Skip to main content

देख ली तेरी खुदाई...न्याय शर्मा, जयदेव और तलत ने रचा निराशा का एक संसार

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 358/2010/58

'दस महकती ग़ज़लें और एक मख़मली आवाज़', इस शृंखला की आज है आठवीं कड़ी, और पिछले सात ग़ज़लों की तरह आज की ग़ज़ल भी ग़मज़दा ही है। १९६३ की फ़िल्म 'किनारे किनारे' तो फ़िल्म की हैसियत से तो नहीं चली थी, लेकिन इस फ़िल्म के गीत संगीत ने लोगों के दिलों में अच्छी ख़ासी जगह ज़रूर बनाई, जो जगह आज भी बरक़रार है। न्याय शर्मा के लिखे गीत और ग़ज़लें थीं, तो जयदेव का संगीत था। मन्ना डे और मुकेश के साथ साथ इस फ़िल्म में तलत महमूद साहब ने भी एक ऐसी ग़ज़ल गाई जो उनके करीयर की एक बेहद लोकप्रिय और कामयाब ग़ज़ल साबित हुई। याद है ना आपको "देख ली तेरी खुदाई बस मेरा दिल भर गया"? आज इसी ग़ज़ल को यहाँ सुनिए और हमें यक़ीन है कि एक लम्बे समय से आपने इस ग़ज़ल को नहीं सुना होगा। वैसे हमने इस फ़िल्म से मुकेश की आवाज़ में "जब ग़म-ए-इश्क़ सताता है तो हँस लेता हूँ" ग़ज़ल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में सुनवा चुके हैं और इस फ़िल्म से संबंधित जानकारी भी दे चुके हैं और न्याय शर्मा से जुड़ी कुछ बातें भी आपके साथ बाँटा हैं। आज करते हैं तलत महमूद साहब की ही बातें। पुरस्कारों की बात करें तो तलत साहब को जिन प्रमुख पुरस्कारों से नवाज़ा गया है, वो कुछ इस प्रकार हैं - भारत सरकार का पद्मभूषण, महाराष्ट्र राज्य सरकार फ़िल्म पुरस्कार, आशिर्वाद पुरस्कार, मध्य प्रदेश शासन का लता मंगेशकर पुरस्कार, अलामी उर्दू कॊन्फ़्रेन्स पुरस्कार, बॊम्बे फ़िल्म क्रिटिक्स अवार्ड, ग़ालिब अवार्ड, नौशाद अली अवार्ड, फ़िल्म जर्नलिस्ट्स अवार्ड, सिने-गोअर ऐसोसिएशन अवार्ड, बेग़म अख़्तर अवार्ड, ई.एम.आई. लाइफ़ टाइम अचीवमेण्ट अवार्ड, लायन क्लब अवार्ड, और रोटरी कल्ब अवार्ड प्रमुख। लेकिन दोस्तों, इनसे भी बढ़कर जो पुरस्कार तलत साहब को मिला, वह है लाखों, करोड़ों लोगों का प्यार, उनके चाहनेवालों की मोहब्बत, जो उन्हे बेशुमार मिली और आज भी उनके जाने के इतने सालों के बाद भी उन्हे मिल रही है। इससे बढ़कर और क्या पुरस्कार हो सकता है किसी कलाकार के लिए!

तलत महमूद अनेक बार विदेश यात्रा की हैं और हर बार उनके शोज़ में हज़ारों की संख्या में उनके चाहने वाले जमा हुए, हर जगह भीगी आँखों से लोगों ने उनके गाए गीतों को स्वीकारा, खड़े होकर उन्हे सम्मान दिया। सन् १९५६ में तलत पहले भारतीय पार्श्वगायक बने जो किसी दूसरे देश में जाकर व्यावसायिक कॊन्सर्ट में हिस्सा लिया। वह एक ६ शोज़ का टूर था ईस्ट अफ़्रीका क। लेकिन उनकी लोकप्रियता का यह नतीजा हुआ कि केवल ६ शोज़ से बात नही बनी, पब्लिक डीमाण्ड को देखते हुए उन्हे २५ शोज़ करने पड़े। १९६१ में कराची स्टेडियम में ५८,००० की भीड़ जमा हो गई, जिनमें से ज़्यादातर महिलाएँ थीं, केवल तलत साहब को सुनने के लिए। ई.एम.आई कराची ने तलत साहब को सम्मान स्वरूप एक सिल्वर डिस्क भेंट की, और इस तरह से तलत साहब भारत के पहले डिस्क पाने वाले गायक बनें। १९६८ में तलत साहब की वेस्ट इंडीज़ के त्रिनिदाद में ज़बरदस्त स्वागत हुआ उनके कॊन्सर्ट तो बाद की बात थी, उनके स्वागत में एयरपोर्ट पर ही हज़ारों की भीड़ जमा हो गई थी। तलत फ़ैन कल्ब की बैज लगाए हुए लोग सड़क के दोनों तरफ़ कतार में खड़े हो गए थे एयरपोर्ट से लेकर शहर तक। एक खुली लिमोसीन गाड़ी ने तलत को एयरपोर्ट से होटल तक पहुँचाया और तलत साहब गाड़ी से अपने चाहनेवालों के लिए हाथ हिला रहे थे। स्थानीय समाचार पत्रों ने तलत साहब के कॊन्सर्ट का मुख्य पृष्ठ पर जगह दी। उस देश में जहां बॊक्सिंग् बेहद लोकप्रिय खेल है, कभी बॊक्सिंग् को भी इस तरह का कवरेज नहीं मिला था। यहीं बात ख़तम नहीं हुई, वहाँ का बेहद पॊपुलर ग्रूप 'वेस्ट इंडीज़ स्टील बैण्ड' ने एक कैलीप्सो शैली का गीत बनाया "तलत महमूद वी आर प्राउड ऐण्ड ग्लैड, टू हैव अ पर्सोनलिटी लाइक यू हेयर इन त्रिनिदाद"। इस गीत को रेडियो पर बार बार बजाया गया, एयरपोर्ट पर बजाया गया, और सभी म्युज़िक दुकानों पर लगातार बजाया गया। दोस्तों, ये थी तलत साहब की विदेशों में लोकप्रियता की कुछ बातें। और आइए अब सुना जाए आज की ग़ज़ल, जिसके कुल तीन शेर इस प्रकार हैं।

देख ली तेरी ख़ुदाई बस मेरा दिल भर गया,
तेरी रहमत चुप रही मैं रोते रोते मर गया।

मेरे मालिक क्या कहूँ तेरी दुआओं का फ़रेब,
मुझ पे युं छाया कि मुझको घर से बेघर कर गया।

वो बहारें नाचती थी झूमती थी बदलियाँ,
अपनी क़िस्मत याद आते ही मेरा जी डर गया।



क्या आप जानते हैं...
कि तलत महमूद साहब के गीतों पर आधारित एक बैले (नृत्यनाटिका) की रचना की थी न्यु यॊर्क की The Joel Jay Fisher Ballet Company ने।

चलिए अब बूझिये ये पहेली, और हमें बताईये कि कौन सा है ओल्ड इस गोल्ड का अगला गीत. हम आपसे पूछेंगें ४ सवाल जिनमें कहीं कुछ ऐसे सूत्र भी होंगें जिनसे आप उस गीत तक पहुँच सकते हैं. हर सही जवाब के आपको कितने अंक मिलेंगें तो सवाल के आगे लिखा होगा. मगर याद रखिये एक व्यक्ति केवल एक ही सवाल का जवाब दे सकता है, यदि आपने एक से अधिक जवाब दिए तो आपको कोई अंक नहीं मिलेगा. तो लीजिए ये रहे आज के सवाल-

1. मतले में ये दो शब्द है - "सहारा" और "दर्द", बताईये ग़ज़ल के बोल.-३ अंक.
2. फिल्म के निर्देशक ने ही इस गज़ल को लिखा है, उनका नाम बताएं - ३ अंक.
3. गज़ल के संगीतकार का नाम बताएं- २ अंक.
4. फिल्म के नाम में ३ अक्षर हैं जिसमें से एक है- "ख्वाब", फिल्म का नाम बताएं- सही जवाब के मिलेंगें २ अंक.

विशेष सूचना - यदि आप ओल्ड इस गोल्ड में कोई विशेष गीत सुनना चाहते हैं या पेश करने के इच्छुक हैं, या कोई भी अन्य जानकारी हमारे साथ बांटना चाहते हैं तो हमें oig@hindyugm.com पर भी संपर्क कर सकते हैं

पिछली पहेली का परिणाम-
पाबला जी आने का शुक्रिया, प्रेम और आशीर्वाद बनाये रखियेगा, पर ये क्या आपके चक्कर में हमारी इंदु जी जवाब देते देते रह गयी खैर शरद जी ने तीन अंक कमाए, हमारे पास जो रिकॉर्डिंग हैं उसमें ये शेर पहला ही है, सुनकर देखिये, अवध जी आपका भी अनुमान एकदम सही है, बधाई...
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
पहेली रचना -सजीव सारथी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

यादों का सहारा ना होता हम छोड के दुनिया चल देते
ये दर्द जो प्यारा ना होता हम छोड के दुनिया चल देते ।

इस गज़ल की फ़िल्म के नाम में ३ शब्द हैं न कि ३ अक्षर जैसा कि आप ने लिख है ।
indu puri said…
paal premi ji was director of this film n this song was also written by him.
pabla bhaiya ab mere 3 no/ki kmi ko kaun poori krega ?
Itna jabrdst dhokha ..........?
holi ke shubh awsar pr chlo chhoda aapko ,
indu puri said…
sajivji-sujoyji
saaf bta rhi hun kl 5bje tk shesh bche prashno ke uttar nhi aaye to............?????
fir na kahna 'aapka dil hai ki kyo manataa nhi'

galat hi sahi pr uttar thok hi dungi .aur holi ke mauke pr marks bhi le ke rhungi.
ha ha ha
sbbbbbbbbb ko holi ki dheron shubhkamnayen .
rangon bharaa jeewan ho aap sbhi ka.
kale bhadde rang idhar bhej dena,apun ko sb sweekar.
AVADH said…
फिल्म है " पत्थर का ख्वाब"
अवध लाल
देख ली तेरी खुदाई, एक ऐसा गीत है जैसे किसी स्पंज में दर्द भर रहा हो, और तलत जी की लर्जिश भरी आवाज़ में हम प्रेमीयों के तडप रहे दिल पर निचोड सा दिया हो आपने. यही दर्द का सबब भी और दर्द की दवा भी...


वल्लाह, क्या बात है.

होली की शुभकामनायें . भगवान आप दोनों सजीव्जी और सुजोय जी की जोडी को दीर्घ आयु प्रदान करे, ताकि हर साल हमें आप इसी तरह पुराने सदाबहार रंग बिरंगी भाव और मूड लिये गीतों को सुनवाते रहें.

रौनके मैकदा यूंही चलती रहे....

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...