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रुक जाना नहीं तू कहीं हार के...चिर प्रेरणा का स्त्रोत रहा है, दादा का गाया ये नायाब गीत

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 164

ल हमने बात की थी सपनों की। दोस्तों, सपने तभी सच होते हैं जब उनको सच करने के लिए हम निरंतर प्रयास भी करें। लेकिन सफलता हमेशा हाथ लगे ऐसा जरूरी नहीं है. कई पहाड़ों, जंगलों, खाइयों से गुज़रने के बाद ही नदी का मिलन सागर से होता है। कहने का आशय यह है कि एक बार की असफलता से इंसान को घबरा कर अपनी कोशिशें बंद नहीं कर देनी चाहिए। काँटों पर चलकर ही बहारों के साये नसीब होते हैं। जी हाँ, 'दस रूप ज़िंदगी के और एक आवाज़' के अंतर्गत आज हमारा विषय है 'प्रेरणा', जो दे रहे हैं किशोर कुमार किसी राह चलते राही को। यह राही ज़िंदगी का राही है, यानी कि हर एक आम आदमी, जो ज़िंदगी की राह पर निरंतर चलता चला जाता है। किशोर कुमार ने बहुत सारे इस तरह के राही और सफ़र से संबंधित जीवन दर्शन के गीत गाये हैं, उदाहरण के तौर पर फ़िल्म 'तपस्या' का गीत "जो राह चुनी तूने उसी राह पे राही चलते जाना रे", फ़िल्म 'नमकीन' का गीत "राह पे रहते हैं, यादों पे बसर करते हैं, ख़ुश रहो अहल-ए-वतन, हो हम तो सफ़र करते हैं", फ़िल्म 'आप की कसम' का गीत "ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम, वो फिर नहीं आते", फ़िल्म 'सफ़र' का गीत "ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं", फ़िल्म 'काला पत्थर' का गीत "एक रास्ता है ज़िंदगी जो थम गये तो कुछ नहीं", फ़िल्म ख़ुद्दार' का गीत "ऊँचे नीचे रास्ते और मंज़िल तेरी दूर, राह में राही रुक न जाना होकर के मजबूर", फ़िल्म 'दोस्त' का गीत "गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है, चलना ही ज़िंदगी है, चलती ही जा रही है", इत्यादि। लेकिन किशोर दा के गाये इन तमाम गीतों में हम ने जिस गीत को आज चुना है वह है फ़िल्म 'इम्तिहान' का - "रुक जाना नहीं तू कहीं हार के, काँटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के"। मजरूह सुल्तानपुरी के दार्शनिक बोलों को संगीत से सँवारा है संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने।

'इम्तिहान' सन् १९७४ की फ़िल्म थी। बी. ए. चंडीरमणी के इस फ़िल्म को मदन सिन्हा ने निर्देशित किया था तथा इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे विनोद खन्ना और तनुजा। प्रस्तुत गीत फ़िल्म का सब से महत्वपूर्ण गीत है जो फ़िल्म में टुकड़ों में कई बार सुनाई देता है। ग्रामोफोन रिकार्ड पर इस गीत की कुल अवधि है लगभग ७ मिनट। किसी किसी रिकार्ड और कैसेट्स पर केवल ३ मिनट में ही गीत को समाप्त कर दिया गया है। लेकिन हम आप के लाये हैं पूरे ७ मिनट वाला वर्ज़न। इन दोनों वर्ज़नों का अंतर आप को बताना चाहेंगे। ३ मिनट वाला वर्ज़न शुरु होता है सैक्सोफ़ोन के पीस से, उसके बाद कोरल हमिंग से शुरु होता है गीत और केवल एक ही अंतरे के साथ गीत समाप्त हो जाता है। जब कि ७ मिनट वाले वर्ज़न में कुल तीन अंतरे हैं। तीसरा अंतरा लोगों ने बहुत कम ही सुना है, इसलिए इस अंतरे के बोल हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं-

"नैन आँसू जो लिए हैं, ये राहों के दीये हैं,
लोगों को उनका सब कुछ देके,
तू तो चला था सपने ही लेके,
कोई नहीं तो तेरे अपने हैं सपने ये प्यार के,
ओ राही ओ राही ओ राही ओ राही"

गीटार का बड़ा ही सुंदर इस्तेमाल पूरे गीत में सुनने को मिलता है। दोस्तों, यह एक संजीदा गीत है, लेकिन इस संजीदे गीत को सुनने से पहले हम आप के दिल में थोड़ी सी गुदगुदी डालना चाहते हैं, तो क्यों न प्यारेलाल जी की कुछ बातें हो जाये अपने किशोर दा के बारे में - "किशोर दा बहुत ही मस्त आदमी थे। हम लोग उनके घर जाते थे, उनका 'फ़र्स्ट क्लास' बंगला था। बहुत बड़ा सा हौल था जहाँ पे हम बैठते थे। बहुत अच्छे ढंग से सजाया हुआ था। बस बीच में एक पीलर था जिस पर केवल सीमेंट लगा हुआ था। हम में से किसी को समझ नहीं आता था कि ऐसा क्यों है कि पूरा हौल इतनी अच्छी तरह से सजाया हुआ है सिवाय उस पीलर के। एक बार लक्ष्मी जी ने उनसे पूछा कि 'यह बताइये कि यह बीच वाला पीलर आप क्यों नहीं ठीक करवाते?' किशोर दा ने जवाब दिया 'इसीलिए ठीक नहीं करवाता कि आप यह बात मुझसे पूछें'।" तो दोस्तों, ऐसे थे हमारे किशोर दा। अब आनंद उठाइए इस गीत का और अपने आप से यह प्रण भी करें कि जीवन में चाहे कितनी भी परेशानी और तकलीफ़ों का सामना क्यों न करना पड़े, आप हिम्मत नहीं हारेंगे, और यही एक इंसान का कर्तव्य भी है।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

1. कल होगी ओल्ड इस गोल्ड पर किशोर दा के साथ मस्ती भरी पार्टी.
2. कल के गीत का थीम है - "मिलना जुलना, नशीले समां में झूमना".
3. मुखड़े की दूसरी पंक्ति में शब्द है -"खबर".

कौन सा है आपकी पसंद का गीत -
अगले रविवार सुबह की कॉफी के लिए लिख भेजिए (कम से कम ५० शब्दों में ) अपनी पसंद को कोई देशभक्ति गीत और उस ख़ास गीत से जुडी अपनी कोई याद का ब्यौरा. हम आपकी पसंद के गीत आपके संस्मरण के साथ प्रस्तुत करने की कोशिश करेंगें.

पिछली पहेली का परिणाम -
लगता है रोहित राजपूत जी, पराग जी और दिशा जी को जबरदस्त टक्कर देने वाले हैं. ४ अंक हुए आपके. अब आप सुमित जी से आगे हैं. मनु जी के hnm का मतलब तो अब शरद जी और स्वप्न जी समझ ही गए होंगें, वैसे बड़ा ही दिलचस्प abbreviation था ये तो. पराग जी कहते हैं जब जागो तभी सवेरा, तो जब भी आप उठें तब भी देख लेंगें तो बात बन सकती हैं :) सुमित जी और मंजू जी हमें उम्मीद है कि आज के गीत ने आपको भी एक नयी प्रेरणा दी होगी.

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

Anonymous said…
samaan hai suhana suhana, nashe men jahaan hai, kisi ko kisi kee khabar hi kahaan hai......

purvi s.
Anonymous said…
der ho gayi...

ROHIT RAJPUT
'अदा' said…
badhai Purvi ji..
yahi geet hai

Rohit ji,
Kya hua ?
aise der mat kijiye..PLEASE..
bahut hi aasaan tha ye.
Sujoy ji,
hamein to daaton chane chabwaate rahe aap aur ab itni dariyadili ????
ha ha ha ha ha
Theek hai..theek hai..koi baat nahi fayda hamara hi hua.
Manju Gupta said…
समां है सुहाना -सुहना .................किसी को किसी की खबर हो गयी .
'अदा' said…
hnm..
manu ji,
h...hamein
n...nahi
m...maloom
waah, tabhi main kahun
'hmn' nahi likh kar aap 'hnm' kyon likhte hain, mujhe laga tha aapka 'takia kalam' hai...
vakai aap sabse alag sochte hain.
aur aap aisa kaise sochte hain iske mujhe kehna padega 'HNM'
ha ha ha ha ha
Parag said…
This post has been removed by the author.
हमे बै्ठे बिठाये सुन्दर गीत सुनवाने के लिये धन्यवाद आपके गीत सुनने के लिये ही हिन्द युग्म पर आती हूँ आभार्
ये गीत मेरे मोबाइल की कॉलर ट्यून है.. :-)
धन्यवाद...
Rajeev said…
Fantastic...!!!
sumit said…
हाँ जी सुजॉय जी ये gaana बहुत ही prerna dayak है इस gaane से मुझे याद आया की मैं kaafi टाइम से कुछ on line test से bhaag रहा था जिस की last डेट 15 aug है तो अब मुझे padhna padega और exam dena होगा और नेट को भी मेरा साथ dena होगा kyuki नेट rukte ही wo अपने आप submit हो jayega :-)
Shamikh Faraz said…
गीत अच्छा है.मेरे ब्लॉग में भी लगा है.

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