पा लागूं कर जोरी जोरी....सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के गले से निकला पहला प्ले बैक गीत समर्पित है दुनिया की आधी जनसख्या को जिनके दम पर कायम है जीवन का खेला
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 620/2010/320
यह बात है साल २८ सितंबर १९२९ की। इंदौर के सिखमोहल्ला नामक जगह पर जन्म हुआ था एक बच्ची का। अपने भाई बहनों के साथ खेलते कूदते बचपन बीत ही रहा था कि एक दिन अचानक इस लड़की पर बिजली टूट पड़ी जब केवल १३ वर्ष की आयु में उसके पिता चल बसे। उस वक़्त परिवार में और कोई दूसरा कमाने वाला न था। ऐसे में इस १३ साल की लड़की ने अपने परिवार की बागडोर अपने हाथ में ली और उतर गई सिनेजगत में। इस कच्ची उम्र में सुबह की लोकल ट्रेन से निकल पड़तीं और शाम को घर वापस लौटतीं। चार सालों तक बतौर बालकलाकार फ़िल्मों में छोटे मोटे किरदार निभाने के बाद उन्हें लगने लगा कि यह वह काम नहीं है जो उन्हें करना चाहिए। उनका रुझान तो गायन में था। शुरु शुरु में उन्हें कोरस में गाने के मौके मिले, लेकिन इस स्वाभिमानी लड़की ने कोरस में गाने से साफ़ इंकार कर दिया। यहाँ तक कि एक बार किसी गायक ने उनके साथ रेकॊर्डिंग् पर छेड़-छाड़ करने की कोशिश की थी, उस दिन वह लड़की रेकॊर्डिंग् वहीं छोड़ घर वापस चली गई थी। दोस्तों, इस जगह से यह लड़की फिर एक दिन बन गईं हिंदुस्तान की सर्वश्रेष्ठ व सर्वोपरि पार्श्वगायिका। इस सदी की आवाज़, इस देश की सुरीली धड़कन, स्वरसाम्राज्ञी, भारत रत्न लता मंगेशकर हैं 'कोमल है कमज़ोर नहीं' शृंखला के अंतिम कड़ी की मध्यमणि। लता मंगेशकर के बारे में नया कुछ बताने की न कोई ज़रूरत है और न ही हमारे पास कुछ है। बस इतना याद दिलाना चाहेंगे कि लता जी को १९६९ में पद्मभूषण, १९८९ में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, १९९७ में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, १९९९ में पद्मविभूषण, और २००१ में भारतरत्न से सम्मानित किया गया है। इनके अलावा सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के लिए तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
दोस्तों, जब भी लता जी पर कोई ख़ास अंक या ख़ास शृंखला आयोजित होती है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर, तो हम सोच में पड़ जाते हैं कि उनको सलाम करते हुए उनका गाया कौन सा गीत सुनवाया जाए! तो आज जिस ख़ास गीत को हम ढूंढ लाये हैं, वह बहुत बहुत ज़्यादा ख़ास है, क्योंकि यह लता जी का गाया पहला प्लेबैक्ड गीत है। दोस्तों, आपको याद होगा हमनें ट्विटर के माध्यम से लता जी का एक इंटरव्यु लिया था जिसमें मैंने उनसे यह पूछा था कि जब १९४६ की फ़िल्म 'सुभद्रा' में उन्होंने शांता आप्टे के साथ मिलकर "मैं खिली खिली फुलवारी" गीत गाया था, तो फिर १९४७ की फ़िल्म 'आपकी सेवा में' का गीत "पा लागूँ कर जोरी रे" को उनका पहला गीत क्यों कहा जाता है, तो इसके जवाब में लता जी नें कहा था कि दरअसल १९४२ से १९४६ तक उन्होंने उन फ़िल्मों में गानें गाये जिनमें उन्होंने बतौर बालकलाकार अभिनय किया था और वो गानें उन्हीं पर फ़िल्माये गये थे। किसी अभिनेत्री के लिए उन्होंने पहली बार 'आपकी सेवा में' के इसी गीत में प्लेबैक किया था। तो लीजिए, दोस्तों, आज इसी गीत की बारी। है न बेहद ख़ास! दत्ता डावजेकर की बनाई धुन पर इ़स गीत में लता जी और साथियों की आवाज़ें हैं। दत्ता डावजेकर मास्टर विनायक की फ़िल्म कंपनी में काम कर चुके थे। इसलिए वो लता के नाम से वाक़ीफ़ थे। १९४३ की मराठी फ़िल्म 'माझे बाल' में भी उन्होंने लता को गवाया था। 'आपकी सेवा में' फ़िल्म को अगर आज लोगों ने याद रखा है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ इस बात के लिए कि यह लता जी की पहली फ़िल्म थी बतौर पार्श्वगायिका। तो आइए इस ठुमरी का आनंद लें, और इसी के साथ इस ख़ास लघु शृंखला को समाप्त करने की हमें इजाज़त दें। आप अपने सुझाव और विचार टिप्पणी के अलावा हमारे ईमेल आइडी oig@hindyugm.com के पते पर भी लिख भेज सकते हैं। अब विदा लेते हैं, फिर मुलाक़ात होगी शनिवार के विशेषांक में। हाँ, चलने से पहले वो ही चंद शब्द दोहराता हूँ कि... कोमल है कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देनेवाली, मौत भी तुझसे हारी है। नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि दता डावजेकर ने १९४३ की मराठी फ़िल्म 'माझे बाल' में एक गीत कम्पोज़ किया था "चल चल नव बाला", जिसे उन्होंने चारों मंगेशकर बहनों, यानी कि लता, आशा, उषा और मीना से गवाया था। और यह एकमात्र ऐसा गीत है जिसे इन चारों बहनों ने साथ में गाया है।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 1/शृंखला 13
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - एक बार ये के गैर फ़िल्मी रचना है.
सवाल १ - ये इस कलाकार का पहला गैर फ़िल्मी रिकॉर्ड था जिसमें संगीत दिया था ______ - ३ अंक
सवाल २ - इस कलाकार की पहली फिल्म आई थी १९३२ में जिसका नाम था_________ - २ अंक
सवाल ३ - कौन हैं ये अमर फनकार जिन पर आधारित है हमारी नयी शृंखला - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अरे वाह इस बार तो मुकाबला आखिरी बोंल तक चला. अंजाना जी समझदारी से चले उन्हें शायद ४ अंक के सवाल का जवाब नहीं आता था तो उन्होंने ३ अंक ले लिए, अमित जी इस बार आप चूक गए, जवाब कुछ गलत है, सही जवाब आपको पता लग चुका होगा (उपर देखें :क्या आप जानते हैं), हमारा स्रोत है पंकज राग की पुस्तक "धुनों की यात्रा". तो इस तरह से एक अंक पीछे चल रहे अंजाना जी २ अंक आगे बढ़ गए और पहली बार विजयी बने. मुबारकबाद, और शुभकामनाएँ अगली शृंखला के लिए.
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
यह बात है साल २८ सितंबर १९२९ की। इंदौर के सिखमोहल्ला नामक जगह पर जन्म हुआ था एक बच्ची का। अपने भाई बहनों के साथ खेलते कूदते बचपन बीत ही रहा था कि एक दिन अचानक इस लड़की पर बिजली टूट पड़ी जब केवल १३ वर्ष की आयु में उसके पिता चल बसे। उस वक़्त परिवार में और कोई दूसरा कमाने वाला न था। ऐसे में इस १३ साल की लड़की ने अपने परिवार की बागडोर अपने हाथ में ली और उतर गई सिनेजगत में। इस कच्ची उम्र में सुबह की लोकल ट्रेन से निकल पड़तीं और शाम को घर वापस लौटतीं। चार सालों तक बतौर बालकलाकार फ़िल्मों में छोटे मोटे किरदार निभाने के बाद उन्हें लगने लगा कि यह वह काम नहीं है जो उन्हें करना चाहिए। उनका रुझान तो गायन में था। शुरु शुरु में उन्हें कोरस में गाने के मौके मिले, लेकिन इस स्वाभिमानी लड़की ने कोरस में गाने से साफ़ इंकार कर दिया। यहाँ तक कि एक बार किसी गायक ने उनके साथ रेकॊर्डिंग् पर छेड़-छाड़ करने की कोशिश की थी, उस दिन वह लड़की रेकॊर्डिंग् वहीं छोड़ घर वापस चली गई थी। दोस्तों, इस जगह से यह लड़की फिर एक दिन बन गईं हिंदुस्तान की सर्वश्रेष्ठ व सर्वोपरि पार्श्वगायिका। इस सदी की आवाज़, इस देश की सुरीली धड़कन, स्वरसाम्राज्ञी, भारत रत्न लता मंगेशकर हैं 'कोमल है कमज़ोर नहीं' शृंखला के अंतिम कड़ी की मध्यमणि। लता मंगेशकर के बारे में नया कुछ बताने की न कोई ज़रूरत है और न ही हमारे पास कुछ है। बस इतना याद दिलाना चाहेंगे कि लता जी को १९६९ में पद्मभूषण, १९८९ में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, १९९७ में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार, १९९९ में पद्मविभूषण, और २००१ में भारतरत्न से सम्मानित किया गया है। इनके अलावा सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका के लिए तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
दोस्तों, जब भी लता जी पर कोई ख़ास अंक या ख़ास शृंखला आयोजित होती है 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर, तो हम सोच में पड़ जाते हैं कि उनको सलाम करते हुए उनका गाया कौन सा गीत सुनवाया जाए! तो आज जिस ख़ास गीत को हम ढूंढ लाये हैं, वह बहुत बहुत ज़्यादा ख़ास है, क्योंकि यह लता जी का गाया पहला प्लेबैक्ड गीत है। दोस्तों, आपको याद होगा हमनें ट्विटर के माध्यम से लता जी का एक इंटरव्यु लिया था जिसमें मैंने उनसे यह पूछा था कि जब १९४६ की फ़िल्म 'सुभद्रा' में उन्होंने शांता आप्टे के साथ मिलकर "मैं खिली खिली फुलवारी" गीत गाया था, तो फिर १९४७ की फ़िल्म 'आपकी सेवा में' का गीत "पा लागूँ कर जोरी रे" को उनका पहला गीत क्यों कहा जाता है, तो इसके जवाब में लता जी नें कहा था कि दरअसल १९४२ से १९४६ तक उन्होंने उन फ़िल्मों में गानें गाये जिनमें उन्होंने बतौर बालकलाकार अभिनय किया था और वो गानें उन्हीं पर फ़िल्माये गये थे। किसी अभिनेत्री के लिए उन्होंने पहली बार 'आपकी सेवा में' के इसी गीत में प्लेबैक किया था। तो लीजिए, दोस्तों, आज इसी गीत की बारी। है न बेहद ख़ास! दत्ता डावजेकर की बनाई धुन पर इ़स गीत में लता जी और साथियों की आवाज़ें हैं। दत्ता डावजेकर मास्टर विनायक की फ़िल्म कंपनी में काम कर चुके थे। इसलिए वो लता के नाम से वाक़ीफ़ थे। १९४३ की मराठी फ़िल्म 'माझे बाल' में भी उन्होंने लता को गवाया था। 'आपकी सेवा में' फ़िल्म को अगर आज लोगों ने याद रखा है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ इस बात के लिए कि यह लता जी की पहली फ़िल्म थी बतौर पार्श्वगायिका। तो आइए इस ठुमरी का आनंद लें, और इसी के साथ इस ख़ास लघु शृंखला को समाप्त करने की हमें इजाज़त दें। आप अपने सुझाव और विचार टिप्पणी के अलावा हमारे ईमेल आइडी oig@hindyugm.com के पते पर भी लिख भेज सकते हैं। अब विदा लेते हैं, फिर मुलाक़ात होगी शनिवार के विशेषांक में। हाँ, चलने से पहले वो ही चंद शब्द दोहराता हूँ कि... कोमल है कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देनेवाली, मौत भी तुझसे हारी है। नमस्कार!
क्या आप जानते हैं...
कि दता डावजेकर ने १९४३ की मराठी फ़िल्म 'माझे बाल' में एक गीत कम्पोज़ किया था "चल चल नव बाला", जिसे उन्होंने चारों मंगेशकर बहनों, यानी कि लता, आशा, उषा और मीना से गवाया था। और यह एकमात्र ऐसा गीत है जिसे इन चारों बहनों ने साथ में गाया है।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 1/शृंखला 13
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - एक बार ये के गैर फ़िल्मी रचना है.
सवाल १ - ये इस कलाकार का पहला गैर फ़िल्मी रिकॉर्ड था जिसमें संगीत दिया था ______ - ३ अंक
सवाल २ - इस कलाकार की पहली फिल्म आई थी १९३२ में जिसका नाम था_________ - २ अंक
सवाल ३ - कौन हैं ये अमर फनकार जिन पर आधारित है हमारी नयी शृंखला - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अरे वाह इस बार तो मुकाबला आखिरी बोंल तक चला. अंजाना जी समझदारी से चले उन्हें शायद ४ अंक के सवाल का जवाब नहीं आता था तो उन्होंने ३ अंक ले लिए, अमित जी इस बार आप चूक गए, जवाब कुछ गलत है, सही जवाब आपको पता लग चुका होगा (उपर देखें :क्या आप जानते हैं), हमारा स्रोत है पंकज राग की पुस्तक "धुनों की यात्रा". तो इस तरह से एक अंक पीछे चल रहे अंजाना जी २ अंक आगे बढ़ गए और पहली बार विजयी बने. मुबारकबाद, और शुभकामनाएँ अगली शृंखला के लिए.
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
http://www.shivchhatrapati.com/filmdetail.php?id=19
Lata ji ne apna pahla gaana 1942 main gaaya tha. Thoda sandeh hai mujhe ki pankaj jee ne sahee likha hai.