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ऐसा नही कि आज मुझे चाँद चाहिए...

दूसरे सत्र के पन्द्रहवें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज.

आज आवाज़ पर एक बार फ़िर लौटी है शिवानी सिंह और रुपेश ऋषि की जोड़ी और साथ में हैं गायिका प्रतिष्ठा भी, प्रतिष्ठा की आवाज़ को "पहला सुर" एल्बम की ग़ज़ल "ये ज़रूरी नही" में भी हमारे श्रोताओं ने सुनी थी,

वो एक युगल गीत था ये उनका सोलो है, जिसमें उन्होंने खुल कर अपनी आवाज़ में शिवानी के जज़्बात उभारे हैं और शिल्पी हैं एक बार फ़िर रुपेश ऋषि. संयोग से युग्म के सभी महिला श्रोताओं /पाठकों के लिए आने वाले करवा चौथ का तोहफा बन कर आई है ये ग़ज़ल आज, क्योंकि इस ग़ज़ल में जो भाव व्यक्त किए गए हैं वो शायद हर महिला के मन की आवाज़ है, ऐसा हमें लगता है. हम किस हद तक ठीक हैं ये आप सुन कर फैसला दें.

दरअसल ये ग़ज़ल जब रिकॉर्ड हुई थी उन दिनों प्रतिष्ठा डी.ऐ.वी स्कूल में संगीत की अध्यापिका थी,और आल इंडिया रेडियो में उर्दू ग़ज़ल गाती थी. अब दुर्भाग्यवश उनके विवाह उपरांत उनका कोई संपर्क सूत्र नही हो पाने के कारण हम उनकी तस्वीर को आपके रूबरू नही कर पा रहे हैं, पर इस उभरती हुई गायिका की आवाज़ हमें यकीं है आपके दिल में अपनी विशेष जगह बनाने में अवश्य सफल होगी, तो सुनिए इस ताज़ा प्रस्तुति को और अपनी राय / सुझाव टिप्पणियों के माध्यम से हम तक अवश्य पहुंचायें.


बोल / Lyrics

ऐसा नही की आज मुझे चाँद चाहिए,
मुझको तुम्हारे प्यार में विश्वास चाहिए...

मिल न सको मुझे तुम हकीक़त में गर कभी,
जन्नत में बस तुम्हारा मुझे साथ चाहिए...

न की कभी भी ख्वाहिश, मैंने सितारों की,
ख्वाबों में बस तुम्हारा मुझे दीदार चाहिए...

जाओगे दफ्न करने जब मेरे जिस्म को,
बस आखिरी दो पल का मुझे साथ चाहिए...

सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें




यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)




VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis



SONG # 15, SEASON # 02, "AISA NAHI..." OPENED ON AWAAZ, HIND YUGM ON 10/10/2008.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.

Comments

Amit said…
aap itna badia kaise likh leti hain
bahut sundar
wah wahhhhhhhhhhhh
kya kahne aapke
ilesh said…
Heartiest Congatulations Shivani ji....bahot hi sundar alfaj aur itni hi mithi aawaj

मिल न सको मुझे तुम हकीक़त में गर कभी,
जन्नत में बस तुम्हारा मुझे साथ चाहिए...

न की कभी भी ख्वाहिश, मैंने सितारों की,
ख्वाबों में बस तुम्हारा मुझे दीदार चाहिए...

go up n up .....God bless u....
librandigu said…
didi ye gazal sach me ek madhur chap chorti hai....
aisa nahi k aaj muhe chand chahiye mujhko tumhari pyar me bishwas chahiye.....
na ki kabhi bhi khawahis maine sitaron ki....
khawbo me bas tumhara mujhe deedar chahiye..mujhko tumhare pyae me bishwas chahiye....
aisa nahi k mukhe chand chaiye.....

sach hai didi sare stanzas itne soft hai aur dil ko chune wale hain...pyar me biswash aur pyar ka sath....


aoge dafn karne jab mere jisam ko
jaoge dafn karne jab mere jism ko
bas akhri do pal ka mujhe sath chahiye
mujh ko tumhare pyar me bishwas chahiye.....
aisa nahi k aaj mujhe chand chahiye.....

ye lines bhi ye darshata hai k akhri pal me bhi hume pyar ka sath chaiye...
dis is awesome sweet and sweet and soft voice of Pratistha jaise is gazal me jaan daal di hon....
शोभा said…
वाह! वाह! क्या बात है. सुंदर कल्पना. ग़ज़ल बहुत सुंदर है. शिवानी जी और रुपेश जी दोनों को हार्दिक बधाई.
Gaurav said…
shivani ji aapki gazal suni....bahut sundar rachna hai aapki....pratishtha ji ki awaaz bahut hi madhur hai or rupesh ji ka sangeet bhi kamaal ka laga.....aapki team ki mehnat rang laayi hai....aisa hi likhti rahein....
Anonymous said…
aaj toh shivani ji mazaa aa gaya.........
subah se 5-6 baar aapki gazal sun chuki hoon
phir bhi mann karta hai ki 1 baar aur sunloon.. koi itni sundar gazal kaise likh sakta hai mein toh yeh hee soch rahi hoon...
karva chauth pe isse acha uphaar aapki taraf se kya ho sakta hai. pratishta ji aur rupesh ji ne aapni aawaaz aur sangeet se chaar chand laga diye hain...... iss shandaar prastuti k liye aapko bahut mubarakvaad....
DEEPTI
bhanu said…
सबसे पहले तो में आपसे यह कहना चाहूँगा की जबसे आपने हिंदी युग्म पर अपनी ग़ज़ल देनी शुरू की है उसी दिन से मैंने आपकी सारी ग़ज़ल सुनी है मैं तो इस इन्तेज़ार में रहता हूँ की कब आपकी ग़ज़ल आये और कब में उसे सुनु ,आपकी इस ग़ज़ल ने तो मेरी आँखें नम कर दी हैं आपकी इस ग़ज़ल में जो आपने अपने भावः जताए है उन्हें सुनकर पता चलता है की आप कितने स्वच्छ मन की इंसान हैं में भगवान् से येही प्रार्थना करता हूँ की वो आपको इतनी अच्छी ग़ज़ल लिखने की हिम्मत देते रहे
Nugget said…
शिवानी जी करवाचौथ के पावन पर्व पर आपने हमें जो उपहार दिया है उसके लिए आपको हार्दिक बधाई हो
आपके लव्जों के जादू नें मन को इस तरह कुछ बांध दिया की में उसमे खो गयी
मुझे आपकी अगली प्रस्तुति का इंतज़ार रहेगा
from:-
aarti
Manuj Mehta said…
रुपेश जी को मेरी बधाई
बहुत ही प्रोफेशनल संगीत है और प्रतिष्ठा जी की आवाज़ में इसे ढाल कर बहूत ही ख़ूबसूरत बना दिया गया है. शिवानी जी की लिखी हुई ग़ज़ल पहले भी सुन चुका हूँ, मुझे इस ग़ज़ल में वो बात बिल्कुल भी नही लगी, ग़ज़ल के बोल बहुत ही साधारण लगे.
mem jab bhi chand ko dekhunga yahi gazal hoto pe aayegi..............kamal ke bol hai......thnks agali gazal k intzaar me..........
Anonymous said…
Shivaniji,

Aapke shabdon ke chayan ka jawab nahi. ek-ek shabad dil ko chho jata hai. is ghazal ne mere jajbato ko jinda kar diya. dil ke taron ko jhankrat karti aaki ye ghazal dil se kabil-e-tarif hai. aapki site par comments ke liye mujhe jagah nahi dikhi varna yakeen maniye ki pichhli baar ki tarah is baar bhi pehla comment mera hi hota. aakhi aapne apne dil me bhi aisa kyaa dard daba rakha hai jo shabdo ki poshak pahan kar bahar nikalta hai? really aapki ghazal ki treef ke liye alfaz ki nahi jazbat ki jaroorat hai jo kewal ek dil hi samajh sakta hai. kabh google mail par ya yahoo par aaye to jaroor chating kijiye. mera yahoo ID kvijashar@yahoo.com hai.

Intezar rahega


Aapka Apna

Vijay Sharma,
20, Venkata Maistry Street,
Chennai-600001
Cell: +91-9281302261
दिल को छूता गीत.शब्द बहुत ही प्यारे है.
शिवानी जी इस ग़ज़ल में भी तकनिकी तौर पर कुछ समस्याएं हैं पर अब आप सीख रहीं हैं तो जल्दी ही समझ जाएँगीं, हाँ जहाँ तक भाव की बात है आप १०० प्रतिशत स्कोर करती हैं, जो भी आपने लिखा है उसमें सच्चाई झलकती है गहरे मन से उठे हुए भाव हैं, प्रतिष्ठा की आवाज़ इस ग़ज़ल में पुरानी वाली से बेहतर आई है पर रुपेश जी का संगीत अन्य दो ग़ज़लों से कुछ फीका लगा यहाँ, करवा चौथ के अवसर पर यह एक सुंदर प्रस्तुति बन पड़ी है...
juhi said…
shivani ji u r great. bahut achchi gazal hai aapki taareef main kin shabdo mein karu samajh mein nahin aata .bol bahut madhur hain ki baar baar sunne ko mann karta hain .karvachauth ke avsar par itni sunder gazal ne char chand laga diye.well done !!!
srishti said…
ShIvAnI jI

mujhe ye samajh mein nahi aata ki aap baar baar itni achchi gazal kaise likhti hai . un sari gazals mein se meri ye manpasand gazal hai . aise hi likhti rahena i m waiting for ur next gazal.east or west ,shivani ji is the best!!!
satyender said…
shivani ji congrats mazaa aa gaya .......bol bahut achche lage maine pahle bhi gazal sunni hai par ye mujhe bahut bahut achchi lagi. aap aisi hi likhti rahe aur sunnati rahe.keep it up! .
Pranjal Pradhan said…
Shivani-ji,
Congratulations! Ghazal bahut pasand aiyee! Bol bahut madhur hain aur karva chauth ke awsar par ache lage!

Keep it up!
-Pranjal
इसका संगीत संयोजन बढ़िया है। गायकी भी बढ़िया है, लेकिन बोल में लयात्मकता का अभाव है। यह तो आज़ाद ग़ज़ल भी नहीं है।

ग़ज़ल के बोल में एक शे'र लिखना भूल गये हैं नियंत्रक
शिवानी जी

प्रतिष्ठा जी और रुपेश जी ने आपकी गजल के साथ ही बहुत ही न्यायपूर्वक निर्वाह किया है. सुनते हुए भावप्रवण रचना मन मोह लेती है. आवाज और अंदाज का अनूठा संगम .. यद्यपि मिक्सिंग में कुछ और गुंजाईश है किल मिलाकर संगीत और कलापक्ष की दृष्टि से बेहतरीन प्रस्तुति. शुभकामनायें
मैंने इसको देर से सुना ..बहुत ही बढ़िया लगी मुझे यह .रुपेश जी की आवाज़ तो जादू है ही आपके लिखे लफ्ज़ भी शिवानी जी बेहद भावपूर्ण हैं ...
alka said…
Shivani ji ..bahut achi rachna hai ..rupesh ji ki awaaz ne chaar chaand laga diye..awaaz aur alfaj ka bohot acha sangam hai...baar baar sunane ko jee karta hai aur sun kar bahut sukun milta hai..karva chauth ke mauke par humme chand bhi chaiye aur aapka pyaar bhi..
All The best for future..waiting for the new release..
Alka
shivani said…
मैं आप सभी श्रोताओं को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ जो आपने अपनी व्यस्त जिंदगी से चंद लम्हे मेरी ग़ज़ल सुनने के लिए निकाले !आपको मेरी ग़ज़ल पसंद आई यह जान कर प्रसन्नता हुई !बस इसी तरह आपका प्यार,सहयोग और मार्गदर्शन चाहती हूँ !मैं रुपेश जी और प्रतिष्ठा जी को भी हार्दिक धन्यवाद देना चाहूंगी उनके कठिन परिश्रम लगन और समर्पण के कारन ही ये ग़ज़ल आपके सामने आई है मेरी सफलता का श्रेय रुपेश जी ,प्रतिष्ठा जी और आप सभी श्रोतागण को जाता है !
@ऐसा नही की आज मुझे चाँद चाहिए,
मुझको तुम्हारे प्यार में विश्वास चाहिए...

कितना सुंदर भाव है! ऐसी ही भाव जीवन को गति देते हैं और प्रेममय बनाते हैं.
'आकुल' said…
शिवानीजी और रूपेशजी
...ऐसा नहीं कि....' रचना मधुर बन पड़ी है. भावों में माधुर्य दिल को छूता है. संगीत पक्ष सामान्य है किंतु रचना के साथ न्याय करता है. प्रतिष्ठाजी की आवाज में सोज़ है. आकर्षक लगी. उन्हें भी बधाई भेजियेगा.
'आकुल'
Anonymous said…
bahoot achha likha h aapne simple shabdo m vo sab likh diya jo sagar jesa gahrai rakhte h ........

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