # 12

'सिने पहेली' के द्वितीय सेगमेण्ट की दूसरी कड़ी लेकर मैं, आपका ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी, फिर एक बार हाज़िर हूँ 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' पर। दोस्तों, 'सिने पहेली' की पिछली दो कड़ियों में कृष्णमोहन जी आपसे मुख़ातिब थे, और मैं उनका शुक्रिया अदा करते हुए इस स्तंभ का कार्यभार फिर एक बार अपने कंधे ले रहा हूँ। तो फिर एक बार मुक़ाबला शुरु हो चुका है। सभी साथियों से निवेदन है कि इस नए सेगमेण्ट का फ़ायदा उठायें, अपना फ़िल्मी और फ़िल्म-संगीत के ज्ञान को आज़माते हुए अन्य प्रतियोगियों को कांटे का टक्कर दें, और इस स्तंभ को मनोरंजक तथा इस प्रतियोगिता को दिलचस्प बनायें। हमारे बहुत से साथी ऐसे हैं जो 'सिने पहेली' में पधारते तो हैं पर हिस्सा नहीं लेते। उन सब से यह गुज़ारिश है कि जितने भी जवाब मालूम हों, हमें ज़रूर लिख भेजें, इससे प्रतियोगिता और भी ज़्यादा मज़ेदार बन जाएगी। और क्योंकि अब इसे सेगमेण्ट्स में विभाजित कर दिया गया है, इसलिए आप किसी भी चरण से इसमें भाग ले सकते हैं और महाविजेता भी बन सकते हैं। चलिए बातें बहुत हो गईं, अब शुरु करते हैं 'सिने पहेली - सेगमेण्ट-२' के दूसरे अंक के सवालों का सिलसिला। प्रस्तुत है 'सिने पहेली - १२'।

*********************************************

सवाल-1: गोल्डन वॉयस

गोल्डन वॉयस में आज हम आपको सुनवाने जा रहे हैं एक ऐसी आवाज़ जो बहुत पुरानी नहीं है। गीत के इस अंश को सुन कर अनुमान लगाइए कि यह आवाज़ किस गायक की है।


सवाल-2: पहचान कौन!

दूसरे सवाल के रूप में आपको हल करना है एक चित्र पहेली का। नीचे दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए। क्या आप बता सकते हैं इस बाल कलाकार का नाम?




सवाल-3: सुनिये तो...

'सुनिये तो...' में आज आपको सुनवा रहे हैं रफ़ी साहब के गाए फ़िल्म 'तीन देवियाँ' के एक मशहूर गीत का शुरुआती संगीत ब मुखड़े का एक अंश। क्या आप बता सकते हैं कि जो वाद्ययंत्र इस अंश में बजता हुआ सुनाई दे रहा है, उस वाद्य का क्या नाम है?


सवाल-4: बताइये ना!

और अब चौथा सवाल। अमरीका के ओहियो राज्य के डेटन शहर में ३१ मार्च को इनमें से किस दिवस के रूप में मनाया जाता है?

अ) कुन्दनलाल सहगल दिवस
ब) किशोर कुमार दिवस
स) आर. डी. बर्मन दिवस
द) कुमार सानू दिवस

सवाल-5: गीत अपना धुन पराई

और अब पाँचवा और आख़िरी सवाल। आज इसमें हम जिस विदेशी गीत को सुनवाने जा रहे हैं, उसे सुन कर कोई भी बता सकता है कि इस धुन का इस्तमाल किस हिन्दी फ़िल्मी गीत में हुआ है। इसलिए आज आपको हिन्दी गीत के साथ साथ यह भी बताना है कि यह विदेशी गीत किस देश का है। याद रहे, दोनों जवाब सही होने पर ही अंक दिये जायेंगे।


*********************************************

तो दोस्तों, हमने पूछ लिए हैं आज के पाँचों सवाल, और अब ये रहे इस प्रतियोगिता में भाग लेने के कुछ आसान से नियम....

१. अगर आपको सभी पाँच सवालों के जवाब मालूम है, फिर तो बहुत अच्छी बात है, पर सभी जवाब अगर मालूम न भी हों, तो भी आप भाग ले सकते हैं, और जितने भी जवाब आप जानते हों, वो हमें लिख भेज सकते हैं।

२. जवाब भेजने के लिए आपको करना होगा एक ई-मेल cine.paheli@yahoo.com के ईमेल पते पर। 'टिप्पणी' में जवाब न कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे।

३. ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 12" अवश्य लिखें, और जवाबों के नीचे अपना नाम, स्थान और पेशा लिखें।

४. आपका ईमेल हमें शुक्रवार 23 मार्च तक मिल जाने चाहिए।

है न बेहद आसान! तो अब देर किस बात की, लगाइए अपने दिमाग़ पे ज़ोर और जल्द से जल्द लिख भेजिए अपने जवाब। जैसा कि हमने शुरु में ही कहा है कि हर सप्ताह हम सही जवाब भेजने वालों के नाम घोषित किया करेंगे, और पचासवे अंक के बाद "महाविजेता" का नाम घोषित किया जाएगा।

******************************************

और अब 20 फ़रवरी को पूछे गए 'सिने-पहेली # 11' के सवालों के सही जवाब---

1. पहले सवाल 'गोल्डन वॉयस' में हमने आपको जो आवाज़ सुनवाई थी, वह आवाज़ थी सुप्रसिद्ध गायक-अभिनेता पंकज मलिक की, फिल्म ‘कपाल कुंडला’ (1939) में उन्होने यह गीत गाया था।

2. 'चित्र-पहेली' में दिखाए गए चित्र में जिस गीत का दृश्य था, वह फिल्म ‘विवाह’ के गीत ‘मुझे हक़ है...’ का।

3. 'सुनिये तो' में आपको हमने जो संवाद सुनवाया था, वह फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ से लिया गया था और संवाद के बाद आरम्भ होने वाला गीत है- ‘धिकताना तिकताना...’।

4. ‘बताइये ना’ सवाल का सही उत्तर है- फिल्म ‘हमदर्द’ का यह गीत राग ‘जोगिया’ पर आधारित है।

5. 'गीत अपना धुन पराई' में जो विदेशी गीत सुनवाया था, उससे प्रेरित हिन्दी गीत है फ़िल्म 'जुर्म' (1990) का गीत "जब कोई बात बिगड़ जाये..."।

और अब 'सिने पहेली # 11' के विजेताओं के नाम ये रहे -----

1. अमित चावला, दिल्ली --- 5 अंक
2. पंकज मुकेश, बेंगलुरू --- 5 अंक
3. क्षिति तिवारी, इन्दौर --- 5 अंक
4. प्रकाश गोविन्द, लखनऊ --- 5 अंक
5. रीतेश खरे --- 4 अंक
6. शरद तैलंग, कोटा --- 3 अंक
7. निशान्त अहलावत, गुड़गाँव --- 3 अंक

सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई। अंक सम्बंधित अगर आपको किसी तरह की कोई शिकायत हो, तो cine.paheli@yahoo.com के पते पर हमें अवश्य सूचित करें। हम फिर एक बार उन साथियों से, जिन्होंने अभी तक इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया है, अनुरोध करते हैं कि 'सिने पहेली' के सवालों के जवाब भेज कर इस जंग में शामिल जायें, यकीन मानिए बड़ा मज़ा आएगा। तो आज बस इतना ही, अगले सप्ताह आपसे इसी स्तंभ में दोबारा मुलाक़ात होगी, तब तक के लिए सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए यह सिने मंथन, और अनुमति दीजिए अपने इस ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी को, नमस्कार!

Comments

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट