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प्लेबैक इंडिया वाणी (5) तेरी मेरी कहानी, हिडन मिस्ट्रीज और आपकी बात

संगीत समीक्षा - तेरी मेरी कहानी



दबंग और राउडी राठौर के चालू सरीखे संगीत की अपार कामयाबी के बाद साजिद वाजिद लौटे हैं अपने चिर परिचित "दीवाना" अंदाज़ की प्रेम कहानी के साथ. 


अल्बम का पहला ही गीत दिल को छू जाता है, वाजिद ने इसे खुद गाया है और प्रसून ने बहुत खूबसूरत शब्द जड़े हैं,  मुक्तसर मुलाक़ात एक दिलकश प्रेम गीत है. 
राहत फ़तेह अली खान की आवाज़ का होना आजकल हर अल्बम में लाजमी है. "अल्लाह जाने" गीत मेलोडियस है और राहत की सुकून भरी आवाज़ में ढलकर और भी सुन्दर हो जाता है...प्रसून ने एक बार फिर शब्दों में गहरी कशिश भरी है. 


रेट्रो अंदाज़ का "जब से मेरे दिल को उफ़" इन दिनों छोटे परदे पर जम कर प्रचारित किया जा रहा है. गीत का सबसे जबरदस्त पहलू सोनू निगम और सुनिधि की गायिकी है, जिसके कारण गीत बार बार सुनने लायक बन पड़ा है. कव्वाली अंदाज़ का "हमसे प्यार कर ले तू" भी एक दो बार सुनने के बाद होंठों पे चढ जाता है. वाजिद और श्रेया के साथ इस गाने में तडका लगाया है मिका ने. इंटर ल्यूड में अमर अकबर एंथोनी के "पर्दा है पर्दा" की झलक साफ़ नज़र आती है. एल पी और पंचम आज हमारे फिल्म संगीत को प्रेरित करते हैं इस बात में कोई शक नहीं है. 


शान और श्रेया की युगल आवाजों में "thats all i really wana do" भी काफी हद तक रेट्रो गीत है, जिसमें "मुक्तसर मुलाक़ात" के सुरों को खूबसूरती से पिरोया गया है...प्रसून के शब्द एक बार फिर असरदायक साबित हुए हैं. साजिद वाजिद ने इस अल्बम के साथ अपने हरफनमौला हुनर को जगजाहिर किया है....रेडियो प्लेबैक की टीम "तेरी मेरी कहानी" के संगीत को दे रही है ३.५ की रेटिंग ५ में से.   



पुस्तक चर्चा - हिडन मिस्ट्रीज  




ओशो की पुस्तकें एक जमाने से पाठकों को आकर्षित करती रही हैं, वो इस दौर के सबसे लोकप्रिय दार्शनिकों में से एक हैं, जो संसार को अलविदा कहने के बावजूद भी अपने विचारों के माध्यम से एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित करने में कामयाब रहे हैं.


उनकी मृत्यु के बाद प्रकाशित उनकी अधिकतर पुस्तकें उनके प्रवचनों का संकलन है जिन्हें उनके शिष्यों में बारीकी से सम्पादित कर प्रकाशित किया है. 
"भारत एक सनातन यात्रा" इनमें सबसे लोकप्रिय साबित हुई है. इसी कड़ी में ताओ प्रकाशन की ताज़ा पेशकश "Hidden Mysteries" एक अनूठी किताब है. यहाँ ओशो के उन प्रवचनों को संकलित किया गया है जिसमें वो हमारी आस्था से जुड़े पारंपरिक क्रिया कलापों पर बोले हैं. इसे पढकर आप महसूस करेंगें कि कितना कुछ हम बस एक रीतिगत रूप में करते चले जाते हैं बिना उस क्रिया के महत्त्व को समझे. 


पुस्तक में मंदिरों, तीर्थ स्थलों के महत्त्व, मूर्ती पूजन, तीसरी आँख, और ज्योतिष विज्ञान पर जबरदस्त चर्चा हुई है. ओशो अध्यात्म को एक खजाना मानते हैं और इन सब उपक्रमों को उस खजाने की चाबी, मगर चाबी हमारे हाथ में होने के बावजूद हम खजाने के रहस्य को तभी समझ पायेंगें जब हम उस चाबी में छुपे सूत्र को आत्मसात कर पायेंगें...ओशो की ये पुस्तक कई मायनों में एक अद्भुत संकलन है. 


इसे अवश्य ही अपनी लाईब्रेरी का हिस्सा बनायें.     
 




और अंत में आपकी बात- अमित तिवारी के साथ













 

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