Skip to main content

किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदायी...दर्द ऐसा था किशोर की आवाज़ में कि सुनते ही आंख भर आये

ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 167

'दस रूप ज़िंदगी के और एक आवाज़'। दोस्तों, इन दिनों 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल सज रही है किशोर कुमार के गाये ज़िंदगी के अलग अलग रंगों के गीतों से। आज की कड़ी का जो रंग है, वह ज़रा दर्दीला है। हमेशा मुस्कुराने वाले किशोर दा के इस चेहरे के पीछे एक तन्हा दिल भी था जो उनके दर्द भरे गीतों से छलक पड़ता और सुननेवालों को रुलाये बिना नहीं छोड़ता। गुदगुदाने वाले किशोर ने जब कुछ संजीदे फ़िल्मों का निर्माण किया तो उनमें उनका उदासीन चेहरा लोग पचा नहीं पाये, लिहाज़ा उनकी सब संजीदा फ़िल्में असफल रहीं। लेकिन उनका वह दर्द जब उनके गीतों से बाहर फूट पड़ा तो लोगों ने उन्हे पलकों पर बिठा लिया। उनके गाये दर्द भरे गीत कुछ इस क़दर मशहूर हैं कि म्युज़िक कंपनियाँ समय समय उनके दर्दीले गीतों के कैसेट्स व सीडीज़ जारी करते रहते हैं। ख़ैर, आज इस रंग के जिस गीत को हमने चुना है वह है 'जोशीला' फ़िल्म का, "किसका रस्ता देखे ऐ दिल ऐ सौदाई, मीलों है ख़ामोशी, बरसों हैं तन्हाई". १९७३ की इस फ़िल्म में देव आनंद नायक थे और अभिनेत्रियाँ थीं हेमा मालिनी व राखी। ५० के दशक में जब किशोर दा ने देव साहब के लिए गाना शुरु किया था, तब वो देव साहब के अलावा किसी और के लिए नहीं गाते थे। धीरे धीरे परम्परा टूटी और आगे चलकर किशोर दा अपने समय के सभी नायकों की आवाज़ बने। देव आनंद की यह फ़िल्म 'जोशीला' बॉक्स औफ़िस पर असफल रही, लेकिन एक बार फिर लोगों ने किशोर दा के गाये इस गीत को अपने दिलों में बसा लिया। राहुल देव बर्मन का संगीत और साहिर लुधियानवी के बोल थे इस गीत में। यहाँ यह उल्लेख करना ज़रूरी है कि साहिर और पंचम का बहुत कम गीतों में साथ रहा, और जब उनके साथ की बात चलती है तो सब से पहले 'जोशीला' का यह गीत ही याद आता है।

दोस्तों, यह गीत हम सभी के साथ साथ पंचम को भी बेहद पसंद था, तभी तो फ़ौजी भा‍इयों के लिए प्रस्तुत 'विशेष जयमाला' कार्यक्रम में उन्होने इस गीत को बजाया था और गीत बजाने से पहले उन्होने क्या कहा था अब यह भी जान लीजिये - "अक्सर हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री में ऐसा होता है कि 'म्युज़िक डिरेक्टर' बोलिए, 'प्रोड्युसर' बोलिए, 'डिरेक्टर' बोलिए, सब लोग एक गाने को बहुत पसंद करते हैं, और दो तीन गानों को पसंद करते हैं, और 'पिक्चर' जब 'रिलीज़' होने का 'टाइम' आता है तब तो वो गानें बजना भी शुरु हो जाता है, जिन्हे सब लोग पसंद करने लगते हैं। 'But somehow' बदक़िस्मती है कि 'पिक्चर' पीछे रह जाता है, 'हिट' नहीं हो पाता है, तो वो गानें काफ़ी लोगों को शायद सुनने में नहीं आते हों! इनमें से एक गाना मैं आप को सुनाना चाहता हूँ जो मेरा बहुत प्रिय है। वह गाना बनाने के 'टाइम' में मैने बहुत 'एंजोय' किया, 'पिक्चर रिलीज़' होने के बाद भी 'एंजोय' किया, वह 'पिक्चर' का नाम है 'जोशीला', और बोल लिखे थे साहिर साहब ने।" तो दोस्तों, अब गीत सुनने की बारी है, बस यही कहते चलेंगे कि-

"कोई भी साया नहीं राहों में,
कोई भी आयेगा न बाहों में,
तेरे लिए मेरे लिये कोई नहीं रोने वाला
"

संदेश साफ़ है कि जहाँ तक संभव हो, हमें किसी पर निर्भर नहीं होना चाहिये, अपना रस्ता ख़ुद तय करें, अपनी मंज़िल तक ख़ुद पहुँचे। यह बात हम ने इसलिए कही क्योंकि हम इन दिनों ज़िंदगी के रूपों से आप का परिचय करवा रहे हैं। सुनिए आज का गीत।



और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-

1. किशोर की आवाज़ में एक और ज़ज्बाती गीत.
2. कल के गीत का थीम है - "दोस्ती".
3. इस फिल्म में दो महानायकों ने साथ काम किया था.

पिछली पहेली का परिणाम -
दिशा जी जबरदस्त वापसी....१२ अंक हो गए आपके. मनु जी सही कहा आपने वाकई बहुत दर्द भरा है किशोर दा ने इस गीत में. निर्मला जी आपकी पसदं के और गीत भी लेकर हम हाज़िर होते रहेंगें. मंजू जी, अदा जी, शरद जी आप सब का भी आभार, और पराग जी आपके लिए बस इतना ही कहेंगें कि संगीत को दशकों में मत बांटिये. सभी में कुछ न कुछ अच्छा है...खैर वैसे आपकी पसंद के एरा में भी जल्द ही लौटेगा ओल्ड इस गोल्ड निश्चिंत रहें....

खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी



ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

Comments

'ada' said…
are bhai jaldi se bataiye, kahan hain sab log....
'अदा' said…
This post has been removed by the author.
'अदा' said…
disha ji fir sochiye....
'अदा' said…
lagta hai OIG ke saare yaar bhag gaye hain...
Sharad ji.....
Sharad jiiiiiiiii
Kahaan hai sab log ?
Disha said…
This post has been removed by the author.
Disha said…
yaara teri yaari ko
'अदा' said…
aap sahi jaa rahi hain..
bas sahi se baitha dijiye..
Disha said…
तेरे जैसा यार कहाँ कहाँ ऐसा याराना
याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना
'अदा' said…
wo maara..
disha ji,
badhai...
Anonymous said…
yeh dosti ham nahin todenge, todenge dam magar tera saath naa chhodenge

purvi s.
Disha said…
dhanyavaad addji
ab aapake pati dev ji kee sehat kaisee hai?
manu said…
hnm..
par is mein to ek hi mahaanaayak thaa...

kyaa amzad khaan bhi mahaanaayak hai....?

mujhe to sholay waalaa laga thaa...
ye dosti..ahm nahi todeinge..
par ..
hnm.......
sumit said…
mujhe bhi ye dosti hum nahi todenge.....lag raha hai
sumit said…
aaj subah se net problem kar raha tha ab jakar chala hai.......
sumit said…
aaj subah se net problem kar raha tha ab jakar chala hai.......
मुझे तो लग रहा है कि अभी तक भी आप लोग सही जवाब नहीं दे पाए । ज़रा और सोचिए ! पिछले १ घन्टे से कोशिश कर रहा पोस्ट भेजने की पर आज नेट कनेक्शन साथ नहीं दे रहा है ।
Manju Gupta said…
दिशाजी का जवाब सही है .
अदा जी आप तो आगे रहती थी ,जवाब देने में .अभी न जाने ..........?
manu said…
diye jalte hain..
fool khilate hain..

badi mushkil se magar duniyaa mein dost milte hain....
??????
'अदा' said…
sharad j,
manu ji..
agar to dogana ki baat hai fir to..
kishore kumar aur manna de ki awaaz mein : ye dosti ham nhi todenge hai
lekin us heesaab se ke aur geet hai
Amitabh aur Shatrughan sinha
'Bane chahe dushman jamana hamara salamat rahe dostana hamara'
bhi ho sakta hai
manu said…
ek aur nayi kahaani............!!!!!!

par mujhe apnaa jawab jyaadaa sahi lag rahaa hai..
shatrughan sinhaa ko main kam se kam
mahaanaayak to nahi maantaa...
मनु जी
लगता है अब आपका निशाना सही जगह लगा है । महा नायक तो शायद अमिताभ और राजेश खन्ना ही माने जाते है ।
'अदा' said…
haan manu ji lagta hai isbaar aap hi baazi mar le gaye hain...
agar aisa hai to
bahut bahut BADHAI....
ये दोस्ती हम नहीं तोडेंगे...
Manju Gupta said…
अदाजी आप ने पहले भी शुभ कामना दी है .आज भी . आप को भी हार्दिक बधाई .
आवाज हिन्दयुग्म का सबसे अच्छा अंग है यह अलग बात है कि मैं सुनकर पढकर रह जाता हूं क्योंकि टिपणी हेतु वक्त कम पड़ जाता है,किशोर कुमार की बात तो उनके अन्दाज की तरह ही निराली है साहिब टीम के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं
श्याम सखा श्याम
Shamikh Faraz said…
मनु जी का निशाना और सही जगह न लगे.
Shamikh Faraz said…
This post has been removed by the author.

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे...

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु...

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन...