Skip to main content

जो तुझे जगाये, नींदें तेरी उडाये, ख्वाब है सच्चा वही....सच्चे ख़्वाबों को पहचानिये...प्रसून की सलाह मानिये

ताजा सुर ताल TST (31)

दोस्तों, ताजा सुर ताल यानी TST पर आपके लिए है एक ख़ास मौका और एक नयी चुनौती भी. TST के हर एपिसोड में आपके लिए होंगें तीन नए गीत. और हर गीत के बाद हम आपको देंगें एक ट्रिविया यानी हर एपिसोड में होंगें ३ ट्रिविया, हर ट्रिविया के सही जवाब देने वाले हर पहले श्रोता की मिलेंगें २ अंक. ये प्रतियोगिता दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह तक चलेगी, यानी 5 अक्टूबर के एपिसोडों से लगभग अगले 20 एपिसोडों तक, जिसके समापन पर जिस श्रोता के होंगें सबसे अधिक अंक, वो चुनेगा आवाज़ की वार्षिक गीतमाला के 60 गीतों में से पहली 10 पायदानों पर बजने वाले गीत. इसके अलावा आवाज़ पर उस विजेता का एक ख़ास इंटरव्यू भी होगा जिसमें उनके संगीत और उनकी पसंद आदि पर विस्तार से चर्चा होगी. तो दोस्तों कमर कस लीजिये खेलने के लिए ये नया खेल- "कौन बनेगा TST ट्रिविया का सिकंदर"

TST ट्रिविया प्रतियोगिता में अब तक-

पिछले एपिसोड में सीमा जी ने बढ़त बनाये रखी है, ३ में से २ सही जवाब और कुल अंक उनके हुए १६. तनहा जी दूसरे स्थान पर हैं ६ अंकों के साथ. तनहा जी ने भी एक सवाल का सही जवाब दिया. दिशा जी जरा देरी से आई और भी कुछ प्रतिभागी सामने आये तो और मज़ा आये. चलिए अब बढ़ते हैं आज के अंक की तरह...शुभकामनाएँ.

सुजॉय - सजीव, 'ताज़ा सुर ताल' में आज किस फ़िल्म के गीत से हम शुरुआत करने जा रहे हैं?

सजीव - राजकुमार संतोषी की नई कॊमेडी फ़िल्म आ रही है 'अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी', आज हम इसी फ़िल्म का एक जोशीला ट्रैक सुनेंगे सब से पहले।

सुजॉय - सजीव, आप ने कहा कॊमेडी फ़िल्म, इससे मुझे याद आया राजकुमार संतोषी ने इससे पहले एक फ़िल्म बनाई थी 'अंदाज़ अपना अपना', जो अपनी कॊमेडी की वजह से बहुत ज़्यादा लोकप्रिय हुई थी। आमिर ख़ान और सलमान ख़ान की जोड़ी ने उस फ़िल्म में लोगों को ख़ूब हँसाया था।

सजीव - हाँ, और १९९४ के इस फ़िल्म में परेश रावल, महमूद, देवेन वर्मा, जगदीप, हरीश पटेल, टिकू तल्सानिया जैसे नामचीन हास्य कलाकारों ने भी ख़ूब गुदगुदाया था।

सुजॉय - और अब 'अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी' में नज़र आयेंगे रनबीर कपूर और कटरीना कैफ़। इस फ़िल्म में रणबीर का नाम 'प्रेम' है। आप जानते ही होंगे कि शुरु शुरु में हर फ़िल्म में सलमान ख़ान का नाम 'प्रेम' हुआ करता था, और 'अंदाज़ अपना अपना' में भी उनका नाम 'प्रेम भोपाली' था। तो इस तरह से राजकुमार संतोषी के अलावा 'अजब प्रेम की...' और 'अंदाज़ अपना अपना' में यह एक और कॉमन चीज़ है।

सजीव - जहाँ तक गीत संगीत का सवाल है, 'अंदाज़ अपना अपना' में तुषार भाटिया और विजु शाह का संगीत था, और वो संगीत कुछ कुछ पुराने ज़माने के ओ. पी. नय्यर के संगीत से मिलता जुलता था। जैसे कि "एलो एलो, एलो जी सनम हम आ गये आज फिर दिल लेने" तो बिल्कुल नय्यर साहब का कम्पोजीशन लगता है। आशा और एस. पी. बालसुब्रह्मण्यम का गाया "ये रात और ये दूरी" भी काफ़ी हिट हुआ था। और अब 'अजब प्रेम की...' का संगीत उससे बिल्कुल अलग है। और क्यों ना हो, इन दो फ़िल्मों के बीच १५ साल का फ़ासला भी तो है।

सुजॉय - जी बिल्कुल! प्रीतम आज के दौर के संगीतकार हैं। और जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि प्रीतम एक ऐसे संगीतकार रहे हैं जिनका संगीत बहुत ज़्यादा लोकप्रिय हो जाता है आज की पीढ़ी में, फिर चाहे भले फ़िल्म चले या ना चले। प्रीतम को समालोचकों के वार भी सहने पड़ते हैं लेकिन वह कहते हैं ना कि जो हिट है वही फ़िट है, इसलिए हर वार का मुक़ाबला करते हुए प्रीतम निरंतर हिट पे हिट दिए जा रहे हैं। फ़िल्म के गीतकार हैं इरशाद कामिल और आशिष पंडित ने।

सजीव - ठीक कहा तुमने सुजॉय। बप्पी लाहिरी के साथ भी यही हुआ था जब वो नए नए आए थे डिस्को लेकर। लेकिन आज देखिए, उनके वही पुराने गानें जिनकी उस ज़माने में काफ़ी समालोचना हुई थी, जब वे आज बजते हैं तो लोग उसकी तारीफ़ कर रहे हैं। ख़ैर, आज 'अजब प्रेम की...' का जो गीत हम बजा रहे हैं वह है के.के, सुनिधि चौहान और हार्ड कौर का गाया हुआ एक थिरकता नग़मा।

सुजॉय - यह गीत इस फ़िल्म के ऐल्बम का पहला गाना है, जिसके बोल हैं "मैं तेरा धड़कन तेरी ये दिन तेरा रातें तेरी अब बचा क्या"। बहुत ही उर्जा है इस गीत में। के.के इस तरह के जोशीले गानों को बहुत ही अच्छी तरह से निभाते हैं। सुनिधि की आवाज़ में भी वो दम है कि के.के की आवाज़ से टक्कर ले सके। और हार्ड कौर अपने रैप के साथ बीच बीच में आती रहती हैं। हिप-हॊप के साथ साथ एक टिपिकल बॊलीवुड पॊप नंबर की मिसाल है यह गीत। डी. जे सुकेतू ने इसी गीत का एक ज़बरदस्त रीमिक्स वर्ज़न भी बनाया है।

सजीव - यानी कि कुल मिलाकर कहने का मतलब यह है कि यह गीत जवाँ दिलों पर राज करने का पूरा माद्दा रखता है। तो चलिए सुनते हैं यह गीत।

अब बचा क्या (अजब प्रेम की गजब कहानी)
आवाज़ रेटिंग - ***1/2



TST ट्रिविया # 13-इस फिल्म "अजब प्रेम की गजब कहानी" में एक प्रमुख किरदार निभा रहे ऐक्टर ने उदिता गोस्वामी के साथ एक रीमिक्स गीत के विडियो में काम कर शुरुआत की थी, उस एक्टर का नाम और उस रीमिक्स गीत का नाम भी बताएं?

सुजॉय - रवानी भरा, जवानी भरा यह गीत हमने सुना। अब कौन सा गीत हम सुनेंगे सजीव?

सजीव - अब एक बहुत ही अलग तरह का गीत सुनवाएँगे हम फ़िल्म 'लंदन ड्रीम्स‍' से। इस फ़िल्म से "जश्न है जीत का", "खानाबदोश" और "मन को अति भावे स‍इयाँ" हम इस शृंखला में सुनवा चुके हैं। क्योंकि इस फ़िल्म के सभी गानें बहुत ही मेलडियस हैं और नए नए प्रयोग और फ़्युज़न सुनने को मिलते हैं, तो क्यों ना इस फ़िल्म की संगीत यात्रा को जारी रखें 'ताज़ा सुर ताल' में।

सुजॉय- बिल्कुल जारी रखेंगे। तो बताइए आज इस फ़िल्म का कौन सा गीत आप सुनवाएँगे और क्या ख़ास बात है इस गीत में।

सजीव - गीत है "जो तुझे जगाए, नींदे तेरी उड़ाए, ख़्वाब है सच्चा वही, नींदों में जो आए, जिसे तू भूल जाए, ख़्वाब वो सच्चा नहीं"।

सुजॉय - बहुत सही बात कही है गीतकार प्रसून जोशी ने। मुझे याद आ रहा है भूतपूर्व राष्ट्रपति डॊ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का कहा हुआ एक विचार कि "Dream is not something that you see while sleeping; dream is something that does not allow you to sleep". है ना वही भाव इस गीत का?

सजीव - वाह! बहुत ख़ूब! श्रोताओं को यह बता दें कि इस गीत को दो बहुत ही प्रतिभा सम्पन्न कलाकारों ने गाया है, एक हैं राहत फ़तेह अली ख़ान और दूसरे शंकर महादेवन। ये दोनों ही शास्त्रीय संगीत में पारंगत हैं और यह गीत का आधार शास्त्रीय होते हुए भी इसमें एक आज के संगीत का अंग है, जिसे हम सॉफ्ट रॉक भी कह सकते हैं।

सुजॉय - शंकर अहसान लॊय का हस्ताक्षर साफ़ सुनई देता है इस गीत में। तो सुनते हैं इस बेहद बेहतरीन, बेहद शानदार गीत को।

ख्वाब (लन्दन ड्रीम्स)
आवाज़ रेटिंग - ****1/2



TST ट्रिविया # 14- फिल्म लन्दन ड्रीम्स का वो कौन सा गीत है जो लन्दन के एक मशहूर सगीत हॉल (जहाँ परफोर्म करना हर संगीत प्रेमी का सपना होता है) में फिल्माया गया है?

सुजॉय - वाह! बहुत ही कर्णप्रिय गीत था। और अब आज का तीसरा और आ़ख़िरी नग़मा कौन सा है?

सजीव - सुजॉय, यह जो आज का तीसरा गीत है न, इस गीत के तीन अलग अलग वर्ज़न हैं और तीनों अलग अलग गायकं के गाए हुए हैं। यह है फ़िल्म 'तुम मिले' का शीर्षक गीत "तुम मिले तो जादू छा गया"।

सुजॉय - अच्छा? किन किन गायकों ने गाए हैं इस गीत को?

सजीव - नीरज श्रीधर, जावेद अली, और शफ़क़त अमानत अली ने गाए हैं अलग अलग अंदाज़ों में। नीरज और प्रीतम की जोड़ी ने कई हिट गानें हमें दिए हैं जैसे कि "हरे राम हरे राम", "आहुं आहुं", "चोर बाज़ारी" वगेरह। लेकिन 'तुम मिले' का यह गीत उन सभी गीतों से बिल्कुल अलग हट के है। बहुत ही नर्मोनाज़ुक अंदाज़ का गीत है।

सुजॉय - और बाक़ी के जो दो वर्ज़न हैं उनकी क्या ख़ूबी है?

सजीव - हालाँकि नीरज वाला गीत ही फिल्म का प्रमुख वर्ज़न है, लेकिन जावेद अली और शफ़क़त अमानत अली वाले संस्करण भी कमाल के हैं। जावेद अली के वर्ज़न का टाइटल रखा गया है 'लव रिप्राइज़ वर्ज़न' और अमानत साहब के वर्ज़न का टाइटल है 'रॉक वर्ज़न'। याद है ना इनकी आवाज़ में फ़िल्म 'कभी अलविदा ना कहना' का "मितवा" गीत?

सुजॉय - क्यों नहीं! बिल्कुल याद है। पाक़िस्तान के इस गायक की आवाज़ का असर एक लम्बे समय तक ज़हन में रहता है जिस तरह से 'मितवा' गीत को लोगों ने बहुत बहुत सुना, 'तुम मिले' का यह गीत भी जैसे जैसे हम सुनते जाते हैं, हमारे ज़हन में बसते चले जाते हैं। और इसकी धुन जैसे दिमाग़ पर हावी सी होती जाती है। चलिए सुनते हैं इस गीत को, इसे लिखा है सईद क़ादरी ने, जो भट्ट कैम्प के अब स्थायी गीतकार बन चुके हैं और संगीतकार का नाम तो हम बता ही चुके हैं, प्रीतम। फ़िल्म की तमाम अन्य जानकारियाँ हम फिर किसी दिन देंगे जब हम इस फ़िल्म का कोई दूसरा गाना सुनेंगे। आइए सुनते हैं।

तुम मिले (शीर्षक)
आवाज़ रेटिंग -***



TST ट्रिविया # 15- हाल ही में फिल्म "तुम मिले" का निर्माण कर रही कम्पनी विशेष फिल्म्स के लिए महेश भट्ट ने एक बयान में कहा है कि "फलां" गीतकार को कोई भी उस राशि का १० प्रतिशत नहीं देगा, जिस राशि पर जावेद अख्तर काम करते हैं...यहाँ महेश किस गीतकार के लिए ये कह रहे हैं ?

आवाज़ की टीम ने इन गीतों को दी है अपनी रेटिंग. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसे लगे? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीतों को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

शुभकामनाएँ....



अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

Comments

Shamikh Faraz said…
रेटिंग ५/३ सभी गीतों के लिए.
seema gupta said…
1) Upen Patel
"Kya Khoob Lagti Ho", with Udita Goswami.
regards
seema gupta said…
2) "Khanabadosh" filmed at Royal Albert Hall
regards

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट