Skip to main content

कहानी पॉडकास्ट - संकठा प्रसाद लौट आये हैं - रीता पाण्डेय

'बोलती कहानियाँ' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिशंकर परसाई की कथा "सुशीला" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं श्रीमती रीता पाण्डेय की रचना "संकठा प्रसाद लौट आये हैं", जिसको स्वर दिया है शेफाली गुप्ता ने।

संकठा प्रसाद लौट आये हैं का टेक्स्ट श्री ज्ञानदत्त पाण्डेय के प्रसिद्ध ब्लॉग मानसिक हलचल पर अतिथि पोस्ट के रूप में उपलब्ध है।

इस कहानी का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 24 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।

जब तक कसा न जाये, तब तक कोई सक्रिय नहीं होता, न व्यक्ति न तन्त्र।
~ श्रीमती रीता पाण्डेय
श्रीमती रीता पाण्डेय गाँव विक्रमपुर, जिला भदोही से हैं। वे सपरिवार शिवकुटी (उ.प्र.) में रहती हैं।

हर शनिवार को "बोलती कहानियाँ" पर सुनें एक नयी कहानी

"संकठा प्रेम नगर की सीढ़ियां चढ़ते गये। लड़की को समोसा – लौंगलता खिलाये। फिर मोटरसाइकल पर बैठा कर प्रेम गली में फर्राटा भरने लगे।" (श्रीमती रीता पाण्डेय की "संकठा प्रसाद लौट आये हैं" से एक अंश)

नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)
 यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
VBR MP3
(लिंक पर राइट्क्लिक करके सेव ऐज़ का विकल्प चुनें)

#22nd Story, Susheela: Rita Pandey/Hindi Audio Book/2012/22. Voice: Shaifali Gupta

Comments

Sajeev said…
आवाज़ को रूपांतरण अच्छा लगा, आप में सम्भावंयें हैं शैफाली जी, बधाई
बहुत ही बढ़िया ...
हर हफ्ते कहानी पॉडकास्ट यहाँ देखता था ... और काहिलता वश सोचता था कि अभी लिंक सेव कर लेता हूँ बाद में कभी सुनूंगा ..... धीरे-धीरे कहानी पॉडकास्ट के दस-ग्यारह लिंक हो गए ! आज लिंक सेव नहीं किया और कहानी सुन ही ली ! मैंने तो सोचा था कि कहानी सुनने में बहुत समय देना होगा ..बहुत एकाग्रचित्त होना पड़ेगा ....कोई पंक्ति न समझ आने पर उसे रिपीट करना पड़ेगा ... लेकिन ऐसा तो कुछ भी नहीं ! कहानी कब समाप्त हुती पता ही नहीं चला ! आज तीन कहानी सुनी ... तीनो ही अच्छी लगी ! आप लोगों का कहानी चयन बहुत अच्छा है !

शेफाली गुप्ता जी के स्वर में श्रीमती रीता पाण्डेय की रचना "संकठा प्रसाद लौट आये हैं", बहुत छोटी कहानी है लेकिन रोचक है और बहुत तीखा व्यंग है ....! मुझे बहुत पसंद आई ! शेफाली गुप्ता जी की प्रस्तुति भी बढ़िया है !

आपका यह प्रयास ...यह आयोजन अत्यंत सराहनीय है ! जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है !
हार्दिक शुभ कामनाएं !
Archana Chaoji said…
बहुत खूब!! शेफ़ाली जी की आवाज का नयापन भाया ..कहानी अच्छी लगी। आभार
Archana Chaoji said…
बहुत खूब! शेफ़ाली जी की आवाज का नयापन भाया।
कहानी अच्छी लगी । आभार ...
manu said…
bahut achchhi kahaani...achchi tarah se saaf samjh mein aayi

aabhaar

manu

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...