ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 604/2010/304
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का इस स्तंभ में। तो कहिए दोस्तों, कैसा चल रहा है आपका क्रिकेट विश्वकप दर्शन? आपको क्या लगता है कौन है फ़ेवरीट इस बार? क्या भारत जीत पायेगा २०११ क्रिकेट विश्वकप? किन खिलाड़ियों से है ज़्यादा उम्मीदें? ये सब सवाल हम सब इन दिनों एक दूसरे से पूछ भी रहे हैं और ख़ुद भी अंदाज़ा लगाने की कोशिशें रहे हैं। लेकिन हक़ीक़त सामने आयेगी २ अप्रैल की रात जब विश्वकप पर किसी एक देश का आधिपत्य हो जायेगा। पर जैसा कि पहली कड़ी में ही हमने कहा था, जीत ज़रूरी है, लेकिन उससे भी जो बड़ी बात है, वह है पार्टिसिपेशन और स्पोर्ट्समैन-स्पिरिट। इसी बात पर आइए आज एक बार फिर कुछ रोचक तथ्य विश्वकप क्रिकेट से संबंधित हो जाए!
• पहला विश्वकप मैच जो जनता के असभ्य व्यवहार की वजह से बीच में ही रोक देना पड़ा था, वह था १९९६ में कलकत्ते का भारत-श्रीलंका सेमी-फ़ाइनल मैच।
• १९९६ में श्रीलंका पहली टीम थी जिसने बाद में बैटिंग कर विश्वकप फ़ाइनल मैच जीता।
• २००३ विश्वकप में पाकिस्तान के शोएब अख़्तर ने क्रिकेट इतिहास में पहली बार १०० माइल प्रति घण्टे की रफ़्तार से गेंद डाली इंगलैण्ड के निक नाइट के ख़िलाफ़।
• २००३ विश्वकप में कनाडा के जॊन डेविसन ने ६७ गेंदों में शतक लगाई वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़, जो विश्वकप इतिहास का 'फ़ास्टेस्ट' शतक था।
• सचिन तेन्दुलकर विश्वकप में कुल आठ बार 'मैन ऒफ़ दि मैच' बनें; उनके बाद विवियन रिचार्ड्स पाँच बार, ब्रायन लारा चार बार और गॊर्डन ग्रीनिज तीन बार इस ख़िताब को जीता।
• २००२/२००३ विश्वकप में केवल १७ वर्ष और ७ दिन की उम्र में खेलने वाले बंगलादेश के तल्हा ज़ुबैर विश्वकप क्रिकेट इतिहास के सब से कम उम्र के खिलाड़ी हुए।
• १९९५/१९९६ में नेदरलैण्ड्स के एन.ई. क्लार्क विश्वकप के इतिहास के सब से प्रवीण खिलाड़ी थे, उस वक़्त उनकी आयु थी ४७ वर्ष और २५७ दिन।
इस 'खेल खेल में' शृंखला की कल की कड़ी में आपने सुना था "आ देखें ज़रा, किसमें कितना है हम", यानी कि चैलेंज से लवरेज़ एक जोशिला गीत। किसी को चैलेंज करने में कोई बुराई नहीं जब तक इंसान में आत्मविश्वास है, साहस है, कॊन्फ़िडेन्स है। लेकिन जब कॊन्फ़िडेन्स ओवर-कॊन्फ़िडेन्स में बदल जाता है, और साहस दुस्साहस में, तो ज़रा मुश्किल वाली बात हो सकती है, मंज़िल करीब आते आते दूर ही रह जाती है। आज हम जिस गीत को सुनवाने के लिए ले आये हैं, उससे भी ओवर-कॊन्फ़िडेन्स की थोड़ी सी बू जैसी आ रही है। १९६९ की फ़िल्म 'प्रिंस' का यह गीत है "मुक़ाबला हमसे ना करो, मुक़ाबला हमसे ना करो, हम तुम्हे अपने रंग में रंग डालेंगे एक ही पल में"। पर्दे पर तीन ज़बरदस्त डान्सर्स - शम्मी कपूर, वैजयंतीमाला और हेलेन, और उनके प्लेबैक के लिए तीन लेजेंडरी आवाज़ें - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर और आशा भोसले। शंकर जयकिशन का धमाकेदार संगीत और सिचुएशन के मुताबिक पुर-असर अल्फ़ाज़ हसरत जयपुरी साहब के। कुल मिलाकर प्रतियोगितामूलक गीतों के जौनर का एक मीलस्तंभ गीत। तो आइए २०११ विश्वकप क्रिकेट के उत्साह और जोश को थोड़ा सा और बढ़ावा देते हैं इस जोशीले नग़मे के ज़रिए।
क्या आप जानते हैं...
कि लता मंगेशकर और आशा भोसले के किसी तीसरे गायक के साथ गाये गीतों की फ़ेहरिस्त में आख़िरी गाना था फ़िल्म 'आइना' का शीर्षक गीत "आइना है मेरा चेहरा" जिसे मंगेशकर बहनों ने सुरेश वाडकर के साथ मिलकर गाया था।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 05/शृंखला 11
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - एक आवाज़ है लता जी की.
सवाल १ - फिल्म के निर्देशक कौन है - ३ अंक
सवाल २ - सह गायक कौन हैं - २ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
क्या बात है तीन नाम लगभग एक मिनट से भी पहले बता दिए गए, दोनों योद्धाओं के द्वारा....कमाल है...बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार और स्वागत है आप सभी का इस स्तंभ में। तो कहिए दोस्तों, कैसा चल रहा है आपका क्रिकेट विश्वकप दर्शन? आपको क्या लगता है कौन है फ़ेवरीट इस बार? क्या भारत जीत पायेगा २०११ क्रिकेट विश्वकप? किन खिलाड़ियों से है ज़्यादा उम्मीदें? ये सब सवाल हम सब इन दिनों एक दूसरे से पूछ भी रहे हैं और ख़ुद भी अंदाज़ा लगाने की कोशिशें रहे हैं। लेकिन हक़ीक़त सामने आयेगी २ अप्रैल की रात जब विश्वकप पर किसी एक देश का आधिपत्य हो जायेगा। पर जैसा कि पहली कड़ी में ही हमने कहा था, जीत ज़रूरी है, लेकिन उससे भी जो बड़ी बात है, वह है पार्टिसिपेशन और स्पोर्ट्समैन-स्पिरिट। इसी बात पर आइए आज एक बार फिर कुछ रोचक तथ्य विश्वकप क्रिकेट से संबंधित हो जाए!
• पहला विश्वकप मैच जो जनता के असभ्य व्यवहार की वजह से बीच में ही रोक देना पड़ा था, वह था १९९६ में कलकत्ते का भारत-श्रीलंका सेमी-फ़ाइनल मैच।
• १९९६ में श्रीलंका पहली टीम थी जिसने बाद में बैटिंग कर विश्वकप फ़ाइनल मैच जीता।
• २००३ विश्वकप में पाकिस्तान के शोएब अख़्तर ने क्रिकेट इतिहास में पहली बार १०० माइल प्रति घण्टे की रफ़्तार से गेंद डाली इंगलैण्ड के निक नाइट के ख़िलाफ़।
• २००३ विश्वकप में कनाडा के जॊन डेविसन ने ६७ गेंदों में शतक लगाई वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़, जो विश्वकप इतिहास का 'फ़ास्टेस्ट' शतक था।
• सचिन तेन्दुलकर विश्वकप में कुल आठ बार 'मैन ऒफ़ दि मैच' बनें; उनके बाद विवियन रिचार्ड्स पाँच बार, ब्रायन लारा चार बार और गॊर्डन ग्रीनिज तीन बार इस ख़िताब को जीता।
• २००२/२००३ विश्वकप में केवल १७ वर्ष और ७ दिन की उम्र में खेलने वाले बंगलादेश के तल्हा ज़ुबैर विश्वकप क्रिकेट इतिहास के सब से कम उम्र के खिलाड़ी हुए।
• १९९५/१९९६ में नेदरलैण्ड्स के एन.ई. क्लार्क विश्वकप के इतिहास के सब से प्रवीण खिलाड़ी थे, उस वक़्त उनकी आयु थी ४७ वर्ष और २५७ दिन।
इस 'खेल खेल में' शृंखला की कल की कड़ी में आपने सुना था "आ देखें ज़रा, किसमें कितना है हम", यानी कि चैलेंज से लवरेज़ एक जोशिला गीत। किसी को चैलेंज करने में कोई बुराई नहीं जब तक इंसान में आत्मविश्वास है, साहस है, कॊन्फ़िडेन्स है। लेकिन जब कॊन्फ़िडेन्स ओवर-कॊन्फ़िडेन्स में बदल जाता है, और साहस दुस्साहस में, तो ज़रा मुश्किल वाली बात हो सकती है, मंज़िल करीब आते आते दूर ही रह जाती है। आज हम जिस गीत को सुनवाने के लिए ले आये हैं, उससे भी ओवर-कॊन्फ़िडेन्स की थोड़ी सी बू जैसी आ रही है। १९६९ की फ़िल्म 'प्रिंस' का यह गीत है "मुक़ाबला हमसे ना करो, मुक़ाबला हमसे ना करो, हम तुम्हे अपने रंग में रंग डालेंगे एक ही पल में"। पर्दे पर तीन ज़बरदस्त डान्सर्स - शम्मी कपूर, वैजयंतीमाला और हेलेन, और उनके प्लेबैक के लिए तीन लेजेंडरी आवाज़ें - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर और आशा भोसले। शंकर जयकिशन का धमाकेदार संगीत और सिचुएशन के मुताबिक पुर-असर अल्फ़ाज़ हसरत जयपुरी साहब के। कुल मिलाकर प्रतियोगितामूलक गीतों के जौनर का एक मीलस्तंभ गीत। तो आइए २०११ विश्वकप क्रिकेट के उत्साह और जोश को थोड़ा सा और बढ़ावा देते हैं इस जोशीले नग़मे के ज़रिए।
क्या आप जानते हैं...
कि लता मंगेशकर और आशा भोसले के किसी तीसरे गायक के साथ गाये गीतों की फ़ेहरिस्त में आख़िरी गाना था फ़िल्म 'आइना' का शीर्षक गीत "आइना है मेरा चेहरा" जिसे मंगेशकर बहनों ने सुरेश वाडकर के साथ मिलकर गाया था।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 05/शृंखला 11
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - एक आवाज़ है लता जी की.
सवाल १ - फिल्म के निर्देशक कौन है - ३ अंक
सवाल २ - सह गायक कौन हैं - २ अंक
सवाल ३ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
क्या बात है तीन नाम लगभग एक मिनट से भी पहले बता दिए गए, दोनों योद्धाओं के द्वारा....कमाल है...बधाई
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
पहेली पोस्ट होतें ही फ़ौरन से पेश्तर यानि १ मिनट के अंदर ३ व्यक्तियों के सही उत्तर आ रहे हैं.
यकीनन सब बेहद धुरंधर खिलाडी हैं और खिलाडी नम्बर १ की दौड़ में साथ साथ लगे हैं. मामला फोटो फिनिश का प्रतीत हो रहा है.
१ अंक वाले प्रश्न का उत्तर देने में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं लगती.
आज की पहेली की फिल्म का नाम मेरी समझ में है: 'बद और बदनाम'.
अवध लाल