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सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'पूस की रात'

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की लघु कहानी 'पूस की रात'

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना 'शादी की वजह' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की कहानी "पूस की रात", जिसको स्वर दिया है लन्दन निवासी कवयित्री शन्नो अग्रवाल ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 15 मिनट और 8 सेकंड।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।




मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी

"हाथ ठिठुरे जाते थे। नगें पाँव गले जाते थे। और वह पत्तियों का पहाड़ खड़ा कर रहा था। इसी अलाव में वह ठंड को जलाकर भस्म कर देगा।" (प्रेमचंद की "पूस की रात" से एक अंश)


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यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)
VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis

#Seventeenth Story, Poos Ki Raat: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/16. Voice: Shanno Aggarwal

Comments

अरे वाह!
पहले बात तो कथा चयन के लिए शन्नो जी और अनुराग जी दोनों का आभार व्यक्त कर लूँ क्योंकि आज ही से पूस (पौष) महीने की शुरूआत हो रही है और आपने बिलकुल प्रासंगिक कहानी चुनी है।

वाचन भी बढ़िया है। ठंड में ठिठूरते स्वर की गूँज जैसी आवाज़। मुझे खुशी है कि कहानियों के पॉडकास्ट में अब एक से दो आवाजें हो गई हैं।

कभी कोई कहानी आप दोनों आवाज़ों को मिलाकर पढ़ें, देखें कैसा बनता है।
कहानी सुनाने के लिये, शन्नो ओर अनुराग जी का धन्यवाद, कहानी सुनते हुये, ऎसा एहसास हो रहा थ जेसे बिलकुल यह लोग भी ठंडी मे ठिठुर रहै हो.
आप का धन्यवाद
shanno said…
शैलेश जी और राज जी, मुझे बहुत खुशी हुई जानकर की आपको कहानी पसंद आई. शुक्रिया.
'मेहबानी रही आप सबकी तो
अपनी आवाज़ लाते रहेंगे
'आवाज़'ने है जोड़ा सभी से
तो आगे भी हम आते रहेंगे'.
शन्नो
गद्य पाठ का ऐसा पहला अनुभव शरद जोशी के लोकप्रिय निबन्‍धों से हुआ था । उसके बाद कुछ कथाकारों को, गोष्ठियों में, अपनी-अपनी कहानी पढते सुना था । किन्‍तु किसी प्रख्‍यात कथा का इस प्रकार वाचन सुनने का अनुभव पहला और अनूठा है ।
शन्‍नोजी का निर्दोष उच्‍चारण और 'शब्‍दाघात' इस पाठ की वे उल्‍लेख्रनीय विशेषताएं हैं जिनसे कहानी का प्रभाव सहस्रगुना होता अनुभव हुआ ।
यह अनुभव प्रदान करने के लिए आप दोनों को धन्‍यवाद ।
शन्नो जी,
पहले तो इतने सुंदर पाठ के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें. मुझे आशा है कि आप से उदाहरण लेकर "आवाज़" को और भी आवाजें मिलेंगी. आगे भी आपके स्वर में "मन्त्र" अदि प्रसिद्ध कथाओं को सुनना चाहूंगा.
धन्यवाद!
shanno said…
स्मार्ट इंडियन जी और बिष्णु जी, आप लोगों को 'आवाज़' पर मेरी आवाज़ भी अच्छी लगी कहानी में इसका बहुत शुक्रिया.
'बस आप सबकी इनायात है
कि मुझे तारीफे-काबिल बनाया
यह आपकी दुआओं का असर है
जो भी कुछ मैने सुनाया'.

शन्नो
neelam said…
jaise laga ki usi samay ki awaj hai ,behad khoobsoorat aawaj ,dhanyabad shanno ji is kaaljayi kahaani ko sunaanne ke liye .
shanno said…
नीलम जी, कहानी सुनने और प्रशंशा के लिए बहुत-बहुत धन्यबाद. बस आप सबकी इनायत रहे तो भविष्य में फिर दोबारा और कहानियाँ भी आपकी सेवा में प्रस्तुत करूंगी.

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