ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 145
१९५६ का साल संगीतकार शंकर जयकिशन के लिए एक बहुत कामयाब साल रहा। इस साल उनके संगीत से सजी फ़िल्में आयी थीं - बसंत बहार, चोरी चोरी, हलाकू, क़िस्मत का खेल, न्यु डेल्ही, पटरानी, और राजहठ। 'क़िस्मत का खेल' को छोड़कर बाक़ी सभी फ़िल्में हिट रहीं। दक्षिण का मशहूर बैनर ए.वी.एम की फ़िल्म थी 'चोरी चोरी' जो अंग्रेज़ी फ़िल्म 'रोमन हौलिडे' पर आधारित थी। अनंत ठाकुर ने फ़िल्म का निर्देशन किया और यह फ़िल्म राज कपूर और नरगिस की जोड़ी की आख़िरी फ़िल्म थी। फ़िल्म की एक और ख़ास बात कि इस फ़िल्म ने संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन को दिलवाया उनके जीवन का पहला फ़िल्म-फ़ेयर पुरस्कार। शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी साहब के गानें थे और मुकेश के बदले मन्ना डे से राज कपूर का पार्श्वगायन करवाया गया, जिसके बारे में मन्ना दा के उद्गार हम पहले ही आप तक पहुँचा चुके हैं 'राज कपूर विशेष' के अंतर्गत। आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में सुनिये 'चोरी चोरी' फ़िल्म से लता मंगेशकर और मन्ना डे का गाया एक बड़ा ही सदाबहार रोमांटिक युगल गीत। चांदनी रात में दो प्यार करनेवाले किस तरह से वीराने को बहार में परिवर्तित कर सकते हैं, उसी का बखान किया है हसरत साहब ने अपनी इस सुमधुर रचना में। "आजा सनम मधुर चांदनी में हम तुम मिले तो वीराने में भी आज आयेगी बहार, झूमने लगेगा आसमान"। ५ दशक से भी उपर हो गया है इस गीत को बने हुए, लेकिन क्या इस गीत को कोई भुला पाया है आज तक? कभी नहीं। यह गीत आज भी उतना ही तरोताज़ा है, इसकी महक आज भी उसी तरह से बिखर रही है दुनिया की फिजाओं में। लता जी और मन्ना दा के गाये लोकप्रिय युगल गीतों की अगर सूची बनायी जाये तो इस गीत का क्रमांक यक़ीनन शीर्ष की तरफ़ ही रहेगा।
फ़िल्म 'चोरी चोरी' में लता-मन्ना के गाये कुल तीन युगल गीत थे और ये तीनों गीत बहुत कामयाब रहे। प्रस्तुत गीत के अलावा "जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो" और "ये रात भीगी भीगी" को भी अपार शोहरत हासिल हुई। इन गीतों में समानता यह है कि इन तीनों के मुखड़े बहुत ज़्यादा लम्बे हैं, जो उस समय के प्रचलित धारा से हट के था। प्रस्तुत प्रेम गीत को सुनने से पहले जान लेते हैं शंकर जी के चंद शब्द जिनमें वो बता रहे हैं कि ऐसे अच्छे प्रेम गीत को बनाने के लिए संगीत के साथ प्रेम होना कितना ज़रूरी होता है - "आप को शायद मालूम होगा या किसी पेपर में पढ़ा होगा कि मुझे कसरत का भी बड़ा शौक था। और उस वक़्त मैं कसरत भी करता था, कुश्ती भी लड़ता था। यह मेरे ख़याल से आप को ख़ुशी होगी जानकर कि संगीतकार पहलवान भी था। लेकिन उस कुश्ती के साथ साथ मैने छोटेपन से संगीत में भी बड़ी मेहनत की है, उसमें भी कुश्ती की है मैने। लेकिन संगीत की कुश्ती आम कुश्ती की तरह नहीं होती। यह तो प्यार और मोहब्बत से होती है। और संगीत जो है ये हाथ और ताक़त से नहीं चलती है। संगीत आप जितने प्यार से बना सकते हैं, जितना प्यार आप दे सकते हैं, उतना ही संगीत में आनंद और मज़ा आता है।" सच में दोस्तो, शंकर जयकिशन ने अपने संगीत से जिस तरह का प्यार किया है, यही कारण है कि उनका संगीत सदा हिट रहा, आज भी हिट है, और आगे आने वाली कई पीढ़ियों तक हिट रहेगा। इस जोड़ी की संगीत साधना को सलाम करते हुए सुनते हैं "आजा सनम मधुर चांदनी में हम"।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा पहला "गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
1. कल गुलज़ार साहब पहली बार आयेंगें ओल्ड इस गोल्ड की महफिल में, यानी ये गीत है उनका लिखा हुआ.
2. इस फिल्म का और मशहूर गीत मन्ना डे की आवाज़ में है पर इस गीत को उस गायक ने गाया है जिसने ओल्ड इस गोल्ड की १४२ वीं महफिल आबाद की थी.
3. मुखड़े में शब्द है -"धूप".
पिछली पहेली का परिणाम -
दिशा जी समय पर तो आई पर जवाब सही देने में फिर चूक गयी. स्वप्न जी ३२ अंकों की बधाई और साथ में इस बात की भी कि शैल साहब घर वापस आ गए हैं. हाँ आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शरद जी के पसंदीदा गीत अभी शुरू नहीं हुए हैं, आपके उनके चुने हुए गीत सुन सकेंगें एपिसोड १७६ से १८० तक तो थोडा सा इंतज़ार और....दिलीप जी हमेशा सही बात उठाते हैं, आप जब प्रस्तुत गीत पर टिपण्णी करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है.
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
१९५६ का साल संगीतकार शंकर जयकिशन के लिए एक बहुत कामयाब साल रहा। इस साल उनके संगीत से सजी फ़िल्में आयी थीं - बसंत बहार, चोरी चोरी, हलाकू, क़िस्मत का खेल, न्यु डेल्ही, पटरानी, और राजहठ। 'क़िस्मत का खेल' को छोड़कर बाक़ी सभी फ़िल्में हिट रहीं। दक्षिण का मशहूर बैनर ए.वी.एम की फ़िल्म थी 'चोरी चोरी' जो अंग्रेज़ी फ़िल्म 'रोमन हौलिडे' पर आधारित थी। अनंत ठाकुर ने फ़िल्म का निर्देशन किया और यह फ़िल्म राज कपूर और नरगिस की जोड़ी की आख़िरी फ़िल्म थी। फ़िल्म की एक और ख़ास बात कि इस फ़िल्म ने संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन को दिलवाया उनके जीवन का पहला फ़िल्म-फ़ेयर पुरस्कार। शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी साहब के गानें थे और मुकेश के बदले मन्ना डे से राज कपूर का पार्श्वगायन करवाया गया, जिसके बारे में मन्ना दा के उद्गार हम पहले ही आप तक पहुँचा चुके हैं 'राज कपूर विशेष' के अंतर्गत। आज 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में सुनिये 'चोरी चोरी' फ़िल्म से लता मंगेशकर और मन्ना डे का गाया एक बड़ा ही सदाबहार रोमांटिक युगल गीत। चांदनी रात में दो प्यार करनेवाले किस तरह से वीराने को बहार में परिवर्तित कर सकते हैं, उसी का बखान किया है हसरत साहब ने अपनी इस सुमधुर रचना में। "आजा सनम मधुर चांदनी में हम तुम मिले तो वीराने में भी आज आयेगी बहार, झूमने लगेगा आसमान"। ५ दशक से भी उपर हो गया है इस गीत को बने हुए, लेकिन क्या इस गीत को कोई भुला पाया है आज तक? कभी नहीं। यह गीत आज भी उतना ही तरोताज़ा है, इसकी महक आज भी उसी तरह से बिखर रही है दुनिया की फिजाओं में। लता जी और मन्ना दा के गाये लोकप्रिय युगल गीतों की अगर सूची बनायी जाये तो इस गीत का क्रमांक यक़ीनन शीर्ष की तरफ़ ही रहेगा।
फ़िल्म 'चोरी चोरी' में लता-मन्ना के गाये कुल तीन युगल गीत थे और ये तीनों गीत बहुत कामयाब रहे। प्रस्तुत गीत के अलावा "जहाँ मैं जाती हूँ वहीं चले आते हो" और "ये रात भीगी भीगी" को भी अपार शोहरत हासिल हुई। इन गीतों में समानता यह है कि इन तीनों के मुखड़े बहुत ज़्यादा लम्बे हैं, जो उस समय के प्रचलित धारा से हट के था। प्रस्तुत प्रेम गीत को सुनने से पहले जान लेते हैं शंकर जी के चंद शब्द जिनमें वो बता रहे हैं कि ऐसे अच्छे प्रेम गीत को बनाने के लिए संगीत के साथ प्रेम होना कितना ज़रूरी होता है - "आप को शायद मालूम होगा या किसी पेपर में पढ़ा होगा कि मुझे कसरत का भी बड़ा शौक था। और उस वक़्त मैं कसरत भी करता था, कुश्ती भी लड़ता था। यह मेरे ख़याल से आप को ख़ुशी होगी जानकर कि संगीतकार पहलवान भी था। लेकिन उस कुश्ती के साथ साथ मैने छोटेपन से संगीत में भी बड़ी मेहनत की है, उसमें भी कुश्ती की है मैने। लेकिन संगीत की कुश्ती आम कुश्ती की तरह नहीं होती। यह तो प्यार और मोहब्बत से होती है। और संगीत जो है ये हाथ और ताक़त से नहीं चलती है। संगीत आप जितने प्यार से बना सकते हैं, जितना प्यार आप दे सकते हैं, उतना ही संगीत में आनंद और मज़ा आता है।" सच में दोस्तो, शंकर जयकिशन ने अपने संगीत से जिस तरह का प्यार किया है, यही कारण है कि उनका संगीत सदा हिट रहा, आज भी हिट है, और आगे आने वाली कई पीढ़ियों तक हिट रहेगा। इस जोड़ी की संगीत साधना को सलाम करते हुए सुनते हैं "आजा सनम मधुर चांदनी में हम"।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा पहला "गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
1. कल गुलज़ार साहब पहली बार आयेंगें ओल्ड इस गोल्ड की महफिल में, यानी ये गीत है उनका लिखा हुआ.
2. इस फिल्म का और मशहूर गीत मन्ना डे की आवाज़ में है पर इस गीत को उस गायक ने गाया है जिसने ओल्ड इस गोल्ड की १४२ वीं महफिल आबाद की थी.
3. मुखड़े में शब्द है -"धूप".
पिछली पहेली का परिणाम -
दिशा जी समय पर तो आई पर जवाब सही देने में फिर चूक गयी. स्वप्न जी ३२ अंकों की बधाई और साथ में इस बात की भी कि शैल साहब घर वापस आ गए हैं. हाँ आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शरद जी के पसंदीदा गीत अभी शुरू नहीं हुए हैं, आपके उनके चुने हुए गीत सुन सकेंगें एपिसोड १७६ से १८० तक तो थोडा सा इंतज़ार और....दिलीप जी हमेशा सही बात उठाते हैं, आप जब प्रस्तुत गीत पर टिपण्णी करते हैं तो बहुत अच्छा लगता है.
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
क्यॊं मुझे मजबूर कर रहे है मै कसमसा रहा हूँ सही जवाब देने के लिए ।
Aap sabhee se vinati hai:
Quote:
20th July is the death anniversary of Geeta ji. It will be 37 years since she has left us for heavens.
Hamara Forums and Geeta Dutt fans will be making this is special day with launching of the upgraded version of our website www.geetadutt.com.
The upgraded version of the website www.geetadutt.com will have the following new features:
1) A menu based navigation system at the top (just above the words "The legendary nightingale"
2) A top banner with links to all the sites owned by Hamara Forums
3) A jukebox with more than 250 songs for now (Famous and Rare, solos and duets)
4) A video player 50 videos from our YT channel (out of 320 so far due to technical limitations of Youtube)
5) A song search facility using the search engine of Earthmusic
6) A new section for "About the site"
The site will be launched on 19th July Sunday. We take the opportunity to thank the HF administrators and the entire HF community without whose support and help this would not have been possible.
Special HF Radio Program:
The Geeta Dutt fans team will be presenting a special Radio program on the death anniversary of Geeta ji and the launching of upgraded version of the website (www.geetadutt.com) dedicated to her. Every fan of good music is welcome to enjoy this special program. HF member, a great collector of rare songs and our friend Waheed bhai (tumtum_tajik) will be playing songs of Geeta ji in the special program for about 45 minutes. Then yours truly will take over and play for the remaining period of 1 hr 15 minutes. Based on the interest of the listeners and responses, we might continue it for some time more.
The timing of the special radio program on HF Radio is on 19th July 2009, Sunday 09:00 PM IST (Indian Standard Time).
India Sunday July 19, 2009 - 9.00 p.m. to 11 p.m.
Pakistan Sunday July 19, 2009 - 9.30 p.m. to 11.30 p.m.
UK (London) Sunday July 19, 2009 - 3.30 p.m. to 5.30 p.m.
USA (EST) Sunday July 19, 2009 - 10.30 a.m. to 12.30 p.m.
USA (PST) Sunday July 19, 2009 - 7.30 a.m. to 9.30 a.m.
Australia (CST) Monday July 20, 2009 - 1.00 a.m. to 3.00 a.m.
The program will be repeated again at the following times for the convenience of music lovers in the North America and Australia
India Monday July 20, 2009 - 7.30 a.m. to 9.30 a.m.
Pakistan Monday July 20, 2009 - 8.00 a.m. to 10.00 a.m.
UK (London) Sunday July 19, 2009 - 2.00 a.m. to 4.00 a.m.
USA (EST) Sunday July 19, 2009 - 9.00 p.m. to 11.00 p.m.
USA (PST) Sunday July 19, 2009 - 6.00 p.m. to 9.00 p.m.
Australia (CST) Monday July 20, 2009 - 11.30 a.m. to 1.30 p.m.
Please tune in to the HF radio for this special program. Visit www.hamaraforums.com and click on the Radio link.
Satellite Radio Program :
Worldspace Satellite Radio is doing a special program on Geeta ji on 20th July.
Details
It's on Radio Farishta, Channel 45
1) 8 AM to 9 AM with RJ Priyamvada and
2) 8 PM to 9 PM with RJ Mamta Bisht
Special article on Geeta ji in Hindi:
HindYugm is a website dedicated to promoting Hindi on internet. Their Awaaz channel will present an article on love songs of Geeta ji on this occasion on Sunday 19th of July as a part of their series "Ravivar subah kee coffee aur kuchh durlabh geet" (Some rare songs with coffee on Sunday morning).
parag ji bahut bahut badhai aapko, vaise agar ham hote bhi to shayad nahi pakad paate,
sharad ji aapki nayi photo mein aap alag lag rahe ho...
yahi geet ...
sawaal aasaan bhi...aur mushkil bhi...
aksar gulzaar ke zikr pe wahaan tak kam hi jaayaa jaataa hai...
:)
फोटो तो वही है उसी का क्लोज़अप है । अब आखिरी वक्त में क्या खाक मुसल्मां होंगे”।