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ठंडी हवा ये चाँदनी सुहानी.....और ऐसे में अगर किशोर दा सुनाएँ कोई कहानी तो क्यों न गुनगुनाये जिंदगी

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 450/2010/150

'गीत अपना धुन पराई', आज हम आ पहुँचे हैं इस शृंखला की अंतिम कड़ी पर। पिछले नौ कड़ियों में आपने नौ अलग अलग संगीतकारों के एक एक गीत सुनें जिन गीतों की प्रेरणा उन्हे किसी विदेशी धुन से मिली थी। हमने उन विदेशी गीतों की भी थोड़ी चर्चा की। आज अंतिम कड़ी के लिए हमने चुना है संगीतकार किशोर कुमार को। जी हाँ, एक ज़बरदस्त गायक तो किशोर दा थे ही, एक अच्छे संगीतकार भी थे। उन्होने बहुत ज़्यादा फ़िल्मों में संगीत तो नहीं दिया, लेकिन जितने भी दिए लाजवाब दिए। उनकी धुनों से सजी 'झुमरू', 'दूर का राही' और 'दूर गगन की छाँव में' जैसे फ़िल्मों के संगीत को कौन भुला सकता है भला! तो आज हमने उनकी सन् १९६१ की फ़िल्म 'झुमरू' का एक गीत चुना है उन्ही का गाया हुआ - "ठण्डी हवा ये चांदनी सुहानी, ऐ मेरे दिल सुना कोई कहानी"। कुछ कुछ वाल्ट्स की रीदम जैसी इस गीत की धुन प्रेरित है १९५५ में बनी जुलिअस ल रोसा के "दोमानी" गीत से। "दोमानी" व्क इटालियन शब्द है जिसका अर्थ है "कल" (tomorrow)| गीत की शुरुआत तो हू-ब-हू इसी गीत की धुन जैसी है। लेकिन मजरूह साहब के असरदार बोल और किशोर दा की दिलकश गायकी ने इस हिंदी गीत को एक अलग ही मुक़ाम तक पहुँचाया है, शायद मूल गीत से बेहतर। 'झुमरू' फ़िल्म का शीर्षक गीत हमने 'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के शुरुआती दिनों में १७-वीं कड़ी में ही सुनवा दिया था और फ़िल्म की तमाम जानकारियाँ भी दी थीं, इसलिए आज आइए हम "दोमानी" गीत की बात करें।

"दोमानी" गीत का पूरा मुखड़ा है - "May be you'll fall in love with me domani, may be tomorrow night the sun will shine, I'll change my name from Johnny...."| इसे लिखा था उल्पिओ मिनुसी ने, संगीतबद्ध किया टोनी वेलोना ने। इसका सब से लोकप्रिय वर्ज़न जुलिअस ल रोसा ने गाया जिसे कैडेन्स रेकॊर्ड्स ने जारी किया। 'बिलबोर्ड चार्ट्स' में इस गीत की एंट्री हुई १३ जुलाई १९५५ को और ७ हफ़्तों तक इस काउण्ट डाउन में रहा और १३-वे पायदन तक चढ़ पाया था यह गीत। जुलिअस ल रोसा अमरीकी पारम्परिक पॊप सिंगर हैं जिन्होने रेडियो और टेलीविज़न, दोनों में ही काम किया है ५० के दशक से। २ जनवरी १९३० में न्यूयार्क में जन्मे जुलिअस ने १९४७ में यूनाइटेड स्टेट्स नेवी जॊयन कर लिया। संगीत की तड़प उन्हे रेडियो और टेलीविज़न की दुनिया में खींच ही लाई। जुलिअस को ज़बरदस्त प्रसिद्धि मिली उनके तीसरे गीत "ए कुम्परी" के ज़रिए जो 'कैश बॊ़ चार्ट्स' में पहला स्थान अर्जित किया तो 'बिलबोर्ड चारट्स' में नंबर-२ तक चढ़े। १९५३ में जुलिअस को Best New Male Vocalist का पुरस्कार भी मिला था। तो आइए सुनते हैं आज का यह गीत किशोर दा की आवाज़ में। और इसी के साथ 'गीत अपना धुन पराई' शृंखला हुई पूरी और साथ ही पूरे हुए 'ओल इज़ गोल्ड' के ४५० अंक। आपको यह शृंखला कैसी लगी, हमें बताइएगा ई-मेल के ज़रिए। आप हमें ई-मेल कर सकते हैं oig@hindyugm.com के पते पर। आपके सुझावों, विचारों, फ़रमाइशों, किसी गीत से जुड़ी यादों, संस्मरणों और दिल की बातों का हम इसी पते पर इंतज़ार करते हैं। हो सकता है कि आने वाले दिनों में हम आपके ई-मेल और फ़रमाइशों पर आधारित 'ओल्ड इज़ गोल्ड' का एक साप्ताहिक विशेषांक भी प्रस्तुत करें। इसलिए दोस्तों, थोड़ी सी फ़ुर्ती दिखाइए और लिख डालिए हमारे ई-मेल पते पर जो भी आप का दिल कहे। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में आप से फिर मुलाक़ात होगी रविवार की शाम एक नई लघु शृंखला के साथ, तब तक के लिए 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की टीम को दीजिए इजाज़त, लेकिन आप बने रहिए 'आवाज़' के साथ। नमस्कार!



क्या आप जानते हैं...
कि 'बढ़ती का नाम दाढ़ी' (१९७४) फ़िल्म में संगीतकार किशोर कुमार ने बप्पी लाहिड़ी से गायक के रूप में उनका पहला गीत गवाया था "ये जवानी चार दिन, प्यार कर ले मेरे यार"।

पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)

१. रफ़ी साहब का साथ किस गायिका ने दिया है इस महकती ग़ज़ल में - ३ अंक.
२. संगीतकार के मामा है हैं इस गीत के गीतकार, नाम बताएं - २ अंक.
३. संगीतकार की पहली फिल्म थी ये, कौन हैं ये आज के दौर के सफल संगीतकार - २ अंक.
४. हरमेश मल्होत्रा की इस फिल्म का नाम बताएं - १ अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
बिलकुल सही जवाब है शरद जी, पवन जी आपको भी दो अंक मुबारक और किश जी आपको भी, प्रतिभा जी आप नयी हैं जाहिर है सवाल आपके लिए मुश्किल रहा होगा, वैसे हमने झुमरू का शीर्षक गीत सुनवाया था, ओल्ड इस गोल्ड की सत्रहवीं कड़ी में देखिये यहाँ

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

SINGHSADAN said…
This post has been removed by the author.
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singhSDM said…
गायिका- चंद्रानी मुखर्जी
*******
PAWAN KUMAR
मेरे पोस्ट करने के साथ ही दूसरे का जवाब आ गया इस लिए मैं संगीतकार बता रहा हूँ : अनु मलिक
indu puri said…
अरे! पूनम हो या अमावस कुछ पता नही,बस सर्वे में लगे हुए हैं.
गीतकार हसरत जयपुरी हो सकते हैं.
sampatk said…
Film: Poonam 1981

Kish..
Ottawa, Canada
Mere khayal se Anu Malik ki paheli film thi "Hunterwali'77", jo release hui thi 1978 mein aur is film ke sangeetkar the Hasrat Jaipuri, producer/director Mohan Choti.

Sirf aap ki jankari ke liye...

Dhanyawaad,

Pratibha
indu puri said…
प्रिय सुजॉय!
नमस्ते
नई तस्वीर में अच्छी लग रही हूँ?
हा हा हा
थेंक्स.जरा बुलंद आवाज में बोलते तो 'ये' भी तो सुनते.
हा हा हा
वैसे सिर पर पल्लू लिए मेरा एक फ़ोटो को देख कर एक साहिब ने मेल किया 'मेम! आप रोज मेरे सपनों में आती हैं इसी रूप में, इसी साड़ी में'
अब उससे क्या कहती?
मैंने कहा-'बाबा! मेरा बेटा तुमसे पांच साल बड़ा है उम्र में.फिर भी थेंक्स.'
और मैंने उसे अपने ब्लोग और ऑरकुट से हमेशा के लिए निकाल दिया.
किन्तु आप? आपका ब्लोग? मेरे अपने लगने लगे हैं एक परिवार जैसे,सुजॉय! .वैसे मैं किसी भी एंगल से एक खूबसूरत औरत नही कही जा सकती. हाँ आकर्षक और रोबीली जरूर लगती हूँ.
हा हा हा
सच्ची.ऐसिच हूँ मैं.
प्यार,सदा खुश रहो.
सही कहा आपने प्रतिभा जी ! अनु मालिक की पहली फिल्म हंटरवाली ही थी , जो 1978 जनवरी को रिलीज़ हुई थी और इसे मोहन चोटी ने बनाया था !

इस तरह तो आज के सवाल में त्रुटी रह गयी... !! ;))

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