Skip to main content

१ फरवरी - आज का गाना


गाना: पहली तारीख है

चित्रपट:पहली तारीख
संगीतकार:सुधीर फड़के
गीतकार: कमर जलालाबादी
गायक:किशोर कुमार






दिन है सुहाना आज पहली तारीख है
दिन है सुहाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

बीवी बोली घर ज़रा जल्दी से आना, जल्दी से आना
शाम को पियाजी हमें सिनेमा दिखाना, हमें सिनेमा दिखाना
करो ना बहाना हाँ बहाना बहाना
करो ना बहाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

किस ने पुकारा रुक गया बाबू
लालाजी की जाँ आज आया है काबू आया है काबू
ओ पैसा ज़रा लाना लाना लाना
ओ पैसा ज़रा लाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

बंदा बेकार है क़िसमत की मार है
सब दिन एक है रोज़-ए-ऐतबार है
मुझे ना सुनाना हाँ सुनाना सुनाना
मुझे ना सुनाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

दफ़्तर के सामने आए मेहमान हैं
बड़े ही शरीफ़ हैं पुराने मेहरबान हैं
बड़े ही शरीफ़ हैं पुराने मेहरबान हैं
अरे जेब को बचाना बचाना बचाना
जेब को बचाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

दिल बेक़रार है सोए नहीं रात से
सेठजी को ग़म है कि पैसो चलो हाथ से
अरे लूटेगा खज़ाना खज़ाना खज़ाना
लूटेगा खज़ाना आज पहलि तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

ऐ सिनेमावालों आओ आओ खेल मज़ेदार है
ओ खेल मज़ेदार है जी खेल मज़ेदार है
आगा है भगवान है किशोर कुमार है
निम्मि गीता बाली है अशोक कुमार है
नरगीस राज कपूर है दिलीप कुमार है
गीतों का तूफ़ान है नाच की बहार है, नाच कि बहार है
पांच आने का दस आना
पांच आने का दस आना
पांच आने का दस आना
अरे वापस नहीं जाना जाना जाना
वापस नहीं जाना आज पहलि तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

मिलजुल के बच्चों ने बापू को घेरा, बापू को घेरा
कहते हैं सारे की बापू है मेरा, बापू है मेरा
खिलौने ज़रा लाना, खिलौने ज़ला लाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना ...   पहली तारीख ...

दिन है सुहाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है



Comments

Archana Chaoji said…
बहुत खूब!!!वाह..वाह..
आज पहली तारीख है... :) मधुर गीत.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...