Skip to main content

आ अब लौट चलें.....धुन विदेशी ही सही पर पुकार एकदम देसी थी दिल से निकली हुई

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 448/2010/148

राये धुनों को अपने अंदाज़ में ढाल कर हमारे फ़िल्मी संगीतकारों ने कैसे कैसे सुपरहिट गीत हमें दिए हैं, उसी के कुछ नमूने हम इन दिनों पेश कर रहे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की लघु शृंखला 'गीत अपना धुन पराई' के अंतर्गत, और साथ ही साथ उन मूल विदेशी धुनों से संबंधित थो़ड़ी बहुत जानकारियाँ भी दे रहे हैं जो इंटरनेट में गूगलिंग् के ज़रिए हमने खोज निकाला है। एक और संगीतकार जिन्होने बेशुमार विदेशी धुनें अपने गीतों में अपनाई, वो हैं सुप्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी शंकर जयकिशन। आपको एक फ़ेहरिस्त यहाँ दे रहे हैं जिससे आपको अंदाज़ा हो जाएगा कि एस.जे की जोड़ी ने किन किन गीतों में यह शैली अपनाई।

१. दिल उसे दो जो जाँ दे दे (अंदाज़) - 'With a little help from my friends'
२. है ना बोलो बोलो (अंदाज़) - 'Papa loves mama'
३. कोई बुलाए और कोई आए (अपने हुए पराए) - 'Old Beirut'
४. ले जा ले जा (ऐन ईवनिंग् इन पैरिस) - The Shadows, "Man of Mystery"
५. जाने भी दे सनम मुझे (अराउण्ड दि वर्ल्ड) - 'I'll get you' by Beatles
६. आज की रात (अमन) - "Too much tequila" by the Champs
७. घर आया मेरा परदेसी (आवारा) - Egyptian Diva Umm Khalthoum - 'Ala Balad El Mahboub'
८. बिन देखे और बिन पहचाने (जब प्यार किसी से होता है) - 'Dancing Eyes' (Abbo Oubib Ghanoura)
९. मैं आशिक़ हूँ बहारों का (आशिक़) - 'Return to Paradise' (Sanargi'u)
१०. जिया हो जिया हो जिया कुछ बोल दो (जब प्यार किसी से होता है) - Sarah Vaughan's 1958 track, Broken Hearted Melody
११. कौन है जो सपनों में आया (झुक गया आसमान) - Elvis Presley's song Margarita from the movie Fun in Acapulco
१२. सुकू सुकू (जंगली) - Nina and Frederik's 'Sucu sucu'
१३. देखो अब तो किसको नहीं है ख़बर (जानवर) - 'I want to hold your hand' by Beatles
१४. जान-एचमन शोला बदन (गुमनाम) - Les feuilles mortes (Yves Montand) | Autumn Leaves (Édith Piaf)
१५. गुमनाम है कोई (गुमनाम) - Henry Mancini's theme for the movie Charade
१६. पंछी बनूँ उड़ती फिरूँ - Scottish song, 'Coming through the rye'
१७. आजा सनम मधुर चांदनी में हम (चोरी चोरी) - Italian folk tune, 'Tarantella'
१८. अजीब दासताँ है ये (दिल अपना और प्रीत पराई) - Jim Reeves 1956 hit, 'My lips are sealed'
१९. इतनी बड़ी महफ़िल और इक दिल (दिल अपना और प्रीत पराई) - Harry Belafonte number 'Banana Boat Song
२०. दो मस्ताने (मैं सुंदर हूँ) - Elvis number, 'Wooden heart'
२१. सोच रही हूँ कि कहूँ ना कहूँ (एक फूल चार कांटें) - Italian track by name, 'Piccolissima Serenata'.
२२. अ‍इगा अ‍इगा (बॊयफ़्रेण्ड) - Connie Francis' 1958 swinging chartbuster, 'Stupid Cupid'
२३. सायोनारा (लव इन टोकियो) - Albert Ketelby's 1920 orchestral piece, 'In a Persian Marke'
२४. रसा सायंग (सिंगापुर) - Indonesian folk song of the same name Rasa Sayang

इस लिस्ट में आपने ग़ौर किया होगा कि शंकर जयकिशन ने केवल अंग्रेज़ी गीतों के धुनों का ही इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि ईजीप्ट, स्कॊटलैण्ड, इटली और इंडोनेशिया जैसे देशों के लोक संगीत का भी किस सुंदरता से हिंदी फ़िल्मी रचनाओं में प्रयोग किया। चलिए आपको एक ऐसा गीत सुनवाया जाए जो उपर की लिस्ट में तो नहीं है लेकिन जिस मूल धुन से प्रेरीत है वह धुन है इटली का। यह गीत है 'जिस देश में गंगा बहती है' फ़िल्म का मशहूर देश भक्ति गीत "आ अब लौट चलें"। मुकेश, लता मंगेशकर और साथियों की आवाज़ों में इस गीत के धुन की प्रेरणा एस.जे को मिली "सिआओ सिआओ बैम्बिना" (Ciao, ciao bambina) से। आपने ग़ौर किया होगा कि आज की युवा पीढ़ी 'Ciao' शब्द का प्रयोग ख़ूब करते हैं, जिसका अर्थ है 'Bye'। इस तरह से Ciao, ciao bambina का मतलब हुआ Bye, Bye Baby। इस गीत को १९५९ में यूरोविज़न सॊंग्‍ कॊण्टेस्ट में इटली की तरफ़ से भेजा गया था जिसे परफ़ॊर्म किया था डोमेनिको मोदुगनो ने। यह एक नाटकीय बैलेड है जिसमें अपनी प्रेमिका से यह कहा जा रहा है कि उनका रिश्ता अब बस ख़त्म होने ही वाला है। वो उसे एक किस करे और जाने दे। फिर वापस मुड़ कर ना देखे और वहाँ से चली जाए क्योंकि उसके दिल में अब भी प्यार बाकी है, कहीं वो कमज़ोर ना पड़ जाए। और दोस्तों, इत्तीफ़ाक़ देखिए कि हिंदी वाले गीत में भी जुदाई का ही माहौल है। अपने देश लौटने की बात हो रही है, इसका मतलब कहीं से तो बिछड़ ही रहे हैं ना! क्या ख़ूब ऒरकेस्ट्रेशन है इस गीत में। कोरस का क्या सही इस्तेमाल है, बिलकुल choir के अंदाज़ का। युं भी कह सकते हैं कि प्रील्यूड और इंटरल्यूड म्युज़िक पूरी तरह से इसी कोरल सिंगिंग् को आधार बनाकर तैयार किया गया है। "आ जा रे" की आलाप के साथ लता जी इतनी ऊँची पट्टी पर पहुँचती हैं कि आज भी हम चमत्कृत रह जाते हैं। तो आइए एस.जे की एक और लाजवाब कृति सुनते हैं। आप में से जो भी इस वक्त अपनी मिट्टी से दूर हैं, विदेश में हैं, इस गीत को सुनते ही आपकी आँखें नम हो जाएँगी। हम चाहते तो नहीं कि आपकी आँखें कभी भी नम हों, लेकिन इस नमी का अर्थ भी तो अपने देश के लिए प्यार ही है ना!



क्या आप जानते हैं...
कि "आ अब लौट चलें" गीत की रिकार्डिंग् से पहले ३६ घण्टे की रिहर्सल हुई थी।

पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)

१. एडमुण्डो रॊस के क्लासिक "चिको चिको ओ पोरटिको" से प्रेरित है ये मस्ती भरा गीत, संगीतकार बताएं - २ अंक.
२. इस महिला युगल में लता का साथ किस गायिका ने दिया है - ३ अंक.
३. रमेश सहगल निर्देशित इस हिट फिल्म का नाम बताएं - १ अंक.
४. गीतकार बताएं - २ अंक

पिछली पहेली का परिणाम -
अरे वाह अवध जी, ३ अंक कमाए आपने, शरद जो और किश जी को भी २ अंक मिलेंगें. सिंह जी फिर पीछे रह गए. पी एन जी ने बहुत अच्छी जानकारी दी, इंदु जी हम भी आपको मिस करते हैं, जल्दी फ्री हो के आईये

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

Singer : amir Bai Karnataki
AVADH said…
संगीतकार: सी रामचंद्र
अवध लाल
Anonymous said…
Film: Samadhi 1950

Pratibha
Kanata, Canada
Anonymous said…
Geetkar: Rajinder Krishan

Kish...
Ottawa, Canada
indu puri said…
हे भगवान ! आप लोग 'गोरे गोरे ओ बांके छोरे कभी मेरी गली आया करो' की ही बात कर रहे हैं.है ना?
चलिए 'हम आपकी महफ़िल में याद करते हुए(भूले से चले आये नही लिखूंगी) चले आये. हो माफ खता अपनी,जरा देर से हैं आये.पर आ ही गए.
हा हा हा
RAJ SINH said…
बहुत अच्छी जानकारी .कोई इसे चोरी भी कह सकता है पर मैं तो कत्तई नहीं . दर असल संगीत पूरी दुनिया का होता है और सास्वत भी .सब सात सुरों में ही जब समस्त महासागर संगीत का छुपा हो तो सब अपने अपने ढंग से अपने अपने मोती पेश करते हैं .

अपनी आगामी फिल्म के लिए दो गाने ,जो महीनों पहले रिकार्ड हो गए थे उनकी मिक्सिंग अब कर रहा हूँ और उसका एक गीत प्रसिद्द नंबर ' मैकरीना ' पर आधारित अहसास है . हाँ गीत संगीत मेरा .

शैलेश से बात कर ली है और शीघ्र ही ये दोनों गाने हमेशा की तरह सब से पहले आवाज़ पर ही गूंजेंगे .

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट