पिछले दिनों सलिल दा पे लिखी हमारी पोस्ट के जवाब में हमारे एक नियमित श्रोता ने हमसे गुजारिश की सलिल दा के अन्तिम दिनों में की गई फिल्मों में से एक "स्वामी विवेकानंद" के गीतों को उपलब्ध करवाने की. सलिल दा के अन्तिम दिनों में किए गए कामों की बहुत कम चर्चा हुई है. स्वामी के जीवन पर आधारित इस फ़िल्म में सलिल दा ने ८ गीत स्वरबद्ध किए. ख़ुद स्वामी के लिखे कुछ गीत हैं इसमें तो कबीर, जयदेव और सूरदास के बोलों को भी स्वरों का जामा पहनाया है सलिल दा ने.दो गीत गुलज़ार साहब ने लिखे हैं जिसमें के जे येसुदास का गाया बेहद खूबसूरत "चलो मन" भी शामिल है. गुलज़ार के ही लिखे एक और गीत "जाना है जाना है..." को अंतरा चौधरी ने अपनी आवाज़ दी है. अंतरा की आवाज़ में बहुत कम हिन्दी गीत सुनने को मिले हैं, इस वजह से भी ये गीत हमें बेहद दुर्लभ लगा. एक और विशेष बात इस फ़िल्म के बारे में ये है कि सलिल दा अपनी हर फ़िल्म का जिसमें भी वो संगीत देते थे, पार्श्व संगीत भी वो ख़ुद ही रचते थे. पर इस फ़िल्म के मुक्कमल होने से पहले ही दा हम सब को छोड़ कर चले गए. विजय भास्कर राव ने इस फ़िल्म का पार्श्व संगीत दिया. जानकारी के लिए बता दें कि "स्वामी विवेकानंद" के आलावा मात्र एक बांग्ला फ़िल्म है (रात्रि भोर) जिसमें सलिल दा गीतों को स्वरबद्ध करने के साथ साथ फ़िल्म के पार्श्व संगीत में अपना योगदान नही दिया. पार्श्व संगीत में उनका दखल भी इसी बात की तरफ़ इशारा करता है कि वो मुक्कमल "शो मैन" संगीतकार थे, जो दृश्य और श्रवण की बेमिसाल सिम्फनी रचते थे. इससे पहले कि हम आपको १९९४ में आई फ़िल्म "स्वामी विवेकानंद" के गीत सुनवायें आपको उनके द्वारा रचित एक "बेले" का संगीत सुनवाते हैं.
बेले का थीम है "बोटमेन ऑफ़ ईस्ट बंगाल", सचिन शंकर बेले यूनिट द्वारा १९७१ में रचित इस बेले में सलिल दा ने एक दुर्लभ गीत बनाया "दयानी करिबो अल्लाह रे" जिसे पंकज मित्रा ने अपनी महकती आवाज़ से सजाया. सलिल दा ने इस मधुर धुन को अपनी ही एक हिन्दी फ़िल्म लालबत्ती (१९५७) के गीत "क्या से क्या हो गए अल्लाह रे' से लिया था जिसे सलिल दा के बहुत गहरे मित्र और मशहूर लोक गायक निर्मालेंद्रू चौधरी ने गाया था. पर इस बेले के लिए उनका रचा ये गीत तो किसी और ही दुनिया का लगता है. सुनते हैं सलिल दा की सिम्फनी "दयानी करिबो अल्लाह रे..."
और अब सुनिए फ़िल्म "स्वामी विवेकानंद" से सलिल दे कुछ लाजवाब गीत -
प्रस्तुति सहयोग सलिल दा डॉट कॉम, सलिल दा के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ अवश्य जाएँ.
बेले का थीम है "बोटमेन ऑफ़ ईस्ट बंगाल", सचिन शंकर बेले यूनिट द्वारा १९७१ में रचित इस बेले में सलिल दा ने एक दुर्लभ गीत बनाया "दयानी करिबो अल्लाह रे" जिसे पंकज मित्रा ने अपनी महकती आवाज़ से सजाया. सलिल दा ने इस मधुर धुन को अपनी ही एक हिन्दी फ़िल्म लालबत्ती (१९५७) के गीत "क्या से क्या हो गए अल्लाह रे' से लिया था जिसे सलिल दा के बहुत गहरे मित्र और मशहूर लोक गायक निर्मालेंद्रू चौधरी ने गाया था. पर इस बेले के लिए उनका रचा ये गीत तो किसी और ही दुनिया का लगता है. सुनते हैं सलिल दा की सिम्फनी "दयानी करिबो अल्लाह रे..."
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Comments
rest of songs are also very melodious .nice efforts .we would like to listen these type of
compositions again and again ,thanks to whole team of aawaj.
आवाज़ का धन्यवाद..