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क्रांतिकारी कवि प्रदीप ने फ़िल्मी गीतों को दी आकाश सी ऊंचाई, रचकर एक से एक कालजयी गीत

ओल्ड इस गोल्ड /रिवाइवल # १८

'ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल' में हमारे आज के गीत के गीतकार एक ऐसे शख़्स हैं जिनकी लेखनी और गायकी में झलकता है उनका अपने देश के प्रति प्रेम और देशवासियों में जागरूक्ता लाने की शक्ति। कवि प्रदीप, जिन्होने असंख्य देश भक्ति के गीत और कविताएँ लिखे, जिन्हे पढ़कर देश प्रेम से जैसे ख़ून गरम हो उठता है। पराधीन भरत में भी आज़ादी पर ऐसे ऐसे गीत और कविताएँ लिखे कि उन्हे कई बार अंडरग्राउंड होना पड़ा। आज हम आपको सुनवा रहे हैं फ़िल्म 'जागृति' का वह मशहूर देश भक्ति गीत "आओ बच्चों तुम्हे दिखाएँ झांखी हिंदुस्तान की", जो उन्होने ही गाया था और यह गीत पिक्चराइज़ हुआ था अभि भट्टाचार्य और बच्चों पर। इस फ़िल्म के संगीतकार थे हेमंत कुमार। क्योंकि बात देश भक्ति की चल रही है और संगीतकार हैं हेमन्त कुमार, इसलिए आज हम रुख़ करते हैं हेमन्त दा द्वारा प्रस्तुत किए गए सन् १९७२ के उस 'जयमाला' कार्यक्रम की ओर, जो उन्होने 'बांगलादेश वार' के ठीक बाद प्रस्तुत किया था विविध भारती पर। हमारे वीर फ़ौजी भाइयों से मुख़ातिब उन्होने कहा था - "फ़ौजी भाइयों, विजय का सेहरा सदा आप के सर पर रहे। अन्याय का मुक़ाबला ना करना बहुत बड़ा पाप है। १४ रोज़ के इस जंग को जीत कर, दुश्मनों का मुक़ाबला कर आप ने जो विजय हासिल की है, उसकी तारीफ़ में कुछ कहने के लिए मेरे पास अल्फ़ाज़ नहीं है। दुनिया के इतिहास में जब भी इस लड़ाई का ज़िक्र आयेगा, आप लोगों का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा। आप ने अपने जान की बाज़ी लगाकर हमारे पड़ोसी मुल्क बांगलादेश के लोगों को उनका 'शोनार बांगला' (सोने का बांगला) उन्हे लौटा कर हमारे देश का नाम बहुत ऊँचा कर दिया है। न्याय और शांति के लिए हमारा देश हमेशा लड़ता रहेगा। मेरी पहली फ़िल्म की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। बंकिम चन्द्र चट्टॊपाध्याय का 'आनंदमठ' और उन्ही के कलम से निकला यह गीत, जिसके सहारे हम लोगों ने ना जाने कितनी लड़ाइयाँ लड़ी, वंदे मातरम।"

ओल्ड इस गोल्ड एक ऐसी शृंखला जिसने अंतरजाल पर ४०० शानदार एपिसोड पूरे कर एक नया रिकॉर्ड बनाया. हिंदी फिल्मों के ये सदाबहार ओल्ड गोल्ड नगमें जब भी रेडियो/ टेलीविज़न या फिर ओल्ड इस गोल्ड जैसे मंचों से आपके कानों तक पहुँचते हैं तो इनका जादू आपके दिलो जेहन पर चढ कर बोलने लगता है. आपका भी मन कर उठता है न कुछ गुनगुनाने को ?, कुछ लोग बाथरूम तक सीमित रह जाते हैं तो कुछ माईक उठा कर गाने की हिम्मत जुटा लेते हैं, गुजरे दिनों के उन महान फनकारों की कलात्मक ऊर्जा को स्वरांजली दे रहे हैं, आज के युग के कुछ अमेच्युर तो कुछ सधे हुए कलाकार. तो सुनिए आज का कवर संस्करण

गीत - आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ...
कवर गायन - डाक्टर पारसमणी आचार्य, नंदिता, एन वी कृष्णन, प्रदीप सोमसुन्दरन, शारदा और आज़म खान




ये कवर संस्करण आपको कैसा लगा ? अपनी राय टिप्पणियों के माध्यम से हम तक और इस युवा कलाकार तक अवश्य पहुंचाएं


डाक्टर पारसमणी आचार्य
मैं पारसमणी राजकोट गुजरात से हूँ, पापा पुलिस में थे और बहुत से वाध्य बजा लेते थे, उनमें से सितार मेरा पसंदीदा था. माँ भी HMV और AIR के लिए क्षेत्रीय भाषा में पार्श्वगायन करती थी, रेडियो पर मेरा गायन काफी छोटी उम्र से शुरू हो गया था. मैं खुशकिस्मत हूँ कि उस्ताद सुलतान खान साहब, बेगम अख्तर, रफ़ी साहब और पंडित रवि शंकर जी जैसे दिग्गजों को मैंने करीब से देखा और उनका आशीर्वाद पाया. गायन मेरा शौक तब भी था और अब भी है, रफ़ी साहब, लता मंगेशकर, सहगल साहब, बड़े गुलाम अली खान साहब और आशा भोसले मेरी सबसे पसंदीदा हैं


विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड के ४०० शानदार एपिसोड आप सब के सहयोग और निरंतर मिलती प्रेरणा से संभव हुए. इस लंबे सफर में कुछ साथी व्यस्तता के चलते कभी साथ नहीं चल पाए तो कुछ हमसे जुड़े बहुत आगे चलकर. इन दिनों हम इन्हीं बीते ४०० एपिसोडों के कुछ चर्चित अंश आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं इस रीवायिवल सीरीस में, ताकि आप सब जो किन्हीं कारणों वश इस आयोजन के कुछ अंश मिस कर गए वो इस मिनी केप्सूल में उनका आनंद उठा सकें. नयी कड़ियों के साथ हम जल्द ही वापस लौटेंगें

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