(27 अक्टूबर, 2012)
यश चोपड़ा अपनी फ़िल्मों (ख़ास कर अपनी निर्देशित फ़िल्मों) में रोमांस को उस मकाम तक लेकर गये कि हर पीढ़ी के लोगों को उनकी फ़िल्मों से, उनकी फ़िल्मों की नायक-नायिकाओं से प्यार हो गया। हर फ़िल्म में प्यार की एक नई परिभाषा उन्होंने बयाँ की। उनकी फ़िल्मों की सफलता का राज़ है कि लोग उनके किरदारों में अपनी झलक पाते हैं या अपने आप को उन किरदारों जैसा बनने का सपना देखते हैं। जनता की नव्ज़ को बख़ूबी पकड़ती रही है यश जी की फ़िल्में। आज यश जी हमारे बीच नहीं रहे, पर उनकी प्यार भरी फ़िल्में आने वाली पीढ़ियों को प्यार करना सिखाती रहेंगी।
सिने-पहेली # 43
'रेडियो
प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम
नमस्कार। अक्टूबर का यह सप्ताह जहाँ एक ओर त्योहारों की ख़ुशियाँ लेकर आया,
वहीं दूसरी ओर दो दुखद समाचारों ने सब के दिल पर गहरा चोट पहुँचाया।
मनोरंजन जगत के दो दिग्गज कलाकारों को काल के क्रूर हाथों ने हम से छीन
लिए। इनमें एक हैं रोमांस के जादूगर, सुप्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता व
निर्देशक यश चोपड़ा और दूसरे हैं हँसी के शहंशाह, जाने-माने हास्य अभिनेता
जसपाल भट्टी। आज की 'सिने पहेली' समर्पित है यश चोपड़ा और जसपाल भट्टी की
पुण्य स्मृति को।
यश चोपड़ा अपनी फ़िल्मों (ख़ास कर अपनी निर्देशित फ़िल्मों) में रोमांस को उस मकाम तक लेकर गये कि हर पीढ़ी के लोगों को उनकी फ़िल्मों से, उनकी फ़िल्मों की नायक-नायिकाओं से प्यार हो गया। हर फ़िल्म में प्यार की एक नई परिभाषा उन्होंने बयाँ की। उनकी फ़िल्मों की सफलता का राज़ है कि लोग उनके किरदारों में अपनी झलक पाते हैं या अपने आप को उन किरदारों जैसा बनने का सपना देखते हैं। जनता की नव्ज़ को बख़ूबी पकड़ती रही है यश जी की फ़िल्में। आज यश जी हमारे बीच नहीं रहे, पर उनकी प्यार भरी फ़िल्में आने वाली पीढ़ियों को प्यार करना सिखाती रहेंगी।
जसपाल भट्टी एक ऐसा नाम है जो दूरदर्शन के सुनहरे दौर में घर-घर सुनाई देने वाला नाम बन गया था। 'फ़्लॉप शो' और 'उल्टा-पुल्टा' जैसी हास्य कार्यक्रमों के ज़रिये वो मध्यम वर्ग के लोगों के दिलों पर छा गये थे। आम सामाजिक और गंभीर विषयों को हास्य-व्यंग के माध्यम से लोगों तक पहुँचाने में जसपाल भट्टी के तमाम कार्यक्रमों का बड़ा योगदान है। बाद में टेलीविज़न से फ़िल्मों में भी उनका पदार्पण हुआ और बहुत सारी हिन्दी व पंजाबी फ़िल्मों में बतौर हास्य/चरित्र अभिनेता वो नज़र आए।
आइए आज 'सिने पहेली' के माध्यम से जसपाल भट्टी और यश चोपड़ा साहब को हम श्रद्धांजलि अर्पित करें और उनसे जुड़े पाँच सवाल आपसे पूछें। हर सवाल के सही जवाब के लिए आपको मिलेंगे 2 अंक।
सवाल # 1
यश चोपड़ा निर्मित इस फ़िल्म में शशि कपूर के पिता का किरदार निभाया था मनमोहन कृष्ण ने। इस फ़िल्म में लता और अनवर की गाई हुई एक ग़ज़ल है। इस फ़िल्म में हेलेन और कल्पना अय्यर, दोनों बतौर कैबरे डांसर नज़र आई हैं। तो बताइये हम किस फ़िल्म की बात कर रहे हैं?
सवाल # 2
आशा भोसले के गाये इस गीत में उन्होंने एक ग़लती कर दी थी। "कश्ती खेती हूँ" को उन्होंने गा दिया "कश्ती ख़ेती हूँ"। इसी फ़िल्म के लिए फ़िल्म के संगीतकार ने इक़बाल लिखित अमर देश भक्ति गीत "सारे जहाँ से अच्छा" को स्वरबद्ध किया था, और फ़िल्म की नामावली के पार्श्व-संगीत के रूप में इसका प्रयोग किया गया था। तो बताइये आशा भोसले के गाये किस गीत की बात हम कर रहे हैं?
सवाल # 3
इसमें कोई संदेह नहीं कि यश चोपड़ा की रोमांटिक फ़िल्मों की सफलता के पीछे लता मंगेशकर की आवाज़ का बहुत बड़ा योगदान है। इसलिए यश जी पर केन्द्रित कम से कम एक पहेली लता जी की आवाज़ की तो ज़रूर बनती है। तो सुनिये गीत के इस अंश को और पहचानिये फ़िल्म का नाम और गीत का मुखड़ा।
सवाल # 4
इस फ़िल्म में लता-किशोर का गाया एक ऐसा गीत है जिसके मुखड़े में "स" के अनुप्रास अलंकार का बहुत सुंदर उदाहरण है। गीत का एक दृश्य नीचे दिया गया है। कौन सा गीत है यह?
सवाल # 5
जवाब भेजने का तरीका
उपर पूछे गए सवालों के जवाब एक ही ई-मेल में टाइप करके cine.paheli@yahoo.com के पते पर भेजें। 'टिप्पणी' में जवाब न कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे। ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 43" अवश्य लिखें, और अंत में अपना नाम व स्थान अवश्य लिखें। आपका ईमेल हमें बृहस्पतिवार 1 नवम्बर शाम 5 बजे तक अवश्य मिल जाने चाहिए। इसके बाद प्राप्त होने वाली प्रविष्टियों को शामिल नहीं किया जाएगा।
पिछली पहेली के सही जवाब
1. जॉन एब्रहम व उपेन पटेल
2. राजेन्द्र कुमार व राजेश खन्ना
3. सुचित्रा सेन व माधुरी दीक्षित
4. वैजयन्तीमाला व आशा पारेख
5. हरमन बवेजा व ॠतिक रोशन
पिछली पहेली के परिणाम
'सिने पहेली - 42' के परिणाम इस प्रकार हैं...
1. गौतम केवलिया, बीकानेर --- 10 अंक
2. प्रकाश गोविन्द, लखनऊ --- 10 अंक
3. महेश बसंतनी, पिट्सबर्ग --- 10 अंक
4. क्षिति तिवारी, जबलपुर --- 10 अंक
5. विजय कुमार व्यास, बीकानेर --- 10 अंक
6. पंकज मुकेश, बेंगलुरु --- 10 अंक
7. महेन्द्र कुमार रंगा, बीकानेर --- 9 अंक
8. तरुशिखा सुरजन, उत्तराखण्ड --- 9 अंक
9. गणेश एस. पालीवाल, बीकानेर --- 9 अंक
10. अदिति चौहान, उत्तराखंड --- 9 अंक
11. चन्द्रकान्त दीक्षित, लखनऊ --- 8 अंक
12. शरद तैलंग, कोटा --- 7 अंक
13. इंदु पुरी गोस्वामी, चित्तौड़गढ़ --- 7 अंक
नये प्रतियोगियों का आह्वान
नये प्रतियोगी, जो इस मज़ेदार खेल से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए हम यह बता दें कि अभी भी देर नहीं हुई है। इस प्रतियोगिता के नियम कुछ ऐसे हैं कि किसी भी समय जुड़ने वाले प्रतियोगी के लिए भी पूरा-पूरा मौका है महाविजेता बनने का। अगले सप्ताह से नया सेगमेण्ट शुरू हो रहा है, इसलिए नये खिलाड़ियों का आज हम एक बार फिर आह्वान करते हैं। अपने मित्रों, दफ़्तर के कलीग, और रिश्तेदारों को 'सिने पहेली' के बारे में बतायें और इसमें भाग लेने का परामर्श दें। नियमित रूप से इस प्रतियोगिता में भाग लेकर महाविजेता बनने पर आपके नाम हो सकता है 5000 रुपये का नगद इनाम। अब महाविजेता कैसे बना जाये, आइए इस बारे में आपको बतायें।
कैसे बना जाए 'सिने पहेली महाविजेता?
1. सिने पहेली प्रतियोगिता में होंगे कुल 100 एपिसोड्स। इन 100 एपिसोड्स को 10 सेगमेण्ट्स में बाँटा गया है। अर्थात्, हर सेगमेण्ट में होंगे 10 एपिसोड्स।
2. प्रत्येक सेगमेण्ट में प्रत्येक खिलाड़ी के 10 एपिसोड्स के अंक जुड़े जायेंगे, और सर्वाधिक अंक पाने वाले तीन खिलाड़ियों को सेगमेण्ट विजेताओं के रूप में चुन लिया जाएगा।
3. इन तीन विजेताओं के नाम दर्ज हो जायेंगे 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में। सेगमेण्ट में प्रथम स्थान पाने वाले को 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में 3 अंक, द्वितीय स्थान पाने वाले को 2 अंक, और तृतीय स्थान पाने वाले को 1 अंक दिया जायेगा। चौथे सेगमेण्ट की समाप्ति तक 'महाविजेता स्कोरकार्ड' यह रहा...
4. 10 सेगमेण्ट पूरे होने पर 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में दर्ज खिलाड़ियों में सर्वोच्च पाँच खिलाड़ियों में होगा एक ही एपिसोड का एक महा-मुकाबला, यानी 'सिने पहेली' का फ़ाइनल मैच। इसमें पूछे जायेंगे कुछ बेहद मुश्किल सवाल, और इसी फ़ाइनल मैच के आधार पर घोषित होगा 'सिने पहेली महाविजेता' का नाम। महाविजेता को पुरस्कार स्वरूप नकद 5000 रुपये दिए जायेंगे, तथा द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वालों को दिए जायेंगे सांत्वना पुरस्कार।
'सिने पहेली' को और भी ज़्यादा मज़ेदार बनाने के लिए अगर आपके पास भी कोई
सुझाव है तो 'सिने पहेली' के ईमेल आइडी पर अवश्य लिखें। आप सब भाग लेते
रहिए, इस प्रतियोगिता का आनन्द लेते रहिए, क्योंकि महाविजेता बनने की लड़ाई
अभी बहुत लम्बी है। आज के एपिसोड से जुड़ने वाले प्रतियोगियों के लिए भी
100% सम्भावना है महाविजेता बनने का। इसलिए मन लगाकर और नियमित रूप से
(बिना किसी एपिसोड को मिस किए) सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए
यह सिने मंथन, और अनुमति दीजिए अपने इस ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी को, नमस्कार।
'मैंने देखी पहली फिल्म' : आपके लिए एक रोचक प्रतियोगिता
दोस्तों,
भारतीय सिनेमा अपने उदगम के 100 वर्ष पूरा करने जा रहा है। फ़िल्में हमारे
जीवन में बेहद खास महत्त्व रखती हैं, शायद ही हम में से कोई अपनी पहली देखी
हुई फिल्म को भूल सकता है। वो पहली बार थियेटर जाना, वो संगी-साथी, वो
सुरीले लम्हें। आपकी इन्हीं सब यादों को हम समेटेगें एक प्रतियोगिता के
माध्यम से। 100 से 500 शब्दों में लिख भेजिए अपनी पहली देखी फिल्म का अनुभव
radioplaybackindia@live.com
पर। मेल के शीर्षक में लिखियेगा ‘मैंने देखी पहली फिल्म’। सर्वश्रेष्ठ तीन
आलेखों को 500 रूपए मूल्य की पुस्तकें पुरस्कारस्वरुप प्रदान की जायेगीं।
तो देर किस बात की, यादों की खिड़कियों को खोलिए, कीबोर्ड पर उँगलियाँ जमाइए
और लिख डालिए अपनी देखी हुई पहली फिल्म का दिलचस्प अनुभव। प्रतियोगिता में
आलेख भेजने की अन्तिम तिथि 30 नवम्बर, 2012 है।
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