रश्मि प्रभा |
प्यार के रुहानी सफर की प्रसंशक यदि कोई महिला हो और वह भी कवि हृदयी, तो यह लगभग तयशुदा बात है कि अमृता की नज्मों में वह खुद को उतारने लगती है। अमृता-इमरोज के सम्बंधों में उसे हर तरह के आदर्श प्रेम संबंधों की छाया दिखती है। अमृता की हर अभिव्यक्ति उसे अपनी कहानी लगती है और इमरोज़ की पेंटिंगों से भी कोई न कोई आत्मिक सम्बंध जोड़ लेती है।
इसी तरह की एक अति सम्वेदनशील कवयित्री रश्मि प्रभा की आडियो-पुस्तक का विमोचन आज हम अपने श्रोताओं के हाथों करा रहे हैं। रश्मि प्रभा की कविताओं के इस संग्रह (कुछ उनके नाम) की ख़ास बात यही है कि इसकी हर कविता अमृता और इमरोज़ को समर्पित है। इनकी कविताओं में प्रेम का विहान है, सुबह है, दोपहर, शाम और रात है और इसके बाद शुरू होती प्रेम की अनंत यात्रा के संकेत हैं।
रश्मि की दृष्टि में अमृता के जीवन के किसी भी आयाम का हर सफहा इमरोज़ के नाम है। इमरोज़ अमृता का बिस्तर भी है, भोजन भी है, खुदा भी है, आदि भी है और अंत भी।
मेरा मानना है कि अमृता की कविताएँ प्रेम की जो दुनिया बनाती हैं, लगभग उसी दुनिया का विस्तार प्रस्तुत ऑडियो-बुक की नज़्मों में हमें मिलता है।
--शैलेश भारतवासी
कविता-प्रेमियो,
आज आप इसी ऑडियो-किताब का लोकार्पण अपने हाथों कीजिए। माउस को कैची समझकर नीचे दिख रहे एलबम का फीता काटिए॰॰॰
हमने अमृता-इमरोज़ को और अधिक समझने के लिए अमृता की कविताओं और इमरोज़ की पेंटिंगों को नज़दीक से महसूसने वालीं रंजना भाटिया और जेन्नी शबनम से संपर्क किया। रंजना भाटिया एक प्रसिद्ध ब्लॉगर हैं और 'अमृता प्रीतम की याद में' नाम से एक ब्लॉग चलाती हैं। जेन्नी शबनम इमरोज़ से अक्सर मिलती रहती हैं और इमरोज़-अमृता के रुहानी सफर की चश्मदीद भी हैं, शायद जेन्नी इमरोज़ की पेंटिंगों के संदेशों को बहुत अच्छे से समझती हैं। तो पढ़िए इन दोनों के विचार॰॰॰
जेन्नी शबनम |
बहुत तलाशी हूँ,
कोई और अमृता नहीं मिलती,
न कोई और इमरोज़ मिलता।
एक युग में,
एक ही अमृता-इमरोज़ होते,
कोई दूसरा नहीं होता।
प्यार, दोस्ती, नाते, रिश्ते,
सारे बंधनों से परे,
दो रूहानी हमसफ़र...
अमृता और इमरोज़।
-----जेन्नी शबनम
रंजना भाटिया |
वह ख़ुद में ही एक बहुत बड़ी लीजेंड हैं और बंटवारे के बाद आधी सदी की नुमाइन्दा शायरा और इमरोज़ जो पहले इन्द्रजीत के नाम से जाने जाते थे, उनका और अमृता का रिश्ता नज्म और इमेज का रिश्ता था। अमृता की नज़में पेंटिंग्स की तरह खुशनुमा हैं, फिर चाहे वह दर्द में लिखी हों या खुशी और प्रेम में वह और इमरोज़ की पेंटिंग्स मिल ही जाती है एक दूजे से !!
मुझे उनकी लिखी इस पर एक कविता याद आई ..
तुम्हें ख़ुद से जब लिया लपेट
बदन हो गए ख्यालों की भेंट
लिपट गए थे अंग वह ऐसे
माला के वो फूल हों जैसे
रूह की वेदी पर थे अर्पित
तुम और मैं अग्नि को समर्पित
यूँ होंठो पर फिसले नाम
घटा एक फिर धर्मानुष्ठान
बन गए हम पवित्र स्रोत
था वह तेरा मेरा नाम
धर्म विधि तो आई बाद !!
अमृता जी ने समाज और दुनिया की परवाह किए बिना अपनी ज़िंदगी जी। उनमें इतनी शक्ति थी की वह अकेली अपनी राह चल सकें। उन्होंने अपनी धारदार लेखनी से अपन समय की सामजिक धाराओं को एक नई दिशा दी थी!!बहुत कुछ है उनके बारे में लिखने को ....पर जितना लिखा जाए उतना काम है ...
अभी उन्हीं की लिखी एक सुंदर कविता से अपनी बात को विराम देती हूँ ..
मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए
सितारों की मुट्ठियाँ भरकर
आसमान ने निछावर कर दीं
दिल के घाट पर मेला जुड़ा,
ज्यूँ रातें रेशम की परियाँ
पाँत बाँध कर आईं......
जब मैं तेरा गीत लिखने लगी
काग़ज़ के ऊपर उभर आयीं
केसर की लकीरें
सूरज ने आज मेहंदी घोली
हथेलियों पर रंग गयी,
हमारी दोनो की तकदीरें
--रंजना भाटिया
कवयित्री की ही आवाज़ में सुनिए सम्पूर्ण पुस्तक-
आवाज़ की इंजीनियर खुश्बू ने पूरी पुस्तक का चित्रों से भरा एक वीडियो बनाया है। आशा है यह भी आपको पसंद आयेगा।
Comments
hamaare hathon se vimochan.....!!!!!!!
:)
diwaaali mubaarak ho aap sabhi ko...
aap ko bahut bahut hardik shubh kamnaye is dipawali ke parb pe ....
aapki is drishy pusatak ki jitani bhi tareef ki jaye kam hai...bahut pyaari kavitaon ka khzaana hai aur upar se khoobsurat chitron se sajaya -sanwara hai....ek ek rachna muhabbat ki meethi dastaan hai....bahut bahut badhai
आपके ऑडियो-विडियो पुस्तक ''कुछ उनके नाम'' पढ़ी और सुनी, बेहद ख़ुशी हुई| अमृता जी की वह तस्वीर देखी, जो अंतिम बार मैं देखी थी, कितनी यादें आँखों में घुल गयी| इमरोज़ जी की आवाज़ में उनकी नज्में सुनी जो रूबरू उनसे सुन चुकी हूँ| आपकी सभी रचनाएँ जैसे प्रेम के सफ़र पर निकले दो रूहों की आवाज़ है जिन्हें मुकाम मिल गया|
आपने अपनी पुस्तक में मेरे सन्देश को समाहित कर मुझे न सिर्फ मान दिया बल्कि ऐसी आतंरिक ख़ुशी जिसे मैं शब्द नहीं दे सकुंगी, पर यकीनन आप समझ सकती हैं मेरी भाषा| आपको सादर बधाई और धन्यवाद| शुभकामनायें|
badhai
saader
rachana
thanx aapko kahun ya GOD ko
amrita imroz ke sath jee lee ,jb chahun ja ke apni bahon me bhar lungi dono ko .
janti hain aap bachpan se bahoooooot pyar karti hun main dono ko .
'raseedi ticket 'ke baad to maine unhen kahin jaane hi nahi diya.
unhe bhi nahi malum ki ve dono mujh me jeete hain aur jeete rahenge
thanx sooooo many times
thanx aapko kahun ya GOD ko
amrita imroz ke sath jee lee ,jb chahun ja ke apni bahon me bhar lungi dono ko .
janti hain aap bachpan se bahoooooot pyar karti hun main dono ko .
'raseedi ticket 'ke baad to maine unhen kahin jaane hi nahi diya.
unhe bhi nahi malum ki ve dono mujh me jeete hain aur jeete rahenge
thanx sooooo many times
मेरे कान धन्य हुये जो रसश्रवण किया
प्रभा तो रश्मि मे हमने तो यूँ ही तल लिया
बहुत बहुत बधाई!!!
बधाई स्वीकारें :)
- कुहू