ताज़ा सुर ताल ११/२०१०
सजीव - सुजॊय, तुम्हे याद होगा, २००५ में एक फ़िल्म आई थी 'लकी', जिसमें सलमान ख़ान थे। याद है ना उस फ़िल्म का संगीत?
सुजॊय - बिल्कुल याद है, उसमें अदनान सामी का संगीत था और उसके गानें ख़ूब चले थे। लेकिन आज अचानक उस फ़िल्म का ज़िक्र क्यों?
सजीव - क्योंकि आज हम 'ताज़ा सुर ताल' में जिस फ़िल्म के गीतों की चर्चा करने जा रहे हैं, उस फ़िल्म का संगीत ही ना केवल अदनान सामी ने तैयार किया है, बल्कि गीतों के रीदम और धुनें भी काफ़ी हद तक 'लकी' के गीतों से मिलती जुलती है। आज 'ताज़ा सुर ताल' में ज़िक्र आने वाली फ़िल्म 'सदियाँ' के संगीत की।
सुजॊय - यह बात तो सही है कि अदनान सामी का रीदम उनके गीतों की पहचान है। जैसे हम गीत सुन कर बता सकते हैं कि गीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का है या कल्याणजी आनंदजी का या फिर राहुल देव बर्मन का, ठीक वैसे ही अदनान साहब का जो बेसिक रीदम है, वह झट से पहचाना जा सकता है। हम किस रीदम की तरफ़ इशारा कर रहे हैं, हमारे श्रोता इस फ़िल्म के गीतों को सुनते हुए ज़रूर महसूस कर लेंगे।
सजीव - इससे पहले कि गीतों का सिलसिला शुरु करें, मैं यह बता दूँ कि 'सदियाँ' राज कनवर की फ़िल्म है और उन्होने ही इसे निर्देशित भी किया है। फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएँ अदा की हैं लव सिन्हा, फ़रेना वज़ीर, रेखा, ऋषी कपूर, शबाना आज़मी और हेमा मालिनी ने।
सुजॊय - तो चलिए शुरु करते हैं इस फ़िल्म का पहला गीत। शान और श्रेया घोषाल की आवाज़ों में "जादू नशा अहसास क्या"। समीर की गीत रचना है और धुन वही, अदनान सामी स्टाइल वाली। और रीदम भी वही जाना पहचाना सा। गीत ठीक ठाक बना है, कोई ख़ास बात वैसे नज़र नहीं आती। सुनते हैं। गीत सुन कर बताइएगा कि क्या आपको "सुन ज़रा सोनिये सुन ज़रा" गीत की याद आई कि नहीं।
गीत - "जादू नशा अहसास क्या"
सजीव - दूसरा गाना है मिका की आवाज़ में, "मनमौजी मतवाला"। इस गीत में भी कोई नवीनता नहीं है। वही पंजाबी पॊप भंगड़ा वाली रीदम। गीत की शुरुआत "दिल बोले हड़िप्पा" गीत की तरह लगती है।
सुजॊय - इस गीत को सुन कर फ़िल्मी गीत कम और पंजाबी पॊप ऐल्बम ज़्यादा लगता है। बेहद साधारण गीत है, और इसे भी समीर साहब ने ही लिखा है। वैसे इस गीत को थोड़ा सा और जुनूनी और स्पिरिचुयल अंदाज़ में अगर बनाया जाता और कैलाश खेर शैली में गवाया जाता, तो शायद कुछ और ही रंग निखर कर आता। सुनते हैं।
गीत - "मनमौजी मतवाला"
सजीव - तीसरा गीत बिल्कुल पहले गीत की ही तरह है, और इसे श्रेया घोषाल ने राजा हसन के साथ मिल कर गाया है, "सरग़ोशियों के क्या सिलसिले हैं"। अच्छा सुजॊय, बता सकते हो ये राजा हसन कौन है?
सुजॊय - हाँ, अगर मैं ग़लत नहीं तो वही राजा हसन जिन्होने ज़ी सा रे गा मा पा में एक जाने माने प्रतिभागी थे और उसके बाद भी कई रीयल्टी शोज़ में नज़र आए थे।
सजीव - ठीक पहचाना। इस गीत का रीदम भी वही अदनान रीदम है। समीर ने इस गीत में अच्छे बोल दिए हैं। शुरुआती बोल कुछ ऐसे हैं कि "अहसास ख़्वाहिशों का सांसों में मर ना जाए, सदियाँ गुज़र गई हैं लम्हा गुज़र ना जाए"। इस ग़ज़लनुमा गीत को सुनते हुए अच्छा लगता है।
सुजॊय - मैंने यह गीत सुना है और मेरा रवैय्या भी इस गीत के लिए सकारात्मक ही है। आइए सुनते हैं।
गीत - "सरग़ोशियों के क्या सिलसिले हैं"
सुजॊय - चौथे गीत में अदनान सामी की ही आवाज़ है और उनके साथ हैं सुनिधि चौहान। इस बार गीतकार समीर नहीं बल्कि अमजद इस्लाम अमजद हैं। "तारों भरी है ये रात सजन"।
सजीव - यह गीत भी अदनान सामी के एक पहले के गीत से इन्स्पायर्ड है।
सुजॊय - कौन सा?
सजीव - इस गीत को पहले सुनो और फिर तुम ही बताओ कि किस गीत से इसकी धुन मिलती जुलती लगती है। अदनान सामी का ऒर्केस्ट्रेशन ९० के दशक की तरह है। स्ट्रिंग्स और तमाम देशी और विदेशी साज़ों की ध्वनियों का प्रयोग सुनने को मिलता है, भले ही उन्हे सीन्थेसाइज़र पर बनाया गया हो। सुनिधि ने इस गीत को पतली और नर्म आवाज़ में गाया है। सुनिधि एक बेहद वर्सेटाइल गायिका हैं और किसी भी तरह का गीत बख़ूबी निभा लेती हैं। इस गीत में भी उसी प्रतिभा का परिचय उन्होने दिया है।
गीत - "तारों भरी है ये रात सजन"
सजीव - पता चला कुछ?
सुजॊय - हाँ, "तारों भरी है ये रात सजन" वाला हिस्सा सुन कर फ़िल्म 'सलाम-ए-इश्क़' का "दिल क्या करे" गीत के मुखड़े की याद आती है।
सजीव - बस, मैं यही सुनना चाहता था। 'सदियाँ' में कुल ८ गानें हैं, जिनमें से ५ गानें हम यहाँ पर सुन रहे हैं आज। आज का अंतिम गाना इस फ़िल्म का शीर्षक गीत है और इस गीत को सुनवाए बिना इस फ़िल्म के गीतों की चर्चा पूरी नहीं हो सकती। इसे गाया है रेखा भारद्वाज ने। "वक़्त ने जो बीज बोया"। धुन और बोल, दोनों के लिहाज़ से यह गीत इस फ़िल्म का सब से अच्छा गीत है। रेखा जी इन दिनों एक के बाद एक गीत गा रही हैं, और हर एक गीत को लोग हाथों हाथ ले रहे हैं।
सुजॊय - निस्संदेह इस गीत की वजह से इस ऐल्बम का स्तर काफ़ी उपर आ गया है। कुल मिलाकर 'सदियाँ' का संगीत सुरीला है और उम्मीद है जनता इसे स्वीकार करेगी। तो चलिए सुनते हैं यह अंतिम गीत।
गीत - "वक़्त ने जो बीज बोया"
"सदियाँ" के संगीत को आवाज़ रेटिंग **
यहाँ सब कुछ चिरपरिचित है. बड़े बड़े गायक गायिकाओं के नाम हैं गीत में दर्ज पर उस स्तर के नहीं हैं गीत सरंचना. शब्द भी समीर के कुछ नया नहीं देते. नदीम श्रवण और आनंद मिलिंद दौर की याद ताज़ा हो आती है. राज कन्वर संगीत में अपने टेस्ट के मामले में आज के दौर की ताल शायद नहीं भांप पाए हैं. फिल्म का संगीत "लेट डाउन" है.
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ३१- अदनान सामी का गाया वह कौन सा गीत है जिसका भाव फ़िल्म 'जाँबाज़' के "हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार ज़िंदगी में" गीत से मिलता जुलता है?
TST ट्रिविया # ३२ "फिर वह फ़िल्म आई जिसका मैं कहूँ कि गाना मैंने बहुत बार सुना, तब जाके लगा कि सही मयने में पिताजी एक गीतकार हैं और उन्होने एक अच्छी फ़िल्म लिखी है। और वह गाना था 'बिना बदरा के बिजुरिया कैसे चमकी'।" बताइए ये शब्द किसने कहे थे।
TST ट्रिविया # ३३ शान और श्रेया घोषाल ने साथ में सन् २००२ की एक फ़िल्म में एक युगलगीत गाया था "दिल है दीवाना"। बताइए फ़िल्म का नाम।
TST ट्रिविया में अब तक -
सीमा जी बहुत आगे बढ़ चुकी हैं, इस साल भी उनकी जीत अब तक तो सुनिचित ही लग रही है, बधाई
सजीव - सुजॊय, तुम्हे याद होगा, २००५ में एक फ़िल्म आई थी 'लकी', जिसमें सलमान ख़ान थे। याद है ना उस फ़िल्म का संगीत?
सुजॊय - बिल्कुल याद है, उसमें अदनान सामी का संगीत था और उसके गानें ख़ूब चले थे। लेकिन आज अचानक उस फ़िल्म का ज़िक्र क्यों?
सजीव - क्योंकि आज हम 'ताज़ा सुर ताल' में जिस फ़िल्म के गीतों की चर्चा करने जा रहे हैं, उस फ़िल्म का संगीत ही ना केवल अदनान सामी ने तैयार किया है, बल्कि गीतों के रीदम और धुनें भी काफ़ी हद तक 'लकी' के गीतों से मिलती जुलती है। आज 'ताज़ा सुर ताल' में ज़िक्र आने वाली फ़िल्म 'सदियाँ' के संगीत की।
सुजॊय - यह बात तो सही है कि अदनान सामी का रीदम उनके गीतों की पहचान है। जैसे हम गीत सुन कर बता सकते हैं कि गीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का है या कल्याणजी आनंदजी का या फिर राहुल देव बर्मन का, ठीक वैसे ही अदनान साहब का जो बेसिक रीदम है, वह झट से पहचाना जा सकता है। हम किस रीदम की तरफ़ इशारा कर रहे हैं, हमारे श्रोता इस फ़िल्म के गीतों को सुनते हुए ज़रूर महसूस कर लेंगे।
सजीव - इससे पहले कि गीतों का सिलसिला शुरु करें, मैं यह बता दूँ कि 'सदियाँ' राज कनवर की फ़िल्म है और उन्होने ही इसे निर्देशित भी किया है। फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएँ अदा की हैं लव सिन्हा, फ़रेना वज़ीर, रेखा, ऋषी कपूर, शबाना आज़मी और हेमा मालिनी ने।
सुजॊय - तो चलिए शुरु करते हैं इस फ़िल्म का पहला गीत। शान और श्रेया घोषाल की आवाज़ों में "जादू नशा अहसास क्या"। समीर की गीत रचना है और धुन वही, अदनान सामी स्टाइल वाली। और रीदम भी वही जाना पहचाना सा। गीत ठीक ठाक बना है, कोई ख़ास बात वैसे नज़र नहीं आती। सुनते हैं। गीत सुन कर बताइएगा कि क्या आपको "सुन ज़रा सोनिये सुन ज़रा" गीत की याद आई कि नहीं।
गीत - "जादू नशा अहसास क्या"
सजीव - दूसरा गाना है मिका की आवाज़ में, "मनमौजी मतवाला"। इस गीत में भी कोई नवीनता नहीं है। वही पंजाबी पॊप भंगड़ा वाली रीदम। गीत की शुरुआत "दिल बोले हड़िप्पा" गीत की तरह लगती है।
सुजॊय - इस गीत को सुन कर फ़िल्मी गीत कम और पंजाबी पॊप ऐल्बम ज़्यादा लगता है। बेहद साधारण गीत है, और इसे भी समीर साहब ने ही लिखा है। वैसे इस गीत को थोड़ा सा और जुनूनी और स्पिरिचुयल अंदाज़ में अगर बनाया जाता और कैलाश खेर शैली में गवाया जाता, तो शायद कुछ और ही रंग निखर कर आता। सुनते हैं।
गीत - "मनमौजी मतवाला"
सजीव - तीसरा गीत बिल्कुल पहले गीत की ही तरह है, और इसे श्रेया घोषाल ने राजा हसन के साथ मिल कर गाया है, "सरग़ोशियों के क्या सिलसिले हैं"। अच्छा सुजॊय, बता सकते हो ये राजा हसन कौन है?
सुजॊय - हाँ, अगर मैं ग़लत नहीं तो वही राजा हसन जिन्होने ज़ी सा रे गा मा पा में एक जाने माने प्रतिभागी थे और उसके बाद भी कई रीयल्टी शोज़ में नज़र आए थे।
सजीव - ठीक पहचाना। इस गीत का रीदम भी वही अदनान रीदम है। समीर ने इस गीत में अच्छे बोल दिए हैं। शुरुआती बोल कुछ ऐसे हैं कि "अहसास ख़्वाहिशों का सांसों में मर ना जाए, सदियाँ गुज़र गई हैं लम्हा गुज़र ना जाए"। इस ग़ज़लनुमा गीत को सुनते हुए अच्छा लगता है।
सुजॊय - मैंने यह गीत सुना है और मेरा रवैय्या भी इस गीत के लिए सकारात्मक ही है। आइए सुनते हैं।
गीत - "सरग़ोशियों के क्या सिलसिले हैं"
सुजॊय - चौथे गीत में अदनान सामी की ही आवाज़ है और उनके साथ हैं सुनिधि चौहान। इस बार गीतकार समीर नहीं बल्कि अमजद इस्लाम अमजद हैं। "तारों भरी है ये रात सजन"।
सजीव - यह गीत भी अदनान सामी के एक पहले के गीत से इन्स्पायर्ड है।
सुजॊय - कौन सा?
सजीव - इस गीत को पहले सुनो और फिर तुम ही बताओ कि किस गीत से इसकी धुन मिलती जुलती लगती है। अदनान सामी का ऒर्केस्ट्रेशन ९० के दशक की तरह है। स्ट्रिंग्स और तमाम देशी और विदेशी साज़ों की ध्वनियों का प्रयोग सुनने को मिलता है, भले ही उन्हे सीन्थेसाइज़र पर बनाया गया हो। सुनिधि ने इस गीत को पतली और नर्म आवाज़ में गाया है। सुनिधि एक बेहद वर्सेटाइल गायिका हैं और किसी भी तरह का गीत बख़ूबी निभा लेती हैं। इस गीत में भी उसी प्रतिभा का परिचय उन्होने दिया है।
गीत - "तारों भरी है ये रात सजन"
सजीव - पता चला कुछ?
सुजॊय - हाँ, "तारों भरी है ये रात सजन" वाला हिस्सा सुन कर फ़िल्म 'सलाम-ए-इश्क़' का "दिल क्या करे" गीत के मुखड़े की याद आती है।
सजीव - बस, मैं यही सुनना चाहता था। 'सदियाँ' में कुल ८ गानें हैं, जिनमें से ५ गानें हम यहाँ पर सुन रहे हैं आज। आज का अंतिम गाना इस फ़िल्म का शीर्षक गीत है और इस गीत को सुनवाए बिना इस फ़िल्म के गीतों की चर्चा पूरी नहीं हो सकती। इसे गाया है रेखा भारद्वाज ने। "वक़्त ने जो बीज बोया"। धुन और बोल, दोनों के लिहाज़ से यह गीत इस फ़िल्म का सब से अच्छा गीत है। रेखा जी इन दिनों एक के बाद एक गीत गा रही हैं, और हर एक गीत को लोग हाथों हाथ ले रहे हैं।
सुजॊय - निस्संदेह इस गीत की वजह से इस ऐल्बम का स्तर काफ़ी उपर आ गया है। कुल मिलाकर 'सदियाँ' का संगीत सुरीला है और उम्मीद है जनता इसे स्वीकार करेगी। तो चलिए सुनते हैं यह अंतिम गीत।
गीत - "वक़्त ने जो बीज बोया"
"सदियाँ" के संगीत को आवाज़ रेटिंग **
यहाँ सब कुछ चिरपरिचित है. बड़े बड़े गायक गायिकाओं के नाम हैं गीत में दर्ज पर उस स्तर के नहीं हैं गीत सरंचना. शब्द भी समीर के कुछ नया नहीं देते. नदीम श्रवण और आनंद मिलिंद दौर की याद ताज़ा हो आती है. राज कन्वर संगीत में अपने टेस्ट के मामले में आज के दौर की ताल शायद नहीं भांप पाए हैं. फिल्म का संगीत "लेट डाउन" है.
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # ३१- अदनान सामी का गाया वह कौन सा गीत है जिसका भाव फ़िल्म 'जाँबाज़' के "हर किसी को नहीं मिलता यहाँ प्यार ज़िंदगी में" गीत से मिलता जुलता है?
TST ट्रिविया # ३२ "फिर वह फ़िल्म आई जिसका मैं कहूँ कि गाना मैंने बहुत बार सुना, तब जाके लगा कि सही मयने में पिताजी एक गीतकार हैं और उन्होने एक अच्छी फ़िल्म लिखी है। और वह गाना था 'बिना बदरा के बिजुरिया कैसे चमकी'।" बताइए ये शब्द किसने कहे थे।
TST ट्रिविया # ३३ शान और श्रेया घोषाल ने साथ में सन् २००२ की एक फ़िल्म में एक युगलगीत गाया था "दिल है दीवाना"। बताइए फ़िल्म का नाम।
TST ट्रिविया में अब तक -
सीमा जी बहुत आगे बढ़ चुकी हैं, इस साल भी उनकी जीत अब तक तो सुनिचित ही लग रही है, बधाई
Comments
Ishq hota nahin, sabhi ke liye -2 Ye bana hai, ye bana -2 Kissi kissi ke liye Oh ishq
hota nahin sabhi ke liye
regards
Music: Kalyanji-Anandji
Lyrics: Anjaan
Singer (s): Mukesh, Male voice
Starring: Rajesh Khanna, Mumtaz, Anju Mahendru
regards