Skip to main content

सिने-पहेली # 15 (जीतिये 5000 रुपये के इनाम)


सिने-पहेली # 15 


'सिने पहेली' के एक और अंक में मैं, सुजॉय चटर्जी, आप सभी का फिर एक बार स्वागत करता हूँ। दोस्तों, 'सिने पहेली' का दूसरा सेगमेण्ट इन दिनों जारी है, और हमें ख़ुशी है कि आप में से कई श्रोता-पाठक अब नियमित रूप से इसमें भाग ले रहे हैं। हमारे एक प्रतियोगी रीतेश खरे जी पिछले दिनों थोड़े मायूस नज़र आए क्योंकि उन्हें पिछले दो एक अंकों में पूरे पाँच अंक नहीं मिल सके और उन्हें ऐसा लगने लगा कि महाविजेता बनने की लड़ाई वो हारते जा रहे हैं। हम अपने सभी प्रतियोगियों से यह कहना चाहेंगे कि 'सिने पहेली' का स्वरूप हमने कुछ ऐसा रखा है कि कभी भी इसमें उलट फेर हो सकती है। अभी तो कुछ भी नहीं हुआ, आगे आगे देखिये हम कैसे कैसे गूगली इसमें डालते हैं। आप सभी तैयार रहिएगा क्योंकि कभी भी इसके सवालों का स्वरूप बदल सकता है। और हाँ, जिन लोगों ने अभी तक इसमें भाग नहीं लिया है, उनके लिए भी हम यह कहना चाहते हैं कि अभी कुछ भी देर नहीं हुई है। क्योंकि १० सेगमेण्ट्सों के सर्वाधिक विजेता को ही सिने-पहेली महाविजेता माना जाएगा, इसलिए आज के अंक से भी आप शुरू करके महाविजेता बन सकते हैं। यहाँ तक कि ५१-वे अंक से शुरु करके भी महाविजेता बना जा सकता है। तो फिर भाग ले रहे हैं न आप? अगर आप समझते हैं कि आप में भी सिने पहेली महाविजेता बनने की काबलीयत है तो फिर 5000 रुपये के इनाम को क्यों किसी और के नाम होने दे रहे हैं? आज ही से भाग लेकर बनिए 'सिने पहेली महाविजेता' और घर ले जाइए 5000 रुपये का नकद इनाम। बातें बहुत हुईं, चलिए शुरु किया जाए 'सिने पहेली - 15' के सवालों का सिलसिला...

*********************************************

सवाल-1: बूझो तो जाने

इस श्रेणी में हम आपको कुछ शब्द देंगे जिनका इस्तमाल कर आपको किसी हिन्दी फ़िल्मी गीत का मुखड़ा बनाना है। यानी कि हम आपको किसी गीत के मुखड़े के कुछ महत्वपूर्ण शब्दों को आगे-पीछे करके देंगे, आपको सही मुखड़ा पहचानना है। तो ये रहे आज के गीत के कुछ शब्द; ध्यान से पढ़िए और इन शब्दों को उचित स्थानों पे बिठाकर बताइए कि यह कौन सा गीत है।

क़यामत, वक़्त, दीवाने, मुसीबत, मोहब्बत, अल्लाह


सवाल-2: पहचान कौन!

नीचे दिए गए चित्र में सुपरस्टार सलमान ख़ान समुंदर के किनारे हाथ में गीटार लिए नज़र आ रहे हैं। क्या आप बता सकते हैं कि यह किस गीत का दृश्य है?




सवाल-3: सुनिये तो...

'सुनिये तो...' में आज आपको सुनवा रहे हैं एक गीत जिसमें आवाज़ें हैं दो मुख्य गायिकाओं की और साथ में हैं सखियाँ। अंतरे में आवाज़ है आशा भोसले की, आपको बताना है मुखड़े में किस गायिका की आवाज़ है।





सवाल-4: कौन हूँ मैं?

मेरा जन्म हरियाणा के सिरसा नामक जगह में हुआ था। मैं एक संगीतकार बना और मुझे पहला मौका दिया था निर्देशक सत्येन बोस ने १९५४ की एक फ़िल्म में, जिसमें मैंने शैलेश मुखर्जी के साथ मिलकर संगीतकार के रूप में काम किया था। 'वाशिंग पाउडर निरमा' का वह प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय विज्ञापन का कम्पोज़िशन मैंने ही तैयार किया था जो आज तक टीवी/रेडियो में दिखाई/सुनाई जाती है। यूं तो मैं संगीतकार था, पर मुझे गीत लिखने का भी शौक था। संगीतकार कल्याणजी-आनंदजी के लिए मैंने एक गीत लिखा था जिसके मुखड़े में "नाम" और "बदनाम" शब्द मौजूद हैं। फ़िल्मकार सावन कुमार ने मुझे १९८० की अपनी एक फ़िल्म और १९८८ की अपनी एक फ़िल्म में संगीत देने का मौका दिया था। १९८८ की इस फ़िल्म में मैंने लता मंगेशकर से एक ग़ज़ल गवाया था जो रेखा पर फ़िल्माया गया था। तो फिर बताइए कौन हूँ मैं?



सवाल-5: गीत अपना धुन पराई

और अब पाँचवा और आख़िरी सवाल। सुनिए इस विदेशी गीत को और पहचानिए वह हिन्दी फ़िल्मी गीत जो इस धुन से प्रेरित है।




*********************************************

तो दोस्तों, हमने पूछ लिए हैं आज के पाँचों सवाल, और अब ये रहे इस प्रतियोगिता में भाग लेने के कुछ आसान से नियम....
१. अगर आपको सभी पाँच सवालों के जवाब मालूम है, फिर तो बहुत अच्छी बात है, पर सभी जवाब अगर मालूम न भी हों, तो भी आप भाग ले सकते हैं, और जितने भी जवाब आप जानते हों, वो हमें लिख भेज सकते हैं।
२. जवाब भेजने के लिए आपको करना होगा एक ई-मेल cine.paheli@yahoo.com के ईमेल पते पर। 'टिप्पणी' में जवाब न कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे।
३. ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 15" अवश्य लिखें, और जवाबों के नीचे अपना नाम, स्थान और पेशा लिखें।
४. आपका ईमेल हमें शुक्रवार 13 अप्रैल तक मिल जाने चाहिए।
है न बेहद आसान! तो अब देर किस बात की, लगाइए अपने दिमाग़ पे ज़ोर और जल्द से जल्द लिख भेजिए अपने जवाब। जैसा कि हमने शुरु में ही कहा है कि हर सप्ताह हम सही जवाब भेजने वालों के नाम घोषित किया करेंगे, और पचासवे अंक के बाद "महाविजेता" का नाम घोषित किया जाएगा।

******************************************

और अब 2 अप्रैल को पूछे गए 'सिने-पहेली # 14' के सवालों के सही जवाब---

1. पहले सवाल 'गोल्डन वॉयस' में हमने आपको जो आवाज़ सुनवाई थी, वह आवाज़ थी गायिका उमा देवी की, जो बाद में अभिनेत्री टुनटुन के नाम से भी प्रसिद्ध हुईं।
2. 'चित्र-पहेली' में दिखाए गए चित्र में तांगा चलाते नज़र आ रहे हैं गायक मुकेश और गीत है "छोटी सी यह ज़िन्दगानी रे..."
3. इस प्रश्न का सही जवाब है सी. रामचन्द्र, जो इस फ़िल्म 'अनारकली' के संगीतकार भी थे।
4. ‘बताइये ना’ सवाल का सही उत्तर है राग रागेश्री (रागेश्वरी)।
5. 'गीत अपना धुन पराई' में जो विदेशी गीत सुनवाया था, उससे प्रेरित हिन्दी गीत है फ़िल्म 'रेस' का "पहली नज़र में कैसा जादू कर दिया" और मूल गीत कोरीआ देश का है।


और अब 'सिने पहेली # 14' के विजेताओं के नाम ये रहे -----

1. प्रकाश गोविन्द, लखनऊ --- 5 अंक
2. रीतेश खरे, मुंबई --- 5 अंक
3. क्षिति तिवारी, इन्दौर --- 5 अंक
4. पंकज मुकेश, बेंगलुरू --- 4 अंक
5. अमित चावला, दिल्ली --- 3 अंक
6. अवध लाल, लखनऊ --- 2 अंक
7. शरद तैलंग, कोटा --- 2 अंक
8. इंदु पुरी, चित्तौड़गढ़ --- 1 अंक


सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई। अंक सम्बंधित अगर आपको किसी तरह की कोई शिकायत हो, तो cine.paheli@yahoo.com के पते पर हमें अवश्य सूचित करें। हम फिर एक बार उन साथियों से, जिन्होंने अभी तक इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया है, अनुरोध करते हैं कि 'सिने पहेली' के सवालों के जवाब भेज कर इस जंग में शामिल जायें, और 5000 रुपये का इनाम अपने नाम कर लें। क्यों किसी और को देना है 5000 रुपये जब आप में काबलीयत है इसे जीतने की? आज बस इतना ही, अगले सप्ताह आपसे इसी स्तंभ में दोबारा मुलाक़ात होगी, तब तक के लिए सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए यह सिने मंथन, और अनुमति दीजिए अपने इस ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी को, नमस्कार!

Comments

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...