आज अपनी पसंद के गीतों के साथ हमारे वक़्त में योगदान दे रहे हैं यशवंत माथुर. गीत तो वही होते हैं, पर पसंद और असर अलग अलग होते हैं. बमुश्किल गीतों के समंदर की गहराई से इन गीतों को चुना है और मैं उन्हें यहाँ पिरो रही हूँ ...कहते हैं इन गीतों के लिए यशवंत जी, कि इन गीतों का जीवन से यही संबंध हैं कि इन्हें सुन कर मन मे एक अलग ही उत्साह की भावना आती है और कभी कभी आने वाली निराशा में यह गाने मुझे एक सच्चे दोस्त की तरह प्रेरित करते हैं। साथ ही इन गानों को सुन कर कुछ लिखने के लिये भी मूड बन जाता है। ...आप आनंद उठाइए इन गीतों का, और मैं भी जरा अब इन्हें सुनूँ
रुक जाना नहीं तू कभी हार के (किशोर कुमार)
लक्ष्य को हर हाल मे पाना है (फिल्म लक्ष्य का टाइटिल ट्रैक)
बादल पे पाँव है (चक दे इंडिया)
धूप निकलती है जहां से (फिल्म -क्रिश)
कैसी है ये रुत थी जिसमें फूल बन के दिल खिले (फिल्म दिल चाहता है)
यशवंत माथुर |
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