ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 168
जन्म से लेकर मृत्यु तक आदमी की ज़िंदगी उसे कई पड़ावों से पार करवाता हुआ अंजाम की ओर ले जाती है। इन पड़ावों में एक बड़ा ही सुहाना, बड़ा ही आशिक़ाना, और बड़ा ही मस्ती भरा पड़ाव होता है, जिसे हम जवानी कहते हैं। ज़िंदगी में कुछ बड़ा बनने का ख़्वाब, दुनिया को कुछ कर दिखाने का इरादा, अपने परिवार के लिए बेहतर से बेहतर ज़िंदगी की चाहत हर जवाँ दिल की धड़कनों में बसी होती है। साथ ही होता है हला-गुल्ला, ढ़ेर सारी मस्ती, और बिन पीये ही चढ़ता हुआ नशा। नशा आशिक़ी का, प्यार मोहब्बत का। जी हाँ, जवानी के जस्बों की दास्तान आज सुनिए किशोर दा की सदा-जवाँ आवाज़ में। यह है फ़िल्म 'शरारत' का गीत "हम मतवाले नौजवाँ मंज़िलों के उजाले, लोग करे बदनामी कैसे ये दुनियावाले". सन् १९५९ में बनी फ़िल्म 'शरारत' के निर्देशक थे हरनाम सिंह रावल और मुख्य कलाकार थे किशोर कुमार, मीना कुमारी, राजकुमार और कुमकुम। आप को याद होगा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में इससे पहले हमने आप को किशोर कुमार और मीना कुमारी पर फ़िल्माया हुआ फ़िल्म 'नया अंदाज़' का "मेरी नींदों में तुम" सुनवाया था। इस फ़िल्म 'शरारत' में भी एक और बड़ा ही ख़ूबसूरत युगल गीत है इस जोड़ी पर फ़िल्माया हुआ, जिसे किशोर दा और गीता दत्त ने गाये हैं और गीत है "तूने मेरा दिल लिया, तेरी बातों ने जादू किया"। इस गीत को हम फिर कभी आपको सुनवायेंगे।
'शरारत' में शंकर जयकिशन का संगीत था। आम तौर पर शंकर जयकिशन ने मुकेश और मोहम्मद रफ़ी से ही ज़्यादा गानें गवाये, लेकिन उन फ़िल्मों में जिनमें किशोर कुमार ख़ुद नायक थे, उनमें किशोर कुमार से गानें गवाना ज़रूरी था। ऐसी ही एक फ़िल्म थी 'करोड़पति' जिसमें किशोर कुमार और शशीकला थे। यह फ़िल्म शशीकला की होम प्रोडक्शन फ़िल्म थी और इस वजह से उन्हे किशोर दा के साथ काफ़ी समय बिताने का मौका भी मिला। किशोर की यादों के उजालों को कुछ इस तरह से शशीकला जी ने विविध भारती पर बिखेरा था - "'करोड़पति' हमारे घर की फ़िल्म थी। उसमें मैं थी, और हमारे किशोर कुमार थे। 'म्युज़िक' था शंकर जयकिशन का। लेकिन फ़िल्म बिल्कुल नहीं चली। गानें भी नहीं चले। शंकर जयकिशन म्युज़िक डिरेक्टर थे, फिर भी नहीं चले। हम कहते थे कि 'करोड़पति' बनाते बनाते हम कंगालपति बन गये। उन दिनों में, मेरा ख़याल है सिर्फ़ ३ या ४ आर्टिस्ट्स टॊप में थे - दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद और किशोर कुमार। उनको मिलना मुश्किल था। किशोर दा 'टाइम' देते थे, मिलते नही थे। 'टाइम' देते थे, कभी नहीं आते थे। आप को मैं उनका आख़िरी क़िस्सा सुनाती हूँ। फ़िल्म तो बन गयी, फ्लॉप भी हो गयी, चली भी नहीं, ये सब हुआ, एक दिन मुझे फ़ोन आता है उनका कि 'शशी, तुम मुझे मिलने आओ'। तो मैं गयी अपने 'फ़्रेन्ड' के साथ मिलने के लिए। तो बात कर रहे हैं, 'मुझे 'हर्ट अटैक' हो गया, ऐसा हुआ, वैसा हुआ'। और 'सडेन्ली' मुझे आवाज़ आती है 'टाइम अप, टाइम अप, टाइम अप '। मैं तो घबरा गयी, मैने कहा 'अरे ये कहाँ से आवाज़ आ रही है?' हँसने लगे 'हा हा हा हा हा... पता है मैं 'हर्ट' का 'पेशंट' हूँ ना, इसलिए यहाँ पे एक 'रिकॉर्डिंग' करके रखी है, ५ मिनट से ज़्यादा किसी से बात नहीं करनी है'। मैने कहा 'किशोर दा, आप ने मुझे डरा ही दिया बिल्कुल!' और बहुत 'ईमोशनल' थे मेरा ख़याल है, 'very emotional person'। उनके तो कितने क़िस्से हैं, जितना सुनायें कम है, पर बहुत ही अच्छे, बहुत ही कमाल के 'आर्टिस्ट', 'जीनियस' भी कहना चाहिए, देखिए गाने भी उन्होने कितने अच्छे लिखे, 'म्युज़िक' भी कितना अच्छा दिया, 'सिंगिंग' तो अच्छा करते ही थे।" दोस्तों, हमने आज के गीत को थोड़ी देर के लिए अलग रख कर आप को शशीकला जी के एक साक्षात्कार के एक अंश से अवगत करवाया जिसमें उन्होने किशोर दा के बारे में बातें कहीं थीं। आशा है आप को अच्छा लगा होगा। तो अब वापस आ जाते हैं आज के गीत पर, और सुनते हैं जवानी के क़िस्से, हसरत जयपुरी के शब्दों में, जो शंकर जयकिशन के संगीत में रच कर किशोर दा की आवाज़ में ढल कर आप तक पहुँच रहा है।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
1. किशोर दा का गाया एक बेहद "सेन्शुअस" गीत.
2. कल के गीत का थीम है - "रोमांस".
3. एक अंतरा शुरू होता है इस शब्द से -"रात".
पिछली पहेली का परिणाम -
रोहित जी बधाई ६ अंक हुए आपके अब आप तीसरे स्थान पर हैं. पराग जी (१२), दिशा जी (१०), मनु जी हैं ठीक आपके पीछे ४ अंकों के साथ. लगता है मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
जन्म से लेकर मृत्यु तक आदमी की ज़िंदगी उसे कई पड़ावों से पार करवाता हुआ अंजाम की ओर ले जाती है। इन पड़ावों में एक बड़ा ही सुहाना, बड़ा ही आशिक़ाना, और बड़ा ही मस्ती भरा पड़ाव होता है, जिसे हम जवानी कहते हैं। ज़िंदगी में कुछ बड़ा बनने का ख़्वाब, दुनिया को कुछ कर दिखाने का इरादा, अपने परिवार के लिए बेहतर से बेहतर ज़िंदगी की चाहत हर जवाँ दिल की धड़कनों में बसी होती है। साथ ही होता है हला-गुल्ला, ढ़ेर सारी मस्ती, और बिन पीये ही चढ़ता हुआ नशा। नशा आशिक़ी का, प्यार मोहब्बत का। जी हाँ, जवानी के जस्बों की दास्तान आज सुनिए किशोर दा की सदा-जवाँ आवाज़ में। यह है फ़िल्म 'शरारत' का गीत "हम मतवाले नौजवाँ मंज़िलों के उजाले, लोग करे बदनामी कैसे ये दुनियावाले". सन् १९५९ में बनी फ़िल्म 'शरारत' के निर्देशक थे हरनाम सिंह रावल और मुख्य कलाकार थे किशोर कुमार, मीना कुमारी, राजकुमार और कुमकुम। आप को याद होगा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' में इससे पहले हमने आप को किशोर कुमार और मीना कुमारी पर फ़िल्माया हुआ फ़िल्म 'नया अंदाज़' का "मेरी नींदों में तुम" सुनवाया था। इस फ़िल्म 'शरारत' में भी एक और बड़ा ही ख़ूबसूरत युगल गीत है इस जोड़ी पर फ़िल्माया हुआ, जिसे किशोर दा और गीता दत्त ने गाये हैं और गीत है "तूने मेरा दिल लिया, तेरी बातों ने जादू किया"। इस गीत को हम फिर कभी आपको सुनवायेंगे।
'शरारत' में शंकर जयकिशन का संगीत था। आम तौर पर शंकर जयकिशन ने मुकेश और मोहम्मद रफ़ी से ही ज़्यादा गानें गवाये, लेकिन उन फ़िल्मों में जिनमें किशोर कुमार ख़ुद नायक थे, उनमें किशोर कुमार से गानें गवाना ज़रूरी था। ऐसी ही एक फ़िल्म थी 'करोड़पति' जिसमें किशोर कुमार और शशीकला थे। यह फ़िल्म शशीकला की होम प्रोडक्शन फ़िल्म थी और इस वजह से उन्हे किशोर दा के साथ काफ़ी समय बिताने का मौका भी मिला। किशोर की यादों के उजालों को कुछ इस तरह से शशीकला जी ने विविध भारती पर बिखेरा था - "'करोड़पति' हमारे घर की फ़िल्म थी। उसमें मैं थी, और हमारे किशोर कुमार थे। 'म्युज़िक' था शंकर जयकिशन का। लेकिन फ़िल्म बिल्कुल नहीं चली। गानें भी नहीं चले। शंकर जयकिशन म्युज़िक डिरेक्टर थे, फिर भी नहीं चले। हम कहते थे कि 'करोड़पति' बनाते बनाते हम कंगालपति बन गये। उन दिनों में, मेरा ख़याल है सिर्फ़ ३ या ४ आर्टिस्ट्स टॊप में थे - दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद और किशोर कुमार। उनको मिलना मुश्किल था। किशोर दा 'टाइम' देते थे, मिलते नही थे। 'टाइम' देते थे, कभी नहीं आते थे। आप को मैं उनका आख़िरी क़िस्सा सुनाती हूँ। फ़िल्म तो बन गयी, फ्लॉप भी हो गयी, चली भी नहीं, ये सब हुआ, एक दिन मुझे फ़ोन आता है उनका कि 'शशी, तुम मुझे मिलने आओ'। तो मैं गयी अपने 'फ़्रेन्ड' के साथ मिलने के लिए। तो बात कर रहे हैं, 'मुझे 'हर्ट अटैक' हो गया, ऐसा हुआ, वैसा हुआ'। और 'सडेन्ली' मुझे आवाज़ आती है 'टाइम अप, टाइम अप, टाइम अप '। मैं तो घबरा गयी, मैने कहा 'अरे ये कहाँ से आवाज़ आ रही है?' हँसने लगे 'हा हा हा हा हा... पता है मैं 'हर्ट' का 'पेशंट' हूँ ना, इसलिए यहाँ पे एक 'रिकॉर्डिंग' करके रखी है, ५ मिनट से ज़्यादा किसी से बात नहीं करनी है'। मैने कहा 'किशोर दा, आप ने मुझे डरा ही दिया बिल्कुल!' और बहुत 'ईमोशनल' थे मेरा ख़याल है, 'very emotional person'। उनके तो कितने क़िस्से हैं, जितना सुनायें कम है, पर बहुत ही अच्छे, बहुत ही कमाल के 'आर्टिस्ट', 'जीनियस' भी कहना चाहिए, देखिए गाने भी उन्होने कितने अच्छे लिखे, 'म्युज़िक' भी कितना अच्छा दिया, 'सिंगिंग' तो अच्छा करते ही थे।" दोस्तों, हमने आज के गीत को थोड़ी देर के लिए अलग रख कर आप को शशीकला जी के एक साक्षात्कार के एक अंश से अवगत करवाया जिसमें उन्होने किशोर दा के बारे में बातें कहीं थीं। आशा है आप को अच्छा लगा होगा। तो अब वापस आ जाते हैं आज के गीत पर, और सुनते हैं जवानी के क़िस्से, हसरत जयपुरी के शब्दों में, जो शंकर जयकिशन के संगीत में रच कर किशोर दा की आवाज़ में ढल कर आप तक पहुँच रहा है।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा तीसरा (पहले दो गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी और स्वप्न मंजूषा जी)"गेस्ट होस्ट". अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
1. किशोर दा का गाया एक बेहद "सेन्शुअस" गीत.
2. कल के गीत का थीम है - "रोमांस".
3. एक अंतरा शुरू होता है इस शब्द से -"रात".
पिछली पहेली का परिणाम -
रोहित जी बधाई ६ अंक हुए आपके अब आप तीसरे स्थान पर हैं. पराग जी (१२), दिशा जी (१०), मनु जी हैं ठीक आपके पीछे ४ अंकों के साथ. लगता है मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
Comments
ROHIT RAJPUT
main late ho gayi..
kal to aa hi nahi paayi
lekin yakeen kijiye miss bahut kiya maine...
पराग
shaayad yahi..
:)