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तेरे बिन कहाँ हमसे जिया जायेगा....शान और श्रेया की आवाजों का है ये जादू

ताजा सुर ताल (11)

जाने क्या जादू है प्रेम गीतों में कि हम कभी इनसे ऊबते नहीं. कठोर से कठोर आदमी के मन में कहीं एक छुपा हुआ प्रेम का दरिया रहता है, कभी तन्हाई में जब कभी वो इन गीतों को सुनता है वह दरिया उसके मन का बहने लगता है. यदि मैं आपसे पूछूँ कि आपके सबसे पसंदीदा १० गीत कौन से हैं तो यकीनन उनमें से कम से कम ६ गीत प्रेम गीत होंगें और उनमें भी युगल गीतों के क्या कहने, यदि किसी प्रेम गीत को गायक और गायिका ने पूरी शिद्दत से प्रेम में डूब कर गीत के भावों को समझ कर गाया हो तो वो गीत एकदम ही आपके दिल के तार झनका देता है. अभी कुछ दिन पहले इस शृंखला में हमने आपको फिल्म "शोर्टकट" का एक मधुर प्रेम गीत सुनवाया था. आज भी बारी है एक और प्रेम गीत की. बेहद सुरीले हैं शान और श्रेया घोषाल और जब दोनों की सुरीली आवाजें मिल जाए तो गीत यूं भी संवर जाता है.

आज का गीत है फिल्म "जश्न" से. रॉक ऑन की तरह ये फिल्म भी एक रॉक गायक के जीरो से हीरो बनने की दास्तान है. फिल्म संगीत प्रधान है तो जाहिर है संगीतकार के लिए एक अच्छी चुनौती भी है और एक बहतरीन मौका भी खुद को साबित करने का. शारिब और तोशी की जोड़ी ने संतुलित रॉक गीतों से सजाया है इस एल्बम को. फिल्म के अन्य सभी गीत रॉक आधारित है, पर एक यही गीत है एकलौता जिसमें मेलोडी है. जहाँ अधिकतर गीत पुरुष सोलो है, जो नायक के व्यावसायिक संघर्ष की जुबान है वहीं प्रस्तुत गीत एकदम अलग मन की कोमल भावनाओं का युगल बयां है. चूँकि फिल्म के अन्य गीत कहानी और थीम के हिसाब से अधिक महत्वपूर्ण हैं तो उनके बीच इस गीत का प्रचार ज़रा कम कर हो रहा है. "दर्द - ए- तन्हाई" और "आया रे" जैसे गीत इन दिनों खूब धूम मचा रहे हैं. पर आने वाले समय में ये सुरीला प्रेम गीत श्रोताओं को अवश्य भायेगा ऐसा हमारा अनुमान है. नीलेश मिश्रा के बोलों में कुछ ख़ास नयापन नहीं है. संगीत भी सामान्य ही है, हाँ धुन ज़रूर कर्णप्रिय है, पर ये शान और श्रेया जैसे गायकारों का दम ख़म है जो इस गीत को इतना तारो ताजा बना देता है. गीत एक बार में ही आपके जेहन में घर कर लेता है और धीरे धीरे होंठों पर चढ़ भी जाता है. तो आज ताजा सुर ताल के इस अंक में सुनते हैं हम और आप यही गीत -

तेरे बिन कहाँ हमसे जिया जायेगा,
जिद छोड़ दी लो आज कह दिया...

जिंदगी भाग कर हमसे आगे चली,
थाम लो न हमें चाँद तारों तले...
तोड़ डाली तन्हाई है,
अब मोहब्बत रुत आई है....

तेरे बिन....

जाने कितने बरस धूप में मैं चला,
तुम मिले जिस घडी जैसे बादल मिला...
बरसो न टूट कर ज़रा,
भीग जाए मन ये बावरा....

तेरे बिन....



आवाज़ की टीम ने दिए इस गीत को 3.5 की रेटिंग 5 में से. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसा लगा? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीत को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

क्या आप जानते हैं ?
आप नए संगीत को कितना समझते हैं चलिए इसे ज़रा यूं परखते हैं. फिल्म "जश्न" से एक नए स्टार पुत्र का फिल्म जगत में पदार्पण हो रहा है. क्या आप जानते हैं उस नए कलाकार का नाम ? और हाँ जवाब के साथ साथ प्रस्तुत गीत को अपनी रेटिंग भी अवश्य दीजियेगा.

पिछले सवाल का सही जवाब था गीत "हम जो चलने लगे...." फिल्म जब वी मेट का. पर अफ़सोस किसी ने भी सही जवाब नहीं दिया. हाँ इस बार शमिख जी ने रेटिंग जरूर दी. शुक्रिया जनाब. मनु जी क्या रेटिंग है आपकी ? ये सस्पेंस क्यों. मंजू और दिशा जी आपने गीत का आनंद लिया हमें अच्छा लगा. रेटिंग भी देते तो और मज़ा आता.


अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

Comments

Disha said…
यह इनकी मेन लीड फिल्म है लेकिन इससे पहले इन्होने "राज द मिस्ट्री" फिल्म में भी रोल किया है.
अध्ययन सुमन पुत्र शेखर सुमन
मुझे बस गीत सुनना होता है और इस से अच्छा गीत आज शायद ही सुनने को मिले आभार्
जवाब तो "अध्ययन सुमन" हीं है।

लेकिन इन्होंने इससे पहले "राज़ -द मिस्ट्री कन्टिन्युज" और उससे भी पहले "हाल-ए-दिल" में काम किया था। इसलिए यह नहीं कह सकते कि यह इनकी डेब्यु फिल्म है।

हाँ,गीत सुनकर अच्छा लगा।

-विश्व दीपक
Manju Gupta said…
जवाब है - अध्ययन सुमन
आज कल दूरदर्शन पर काफी चर्चित हो रहे है
एक और बात-
इस गाने में संगीत दिया है, संदेश शांडिल्य ने, जिन्होंने बहुत दिनों बाद वापसी की है।

दर्द-ए-तन्हाई के लिए तीनों काम "नौमान जावेद" ने किए हैं, मतलब संगीत देना, लिखना और गाना। शरीब-तोशी के बस दो हीं गाने हैं: - "आया रे" और "ऐश कर ले"।

-विश्व दीपक
Manish Kumar said…
बोल भले कुछ खास ना हों पर गीत में एक soothing touch तो अवश्य है।
manu said…
सबने कहा है तो यही जवाब होगा..
हम ने अभी रेटिंग देने की कोशिश की है..
आप बताये के हुयी या नहीं,,
एक भूल सुधारना चाहूँगा।
शरीब-तोशी का एक और गाना है फिल्म में - "नज़र-ए-करम" जिसे लिखा है "देसी गर्ल" फ़ेम "कुमार" ने।
Shamikh Faraz said…
5 में से 3.

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