Skip to main content

सिने-पहेली # 16 (जीतिये 5000 रुपये के इनाम)

सिने-पहेली # 16 (16 अप्रैल, 2012)


'सिने पहेली' की १६-वीं कड़ी में मैं, सुजॉय चटर्जी, आप सभी का फिर एक बार स्वागत करता हूँ। दोस्तों, 'सिने पहेली' के दूसरे सेगमेण्ट के बीचों बीच हम आ पहुँचे हैं। पिछले सेगमेण्ट ही की तरह इस सेगमेण्ट में भी प्रकाश गोविंद, पंकज मुकेश, क्षिति तिवारी, रीतेश खरे और अमित चावला ने नियमित रूप से हिस्सेदारी दिखाई है, और इस प्रतियोगिता को रोचक बनाए रखा है। समय-समय पर शरद तैलंग और इंदु जी के भी जवाब आए हैं पर नियमित रूप से नहीं। आप सब के अलावा जिन जिन दोस्तों ने अब तक इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया है, उन सभी से यह गुज़ारिश है कि इस अंक से ही इसमें भाग लेना शुरु करें क्योंकि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है। महाविजेता की लड़ाई में अभी बहुत दूर तक जाना है, प्रश्नों के स्वरूप में कई महत्वपूर्ण फेर-बदल अभी होने हैं, आख़िर सवाल 5000 रुपये का जो है! हमारे नए पाठकों के लिए हम यह दोहरा दें कि 'सिने पहेली' के महाविजेता किस तरह से बन सकते हैं? हमने इस प्रतियोगिता को दस-दस कड़ियों के सेगमेण्ट्स में विभाजित किया है (वर्तमान में दूसरा सेगमेण्ट चल रहा है)। इस तरह से १००-वें अंक तक १० सेगमेण्ट्स हो जाएँगे, और हर सेगमेण्ट का एक विजेता घोषित होगा (पहले सेगमेण्ट के विजेता रहे प्रकाश गोविंद)। इस तरह से १० सेगमेण्ट्स के बाद जो सर्वाधिक सेगमेण्ट विजेता होगा, उन्हीं को हम 'सिने पहेली महाविजेता' का पुरस्कार प्रदान करेंगे।

चलिए शुरु किया जाए आज की 'सिने पहेली - 16' के सवालों का सिलसिला...

*******************************************

**

सवाल-1: बूझो तो जाने

इस श्रेणी में हम आपको कुछ शब्द देंगे जिनका इस्तमाल कर आपको किसी हिन्दी फ़िल्मी गीत का मुखड़ा बनाना है। यानी कि हम आपको किसी गीत के मुखड़े के कुछ महत्वपूर्ण शब्दों को आगे-पीछे करके देंगे, आपको सही मुखड़ा पहचानना है। तो ये रहे आज के गीत के कुछ शब्द; ध्यान से पढ़िए और इन शब्दों को उचित स्थानों पे बिठाकर बताइए कि यह कौन सा गीत है।

सागर, दिल, प्यार, प्रियतम, क़ाबिल, मोती, हाथ



सवाल-2: पहचान कौन!


चे दिए गए चित्र में गायिका सुषमा श्रेष्ठ नज़र आ रही हैं। क्या आप बता सकते हैं उनके साथ हारमोनियम पे कौन संगीतकार खड़े हैं?





सवाल-3: सुनिये तो...

'सुनिये तो...' में आज आपको सुनवा रहे हैं ९० के दशक के किसी फ़िल्म का एक म्युज़िकल पीस। सुनिए और पहचानिए फ़िल्म का नाम।





सवाल-4: कौन हूँ मैं?

मैं एक अभिनेत्री हूँ। मेरा असली नाम था मुमताज़ जहाँ बेगम देहल्वी। मेरी पहली फ़िल्म १९४२ में आई थी जिसमें मैंने अभिनेत्री मुमताज़ शांति के बेटी का किरदार निभाया। बतौर नायिका मेरी पहली फ़िल्म १९४७ में आई थी और मेरी पहली कामयाब फ़िल्म १९४९ में बनी। मुझे दिल की बीमारी थी, १९५० में खाँसते हुए ख़ून निकल आया था। जाँच से पता चला कि मेरे दिल में सुराख़ है। मैंने फ़िल्म इंडस्ट्री से यह बात छुपाई, पर १९५४ में एक फ़िल्म की शूटिंग् के दौरान खाँसते हुए ख़ून निकलने पर यह बात सब को पता चल गई। मेरा एक फ़िल्म अभिनेता के साथ प्रेम-संबंध था पर किसी मनमुटाव के कारण हमारी शादी नहीं हो सकी, बाद में एक गायक-अभिनेता से मेरी शादी हुई। तो फिर बताइए कौन हूँ मैं?


सवाल-5: गीत अपना धुन पराई

और अब पाँचवा और आख़िरी सवाल। सुनिए इस विदेशी धुन को और पहचानिए वह हिन्दी फ़िल्मी गीत जो इस धुन से प्रेरित है। बहुत आसान है इस बार।




*********************************************

तो दोस्तों, हमने पूछ लिए हैं आज के पाँचों सवाल, और अब ये रहे इस प्रतियोगिता में भाग लेने के कुछ आसान से नियम....

१. अगर आपको सभी पाँच सवालों के जवाब मालूम है, फिर तो बहुत अच्छी बात है, पर सभी जवाब अगर मालूम न भी हों, तो भी आप भाग ले सकते हैं, और जितने भी जवाब आप जानते हों, वो हमें लिख भेज सकते हैं।

२. जवाब भेजने के लिए आपको करना होगा एक ई-मेल cine.paheli@yahoo.com के ईमेल पते पर। 'टिप्पणी' में जवाब न कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे।

३. ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 16" अवश्य लिखें, और जवाबों के नीचे अपना नाम, स्थान और पेशा लिखें।

४. आपका ईमेल हमें शुक्रवार 20 अप्रैल तक मिल जाने चाहिए।

है न बेहद आसान! तो अब देर किस बात की, लगाइए अपने दिमाग़ पे ज़ोर और जल्द से जल्द लिख भेजिए अपने जवाब। जैसा कि हमने शुरु में ही कहा है कि हर सप्ताह हम सही जवाब भेजने वालों के नाम घोषित किया करेंगे, और पचासवे अंक के बाद "महाविजेता" का नाम घोषित किया जाएगा।

******************************************

और अब 9 अप्रैल को पूछे गए 'सिने-पहेली # 15' के सवालों के सही जवाब---

1. पहले सवाल का गीत है १९६६ की फ़िल्म 'आए दिन बहार का' का लता-आशा का गाया "ऐ काश किसी दीवाने को हम से भी मोहब्बत हो जाए"।

2. 'चित्र-पहेली' में जो दृश्य दिखाया गया है, वह है 'हर दिल जो प्यार करेगा' फ़िल्म से "एक गरम चाय की प्याली हो"।

3. इस प्रश्न का सही जवाब है गायिका चाँद बाला।

4. 'कौन हूँ मैं' का सही जवाब है संगीतकार वेद पाल।

5. 'गीत अपना धुन पराई' में जो विदेशी गीत सुनवाया था, उससे प्रेरित हिन्दी गीत है फ़िल्म 'हाफ़ टिकट' का "आँखों में तुम हो"। मूल विदेशी गीत है "buttons and bows" (1948).


और अब 'सिने पहेली # 15' के विजेताओं के नाम ये रहे -----

1. प्रकाश गोविन्द, लखनऊ --- 5 अंक

2. पंकज मुकेश, बेंगलुरू --- 5 अंक

3. क्षिति तिवारी, इन्दौर --- 5 अंक

4. रीतेश खरे, मुंबई --- 5 अंक

5. अमित चावला, दिल्ली --- 3 अंक


सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई। अंक सम्बंधित अगर आपको किसी तरह की कोई शिकायत हो, तो cine.paheli@yahoo.com के पते पर हमें अवश्य सूचित करें। हम फिर एक बार उन साथियों से, जिन्होंने अभी तक इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया है, अनुरोध करते हैं कि 'सिने पहेली' के सवालों के जवाब भेज कर इस जंग में शामिल जायें, और 5000 रुपये का इनाम अपने नाम कर लें। क्यों किसी और को देना है 5000 रुपये जब आप में काबलीयत है इसे जीतने की? आज बस इतना ही, अगले सप्ताह आपसे इसी स्तंभ में दोबारा मुलाक़ात होगी, तब तक के लिए सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए यह सिने मंथन, और अनुमति दीजिए अपने इस ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी को, नमस्कार!

Comments

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट