लुका छुपी खेले आओ....खेलों से याद आते हैं न वो मासूम से खेल बचपन के जिनमें हार भी अपनी होती थी और जीत भी
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 607/2010/307
दोस्तों, इन दिनों आप ६ बजे ऒफ़िस की छुट्टी हो जाने के साथ ही भाग निकलते होंगे अपने अपने घर की तरफ़। अरे भई घर पहुँचकर टीवी जो ऒन करना है और क्रिकेट मैच जो देखना है! तो फिर शायद ६:३० बजे आपका 'आवाज़' पर पधारना भी नहीं होता होगा। लेकिन 'आवाज़ वेब रेडिओ सर्विस' की खासियत है कि इसमें पोस्ट होने वाले गीत व आलेख आप जब कभी भी मन करे सुन और पढ़ सकते हैं। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार, और आज 'खेल खेल में' शृंखला की सातवीं कड़ी में हम चर्चा करेंगे कि प्रथम क्रिकेट विश्वकप से पहले क्रिकेट का कैसा सीन हुआ करता था। क्या आपको पता है कि विश्व का पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच कनाडा और संयुक्त राष्ट्र अमरीका के बीच २४ और २५ सितंबर १८४४ में खेला गया था। पहला टेस्ट मैच १८७७ में ऒस्ट्रेलिया और इंगलैण्ड के बीच खेला गया था और अगले कई सालों तक बस यही दो देश क्रिकेट मैच खेलते आये। १८८९ में दक्षिण अफ़्रीका को टेस्ट क्रिकेट का दर्जा नसीब हुआ। १९०० के पैरिस ऒलीम्पिक खेल में क्रिकेट को शामिल कर लिया गया, जिसमें ग्रेट ब्रिटेन ने फ़्रांस को हराकर स्वर्णपदक अपने नाम किया। यह पहली और आख़िरी बार के लिए क्रिकेट ऒलीम्पिक खेल का हिस्सा बना था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार बहुदेशीय क्रिकेट प्रतियोगिता सन् १९१२ में आयोजित हुई इंगलैण्ड, ऒस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ़्रीका के बीच। इस सीरीज़ को ज़्यादा सफलता नहीं मिली क्योंकि गरमी के दिनों में खेली गयी यह सीरीज़ बारिश की वजह से काफ़ी हद तक प्रभावित हुआ। इसके बाद एक एक करके और भी कई देश जुड़ते चले गये अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के साथ - वेस्ट इंडीज़ (१९२८), न्युज़ीलैण्ड (१९३०), भारत (१९३२), पाकिस्तान (१९५२) आदि।
जीवन में खेल-कूद का बहुत बड़ा महत्व है। और बच्चों व युवाओं के लिए तो खेल-कूद अपनी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग होना ही चाहिए। खेलने से न केवल शारीरिक विकास अच्छी तरह से होता है, बल्कि मन-मस्तिष्क में भी स्फूर्ति आती है, और दिमाग़ बहुत अच्छी तरह से विकसित होता है। अंग्रेज़ी में भी तो कहावत है कि "all work and no play, makes John a dull boy"| आजकल की बढ़ती प्रतियोगिता और पढ़ाई-लिखाई में दबाव की वजह से बच्चे खेल के मैदान से दूर होते चले जा रहे हैं। और जो बचा खुचा वक़्त मिलता है, उसे वो कम्प्युटर गेम्स खेलने में या कार्टून देखने में लगा देते हैं। और कुछ अभिभावक तो ऐसे भी हैं कि बच्चे को इसलिए खेल-कूद नहीं करने देते ताकि पढ़ाई लिखाई के लिए और ज़्यादा समय मिल सके। उन सभी अभिभावकों से हाथ-जोड़ निवेदन है कि ऐसा कतई न करें। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा शारिरिक और मानसिक रूप से मज़बूत बने, स्वस्थ रहे, तो उसे पढ़ाई के साथ साथ खेल-कूद और शारीरिक व्यायाम की तरफ़ की प्रोत्साहित करें। आज जब हम बच्चों की बात छेड़ ही चुके हैं, तो क्यों ना एक ऐसे खेल पर आधारित गीत सुनें जिसका रिश्ता छोटे बच्चों से ही है। जी हाँ, आँख मिचौली, या लुका-छुपी। इस खेल पर कई गीत बने हैं जैसे कि "लुक छिप लुक छिप जाओ ना" (दो अंजाने), "आ मेरे हमजोली आ, खेलें आँख मिचौली आ" (जीने की राह) वगेरह। लेकिन आज के लिए हमने जो गीत चुना है वह है फ़िल्म 'ड्रीम गर्ल' का, "लुका छुपी खेलें आओ"। लता मंगेशकर, पद्मिनी और शिवांगी की आवाज़ों में यह गीत हेमा मालिनी पर फ़िल्माया गया था। आनंद बक्शी साहब के बोल और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का संगीत। चलिए इन बच्चों के साथ बच्चे बन कर आज एक अरसे के बाद आप और हम, सभी मिलकर खेलें लुका छुपी।
क्या आप जानते हैं...
कि कई क्रिकेट खिलाड़ियों ने हिंदी फ़िल्मों में अभिनय किया है, जिनमें शामिल है संदीप पाटिल (कभी अजनबी थे), सुनिल गावस्कर (मालामाल), खेल (अजय जडेजा) आदि।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 08/शृंखला 11
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - आसान है.
सवाल १ - कौन सी गायिका ने साथ निभाया है आशा जी का इस गीत में - ३ अंक
सवाल २ - फिल्म में किस अभिनेता की एक से अधिक भूमिका थी - १ अंक
सवाल ३ - फिल्म के निर्देशक बताएं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अरे बाप रे एक बार फिर अमित जी आगे निकल गए, अंजना जी ऐसे में अपना कमेन्ट हटा कर २ अंक वाले सवाल का जवाब क्यों नहीं देते ये बात हम नहीं समझ पाते....खैर अभी मौका है वापसी का
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
दोस्तों, इन दिनों आप ६ बजे ऒफ़िस की छुट्टी हो जाने के साथ ही भाग निकलते होंगे अपने अपने घर की तरफ़। अरे भई घर पहुँचकर टीवी जो ऒन करना है और क्रिकेट मैच जो देखना है! तो फिर शायद ६:३० बजे आपका 'आवाज़' पर पधारना भी नहीं होता होगा। लेकिन 'आवाज़ वेब रेडिओ सर्विस' की खासियत है कि इसमें पोस्ट होने वाले गीत व आलेख आप जब कभी भी मन करे सुन और पढ़ सकते हैं। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार, और आज 'खेल खेल में' शृंखला की सातवीं कड़ी में हम चर्चा करेंगे कि प्रथम क्रिकेट विश्वकप से पहले क्रिकेट का कैसा सीन हुआ करता था। क्या आपको पता है कि विश्व का पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच कनाडा और संयुक्त राष्ट्र अमरीका के बीच २४ और २५ सितंबर १८४४ में खेला गया था। पहला टेस्ट मैच १८७७ में ऒस्ट्रेलिया और इंगलैण्ड के बीच खेला गया था और अगले कई सालों तक बस यही दो देश क्रिकेट मैच खेलते आये। १८८९ में दक्षिण अफ़्रीका को टेस्ट क्रिकेट का दर्जा नसीब हुआ। १९०० के पैरिस ऒलीम्पिक खेल में क्रिकेट को शामिल कर लिया गया, जिसमें ग्रेट ब्रिटेन ने फ़्रांस को हराकर स्वर्णपदक अपने नाम किया। यह पहली और आख़िरी बार के लिए क्रिकेट ऒलीम्पिक खेल का हिस्सा बना था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार बहुदेशीय क्रिकेट प्रतियोगिता सन् १९१२ में आयोजित हुई इंगलैण्ड, ऒस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ़्रीका के बीच। इस सीरीज़ को ज़्यादा सफलता नहीं मिली क्योंकि गरमी के दिनों में खेली गयी यह सीरीज़ बारिश की वजह से काफ़ी हद तक प्रभावित हुआ। इसके बाद एक एक करके और भी कई देश जुड़ते चले गये अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के साथ - वेस्ट इंडीज़ (१९२८), न्युज़ीलैण्ड (१९३०), भारत (१९३२), पाकिस्तान (१९५२) आदि।
जीवन में खेल-कूद का बहुत बड़ा महत्व है। और बच्चों व युवाओं के लिए तो खेल-कूद अपनी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग होना ही चाहिए। खेलने से न केवल शारीरिक विकास अच्छी तरह से होता है, बल्कि मन-मस्तिष्क में भी स्फूर्ति आती है, और दिमाग़ बहुत अच्छी तरह से विकसित होता है। अंग्रेज़ी में भी तो कहावत है कि "all work and no play, makes John a dull boy"| आजकल की बढ़ती प्रतियोगिता और पढ़ाई-लिखाई में दबाव की वजह से बच्चे खेल के मैदान से दूर होते चले जा रहे हैं। और जो बचा खुचा वक़्त मिलता है, उसे वो कम्प्युटर गेम्स खेलने में या कार्टून देखने में लगा देते हैं। और कुछ अभिभावक तो ऐसे भी हैं कि बच्चे को इसलिए खेल-कूद नहीं करने देते ताकि पढ़ाई लिखाई के लिए और ज़्यादा समय मिल सके। उन सभी अभिभावकों से हाथ-जोड़ निवेदन है कि ऐसा कतई न करें। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा शारिरिक और मानसिक रूप से मज़बूत बने, स्वस्थ रहे, तो उसे पढ़ाई के साथ साथ खेल-कूद और शारीरिक व्यायाम की तरफ़ की प्रोत्साहित करें। आज जब हम बच्चों की बात छेड़ ही चुके हैं, तो क्यों ना एक ऐसे खेल पर आधारित गीत सुनें जिसका रिश्ता छोटे बच्चों से ही है। जी हाँ, आँख मिचौली, या लुका-छुपी। इस खेल पर कई गीत बने हैं जैसे कि "लुक छिप लुक छिप जाओ ना" (दो अंजाने), "आ मेरे हमजोली आ, खेलें आँख मिचौली आ" (जीने की राह) वगेरह। लेकिन आज के लिए हमने जो गीत चुना है वह है फ़िल्म 'ड्रीम गर्ल' का, "लुका छुपी खेलें आओ"। लता मंगेशकर, पद्मिनी और शिवांगी की आवाज़ों में यह गीत हेमा मालिनी पर फ़िल्माया गया था। आनंद बक्शी साहब के बोल और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का संगीत। चलिए इन बच्चों के साथ बच्चे बन कर आज एक अरसे के बाद आप और हम, सभी मिलकर खेलें लुका छुपी।
क्या आप जानते हैं...
कि कई क्रिकेट खिलाड़ियों ने हिंदी फ़िल्मों में अभिनय किया है, जिनमें शामिल है संदीप पाटिल (कभी अजनबी थे), सुनिल गावस्कर (मालामाल), खेल (अजय जडेजा) आदि।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 08/शृंखला 11
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - आसान है.
सवाल १ - कौन सी गायिका ने साथ निभाया है आशा जी का इस गीत में - ३ अंक
सवाल २ - फिल्म में किस अभिनेता की एक से अधिक भूमिका थी - १ अंक
सवाल ३ - फिल्म के निर्देशक बताएं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अरे बाप रे एक बार फिर अमित जी आगे निकल गए, अंजना जी ऐसे में अपना कमेन्ट हटा कर २ अंक वाले सवाल का जवाब क्यों नहीं देते ये बात हम नहीं समझ पाते....खैर अभी मौका है वापसी का
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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