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रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत (10)

पराग सांकला जी से हमारे सभी नियमित श्रोता परिचित हैं. इन्हें हम आवाज़ पर गीता दत्त विशेषज्ञ कहते हैं, सच कहें तो इनके माध्यम से गीता दत्त जी की गायिकी के ऐसे अनछुवे पहलूओं पर हम सब का ध्यान गया है जिसके बारे में शायाद हम कभी नहीं जान पाते. एक बार पहले भी पराग ने आपको गीता जी के गाये कुछ मधुर और दुर्लभ प्रेम गीत सुनवाए थे, इसी कड़ी को आज आगे बढाते हुए आज हम सुनते हैं गीता जी के गाये १४ और प्रेम गीत. ये हिंद युग्म परिवार की तरह से भाव भीनी श्रद्धाजंली है गायिका गीता दत्त को जिनकी कल ३७ वीं पुण्यतिथि है. पेश है पराग जी के नायाब संकलन में से कुछ अनमोल मोती इस रविवार सुबह की कॉफी में

गीता रॉय (दत्त) ने एक से बढ़कर एक खूबसूरत प्रेमगीत गाये हैं मगर जिनके बारे में या तो कम लोगों को जानकारी हैं या संगीत प्रेमियों को इस बात का शायद अहसास नहीं है. इसीलिए आज हम गीता के गाये हुए कुछ मधुर मीठे प्रणय गीतों की खोज करेंगे.

सन १९४८ में पंजाब के जाने माने संगीतकार हंसराज बहल के लिए फिल्म "चुनरिया" के लिए गीता ने गाया था "ओह मोटोरवाले बाबू मिलने आजा रे, तेरी मोटर रहे सलामत बाबू मिलने आजा रे". एक गाँव की अल्हड गोरी की भावनाओं को सरलता और मधुरता से इस गाने में गीता ने अपनी आवाज़ से सजीव बना दिया है.



सन १९५० में फिल्म "हमारी बेटी" के लिए जवान संगीतकार स्नेहल भाटकर (जिनका असली नाम था वासुदेव भाटकर) ने मुकेश और गीता रॉय से गवाया एक मीठा सा युगल गीत "किसने छेड़े तार मेरी दिल की सितार के किसने छेड़े तार". भावों की नाजुकता और प्रेम की परिभाषा का एक सुन्दर उदाहरण हैं यह युगल गीत जिसे लिखा था रणधीर ने.



बावरे नैन फिल्म में संगीतकार रोशन को सबसे पहला सुप्रसिद्ध गीत (ख़यालों में किसी के) देने के बाद अगले साल गीता रॉय ने रोशन के लिए फिल्म बेदर्दी के लिए गाया "दो प्यार की बातें हो जाए, एक तुम कह दो, एक हम कह दे". बूटाराम शर्मा के लिखे इस सीधे से गीत में अपनी आवाज़ की जादू से एक अनोखी अदा बिखेरी हैं गीता रोय ने.



जिस साल फिल्म "दो भाई" प्रर्दशित हुई उसी साल फिल्मिस्तान की और एक फिल्म आयी थी जिसका नाम था शहनाई. दिग्गज संगीतकार सी रामचन्द्र ने एक फडकता हुआ प्रेमगीत बनाया था "चढ़ती जवानी में झूलो झूलो मेरी रानी, तुम प्रेम का हिंडोला". इसे गाया था खुद सी रामचंद्र, गीता रॉय और बीनापानी मुख़र्जी ने. कहाँ "दो भाई" के दर्द भरे गीत और कहाँ यह प्रेम के हिंडोले!



गीतकार राजेंदर किशन की कलम का जादू हैं इस प्रेमगीत में जिसे संगीतबद्ध किया हैं सचिन देव बर्मन ने. "एक हम और दूसरे तुम, तीसरा कोई नहीं, यूं कहो हम एक हैं और दूसरा कोई नहीं". इसे गाया हैं किशोर कुमार और गीता रॉय ने फिल्म "प्यार" के लिए जो सन १९५० में आई थी. गीत फिल्माया गया था राज कपूर और नर्गिस पर.



"हम तुमसे पूंछते हैं सच सच हमें बताना, क्या तुम को आ गया हैं दिल लेके मुस्कुराना?" वाह वाह क्या सवाल किया हैं. यह बोल हैं अंजुम जयपुरी के लिए जिन्हें संगीतबद्ध किया था चित्रगुप्त ने फिल्म हमारी शान के लिए जो १९५१ में प्रर्दशित हुई थी. बहुत कम संगीत प्रेमी जानते हैं की गीता दत्त ने सबसे ज्यादा गीत संगीतकार चित्रगुप्त के लिए गाये हैं. यह गीत गाया हैं मोहम्मद रफी और गीता ने. रफी और गीता दत्त के गानों में भी सबसे ज्यादा गाने चित्रगुप्त ने संगीतबद्ध किये हैं.



पाश्चात्य धुन पर थिरकता हुआ एक स्वप्नील प्रेमगीत हैं फिल्म ज़माना (१९५७) से जिसके संगीत निर्देशक हैं सलील चौधरी और बोल हैं "दिल यह चाहे चाँद सितारों को छूले ..दिन बहार के हैं.." उसी साल प्रसिद्द फिल्म बंदी का मीठा सा गीत हैं "गोरा बदन मोरा उमरिया बाली मैं तो गेंद की डाली मोपे तिरछी नजरिया ना डालो मोरे बालमा". हेमंतकुमार का संगीतबद्ध यह गीत सुनने के बाद दिल में छा जाता है.



संगीतकार ओमकार प्रसाद नय्यर (जो की ओ पी नय्यर के नाम से ज्यादा परिचित है) ने कई फिल्मों को फड़कता हुआ संगीत दिया. अभिनेत्री श्यामा की एक फिल्म आई थी श्रीमती ४२० (१९५६) में, जिसके लिए ओ पी ने एक प्रेमगीत गवाया था मोहम्मद रफी और गीता दत्त से. गीत के बोल है "यहाँ हम वहां तुम, मेरा दिल हुआ हैं गुम", जिसे लिखा था जान निसार अख्तर ने.



आज के युवा संगीत प्रेमी शायद शंकरदास गुप्ता के नाम से अनजान है. फिल्म आहुती (१९५०) के लिए गीता दत्त ने शंकरदास गुप्ता एक युगल गीत गाया था "लहरों से खेले चन्दा, चन्दा से खेले तारे". उसी फिल्म के लिए और एक गीत इन दोनों ने गाया था "दिल के बस में हैं जहां ले जाएगा हम जायेंगे..वक़्त से कह दो के ठहरे बन स्वर के आयेंगे". एक अलग अंदाज़ में यह गीत स्वरबद्ध किया हैं, जैसे की दो प्रेमी बात-चीत कर रहे हैं. गीता अपनी मदभरी आवाज़ में कहती हैं -"चाँद बन कर आयेंगे और चांदनी फैलायेंगे".



अगर प्रेमगीत में हास्य रस को शामिल किया जाया तो क्या सुनने मिलेगा? मेरा जवाब हैं "दिल-ऐ-बेकरार कहे बार बार,हमसे थोडा थोडा प्यार भी ज़रूर करो जी". इस को गाया हैं गीता दत्त और गुलाम मुस्तफा दुर्रानी ने फिल्म बगदाद के लिए और संगीतबद्ध किया हैं बुलो सी रानी ने. जिस बुलो सी रानी ने सिर्फ दो साल पहले जोगन में एक से एक बेहतर भजन गीता दत्त से गवाए थे उन्हों ने इस फिल्म में उसी गीता से लाजवाब हलके फुलके गीत भी गवाएं. और जिस राजा मेहंदी अली खान साहब ने फिल्म दो भाई के लिखा था "मेरा सुन्दर सपना बीत गया" , देखिये कितनी मजेदार बाते लिखी हैं इस गाने में:

दुर्रानी : मैं बाज़ आया मोहब्बत से, उठा लो पान दान अपना
गीता दत्त : तुम्हारी मेरी उल्फत का हैं दुश्मन खानदान अपना
दुर्रानी : तो ऐसे खानदान की नाक में अमचूर करो जी



सचिन देव बर्मन ने जिस साल गीता रॉय को फिल्म दो भाई के दर्द भरे गीतों से लोकप्रियता की चोटी पर पहुंचाया उसी साल उन्ही की संगीत बद्ध की हुई फिल्म आई थी "दिल की रानी". जवान राज कपूर और मधुबाला ने इस फिल्म में अभिनय किया था. उसी फिल्म का यह मीठा सा प्रेमगीत हैं "आहा मोरे मोहन ने मुझको बुलाया हो". इसी फिल्म में और एक प्यार भरा गीत था "आयेंगे आयेंगे आयेंगे रे मेरे मन के बसैय्या आयेंगे रे".



और अब आज की आखरी पेशकश है संगीतकार बुलो सी रानी का फिल्म दरोगाजी (१९४९) के लिया संगीतबद्ध किया हुआ प्रेमगीत "अपने साजन के मन में समाई रे". बुलो सी रानी ने इस फिल्म के पूरे के पूरे यानी १२ गाने सिर्फ गीता रॉय से ही गवाए हैं. अभिनेत्री नर्गिस पर फिल्माया गया यह मधुर गीत के बोल हैं मनोहर लाल खन्ना (संगीतकार उषा खन्ना के पिताजी) के. गीता की आवाज़ में लचक और नशा का एक अजीब मिश्रण है जो इस गीत को और भी मीठा कर देता हैं.



जो अदा उनके दर्दभरे गीतों में, भजनों में और नृत्य गीतों में हैं वही अदा, वही खासियत, वही अंदाज़ उनके गाये हुए प्रेम गीतों में है. उम्मीद हैं की आप सभी संगीत प्रेमियों को इन गीतों से वही आनंद और उल्हास मिला हैं जितना हमें मिला.

प्रस्तुति - पराग सांकला


"रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत" एक शृंखला है कुछ बेहद दुर्लभ गीतों के संकलन की. कुछ ऐसे गीत जो अमूमन कहीं सुनने को नहीं मिलते, या फिर ऐसे गीत जिन्हें पर्याप्त प्रचार नहीं मिल पाया और अच्छे होने के बावजूद एक बड़े श्रोता वर्ग तक वो नहीं पहुँच पाया. ये गीत नए भी हो सकते हैं और पुराने भी. आवाज़ के बहुत से ऐसे नियमित श्रोता हैं जो न सिर्फ संगीत प्रेमी हैं बल्कि उनके पास अपने पसंदीदा संगीत का एक विशाल खजाना भी उपलब्ध है. इस स्तम्भ के माध्यम से हम उनका परिचय आप सब से करवाते रहेंगें. और सुनवाते रहेंगें उनके संकलन के वो अनूठे गीत. यदि आपके पास भी हैं कुछ ऐसे अनमोल गीत और उन्हें आप अपने जैसे अन्य संगीत प्रेमियों के साथ बाँटना चाहते हैं, तो हमें लिखिए. यदि कोई ख़ास गीत ऐसा है जिसे आप ढूंढ रहे हैं तो उनकी फरमाईश भी यहाँ रख सकते हैं. हो सकता है किसी रसिक के पास वो गीत हो जिसे आप खोज रहे हों.

Comments

'अदा' said…
Parag Ji,
haam aapka kitan dhnywaad karen in anmol geeton ko sunane ke liye,,,
hriday se aabhari hai..
aapne sunwa diya varna ye amnol ratn kahan mil paate main sabo download kar rahi hun..
dhanyawaad..
Shamikh Faraz said…
मैं एक दुर्लभ गीत की याद दिलाना चाहूँगा जो मुझे बहुत पसंद है.

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं
प्यार ही सब कुछ नहीं ज़िन्दगी के लिए.

इसी गीत के साथ मुझे याद आ रहा है फैज़ अहमद फैज़ साहब का एक शेअर

"और भी गम है ज़माने में मुहब्बत के सिवा
चाहतें और भी है वस्ल की चाहत के सिवा"
Manju Gupta said…
मधुर गीत भरी सुबह . के लिए धन्यवाद .मजा आ गया
'अदा' said…
Faraz sahab,
jis geet ka zikr aapne kiya hai us geet ko main ultimate geet manti hun be-hadd khubsoorat geet hai..
film : Saraswati Chandra
awaaz: lata
Disha said…
सच में दुर्लभ और मधुर गीत
बहुत बहुत धनयवाद
मुझे तो नहीं लगता है कि ’छॊड दे सारी दुनिया किसी के लिए.. दुर्लभ गीत है यह तो बहुत सुलभ गीत है " ।

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