सुनो कहानी: पंडित सुदर्शन की "अठन्नी का चोर"
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार पंडित सुदर्शन की कहानी "साईकिल की सवारी" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं हिंदी और उर्दू के अमर साहित्यकार पंडित सुदर्शन की प्रसिद्ध कहानी "अठन्नी का चोर", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। यथार्थ से आदर्श का सन्देश देने वाले सुदर्शन जी की कहानियों का लक्ष्य समाज व राष्ट्र को सुन्दर व मजबूत बनाना है । इस कहानी मे न्यायिक व्यवस्था पर व्यंग है ।
पंडित सुदर्शन की कालजयी रचना "हार की जीत", को सुनो कहानी में शरद तैलंग की आवाज़ में हम आपके लिए पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं।
कहानी "अठन्नी का चोर" का कुल प्रसारण समय 21 मिनट 28 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
नीचे के प्लेयर से सुनें।
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
VBR MP3
#71th Story, Athanni Ka Chor: Pt. Sudarshan/Hindi Audio Book/2010/16. Voice: Archana
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अर्चना चावजी की आवाज़ में प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार पंडित सुदर्शन की कहानी "साईकिल की सवारी" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं हिंदी और उर्दू के अमर साहित्यकार पंडित सुदर्शन की प्रसिद्ध कहानी "अठन्नी का चोर", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। यथार्थ से आदर्श का सन्देश देने वाले सुदर्शन जी की कहानियों का लक्ष्य समाज व राष्ट्र को सुन्दर व मजबूत बनाना है । इस कहानी मे न्यायिक व्यवस्था पर व्यंग है ।
पंडित सुदर्शन की कालजयी रचना "हार की जीत", को सुनो कहानी में शरद तैलंग की आवाज़ में हम आपके लिए पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं।
कहानी "अठन्नी का चोर" का कुल प्रसारण समय 21 मिनट 28 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
“अब कोई दीन-दुखियों से मुँह न मोड़ेगा।” ~ सुदर्शन (मूल नाम: पंडित बद्रीनाथ भट्ट) (1895-1967) पांचवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में पहली बार "हार का जीत" पढी थी। तब से ही इसके लेखक के बारे में जानने की उत्सुकता थी। दुःख की बात है कि हार की जीत जैसी कालजयी रचना के लेखक के बारे में जानकारी बहुत कम लोगों को है। गुलज़ार और अमृता प्रीतम पर आपको अंतरजाल पर बहुत कुछ मिल जाएगा मगर यदि आप पंडित सुदर्शन की जन्मतिथि, जन्मस्थान (सिआलकोट) या कर्मभूमि के बारे में ढूँढने निकलें तो निराशा ही होगी। मुंशी प्रेमचंद और उपेन्द्रनाथ अश्क की तरह पंडित सुदर्शन हिन्दी और उर्दू में लिखते रहे हैं। उनकी गणना प्रेमचंद संस्थान के लेखकों में विश्वम्भरनाथ कौशिक, राजा राधिकारमणप्रसाद सिंह, भगवतीप्रसाद वाजपेयी आदि के साथ की जाती है। लाहोर की उर्दू पत्रिका हज़ार दास्ताँ में उनकी अनेकों कहानियां छपीं। उनकी पुस्तकें मुम्बई के हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय द्वारा भी प्रकाशित हुईं। उन्हें गद्य और पद्य दोनों ही में महारत थी। पंडित जी की पहली कहानी "हार की जीत" १९२० में सरस्वती में प्रकाशित हुई थी। मुख्य धारा के साहित्य-सृजन के अतिरिक्त उन्होंने अनेकों फिल्मों की पटकथा और गीत भी लिखे हैं. सोहराब मोदी की सिकंदर (१९४१) सहित अनेक फिल्मों की सफलता का श्रेय उनके पटकथा लेखन को जाता है। सन १९३५ में उन्होंने "कुंवारी या विधवा" फिल्म का निर्देशन भी किया। वे १९५० में बने फिल्म लेखक संघ के प्रथम उपाध्यक्ष थे। वे १९४५ में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित अखिल भारतीय हिन्दुस्तानी प्रचार सभा वर्धा की साहित्य परिषद् के सम्मानित सदस्यों में थे। उनकी रचनाओं में तीर्थ-यात्रा, पत्थरों का सौदागर, पृथ्वी-वल्लभ, बचपन की एक घटना, परिवर्तन, अपनी कमाई, हेर-फेर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। फिल्म धूप-छाँव (१९३५) के प्रसिद्ध गीत तेरी गठरी में लागा चोर, बाबा मन की आँखें खोल आदि उन्ही के लिखे हुए हैं। (निवेदक: अनुराग शर्मा) बच्चे बीमार हैं और रुपया नहीं। (पंडित सुदर्शन की "अठन्नी का चोर" से एक अंश) |
नीचे के प्लेयर से सुनें।
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)
यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
VBR MP3
#71th Story, Athanni Ka Chor: Pt. Sudarshan/Hindi Audio Book/2010/16. Voice: Archana
Comments
यह कहानी मैंने पहली बार सुनी. सुदर्शन जी की एनी रचनाओं की तरह ही इसमें भी सामाजिक विषमता की करूँ गाथा को सरल भाषा में रोचक तरीके से कहा गया है. आपके वाचन ने इस कहानी को सर्व सुलभ किया.
आभार!