तिग्मांशु धुलिया की नयी फिल्म में इरफ़ान खान ने "पान सिंह तोमर" की भूमिका निभायी है. पग बाधा दौड के एक राष्ट्रीय चेम्पियन की डकैत में तब्दील हो जाने की वास्तविक कथा है ये, जिसे इरफ़ान ने परदे पर साकार किया है. यूं आज की पीढ़ी के लिए डाकू या डकैत हैरत पैदा कर सकते हों पर नब्बे के दशक तक भी देश के कई बीहड़ इलाकों में अनेकों डाकुओं की सक्रियता देखी गयी थी इनमें से कुछ तो लोगों की नज़र में किसी हीरो से कम बिसात नहीं रखते थे, पान सिंह भी उन्हीं में से एक था. फ़िल्मी परदे पर भी अनेकों अभिनेताओं ने समय समय पर डाकुओं की भूमिका कर कभी दर्शकों की नफ़रत तो कभी सहानुभूति "लूटी" है. कुछ कलाकार इन भूमिकाओं में इतना यादगार अभिनय कर गए हैं कि यही भूमिका उनके अभिनय सफर की पहचान कहलाई जाने लगी. डाकू नामा में आईये कुछ ऐसे ही यादगार किरदारों पर नज़र दौडाएं.
सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली
सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे
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