Skip to main content

सिने पहेली # 25 कुछ आसानियाँ कुछ दुश्वारियाँ


सिने-पहेली # 25 (18 जून, 2012) 


नमस्कार! 'सिने पहेली' के सफ़र को तय करते हुए हम सब आज आ पहुँचे हैं इस प्रतियोगिता के रूपक जयन्ती एपिसोड पर। जी हाँ, आज है 'सिने पहेली' की २५-वीं कड़ी, और इस सफ़र के इस मुकाम तक पहुँचने में हमारे हमसफ़र बने रहने के लिए मैं, सुजॉय चटर्जी, आप सभी प्रतियोगियों को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ और आपसे आशा रखता हूँ कि आगे भी इसी तरह का साथ बना रहेगा। 'सिने पहेली' को और भी ज़्यादा मज़ेदार बनाने के लिए अगर आपके पास कोई सुझाव है तो 'सिने पहेली' के ईमेल आइडी cine.paheli@yahoo.com पर अवश्य लिखें। 

और अब पिछले सप्ताह 'सिने पहेली' परिवार से जुड़ने वाले नए साथियों का स्वागत करना चाहेंगे। आप हैं लखनऊ के चन्द्रकान्त दीक्षित, सिद्धार्थ नगर, यू.पी के ओमकार सिंह, और बीकानेर, राजस्थान के विजय कुमार व्यास। आप सभी का बहुत बहुत स्वागत है इस प्रतियोगिता में। आपसे निवेदन है कि हर सप्ताह इस प्रतियोगिता में हिस्सा लें और महाविजेता बन कर 5000 रुपये का नकद इनाम अपने नाम कर लें। महाविजेता बनने के लिए क्या नियम हैं, आइए उस बारे में आपको बताएँ। 'सिने पहेली' को १० सेगमेण्ट्स में बाँटा गया है। हर सेहमेण्ट होता है १० एपिसोड्स का। इन दिनों तीसरा सेगमेण्ट चल रहा है। हर सेगमेण्ट का एक विजेयता घोषित होता। पहले दोनों सेगमेण्ट्स के विजेता बने हैं लखनऊ के प्रकाश गोविंद। १० सेगमेण्ट्स के समाप्त होने पर जो प्रतियोगी सर्वाधिक सेगमेण्ट विजेता बना होगा, वही होगा महाविजेता और उन्हीं को मिलेगा 5000 रुपये का इनाम। अभी भी कुछ देर नहीं हुई है, आज से ही जुट जाइए इस प्रतियोगिता में, आनन्द लीजिए इस खेल का, और खेल ही खेल में कर लीजिए इनाम अपने नाम।

और अब आज की पहेलियाँ। नीचे दिए गए पायदान पहेली को सुलझाते हुए नीचे से उपर तक पहुँचना है। 




1. (बायें से दायें): 80 के दशक की एक अभिनेत्री। इसी नाम से आज के दौर में भी एक अभिनेत्री हैं जिनके पिता भी अभिनेता हैं।

2. (उपर से नीचे): शर्मीला टैगोर की एक फ़िल्म का शीर्षक। इस शीर्षक को अगर दो भागों में बाँटा जाये तो दो फ़िल्मों के शीर्षक बन सकते हैं।

3. (उपर से नीचे): एक अभिनेत्री जिनका असली नाम सरोज था। इन्होंने १९३५ में फ़िल्मों में बतौर अभिनेत्री काम करना शुरू किया। आगे चलकर इन्होंने फ़िल्म निर्माण व निर्देशन भी किया।

4. (उपर से नीचे): यह उस फ़िल्म का शीर्षक है जिसमें नीरज का लिखा एक गीत उस शब्द से शुरू होता है जो एक अन्य ऐसे फ़िल्म का शीर्षक है जिसमें जैकी श्रोफ़ सह-नायक हैं।

5. (उपर से नीचे): इसी फ़िल्म से इसकी अभिनेत्री ने हिन्दी फ़िल्म जगत में कदम रखा। इस फ़िल्म के संगीतकार को उस साल के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला। यह फ़िल्म एक तेलुगू हिट फ़िल्म का रीमेक था।

6. (उपर से नीचे): एक गायक का गायक पुत्र

6. (बायें से दायें): सनी देओल अभिनीत एक फ़िल्म

उपर दिए गए 7 सवालों के लिए आपको मिलेंगे 7 अंक। लेकिन यहीं पर सवाल समाप्त नहीं हो जाते। कुछ और सवाल ये रहे...

2. (बायें से दायें): अगर आपने उपर वर्ग पहेली के 2 और 3 का जवाब दिया है, तो आपको यह शब्द पता ही होगा। यह शब्द एक फ़िल्म का शीर्षक है, बताइए इस फ़िल्म के संगीतकार का नाम।

3. (बायें से दायें):  अगर आपने उपर वर्ग पहेली के 3 और 4 का जवाब दिया है, तो आपको यह शब्द पता ही होगा। यह शब्द एक फ़िल्मकार की उपाधि है। बताइए उस फ़िल्मकार का नाम।

4. (बायें से दायें): अगर आपने उपर वर्ग पहेली के 4 और 5 का जवाब दिया है, तो आपको यह शब्द पता ही होगा। यह शब्द एक फ़िल्म का शीर्षक है, बताइए इस फ़िल्म की नायिका का नाम।

5. (बायें से दायें): अगर आपने उपर वर्ग पहेली के 5 और 6 का जवाब दिया है, तो आपको यह शब्द पता ही होगा। यह शब्द एक फ़िल्म का शीर्षक है, बताइए इस फ़िल्म के निर्देशक का नाम।

तो दोस्तों, इस तरह से आपके लिए कुल 7+4 = 11 अंकों के सवाल हमने पूछ लिए। लेकिन यहीं पर आज की पहेलियाँ समाप्त नहीं होती। चलिए एक और सवाल पूछ लेते हैं। नीचे दिखाये गए चित्र को ध्यान से देखिए। आपको इस चित्र को एक शीर्षक देनी है, और वह भी किसी हिन्दी फ़िल्मी गीत का मुखड़ा। ज़रा सोचिए और बताइए कि कौन सा गीत इस चित्र के लिए सबसे ज़्यादा सार्थक है। आपके जवाब अलग-अलग हो सकते हैं। अगर आप अपने जवाब को सार्थक सिद्ध कर सके तो आपको 1 अंक दिए जायेंगे।




इस तरह से 12 अंकों के सवाल हमने पूछ लिए।

*********************************************

और अब ये रहे इस प्रतियोगिता में भाग लेने के कुछ आसान से नियम....

१. जवाब भेजने के लिए आपको करना होगा एक ई-मेल cine.paheli@yahoo.com के ईमेल पते पर। 'टिप्पणी' में जवाब न कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे।

२. ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 25" अवश्य लिखें, और जवाबों के नीचे अपना नाम व स्थान लिखें।

३. आपका ईमेल हमें शुक्रवार 22 जून तक मिल जाने चाहिए।

४. आप अपने जवाब एक ही ईमेल में लिखें। किसी प्रतियोगी का पहला ईमेल ही मान्य होगा। इसलिए सारे जवाब प्राप्त हो जाने के बाद ही अपना ईमेल भेजें।

है न बेहद आसान! तो अब देर किस बात की, लगाइए अपने दिमाग़ पे ज़ोर और जल्द से जल्द लिख भेजिए अपने जवाब। जैसा कि हमने शुरु में ही कहा है कि हर सप्ताह हम सही जवाब भेजने वालों के नाम घोषित किया करेंगे, और पचासवे अंक के बाद "महाविजेता" का नाम घोषित किया जाएगा। 

******************************************

और अब 11 जून को पूछे गए 'सिने-पहेली # 24' के सवालों के जवाब ये रहे...


1. वह कौन सी चीज़ है जो मन में है, दिल में है, पर धड़कन में नहीं। सही जवाब है आमिर ख़ान। कुछ लोगों ने इसके जवाब में "प्रेम" या "ईर्श्या" भी लिखा है। पर क्योंकि यह सिने पहेली है, इसलिए ज़ाहिर है कि जवाब भी सिनेमा से जुड़े हुए ही होंगे।

2. दिखाये गए चित्र में और फ़िल्म 'बीवी हो तो ऐसी', दोनों में बिन्दु और रेखा हैं।

3. राज कपूर निर्मित यह फ़िल्म है 'राम तेरी गंगा मैली'। कोडिंग्‍ स्कीम: R की जगह S, A की जगह B, M की जगह N..... इस तरह से हर अक्षर के लिए उसके बाद का जो अक्षर है उसका इस्तमाल किया गया है। इस तरह से RAM TERI GANGA MAILI बन गया है SBN UFSJ HBOHB NBJMJ

4. जुगल हंसराज और इमरान ख़ान

5. संजय कपूर

और अब 'सिने पहेली # 24' के विजेताओं के नाम ये रहे -----

1. शरद तैलंग, कोटा --- 5 अंक
2. प्रकाश गोविन्द, लखनऊ --- 5 अंक
3. गौतम केवलिया, बीकानेर --- 5 अंक
4. चन्द्रकान्त दीक्षित, लखनऊ --- 5 अंक
5. रीतेश खरे, मुंबई --- 5 अंक
6. विजय कुमार व्यास, बीकानेर --- 5 अंक
7. सलमन ख़ान, अलीगढ़ --- 5 अंक
8. राजेश प्रिया, पटना --- 5 अंक
9. क्षिति तिवारी, इंदौर --- 5 अंक
10. अमित चावला, दिल्ली --- 4 अंक
11. सुमित चक्रवर्ती, चण्डीगढ़ --- 4 अंक
12. अवध लाल, लखनऊ --- 4 अंक
13. शुभ्रा शर्मा, नयी दिल्ली --- 4 अंक
14. शिल्पि जैन, नोएडा --- 4 अंक
15. पंकज मुकेश, बेंगलुरू --- 4 अंक
16. सागर चंद नाहर, हैदराबाद -- 4 अंक
17. निशान्त अहलावत, गुड़गाँव --- 3 अंक
18. ओमकार सिंह, सिद्धार्थनगर, यू.पी --- 2 अंक

सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई। अंक सम्बंधित अगर आपको किसी तरह की कोई शिकायत हो, तो cine.paheli@yahoo.com के पते पर हमें अवश्य सूचित करें। आप सब भाग लेते रहिए, इस प्रतियोगिता का आनन्द लेते रहिए, क्योंकि महाविजेता बनने की लड़ाई अभी बहुत लम्बी है। आज के एपिसोड से जुड़ने वाले प्रतियोगियों के लिए भी १००% सम्भावना है महाविजेता बने। इसलिए मन लगाकर और नियमित रूप से (बिना किसी एपिसोड को मिस किए) सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए यह सिने मंथन, और अनुमति दीजिए अपने इस ई-दोस्त सुजॉय चटर्जी को, आपकी और मेरी दोबारा मुलाक़ात होगी अगले सोमवार इसी स्तंभ में, नमस्कार!

Comments

Vijay Vyas said…
मेरे सहित सभी नये सदस्‍यों का स्‍वागत करने पर हार्दिक आभार। पहेलियों को हल करने एवं सभी मित्रों में साझा करने पर बहुत आनन्‍द आता है। इन्‍टरनेट मायाजाल में इस तरह के ब्‍लॉग कम ही मिलते हैं जिसमें कि सभी सदस्‍यों को सम्‍मान देने के साथ ही इमानदारी से फैसले लिये जाते है। पुन: आभार।
Alpana Verma said…
श्रोता बिरादरी में लिंक देख कर ...मैं आज यहाँ आई थी कि मैं भी आयोजन में भाग लेना शुरू करूँ सब ठीक है ..परंतु...
आखिर में एक अंक के लिए जो आप ने चित्र का शीर्षक सुझाने को रखा है मुझे उस पर अपनी बात कहानी है .
मेरे विचार में पहेलियों में जहाँ एक -एक अंक के लिए व्यक्ति नेट पर घंटा बर्बाद कर देता है वहाँ एक अंक के प्रश्न को भी ऐसा नहीं बनाना चाहिए कि आप के आयोजन पर प्रश्न खड़ा हो या निष्पक्षता पर प्रश्न उठें.
आखिरी चित्र के लिए कई गीत याद आते हैं..अब आप को कौन सा उपयुक्त लगेगा ..हमें नहीं मालूम ..१० गीत मैं ही बता सकती हूँ ..और हर गीत के शीर्षक को उचित ठहराने के लिए तर्क भी!
ऐसे में इस अंक की निष्पक्षता कैसे बनी रहेगी??
मेरे विचार में ऐसे प्रश्न जिन ke mulyankan में subjectivity aati hai..nahin rakhne chaheeye.

........
Is 'Ek ank' se vykti ka sthaan badal sakta hai !
If you have kept it intentionally to pullsomeone down then its your choice!..otherwise its not fair to keep such questions in this quiz.

.........
Thanks,
Alpana Verma said…
बड़े आश्चर्य की बात है..मैं ने आप के ब्लॉग पर टिप्पणी की थी जिसे आप ने बिना जवाब दिए हटा दिया!इसका क्या अर्थ निकाला जाए ?आप अपनी तारीफ़ सुनते हैं सिर्फ??वहाँ एक तारीफ़ वाली टिप्पणी है ,जिसे आप ने हटाया नहीं?//////////मैं ने आप के आयोजन पर एक प्रश्न उठाया तो आप ने टिप्पणी ही हटा दी वह भी बिना जवाब दिए??हमें भीपहेली आयोजन किये हैं और भाग लिया है परंतु ऐसे सवाल कभी नहीं देखे या रखे जहाँ evaluation mei subjectivity ho...इस में पारदर्शिता होना ज़रुरी है .
Amit said…
अल्पना जी, रेडियो प्लेबैक इंडिया किसी एक की धरोहर नहीं है. आप सबकी अपनी साईट है. आपका कमेन्ट किसी ने नहीं हटाया. हम लोग तो तारीफ़ से ज्यादा आलोचनाओं का स्वागत करते हैं. आलोचनाएं ही हमें बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं.दरअसल ब्लोगर कई बार कमेंट्स को अपने आप स्पैम में दाल देता है जिससे वो यहाँ पर नहीं दिखता. इस पर दुर्भाग्य से हमारा कोई नियंत्रण नही है. आपकी दोनों टिप्पणियाँ यहाँ मौजूद हैं.
Sajeev said…
Sujoy, main bhi alpana ji kii baat se sahmat hoon....mujhe lagta hai chitr waale prashn ko nirast kar dena chahiye is ank men, aur alpana ji, aap hamen jaane kitne saalon se jaanti hain, ek baar bhi socha samjha nahin bas madh diya itna bada ilzaam...aapse ye asha nahin thi
Sujoy Chatterjee said…
is sawaal ko hataaya jaa saktaa hai. par sawaal mein saaf-saaf likha huya hai ki sabke jawaab alag alag ho sakte hain. alpana ji ne kaise soch liya ki hum ek hi jawaab ko sahi thehrayenge aur baakion ko galat???

aur jahaan tak ek ek ank ke liye ghanton googling karne ke zaroorat ki baat kahi gayi hai, to hum aage se aisa karne ki koshish karenge ki aise sawaal poochhen jinke jawaab google baba na de sake. shaayad yahi theek rahegaa.
सुजोय जी का कथन उचित है। दरअसल इस बार 'सिने-पहेली' में चित्र का शीर्षक सुझाने वाले प्रश्न का उद्येश्य अल्पना जी समझ नहीं पाईं। हमने इस प्रश्न का कोई एक उत्तर तय करके सील-बन्द नहीं किया है और आपके उत्तर हमारे द्वारा निर्धारित उत्तर से मिल जाने पर ही आपको अंक मिलेगा, ऐसा निश्चय भी नहीं किया है। 'नेट-सर्च-कौशल' के बल पर एकत्र किए गए उत्तर के बीच आपकी कल्पनाशीलता की परीक्षा से जुड़ा यह एक सीधा-सादा प्रश्न है। चित्र मे आपको सड़क, नीला आकाश, रुपहले बादल और खेतों की हरियाली नज़र आ रही है। निश्चित रूप से आपके शीर्षक अलग-अलग ही होंगे, परन्तु यदि आपके शीर्षक में उपरोक्त दृश्य या दृश्यों का समावेश है तो आप अंक पाने के हकदार हैं। आप अन्यथा न लें और हमारी नीयत पर शंका न करें, हम तो आपकी कल्पनाशीलता को थोड़ी हवा देना चाहते हैं।
Alpana Verma said…
Well.. Sorry for being rude on that issue..
thanks for the reply.
convinced.
Thanks.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की