ताज़ा सुर ताल ०८/२०१०
सुजॉय- सजीव आज आपके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी है, इसकी वजह...
सजीव- हाँ सुजॉय मैं हिंद युग्म के अपने प्रोडक्ट "काव्यनाद" को विश्व पुस्तक मेले में मिली आपार सफलता और वाह वाही से बहुत खुश हूँ.
सुजॉय- हाँ सजीव मैंने भी यह अल्बम सुनी, और सच कहूँ तो ये मेरी अपेक्षाओं से कहीं बेहतर निकली, इतनी पुरानी कविताओं पर इतनी मधुर धुनें बन सकती है, यकीं नहीं होता.
सजीव- बिलकुल सुजॉय, ये इतना आसान हरगिज़ नहीं था, पर जैसा कि मैंने हमेश विश्वास जताया है युग्म के सभी संगीतकार बेहद प्रतिभाशाली हैं, ये सब कुछ संभव कर सकते हैं.
सुजॉय- तो इसका अर्थ है सजीव कि आज हम इसी अनूठी अल्बम को ताज़ा सुर ताल में पेश करने जा रहे हैं ?
सजीव- जी सुजॉय, काव्यनाद प्रसाद, निराला, दिनकर, महादेवी, पन्त, और गुप्त जैसे हिंदी के प्रतीक कवियों की ६ कविताओं का संगीतबद्ध संकलन है, ६ कविताओं को संगीत के अलग अलग अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है, कुल १४ गीत हैं, और सबसे अच्छी बात ये हैं कि सभी एक दूसरे से बेहद अलग ध्वनि देते हैं.
सुजॉय- सबसे पहले मैं इसमें से उस गीत को सुनवाना चाहूँगा जो मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत पसंद आया, धर्मेन्द्र कुमार सिंह की आवाज़ में पन्त की ये रचना बेहद मधुर बन पड़ी है. इसका रेट्रो फील मुझे बहुत भाया.
सजीव- धर्मेन्द्र हिंदी भोजपुरी के एक युवा गायक हैं, जिनमें बहुत संभावना नज़र आती है, संगीत संयोजन अखिलेश कुमार का है, सुनते हैं ये गीत
प्रथम रश्मि का आना (धर्मेन्द्र कुमार), पारंपरिक संस्करण....pratham reshmi (kavyanaad)
सुजॉय -बहुत खूब था ये गीत. धमेन्द्र की आवाज़ में मुकेश की गायिकी झलकती है कहीं न कहीं...
सजीव -हाँ, चलिए अब सुनते हैं जय शंकर प्रसाद की एक देशभक्ति रचना...
सुजॉय- इसे स्वप्न मंजूषा शैल ने भी बहुत अच्छा गाया है, पर आप शायद युवा गायक कृष्ण राज कुमार का संस्करण सुनवाने जा रहे हैं...ठीक ?
सजीव - हाँ, दरअसल कृष्ण एक ऐसे संगीतकार/गायक हैं जिनका दूसरे सत्र में योगदान मात्र एक गीत का था, कोई भी उनसे बहुत उम्मीद नहीं कर रहा था. पर देखिये न सिर्फ उन्होंने हर बार हिस्सा लिया, वो लगभग हर बार कोई न कोई सम्मान भी जीतते चले गए.
सुजॉय- सजीव काव्यनाद के बनने की कहानी भी ज़रा संक्षिप्त में हमारे श्रोताओं को बताईये.
सजीव- हाँ जरूर, दरअसल "पहला सुर" जो युग्म के संगीत का पहला प्रोडक्ट था के माध्यम से हमारे पास नए उभरते हुए कलाकारों का एक अच्छा ख़ासा पूल जमा हो गया था. युग्म से लंबे समय से जुड़े, रेडियो सलाम नमस्ते के उद्घोषक, कवि, वैज्ञानिक और हिन्दीकर्मी आदित्य प्रकाश ने इस बेमिसाल सुझाव को सामने रखा. शुरू में हम झिझक रहे थे कि कैसे हमारे नयी सदी के संगीतकार इन क्लास्सिक रचनाओं के साथ न्याय कर पायेंगें, इसलिए प्रतियोगिता का स्वरूप अपनाया, ताकि अधिक से अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेने के लिए प्रेरित हों. इन विजेताओं को पुरस्कार दिए गए उस राशि को भी आदित्य प्रकाश जी, शेर बहादुर सिंह जी, डॉ॰ ज्ञान प्रकाश सिंह जी, अशोक कुमार जी, डॉ॰ कमल किशोर सिंह, दीपक चौरसिया 'मशाल', डॉ॰ शिरीष यकुन्डी, डॉ॰ प्रशांत कोले, डॉ॰ रघुराज प्रताप सिंह ठाकुर और शैलेश त्रिपाठी ने प्रायोजित किया.
सुजॉय- सजीव बातें बहुत से लोग कर लेते हैं, पर वास्तव में कुछ करना क्या होता है ये आदित्य जी और उनकी टीम ने सिखाया है, भाषा के इन सच्चे सपूतों को सलाम करते हुए सुनते हैं, ये गीत
गीत - अरुण ये मधुमय देश हमारा (कृष्ण राजकुमार) arun ye madhumay desh (kavyanaad)
सजीव- जो तुम आ जाते एक बार....
सुजॉय- किसकी बात कर रहे हो सजीव.
सजीव- महादेवी जी की इस अनमोल रचना के बारे में कुछ कहने को मेरे पास शब्द नहीं हैं...
सुजॉय- पर मेरे पास एक युवा गायिका, कुहू गुप्ता के बारे में कहने को बहुत कुछ है...पुणे में रहने वाली कुहू गुप्ता पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गायकी इनका जज्बा है। ये पिछले 5 वर्षों से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई गायन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है और इनाम जीते हैं। इन्होंने ज़ी टीवी के प्रचलित कार्यक्रम 'सारेगामा' में भी 2 बार भाग लिया है। जहाँ तक गायकी का सवाल है तो इन्होंने कुछ व्यवसायिक प्रोजेक्ट भी किये हैं।
सजीव- हिंद युग्म पर आई सबसे सुरीली आवाजों में है कुहू गुप्ता की आवाज़. और देखिये तो ज़रा इस गीत में उन्होंने कितने खूबसूरत रंग भर दिए हैं. वैसे इस गीत के संगीतकार श्रीनिवास के बारे में भी थोडा सा बताना चाहूँगा. मूलरूप से तेलगू और उड़िया गीतों में संगीत देने वाले श्रीनिवास पांडा का एक उड़िया एल्बम 'नुआ पीढ़ी' रीलिज हो चुका है। इन दिनों हैदराबाद में हैं और अमेरिकन बैंक में कार्यरत हैं।
सुजॉय- अब सुन लिया जाए ये गीत
गीत - जो तुम आ जाते एक बार (कुहू/श्रीनिवास) jo tum aa jaate ek baar (kavyanaad)
सजीव- कुहू की तरह ही एक और उभरते हुए गायक के साथ टीम बनायीं है श्रीनिवास ने अगले गीत के लिए.
सुजॉय- हिन्द-युग्म के दूसरे सत्र में इनके 5 गीत (जीत के गीत, मेरे सरकार, ओ साहिबा, रूबरू और वन अर्थ-हमारी एक सभ्यता) ज़ारी हो चुके हैं। ओडिसा की मिट्टी में जन्मे बिस्वजीत शौकिया तौर पर गाने में दिलचस्पी रखते हैं। वर्तमान में लंदन (यूके) में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर रहे हैं। इनका एक और गीत जो माँ को समर्पित है, उसे हमने विश्व माँ दिवस पर रीलिज किया था।
सजीव- हाँ सुजॉय बिस्वजीत की आवाज़ के बहुत से प्रशंसक हैं पहले ही, तो बिना अधिक कुछ कहे सुन लेते हैं ते गीत
गीत - स्नेह निर्झर (बिस्वजीत/श्रीनिवास)...sneh nirjhar (kavyanaad)
सजीव- सुजॉय यहाँ मैं आदित्य जी एक और साथी और काव्यनाद के एक और प्रायोजक का जिक्र करना चाहूँगा. ये हैं डॉ॰ ज्ञान प्रकाश सिंह, जो पिछले 30 वर्षों से मानचेस्टर, यूके में प्रवास कर रहे हैं। कवि हृदयी, कविता-मर्मज्ञ और साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने वाले- ये सभी इनके विशेषण हैं।
सुजॉय- जी बिकुल तभी तो इन्होने आगे बढ़ कर इस बड़े आयोजन में अपना योगदान दिया. इनके अलावा रिवरहेड, न्यूयार्क के कमल किशोर सिंह जी भी हैं जो पेशे से डॉक्टर हैं। हिन्दी तथा भोजपुरी में कविताएँ लिखते हैं। इन्होने गीतकास्ट प्रतियोगिता में हिस्सा भी लिया है हर बार. जीते तो नहीं पर फिर भी आयोजन की एक कड़ी को प्रायोजित कर स्पोर्ट्स मेन् शिप दिखाई और साहित्य सेवा में अपना समर्पण भी.
सजीव- राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कलम आज उनकी जय बोल" को स्वरबद्ध करना निश्चित ही आसान नहीं रहा होगा, पर एक बार हमारे संगीतकारों ने अपना लोहा मनवाया.
सुजॉय- इस गीत में एक और नयी आवाज़ सुनाई पड़ती है -प्रदीप सोम सुन्दरन की. जो लोग टीवी पर म्यूजिकल शो देखने के शौक़ीन हैं, उन्होंने भारतीय टेलीविजन पर पहले सांगैतिक आयोजन 'मेरी आवाज़ सुनो' को ज़रूर देखा होगा। प्रदीप सोमसुंदरन को इसी कार्यक्रम में सन 1996 में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक चुना गया था और लता मंगेशकर सम्मान से सम्मानित किया गया था।
सजीव- प्रदीप कनार्टक शास्त्रीय गायन के अतिरिक्त हिन्दी, मलयालम, तमिल, तेलगू, अंग्रेज़ी और जापानी आदि भाषाओं में ग़ज़लें और भजन गाते हैं। इन्होंने कई मलयालम फिल्मी गीतों में अपनी आवाज़ दी है। इस गीत में आप हिंद युग्मी निखिल आनंद गिरी की भी आवाज़ सुन सकते हैं.
गीत - कलम आज उनकी जय बोल (निखिल/प्रदीप/श्रीनिवास)... kalam aaj unki jai bol (kavyanaad)
सुजॉय- अब बारी आज के अंतिम गीत की. एक चिर प्रेरणा है इस गीत में, यूं तो इस गीत के भी सभी संस्करण बहुत खूब हैं, पर इस गीत के बहाने कुछ चर्चा कर लें रफीक शेख की भी, इन्हें तो आवाज़ के दूसरे सत्र में सर्वश्रेष्ठ गीत का पुरस्कार भी मिला है न ?
सजीव- जी सुजॉय, रफ़ीक़ शेख आवाज़ टीम की ओर से पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ गायक-संगीतकार घोषित किये जा चुके हैं। रफ़ीक ने दूसरे सत्र के संगीत मुकाबले में अपने कुल 3 गीत (सच बोलता है, आखिरी बार, जो शजर सूख गया है) दिये और तीनों के तीनों गीतों ने शीर्ष 10 में स्थान बनाया।
सुजॉय- वाह, चलिए रफ़ीक भाई को सुनते हैं मगर उससे पहले दीपक मशाल और उनके साथियों का भी जिक्र कर दें जिन्होंने उस आयोजन को मुक्कमल करने में विद्यार्थी होने के बावजूद योगदान दिया.
सजीव- बिलकुल सुजॉय, अगर चाहत हो मन में तो सब कुछ संभव है....यही सीख है गुप्त जी की एक कविता में भी, सुनिए
गीत - नर हो न निराश करो (रफीक शेख) nar ho na niraash karo (kavyanaad)
"काव्यनाद" के संगीत को आवाज़ रेटिंग ****
काव्यनाद एक अनूठी पहल है, बहुत कुछ नया है और प्रयोगात्मक भी. आज की पीढ़ी को लगभग १०० वर्ष पहले लिखी कविताओं को इस रूप में पेश करने का प्रयास सराहनीय है, पर अभी प्रस्तुति के मामले में सुधार की गुन्जायिश है, हिंद युग्म ने अपने पहले प्रोडक्ट से बेहतर काम दिखाया है इस बार, उम्मीद करेंगें कि आने वाले प्रोडक्ट्स और बेहतर साबित होंगें.
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # २२- काव्यनाद के विमोचन के साथ साथ हिंद युग्म आवाज़ ने एक और अनूठी एल्बम को भी उतरा है, बीते पुस्तक मेले में इसकी भी खूब चर्चा रही, इस अल्बम का नाम बताएं.
TST ट्रिविया # २३ लन्दन ड्रीम्स में एक मशहूर गीत गाने वाले गायक की आवाज़ भी है "काव्यनाद" में, कौन हैं ये गायक ?
TST ट्रिविया # २४ एल्बम "काव्यनाद" का विमोचन किसी मशहूर हस्ती के हाथों हुआ
TST ट्रिविया में अब तक -
अनुराग जी दो सही जवाब मिले आपके और ४ अंकों से खाता खुला है आपका...बधाई
सुजॉय- सजीव आज आपके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी है, इसकी वजह...
सजीव- हाँ सुजॉय मैं हिंद युग्म के अपने प्रोडक्ट "काव्यनाद" को विश्व पुस्तक मेले में मिली आपार सफलता और वाह वाही से बहुत खुश हूँ.
सुजॉय- हाँ सजीव मैंने भी यह अल्बम सुनी, और सच कहूँ तो ये मेरी अपेक्षाओं से कहीं बेहतर निकली, इतनी पुरानी कविताओं पर इतनी मधुर धुनें बन सकती है, यकीं नहीं होता.
सजीव- बिलकुल सुजॉय, ये इतना आसान हरगिज़ नहीं था, पर जैसा कि मैंने हमेश विश्वास जताया है युग्म के सभी संगीतकार बेहद प्रतिभाशाली हैं, ये सब कुछ संभव कर सकते हैं.
सुजॉय- तो इसका अर्थ है सजीव कि आज हम इसी अनूठी अल्बम को ताज़ा सुर ताल में पेश करने जा रहे हैं ?
सजीव- जी सुजॉय, काव्यनाद प्रसाद, निराला, दिनकर, महादेवी, पन्त, और गुप्त जैसे हिंदी के प्रतीक कवियों की ६ कविताओं का संगीतबद्ध संकलन है, ६ कविताओं को संगीत के अलग अलग अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है, कुल १४ गीत हैं, और सबसे अच्छी बात ये हैं कि सभी एक दूसरे से बेहद अलग ध्वनि देते हैं.
सुजॉय- सबसे पहले मैं इसमें से उस गीत को सुनवाना चाहूँगा जो मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत पसंद आया, धर्मेन्द्र कुमार सिंह की आवाज़ में पन्त की ये रचना बेहद मधुर बन पड़ी है. इसका रेट्रो फील मुझे बहुत भाया.
सजीव- धर्मेन्द्र हिंदी भोजपुरी के एक युवा गायक हैं, जिनमें बहुत संभावना नज़र आती है, संगीत संयोजन अखिलेश कुमार का है, सुनते हैं ये गीत
प्रथम रश्मि का आना (धर्मेन्द्र कुमार), पारंपरिक संस्करण....pratham reshmi (kavyanaad)
सुजॉय -बहुत खूब था ये गीत. धमेन्द्र की आवाज़ में मुकेश की गायिकी झलकती है कहीं न कहीं...
सजीव -हाँ, चलिए अब सुनते हैं जय शंकर प्रसाद की एक देशभक्ति रचना...
सुजॉय- इसे स्वप्न मंजूषा शैल ने भी बहुत अच्छा गाया है, पर आप शायद युवा गायक कृष्ण राज कुमार का संस्करण सुनवाने जा रहे हैं...ठीक ?
सजीव - हाँ, दरअसल कृष्ण एक ऐसे संगीतकार/गायक हैं जिनका दूसरे सत्र में योगदान मात्र एक गीत का था, कोई भी उनसे बहुत उम्मीद नहीं कर रहा था. पर देखिये न सिर्फ उन्होंने हर बार हिस्सा लिया, वो लगभग हर बार कोई न कोई सम्मान भी जीतते चले गए.
सुजॉय- सजीव काव्यनाद के बनने की कहानी भी ज़रा संक्षिप्त में हमारे श्रोताओं को बताईये.
सजीव- हाँ जरूर, दरअसल "पहला सुर" जो युग्म के संगीत का पहला प्रोडक्ट था के माध्यम से हमारे पास नए उभरते हुए कलाकारों का एक अच्छा ख़ासा पूल जमा हो गया था. युग्म से लंबे समय से जुड़े, रेडियो सलाम नमस्ते के उद्घोषक, कवि, वैज्ञानिक और हिन्दीकर्मी आदित्य प्रकाश ने इस बेमिसाल सुझाव को सामने रखा. शुरू में हम झिझक रहे थे कि कैसे हमारे नयी सदी के संगीतकार इन क्लास्सिक रचनाओं के साथ न्याय कर पायेंगें, इसलिए प्रतियोगिता का स्वरूप अपनाया, ताकि अधिक से अधिक प्रतिभागी हिस्सा लेने के लिए प्रेरित हों. इन विजेताओं को पुरस्कार दिए गए उस राशि को भी आदित्य प्रकाश जी, शेर बहादुर सिंह जी, डॉ॰ ज्ञान प्रकाश सिंह जी, अशोक कुमार जी, डॉ॰ कमल किशोर सिंह, दीपक चौरसिया 'मशाल', डॉ॰ शिरीष यकुन्डी, डॉ॰ प्रशांत कोले, डॉ॰ रघुराज प्रताप सिंह ठाकुर और शैलेश त्रिपाठी ने प्रायोजित किया.
सुजॉय- सजीव बातें बहुत से लोग कर लेते हैं, पर वास्तव में कुछ करना क्या होता है ये आदित्य जी और उनकी टीम ने सिखाया है, भाषा के इन सच्चे सपूतों को सलाम करते हुए सुनते हैं, ये गीत
गीत - अरुण ये मधुमय देश हमारा (कृष्ण राजकुमार) arun ye madhumay desh (kavyanaad)
सजीव- जो तुम आ जाते एक बार....
सुजॉय- किसकी बात कर रहे हो सजीव.
सजीव- महादेवी जी की इस अनमोल रचना के बारे में कुछ कहने को मेरे पास शब्द नहीं हैं...
सुजॉय- पर मेरे पास एक युवा गायिका, कुहू गुप्ता के बारे में कहने को बहुत कुछ है...पुणे में रहने वाली कुहू गुप्ता पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गायकी इनका जज्बा है। ये पिछले 5 वर्षों से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई गायन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है और इनाम जीते हैं। इन्होंने ज़ी टीवी के प्रचलित कार्यक्रम 'सारेगामा' में भी 2 बार भाग लिया है। जहाँ तक गायकी का सवाल है तो इन्होंने कुछ व्यवसायिक प्रोजेक्ट भी किये हैं।
सजीव- हिंद युग्म पर आई सबसे सुरीली आवाजों में है कुहू गुप्ता की आवाज़. और देखिये तो ज़रा इस गीत में उन्होंने कितने खूबसूरत रंग भर दिए हैं. वैसे इस गीत के संगीतकार श्रीनिवास के बारे में भी थोडा सा बताना चाहूँगा. मूलरूप से तेलगू और उड़िया गीतों में संगीत देने वाले श्रीनिवास पांडा का एक उड़िया एल्बम 'नुआ पीढ़ी' रीलिज हो चुका है। इन दिनों हैदराबाद में हैं और अमेरिकन बैंक में कार्यरत हैं।
सुजॉय- अब सुन लिया जाए ये गीत
गीत - जो तुम आ जाते एक बार (कुहू/श्रीनिवास) jo tum aa jaate ek baar (kavyanaad)
सजीव- कुहू की तरह ही एक और उभरते हुए गायक के साथ टीम बनायीं है श्रीनिवास ने अगले गीत के लिए.
सुजॉय- हिन्द-युग्म के दूसरे सत्र में इनके 5 गीत (जीत के गीत, मेरे सरकार, ओ साहिबा, रूबरू और वन अर्थ-हमारी एक सभ्यता) ज़ारी हो चुके हैं। ओडिसा की मिट्टी में जन्मे बिस्वजीत शौकिया तौर पर गाने में दिलचस्पी रखते हैं। वर्तमान में लंदन (यूके) में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी कर रहे हैं। इनका एक और गीत जो माँ को समर्पित है, उसे हमने विश्व माँ दिवस पर रीलिज किया था।
सजीव- हाँ सुजॉय बिस्वजीत की आवाज़ के बहुत से प्रशंसक हैं पहले ही, तो बिना अधिक कुछ कहे सुन लेते हैं ते गीत
गीत - स्नेह निर्झर (बिस्वजीत/श्रीनिवास)...sneh nirjhar (kavyanaad)
सजीव- सुजॉय यहाँ मैं आदित्य जी एक और साथी और काव्यनाद के एक और प्रायोजक का जिक्र करना चाहूँगा. ये हैं डॉ॰ ज्ञान प्रकाश सिंह, जो पिछले 30 वर्षों से मानचेस्टर, यूके में प्रवास कर रहे हैं। कवि हृदयी, कविता-मर्मज्ञ और साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने वाले- ये सभी इनके विशेषण हैं।
सुजॉय- जी बिकुल तभी तो इन्होने आगे बढ़ कर इस बड़े आयोजन में अपना योगदान दिया. इनके अलावा रिवरहेड, न्यूयार्क के कमल किशोर सिंह जी भी हैं जो पेशे से डॉक्टर हैं। हिन्दी तथा भोजपुरी में कविताएँ लिखते हैं। इन्होने गीतकास्ट प्रतियोगिता में हिस्सा भी लिया है हर बार. जीते तो नहीं पर फिर भी आयोजन की एक कड़ी को प्रायोजित कर स्पोर्ट्स मेन् शिप दिखाई और साहित्य सेवा में अपना समर्पण भी.
सजीव- राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता "कलम आज उनकी जय बोल" को स्वरबद्ध करना निश्चित ही आसान नहीं रहा होगा, पर एक बार हमारे संगीतकारों ने अपना लोहा मनवाया.
सुजॉय- इस गीत में एक और नयी आवाज़ सुनाई पड़ती है -प्रदीप सोम सुन्दरन की. जो लोग टीवी पर म्यूजिकल शो देखने के शौक़ीन हैं, उन्होंने भारतीय टेलीविजन पर पहले सांगैतिक आयोजन 'मेरी आवाज़ सुनो' को ज़रूर देखा होगा। प्रदीप सोमसुंदरन को इसी कार्यक्रम में सन 1996 में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक चुना गया था और लता मंगेशकर सम्मान से सम्मानित किया गया था।
सजीव- प्रदीप कनार्टक शास्त्रीय गायन के अतिरिक्त हिन्दी, मलयालम, तमिल, तेलगू, अंग्रेज़ी और जापानी आदि भाषाओं में ग़ज़लें और भजन गाते हैं। इन्होंने कई मलयालम फिल्मी गीतों में अपनी आवाज़ दी है। इस गीत में आप हिंद युग्मी निखिल आनंद गिरी की भी आवाज़ सुन सकते हैं.
गीत - कलम आज उनकी जय बोल (निखिल/प्रदीप/श्रीनिवास)... kalam aaj unki jai bol (kavyanaad)
सुजॉय- अब बारी आज के अंतिम गीत की. एक चिर प्रेरणा है इस गीत में, यूं तो इस गीत के भी सभी संस्करण बहुत खूब हैं, पर इस गीत के बहाने कुछ चर्चा कर लें रफीक शेख की भी, इन्हें तो आवाज़ के दूसरे सत्र में सर्वश्रेष्ठ गीत का पुरस्कार भी मिला है न ?
सजीव- जी सुजॉय, रफ़ीक़ शेख आवाज़ टीम की ओर से पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ गायक-संगीतकार घोषित किये जा चुके हैं। रफ़ीक ने दूसरे सत्र के संगीत मुकाबले में अपने कुल 3 गीत (सच बोलता है, आखिरी बार, जो शजर सूख गया है) दिये और तीनों के तीनों गीतों ने शीर्ष 10 में स्थान बनाया।
सुजॉय- वाह, चलिए रफ़ीक भाई को सुनते हैं मगर उससे पहले दीपक मशाल और उनके साथियों का भी जिक्र कर दें जिन्होंने उस आयोजन को मुक्कमल करने में विद्यार्थी होने के बावजूद योगदान दिया.
सजीव- बिलकुल सुजॉय, अगर चाहत हो मन में तो सब कुछ संभव है....यही सीख है गुप्त जी की एक कविता में भी, सुनिए
गीत - नर हो न निराश करो (रफीक शेख) nar ho na niraash karo (kavyanaad)
"काव्यनाद" के संगीत को आवाज़ रेटिंग ****
काव्यनाद एक अनूठी पहल है, बहुत कुछ नया है और प्रयोगात्मक भी. आज की पीढ़ी को लगभग १०० वर्ष पहले लिखी कविताओं को इस रूप में पेश करने का प्रयास सराहनीय है, पर अभी प्रस्तुति के मामले में सुधार की गुन्जायिश है, हिंद युग्म ने अपने पहले प्रोडक्ट से बेहतर काम दिखाया है इस बार, उम्मीद करेंगें कि आने वाले प्रोडक्ट्स और बेहतर साबित होंगें.
और अब आज के ३ सवाल
TST ट्रिविया # २२- काव्यनाद के विमोचन के साथ साथ हिंद युग्म आवाज़ ने एक और अनूठी एल्बम को भी उतरा है, बीते पुस्तक मेले में इसकी भी खूब चर्चा रही, इस अल्बम का नाम बताएं.
TST ट्रिविया # २३ लन्दन ड्रीम्स में एक मशहूर गीत गाने वाले गायक की आवाज़ भी है "काव्यनाद" में, कौन हैं ये गायक ?
TST ट्रिविया # २४ एल्बम "काव्यनाद" का विमोचन किसी मशहूर हस्ती के हाथों हुआ
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regards
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