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पॉडकास्ट कवि सम्मलेन - अगस्त 2009

इंटरनेटीय कवियों की इंटरनेटीय गोष्ठी

Rashmi Prabha
रश्मि प्रभा
Khushboo
खुश्बू
यदि आप पुराने लोगों से बात करें तो वे बतायेंगे कि भारत में एक समय कॉफी हाउसों की चहल-पहल का होता था। कविता-रसज्ञों के घरों पर हो रही कहानियों-कविताओं, गाने-बजाने, बहसों की लघु गोष्ठियों का होता था। जैसे-जैसे तकनीक ने हर किसी को उपभोक्ता बना दिया, हम ग्लोबल गाँव के ऐसे वाशिंदे हो गये जो मोबाइल से अमेरिका के अपने परिचित से तो जुड़ गया, लेकिन अपने इर्द-गिर्द से दूर हो गया।

लेकिन वे ही बुजुर्ग एक और बात भी कहते हैं कि हर चीज़ के दो इस्तेमाल होते हैं। चाकू से गर्दन काटिए या सब्जी काटिए, आपके ऊपर है। हमने भी इस तकनीक का सदुपयोग करने के ही संकल्प के साथ पॉडकास्ट कवि सम्मेलन की नींव रखी थी, ताकि वक़्त की मार झेल रहे कवियों को एक सांझा मंच मिले। जब श्रोता ऑनलाइन हो गया तो कवि क्यों नहीं। इस संकल्पना को मूर्त रूप देने में डॉ॰ मृदुल कीर्ति ने हमारा बहुत सहयोग दिया। हर अंक में नये विचारों ने नये दरवाजे खोले और इस आयोजन की सुगंध चहुँओर फैलने लगी।

रश्मि प्रभा के संचालन सम्हालने के बाद हर अंक में नये प्रयोग होने लगे और नये-नये कवियों का इससे जुड़ना हुआ। खुश्बू से मल्टीमीडिया के माध्यम से इसे जन-सामान्य तक पहुँचाने में हमें मदद मिली। हमें लगता है कि हमारे कहने से अधिक आने वाले समय में यह आयोजन अपनी उपयोगिता खुद सिद्ध करेगा। फिलहाल आप सुनें अगस्त माह का पॉडकास्ट कवि सम्मेलन।



प्रतिभागी कवि- सरस्वती प्रसाद, रश्मि स्वरुप, हेमंत कुमार, कवि कुलवंत, पूनम श्रीवास्तव, रेणु सिन्हा, शन्नो अग्रवाल, मंजुश्री, शरद तैलंग, नीलम प्रभा, शिखा वार्ष्णेय, ओम आर्य, विवेक रंजन श्रीवास्तव, प्रो.सी.बी श्रीवास्तव, प्रीती मेहता, किरण सिन्धु, दीपाली आब, चिराग जैन।

नोट - अगले माह यानी सितम्बर पॉडकास्ट कवि सम्मलेन के लिए सभी प्रतिभागी कवियों के लिए हमने एक थीम निर्धारित किया है. दुर्गा पूजा करीब है और आपने अपनी कलम की धार से "शक्ति" को जगाना है जी हाँ आपका थीम है - "शक्ति". हमारी कोशिश रहेगी कि आपकी कविताओं पर एक वीडियो का भी निर्माण करें. तो फिर देर किस बात की अपनी कलम की "शक्ति" को अपनी बुलंद आवाज़ के माध्यम से हम तक पहुँचायें आज ही.

संचालन- रश्मि प्रभा

तकनीक- खुश्बू


यदि आप इसे सुविधानुसार सुनना चाहते हैं तो कृपया नीचे के लिंकों से डाउनलोड करें-
ऑडियोWMAMP3




आप भी इस कवि सम्मेलन का हिस्सा बनें

1॰ अपनी साफ आवाज़ में अपनी कविता/कविताएँ रिकॉर्ड करके भेजें।
2॰ जिस कविता की रिकॉर्डिंग आप भेज रहे हैं, उसे लिखित रूप में भी भेजें।
3॰ अधिकतम 10 वाक्यों का अपना परिचय भेजें, जिसमें पेशा, स्थान, अभिरूचियाँ ज़रूर अंकित करें।
4॰ अपना फोन नं॰ भी भेजें ताकि आवश्यकता पड़ने पर हम तुरंत संपर्क कर सकें।
5॰ कवितायें भेजते समय कृपया ध्यान रखें कि वे 128 kbps स्टीरेओ mp3 फॉर्मेट में हों और पृष्ठभूमि में कोई संगीत न हो।
6॰ उपर्युक्त सामग्री भेजने के लिए ईमेल पता- podcast.hindyugm@gmail.com
7. सितम्बर 2009 अंक के लिए कविता की रिकॉर्डिंग भेजने की आखिरी तिथि- 18 सितम्बर 2009
8. सितम्बर 2009 अंक का पॉडकास्ट सम्मेलन रविवार, 27 सितम्बर 2009 को प्रसारित होगा।


रिकॉर्डिंग करना कोई बहुत मुश्किल काम नहीं है। हमारे ऑनलाइन ट्यूटोरियल की मदद से आप सहज ही रिकॉर्डिंग कर सकेंगे। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।

# Podcast Kavi Sammelan. Part 14. Month: August 2009.
कॉपीराइट सूचना: हिंद-युग्म और उसके सभी सह-संस्थानों पर प्रकाशित और प्रसारित रचनाओं, सामग्रियों पर रचनाकार और हिन्द-युग्म का सर्वाधिकार सुरक्षित है।

Comments

आज् kकी सुबह तो बहुत खुशनुमा रही बहुत अछ्ह कवि सम्मेलन था रश्मि जी ने बहुत अच्छी तरह इसे संचालित किय सभी प्रतिभागियों को बधाई और हिन्द युगम का भी आभार्
prabha ji aur khushboo, u have given this podcast kavi sammelan a completely new and refreshing dimension.....eagerly waiting for the "shakti" special kavi sammelan...

thanks
बहुत सुंदर रशिम जी आप का धन्यवाद
Manju Gupta said…
मेरी दोपहर रंगीन हो गयी .रश्मि जी के संचालन में सुमधुर आवाज में कवियों की कविताएँ सुनीं .बधाई .
Shamikh Faraz said…
इतने सारे लोगों के भावों को सुनना बहुत अच्छा लगा. हर किसी की अपनी सोच थी अपने ख्याल थे. लेकिन मुझे एक कमी भी नज़र आई. कई जगह पर आवाज़ सुनने में परेशानी हुई. कुछ लोगों ने भी धीमी आवाज़ में ही कवितायेँ पढ़ी शायद एक वजह यह भी रही हो.

रश्मि जी और खुशबू जी को मुबारकबाद.
पहली बार इस कवि सम्मेलन में हिस्सा लिया । अपनी आवाज़ में गज़लें सुनी तो पता चला कि आवाज़ इतनी बुरी नहीं है । बहुत बहुत आभार
Anonymous said…
kulwant tumne apni kavita me pucha ki log tumhe gadha bebakoof kiun kahte hain. are tum ho hi gadhe islie kahte hain.
hahahahahaa ahhhhhhhaaaaaaa
are likhna to sikh lo ki jo munh me aaya wo bak diya wo kavita ho gai.haaaaaaaaannnnnnnnnn
shanno said…
रश्मि जी,
मैं भी सजीव जी से सहमत हूँ जिन्होंने कहा की आपके संचालन से इस कवि-सम्मलेन को एक नयी ताजगी व एक नयी dimension मिली. और मेरे ख़्याल से सभी श्रोता न केवल कविओं की कवितायें सुनने को बल्कि आपकी सुंदर और उत्साहवर्धक आवाज़ और सम्मलेन को प्रस्तुत करने के अनोखे अंदाज़ को भी सुनने का अधीरता से इंतज़ार करते हैं.......आपको व खुशबू जी बहुत बधाई!!
vakai such kan bahut achchha laha
jee haaan..... aaj bhi lucknow ka coffee house bahut famous hain...... jahan se is desh ko bahut hi charchit hastiyan milin hain.....

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