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त्योहारों की खुशियों में पहचानें कुछ छुपे चेहरे

20 अक्तूबर, 2012

सिने-पहेली # 42 


'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार और हार्दिक स्वागत है आप सभी का, आपके मनपसन्द स्तम्भ 'सिने पहेली' में। सबसे पहले आप सबको नवरात्रि, दुर्गापूजा और दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हैं। उत्सव के ये 10 दिन आपके जीवन में ढेर सारी ख़ुशियाँ लेकर आये, और आने वाला वर्ष आपके लिए शुभ हो, मंगलमय हो, यही हम कामना करते हैं। 

दोस्तों, पिछले कुछ दिनों से 'सिने पहेली' प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतियोगियों की संख्या में कटौती हुई है और न ही कोई नया खिलाड़ी इस खेल में शामिल हो रहा है। जब मैंने और कृष्णमोहन जी ने अपने-अपने मण्डलो में लोगों से इसका कारण पूछा तो अधिकतर ने यही बताया कि 'सिने पहेली' की पहेलियाँ बहुत कठिन होती हैं, जिनका उनके पास जवाब नहीं होता, वरना उन्हें इसमें भाग लेने में कोई परेशानी नहीं है। इसके जवाब में हम यही कहना चाहेंगे कि 'सिने पहेली' के प्रश्न इतने कठिन होने पर भी कई खिलाड़ी पूरे के पूरे अंक हासिल कर रहे हैं। ऐसे में अगर पहेली को आसान कर दिया जाये तो विजेता का चुनाव हम किस तरह से कर पायेंगे। पर हाँ, हम इतना ज़रूर कर रहे हैं कि किसी भी सेगमेण्ट की पहली सात पहेलियाँ हम पहले से आसान बना रहे हैं, पर आख़िर के तीन एपिसोड्स होंगे थोड़े से मुश्किल ताकि हम असली सोने की पहचान कर सके। अब हम यही उम्मीद करेंगे कि आप सब नियमित रूप से 'सिने पहेली' में भाग लेंगे और इस प्रतियोगिता को और भी मज़ेदार बनाने में हमें सहयोग देंगे।

नये प्रतियोगियों का आह्वान

नये प्रतियोगी, जो इस मज़ेदार खेल से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए हम यह बता दें कि अभी भी देर नहीं हुई है। इस प्रतियोगिता के नियम कुछ ऐसे हैं कि किसी भी समय जुड़ने वाले प्रतियोगी के लिए भी पूरा-पूरा मौका है महाविजेता बनने का। पिछले सप्ताह से नया सेगमेण्ट शुरू हो चुका है, इसलिए नये खिलाड़ियों का आज हम एक बार फिर आह्वान करते हैं। अपने मित्रों, सहकर्मियों और रिश्तेदारों को 'सिने पहेली' के बारे में बतायें और इसमें भाग लेने का परामर्श दें। नियमित रूप से इस प्रतियोगिता में भाग लेकर महाविजेता बनने पर आपके नाम हो सकता है 5000 रुपये का नगद इनाम। अब महाविजेता कैसे बना जाये, आइए इस बारे में आपको बतायें।

कैसे बना जाए 'सिने पहेली' का महाविजेता?


1. सिने पहेली प्रतियोगिता में होंगे कुल 100 एपिसोड्स। इन 100 एपिसोड्स को 10 सेगमेण्ट्स में बाँटा गया है। अर्थात्, हर सेगमेण्ट में होंगे 10 एपिसोड्स।

2. प्रत्येक सेगमेण्ट में प्रत्येक खिलाड़ी के 10 एपिसोड्स के अंक जुड़ते जायेंगे, और सर्वाधिक अंक पाने वाले तीन खिलाड़ियों को सेगमेण्ट विजेताओं के रूप में चुन लिया जाएगा। 

3. इन तीन विजेताओं के नाम दर्ज हो जायेंगे 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में। सेगमेण्ट में प्रथम स्थान पाने वाले को 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में 3 अंक, द्वितीय स्थान पाने वाले को 2 अंक, और तृतीय स्थान पाने वाले को 1 अंक दिया जायेगा। चौथे सेगमेण्ट की समाप्ति तक 'महाविजेता स्कोरकार्ड' यह रहा...



4. 10 सेगमेण्ट पूरे होने पर 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में दर्ज खिलाड़ियों में सर्वोच्च पाँच खिलाड़ियों में होगा एक ही एपिसोड का एक महा-मुकाबला, यानी 'सिने पहेली' का फ़ाइनल मैच। इसमें पूछे जायेंगे कुछ बेहद मुश्किल सवाल, और इसी फ़ाइनल मैच के आधार पर घोषित होगा 'सिने पहेली महाविजेता' का नाम। महाविजेता को पुरस्कार स्वरूप नकद 5000 रुपये दिए जायेंगे, तथा द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वालों को दिए जायेंगे सांत्वना पुरस्कार।

और अब आज की पहेली...

आज की पहेली : 50-50

आज की पहेली है 50-50। नीचे दिये गये चित्रों को ध्यान से देखिये। हर चित्र में आपको दो चेहरे, आधे-आधे नज़र आयेंगे। आपको इन चेहरों को पहचानने हैं। हर चेहरे के लिए 1 अंक। कुल 10 अंकों की है आज की पहेली।






जवाब भेजने का तरीका

उपर पूछे गए सवालों के जवाब एक ही ई-मेल में टाइप करके cine.paheli@yahoo.com के पते पर भेजें। 'टिप्पणी' में जवाब न कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे। ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 42" अवश्य लिखें, और अंत में अपना नाम व स्थान अवश्य लिखें। आपका ईमेल हमें बृहस्पतिवार 25 अक्टूबर शाम 5 बजे तक अवश्य मिल जाने चाहिए। इसके बाद प्राप्त होने वाली प्रविष्टियों को शामिल नहीं किया जाएगा।

पिछली पहेली के सही जवाब

१. अछूत कन्या (१९३६)
२. महल (१९४९)
३. चलती का नाम गाड़ी (१९५८)
४. मेरी सूरत तेरी  आँखें (१९६३)
५. चित्रलेखा (१९६४)
६. बहू-बेगम (१९६७)
७. आशीर्वाद (१९६८)
८. पाकीज़ा (१९७१)
९. विक्टोरिया नंबर २०३ (१९७२)
१०. खट्टा मीठा (१९७८)

पिछली पहेली के परिणाम

'सिने पहेली - 41' के परिणाम इस प्रकार हैं...

1. महेश बसंतनी, पिट्सबर्ग --- 10 अंक
2. विजय कुमार व्यास, बीकानेर --- 10 अंक
3. प्रकाश गोविन्द, लखनऊ --- 10 अंक
4. गौतम केवलिया, बीकानेर --- 10 अंक
5. महेन्द्र कुमार रंगा, बीकानेर --- 10 अंक
6. जीवन दास व्यास, बीकानेर --- 10 अंक
7. क्षिति तिवारी, जबलपुर --- 10 अंक
8. चन्द्रकान्त दीक्षित, लखनऊ --- 10 अंक
9. शरद तैलंग, कोटा --- 9 अंक
10. पंकज मुकेश, बेंगलुरु --- 9 अंक
11. राजेश प्रिया, पटना --- 9 अंक
12. इंदु पुरी गोस्वामी, चित्तौड़गढ़ --- 8 अंक
13. अदिति चौहान, उत्तराखंड --- 8 अंक

आप सभी को हार्दिक बधाई और अनुरोध कि अगली पहेली में भी अवश्य अंशग्रहण करें।

पाँचवें सेगमेण्ट का सम्मिलित स्कोरकार्ड यह रहा...



'सिने पहेली' को और भी ज़्यादा मज़ेदार बनाने के लिए अगर आपके पास भी कोई सुझाव है तो 'सिने पहेली' के ईमेल आइडी पर अवश्य लिखें। आप सब भाग लेते रहिए, इस प्रतियोगिता का आनन्द लेते रहिए, क्योंकि महाविजेता बनने की लड़ाई अभी बहुत लम्बी है। आज के एपिसोड से जुड़ने वाले प्रतियोगियों के लिए भी 100% सम्भावना है महाविजेता बनने का। इसलिए मन लगाकर और नियमित रूप से (बिना किसी एपिसोड को मिस किए) सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए यह सिने मंथन, और अनुमति दीजिए अपने इस ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी को, त्योहारों की एक बार फिर से शुभकामनाओं के साथ, नमस्कार।  


'मैंने देखी पहली फिल्म' : आपके लिए एक रोचक प्रतियोगिता


दोस्तों, भारतीय सिनेमा अपने उदगम के 100 वर्ष पूरा करने जा रहा है। फ़िल्में हमारे जीवन में बेहद खास महत्त्व रखती हैं, शायद ही हम में से कोई अपनी पहली देखी हुई फिल्म को भूल सकता है। वो पहली बार थियेटर जाना, वो संगी-साथी, वो सुरीले लम्हें। आपकी इन्हीं सब यादों को हम समेटेगें एक प्रतियोगिता के माध्यम से। 100 से 500 शब्दों में लिख भेजिए अपनी पहली देखी फिल्म का अनुभव radioplaybackindia@live.com पर। मेल के शीर्षक में लिखियेगा ‘मैंने देखी पहली फिल्म’। सर्वश्रेष्ठ तीन आलेखों को 500 रूपए मूल्य की पुस्तकें पुरस्कारस्वरुप प्रदान की जायेगीं। तो देर किस बात की, यादों की खिड़कियों को खोलिए, कीबोर्ड पर उँगलियाँ जमाइए और लिख डालिए अपनी देखी हुई पहली फिल्म का दिलचस्प अनुभव। प्रतियोगिता में आलेख भेजने की अन्तिम तिथि 31अक्टूबर, 2012 है।

Comments

Vinay said…
पहेली विजाताओं को बधाई

Tech Prévue · तकनीक दृष्टा
Sujoy Chatterjee said…
Vinay ji, aap bhi pratiyogi ke roop mein shaamil ho sakte hain Cine Paheli mein.
Vijay Vyas said…
सुजॉय भाई, आपने सिने पहेली में प्रतियोगियों के कम होने की चर्चा की है। इस बारे में मैंनें अपने जिस किसी मित्र को भी यह लिंक बताया उसने पहेलियॉं कठिन होने का कारण नहीं बताया अपितु यह बतलाया कि प्रतियोगिता बहुत लम्‍बी है। 100 सप्‍ताह की प्रतियोगिता देखते ही वह यहॉं से चले जाते हैं।
आभार ।
Sujoy Chatterjee said…
Vijay ji,

Prize Money ki rakam adhik hone ki wajah se hamne is competition ko thoda lamba rakha hai. lekin isey 10 segments mein vibhaajit bhi kar diya hai taaki baad mein juDne waale khiladi ko bhi poora poora mauka mile mahavijeta banne ka. aur niyam bhi aise banaaye gaye hain ki 7th ya 8th segment mein juDne wale khiladi bhi mahavijeta ban sake.

waise to yeh 100 saptah ki pratiyogita hai, par isey aap 10 saptaah ki bhi maan sakte hain kyunki har 10 episodes ke ant mein segment winners announce hote hain. aur isey aap 1 saptaah ki bhi maan sakte hain kyunki har episode bhi apne aap mein ek pratiyogita hai.

Regards
Sujoy Chatterjee

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