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स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर पर मुंशी प्रेमचंद की विशेष कहानी

सुनो कहानी: मुंशी प्रेमचंद की "कातिल"

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने भीष्म साहनी के जन्मदिन पर अनुराग शर्मा की आवाज़ में विशेष कहानी "चीफ़ की दावत" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर पर हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द की स्वाधीनता संग्राम की पृष्ठभूमि में लिखी गयी देशभक्त माँ-बेटे की द्वंद्वात्मक और मार्मिक कथा "कातिल", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
कहानी का कुल प्रसारण समय 28 मिनट 16 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।







मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)


स्वतन्त्रता दिवस पर विशेष प्रस्तुति


यह विधवा बड़ी सच्चाई और लगन से राष्ट़ की सेवा में लगी हुई थी। शुरू में उसका नौजवान बेटा भी स्वयंसेवकों में शमिल हो गया था। मगर इधर पांच महीनों से वह इस नयी सभा में शरीक हो गया था।
(प्रेमचंद की "कातिल" से एक अंश)



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#Thirty fourth Story, Jhanki: Munshi Premchand/Hindi Audio Book/2009/28. Voice: Anurag Sharma

Comments

अनुराग जी छांट कर कहानी लाये हैं आज आप..मान गए....बहुत बढ़िया
अनुराग जी,

मैंने यह कहानी नहीं पढी थी। आपने बहुत बढ़िया कहानी का चुनाव किया है। वाचन भी अच्छा है।
Shamikh Faraz said…
मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी बेमिसाल और लाजवाब होती है.जी हाँ आप बिलकुल कामयाब रहे हैं अपने प्रयास में.
Disha said…
premchand ji jaise sahitykar ki rachna par tippni karna sooraj ko diya dikhane jaisa hai. sirph itana hi kahenge ki behatrin lekhak ki umdaa rachna. bahut hi badhiya
बहुत अच्छा है आपका प्रस्तुतिकरण
- विजय
Manju Gupta said…
सशक्त प्रस्तुतिकरण ,अच्छी कहानी के चुनाव के लिए बधाई .
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