Skip to main content

शुक्रान अल्लाह वल हम्दुल्लाह....खुदा की नेमतों पर झुके सोनू निगम, श्रेया और सलीम के स्वर

ताजा सुर ताल TST (32)

दोस्तों, ताजा सुर ताल यानी TST पर आपके लिए है एक ख़ास मौका और एक नयी चुनौती भी. TST के हर एपिसोड में आपके लिए होंगें तीन नए गीत. और हर गीत के बाद हम आपको देंगें एक ट्रिविया यानी हर एपिसोड में होंगें ३ ट्रिविया, हर ट्रिविया के सही जवाब देने वाले हर पहले श्रोता की मिलेंगें 2 अंक. ये प्रतियोगिता दिसम्बर माह के दूसरे सप्ताह तक चलेगी, यानी 5 अक्टूबर से 14 दिसम्बर तक, यानी TST के 40 वें एपिसोड तक. जिसके समापन पर जिस श्रोता के होंगें सबसे अधिक अंक, वो चुनेगा आवाज़ की वार्षिक गीतमाला के 60 गीतों में से पहली 10 पायदानों पर बजने वाले गीत. इसके अलावा आवाज़ पर उस विजेता का एक ख़ास इंटरव्यू भी होगा जिसमें उनके संगीत और उनकी पसंद आदि पर विस्तार से चर्चा होगी. तो दोस्तों कमर कस लीजिये खेलने के लिए ये नया खेल- "कौन बनेगा TST ट्रिविया का सिकंदर"

TST ट्रिविया प्रतियोगिता में अब तक-

पिछले एपिसोड में फिर एक बार सीमा जी छाई रही, पर जवाब बस दो ही सही दिए उन्होंने, खैर आपका स्कोर हुआ 20. यदि किसी ने तीसरे जवाब के लिए कोशिश किया होता तो यकीनन दो अंक मिल सकते थे, तीसरे सवाल का सही जवाब है गीतकार प्रवीण भारद्वाज. अगले 9 एपिसोड में 18 सवाल और आयेंगें आपके सामने, उसके बाद विजेता कौन होगा ये तो हम अभी से नहीं कह सकते, पर ये तय है कि सीमा जी को टक्कर देना अब वाकई बहुत मुश्किल होगा. पर चुनौतियाँ आपको मजबूत बनाती है, तो कमर कसिये इन नयी चुनौतियों के लिए

सुजॉय - सजीव, आज TST में तरोताज़ा क्या सुनवाने जा रहे हैं?

सजीव - धर्मा प्रोडक्शन्स् की नवीन प्रस्तुति 'क़ुर्बान' फ़िल्म के गीत से आज हम शुरुआत कर रहे हैं। करण जोहर निर्मित, रेन्सिल डी'सिल्वा निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार हैं सैफ़ अली ख़ान और करीना कपूर।

सुजॉय - मैने सुना है इस फ़िल्म की कहानी जिहाद पर आधारित है। आप ने सुना है कुछ इस बारे में?

सजीव - सुना तो मैने भी यही है। सैफ ने एक ताजा बयान में कहा है कि एक मुसलमान हो कर इस फिल्म को करने में उन्हें गर्व है और उनके साथ करीना का होना भी लोगों में दिलचस्पी पैदा करेगा. फ़िल्म के संगीत में सुफ़ियाना अंदाज़ है। पता है कौन हैं इस फ़िल्म के संगीतकार?

सुजॉय - हाँ, सलीम-सुलेमान की जोड़ी ने संगीत दिया है। इस फ़िल्म के कुल पाँच गीतों में से आज कौन सा गीत आप लेकर आए हैं?

सजीव - आज जो गीत हम सुनेंगे वो मेरे ख़याल से इस ऐल्बम का सब से अच्छा गीत है, "शुक्रां अल्लाह"। इस गीत को सुनते हुए तुम्हे फ़िल्म 'फ़ना' के गीत "सुभानल्लाह सुभानल्लाह" की शायद याद आए।

सुजॉय - एक मिनट सजीव, 'फ़ना' का बैकग्राउंड म्युज़िक सलीम-सुलेमान ने ही बनाया था न?

सजीव - बिल्कुल, और मैने तो यह भी सुना है कि "सुभानल्लाह" वाली धुन भी इसी जोड़ी ने बनाई थी जिसे जतिन-ललित ने इस्तेमाल की अपनी धुन "चाँद सिफ़ारिश जो करता हमारी" के साथ। यानी कि "सुभानल्लाह" वाली धुन सलीम-सुलेमान की थी और "चाँद सिफ़ारिश" वाली जगह जतीन-ललित की।

सुजॉय - सोनू निगम, श्रेया घोषाल और सलीम मर्चैंट ने गाया है 'कुर्बान' का यह गीत। ऐज़ युज़ुयल सोनू और श्रेया के नर्म और मासूम अंदाज़ इस गीत में भी सुनाई देती है। और सलीम ने इस गीत में जिस तरह से "शुक्रन अल्लाह" वाली जगह गाया है, एक पाक़ समां सा बंध जाता है।

सजीव - और गीतकार निरंजन अय्यंगर ने लिखा भी है बढ़िया इस गीत को। तो चलो सुनते हैं यह गीत

सुजॉय - चलते चलते बता दें कि "शुक्रां अल्लाह वल हम्दुल्लाह" का मतलब है है- खुदा तेरा शुक्रिया खुदा तेरा करम है....और श्रेय घोषाल अवश्य ही इन दिनों ये मंत्र दोहरा रही होंगी, कल राष्ट्रपति भवन में उन्हें तीसरी बार सर्वश्रेष्ठ गायिका का सम्मान दिया गया, और उन्होंने वहां "ये इश्क हाय" गाकर सबको मन्त्र मुग्ध कर दिया, श्रेया को बधाई देते हुए सुनें उनका ये नया गीत.

शुक्रान अल्लाह (कुर्बान)
आवाज़ रेटिंग - ****1/2



TST ट्रिविया # 16- तुलिप जोशी अभिनीत किस "रियलिस्टिक" फिल्म में सलीम सुलेमान ने संगीत दिया था.?

सुजॉय - वाक़ई बहुत अच्छा गाना था। अब किस गीत की बारी?

सजीव - इस हफ़्ते रिलीज़ हुई है फ़िल्म 'ब्लू'। काफ़ी उत्सुकता से लोग इस फ़िल्म का इंतेज़ार कर रहे थे। तो क्यों ना इसी फ़िल्म से एक और गीत हम अपने श्रोताओं को सुनवाएँ!

सुजॉय - बिल्कुल सुनवाते हैं। लेकिन पहले यह बताइए कि आप ने यह फ़िल्म देखी है? मैने तो नहीं अभी नहीं देखी लेकिन मेरे दफ़्तर के दोस्तों ने देखी है और अफ़सोस की बात है कि लोगों को फ़िल्म कुछ ख़ास पसंद नहीं आ रही है।

सजीव - मैंने भी प्रशेन की समीक्षा पढ़ी तो मन ही नहीं हुआ फिल्म देखने का. यह वाक़ई अफ़सोस की बात है! बॉलीवुड की सब से महँगी फ़िल्म अगर पिट जाए तो अफ़सोस के साथ साथ हैरत भी होती है। लेकिन इस तरफ़ के हादसे पहले भी हुए हैं। याद है ९० के दशक में अनिल कपूर और श्रीदेवी की एक फ़िल्म आयी थी 'रूप की रानी चोरों का राजा', जो उस ज़माने की सब से महँगी फ़िल्म थी और कितनी बुरी से पिटी थी?

सुजॉय - बिल्कुल याद है सजीव। लेकिन अभी 'ब्लू' के बारे में किसी निश्कर्ष पर पहुँचना जल्द बाज़ी होगी। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि फ़िल्म दूसरे या तीसरे सप्ताह से तेज़ी पकड़ लेती है और फिर हिट हो जाती है। वैसे खबर है कि इस फिल्म की टीम ने ब्लू का दूसरा भाग बनाने की योजना को भी अंतिम रूप दे दिया है, इसमें ज्यादा खतरनाक शार्क मछलियाँ होंगी, यानी बजट भी और खतरनाक... ख़ैर, अब बताइए कौन सा गीत हम बजा रहे हैं?

सजीव - यह है विजय प्रकाश और श्रेया घोषाल का गाया "फ़िक़राना होके हम जीयें"। ए. आर. रहमान ने काफ़ी इलेक्ट्रॊनिक्स का इस्तेमाल किया है।

सुजॉय - गाना बुरा नहीं है, लेकिन मुझे कहीं ऐसा लगता है कि ज़्यादा इलेक्ट्रॊनिक्स के इस्तेमाल से गीत में शार्पनेस तो आई है लेकिन गोलाई कहीं दूर चली गई है। बहुत ज़्यादा कृत्रिम सुनाई देता है।

सजीव - तुम्हारी बात सही है, लेकिन एक नयापन भी है गीत में। रहमान ने कम से कम अपने आप को उस वृत्त से बाहर निकालना चाहा जिसके अंदर वो कुछ सालों से फँस गए थे और एक ही तरह का संगीत उनकी तरफ़ से आ रहे थे। पर वाद्यों का शोर इस हद तक हावी है कि कई जगह तो शब्द समझ ही नहीं आते. वैसे धुन ऐसी है कि आप गुनगुना सकें.

सुजॉय - तो चलिए सुनते हैं यह गीत।

फिकराना (ब्लू)
आवाज़ रेटिंग - ***



TST ट्रिविया # 17- किस संगीत कंपनी ने "ब्लू" का एल्बम रीलिस किया है ?

सुजॉय - और अब आज के तीसरे और अंतिम गीत की बारी। कौन सा गीत है?

सजीव - फ़िल्म 'लंदन ड्रीम्स' के चार गानें हमने सुने हैं, आज इसी फ़िल्म के पाँचवे गीत की बारी। इस फ़िल्म में वैसे कुल ८ गानें हैं, और हर एक में कुछ ना कुछ बात ज़रूर है, और शायद इसी वजह से हम इस फ़िल्म के गानें सुनते और सुनवाते चले जा रहे हैं।

सुजॉय - फ़िल्म की कहानी भी शायद रॊक बैंड पर आधारित है। सलमान ख़ान और अजय देवगन की दोस्ती नज़र आएगी इस फ़िल्म में। 'हम दिल दे चुके सनम' के बाद शायद इसी फ़िल्म में ये दोनों साथ साथ नज़र आएँगे। अच्छा, आज किस गीत को आप चुन लाए हैं?

सजीव - "बरसो रे", जिसे गाया है विशाल दादलानी और रूप कुमार राठौड़ ने। याद दिला दूँ कि इस फ़िल्म में विशाल-शेखर का नहीं बल्कि शंकर अहसान लॉय का संगीत है।

सुजॉय - यह आप ने अच्छी बात की तरफ़ इशारा किया है। एक संगीतकार का किसी दूसरे संगीतकार से अपनी फ़िल्म में गानें गवाना बहुत बड़ी और स्पोर्टिंग्‍ स्पिरिट वाली बात होती है। विशाल से राजेश रोशन तक ने गानें गवाए हैं फ़िल्म 'क्रेज़ी फ़ोर' में।

सजीव - शायद इसी वजह से कि बहुत दम है विशाल की आवाज़ में। एक जो रॉक की फ़ील होती है न, उसे हर गायक नहीं निभा सकते। विशाल और के.के जैसे गायक आज के दौर में इस तरह के रॊक शैली के गीतों को बख़ूबी निभाते हैं। वैसे मैं व्यक्तिगत तौर पर इनकी आवाज़ का कायल नहीं हूँ, पर लगता है हमारे सभी संगीतकार उनके जबरदस्त फैन बन चुके हैं.

सुजॉय - हाँ, और इस गीत में भी वही रॉक अंदाज़ है। पर्काशन और माडर्न साज़ों का भरपूर इस्तेमाल हुआ है। पूरे जोश और ज़िंदादिली से इस गीत को हर एक कलाकार ने निभाया है। बेशक़ इस गीत को युवा पीढ़ी को आकृष्ट करने के लिए बनाया गया होगा। जैसे जैसे गीत आगे बढ़ती है, उसमें देसीपन बढ़ती चली जाती है। और तब देती है सुनाई रूप कुमार राठौड़ की आवाज़ और एक नाज़ुकी सी छा जाती है गीत में।

सजीव - और अंत में एक बार फिर से वही रॉक अंदाज़। रॉक होते हुए भी गीत समाप्त होता है "हनुमान की जय" के साथ। और यही अंतिम हिस्सा इस गीत एक साधारण गीत ख़ास बना देता है तो चलो सुनते हैं यह गीत। ये गानें हम पहली पहली बार सुन रहे हैं, इसलिए शायद एक ही बार में बहुत अच्छा ना लगे सुनने में, लेकिन धीरे धीरे हो सकता है कि हमारे कानों से होते हुए ये दिल में भी जगह बना लें। देखते हैं क्या होता है, फिलहाल सुनते हैं यह गीत

बरसो (लन्दन ड्रीम्स)
आवाज़ रेटिंग -****



TST ट्रिविया # 18- लन्दन ड्रीम्स के निर्देशक ने अपनी एक हिट फिल्म में एक मशहूर होली गीत फिल्माया था, कौनसा था ये गीत और कौन थे इस गीत के संगीतकार ?

आवाज़ की टीम ने इन गीतों को दी है अपनी रेटिंग. अब आप बताएं आपको ये गीत कैसे लगे? यदि आप समीक्षक होते तो प्रस्तुत गीतों को 5 में से कितने अंक देते. कृपया ज़रूर बताएं आपकी वोटिंग हमारे सालाना संगीत चार्ट के निर्माण में बेहद मददगार साबित होगी.

शुभकामनाएँ....



अक्सर हम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि आजकल के गीतों में वो बात नहीं. "ताजा सुर ताल" शृंखला का उद्देश्य इसी भ्रम को तोड़ना है. आज भी बहुत बढ़िया और सार्थक संगीत बन रहा है, और ढेरों युवा संगीत योद्धा तमाम दबाबों में रहकर भी अच्छा संगीत रच रहे हैं, बस ज़रुरत है उन्हें ज़रा खंगालने की. हमारा दावा है कि हमारी इस शृंखला में प्रस्तुत गीतों को सुनकर पुराने संगीत के दीवाने श्रोता भी हमसे सहमत अवश्य होंगें, क्योंकि पुराना अगर "गोल्ड" है तो नए भी किसी कोहिनूर से कम नहीं. क्या आप को भी आजकल कोई ऐसा गीत भा रहा है, जो आपको लगता है इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहिए तो हमें लिखे.

Comments

1) मातृभूमि
२) टी-सीरिज़
seema gupta said…
1) matrbhumi
2) T-series

regards
seema gupta said…
3) film waqt
song: do me a favour lets play holi
muisc director: Anu Malik
regards
seema gupta said…
1)Matrubhoomi
regards

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की