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‘रंगरेज’ की कूची में अपेक्षित रंगों का अभाव मगर सुर सटीक

प्लेबैक वाणी -37 - संगीत समीक्षा - रंगरेज


निर्माता वाशु भगनानी अपने बेटे जैकी को फिल्म जगत में स्थापित करने में कोई कसर छोडना नहीं चाहते. तभी तो उन्होंने भी रिमेक के इस दौर में एक और हिट तमिल फिल्म नाडोडीगल का हिंदी संस्करण बनाने की ठानी और निर्देशन का भार सौंपा रिमेक एक्सपर्ट प्रियदर्शन के कंधों पर. फिल्म तेलुगु, मलयालम और कन्नडा संस्करण पहले ही बन चुके हैं. जैकी अभिनीत इस फिल्म को शीर्षक दिया गया है रंगरेज. 

इस फिल्म की एक और खासियत ये है कि इस फिल्म के लिए निर्देशक प्रियदर्शन और छायाकार संतोष सिवन १५ साल के अंतराल के बाद फिर एक साथ टीमबद्ध हुए हैं. फिल्म का अधिकतर हिस्सा एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में मशहूर मुंबई के धारावी इलाके में शूट हुआ है, इसी कारण फिल्म की टीम ने इसका संगीत भी जनता के समक्ष रखा इसी धारावी के दिल से. फिल्म में संगीत है साजिद वाजिद का जिन्हें साथ मिला है दक्षिण के संगीतकार सुन्दर सी बाबू का, जिन्होंने मूल तमिल संस्करण में भी संगीत दिया था. आईये देखें इस रंगरेज की कूची में कितने रंगों के गीत हैं श्रोताओं के लिए.

पहला गीत है राहत फ़तेह अली खान और हिराली के स्वरों में दिल को आया सुकूँ. गीत का कलेवर दबंग के तेरे मस्त मस्त दो नैन जैसा ही है. समीर के शब्द सुरीले हैं. साजिद वाजिद की धुन भी मधुर है, विशेषकर पहले अंतरे के बाद इश्क इश्क अल्लाह अल्लाह वाला हिस्सा खासा दिल को छूता है. कुछ नया न देकर भी गीत सुनने लायक अवश्य है. हिराली ने राहत का बढ़िया साथ निभाया है.

अगला गीत गोविंदा आला रे अपने नाम के अनुरूप ही दही हांडी का गीत है. पारंपरिक धुन है और शब्द भी अनुरूप ही हैं. दरअसल इन परिस्थियों पे पहले ही इतने गीत बन चुके हैं कि कुछ नए की उम्मीद भी नहीं की जा सकती. अभी हाल ही में ओह माई गोड  के गो गो गोविंदा के बाद अगर इस गीत को कुछ अंतराल के बाद लाया जाता तो बेहतर रहता, खैर फ़िल्मी परिस्तिथियों में इन सब बातों पर कोई नियंत्रण नहीं रखा जा सकता. बहरहाल गीत मस्ती भरा है. प्रमुख आवाज़ वाजिद की है जिनकी आवाज़ में गजब की उर्जा है.

मूल तमिल संस्करण से रूपांतरित है अगला गीत शम्भो शिव शम्भो जिसमें आवाज़ की ताकत भरी है सुखविंदर है. सिचुएशन जनित इस गीत में सटीक शब्द जड़े हैं समीर ने, गीत मध्य भाग में सरगम बेहद प्रभावी लगती है. इसी गीत का मूल संस्करण है शंकर महादेवन की आवाज़ में, सुखविंदर के प्रति समस्त सम्मान के साथ कहना चाहूँगा कि मुझे व्यक्तिगत रूप से शंकर का संस्करण अधिक पसंद आया. ये रचना सुन्दर सी बाबू की है. बम बम भोले  का स्वरनाद है ये जोशीला गीत

सलीम सुलेमान के सलीम मर्चेंट इन दिनों एक गायक के रूप में भी चर्चा पा रहे हैं विशेषकर ऐसे गीत जो जोश भरने वाले हों मगर लो टोन में हों उनके लिए अन्य संगीतकार भी अब उन्हें तलब करने लगे हैं. यारों ऐसा है एक ऐसा ही गीत है. गीत अच्छा है पर दोस्ती के थीम पर बने अन्य गीतों जितना दिल में गहरे उतरने वाला नहीं है हालाँकि संगीत संयोजन में जमकर मेहनत की गयी है.

फिल्म के संगीत को कुछ और मसालेदार बनाने के लिए जैकी और उनकी टीम द्वारा पी एस वाई के जबरदस्त हिट गीत गंगम स्टाईल को भी अधिकारिक रूप से एल्बम का हिस्सा बनाया जा रहा है. यानी अब दर्शकों को पिछले साल के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय हिट गीत पर थिरकने के लिए भारतीय स्टाइल के स्टेप्स भी मिल जायेंगें.

खैर एल्बम बुरी नहीं है, और कुछ बहुत नया न देकर भी श्रोताओं को ठीक ठाक मनोरंजन देने में सक्षम है. रेडियो पी आई दे रहा है इस एल्बम को ३.९ की रेटिंग.       

यदि आप इस समीक्षा को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:

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